विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर )
विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर ) करीब है। खान-पान से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना आपके हृदय को स्वस्थ रख सकता है। यहां जानें कि खान-पान के जरिए किन हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलती है। वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभाकर शेट्टी के अनुसार हृदय की सेहत में खान-पान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके अनुसार फल व सब्जियों वाली लो सोडियम डाइट और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद मिलती है। डाइट में सामान्य चीनी की मात्रा कम रखना रक्त शर्करा को नियंत्रित रखता है। चीनी और सेचुरेटेड वसा कम खाना और मोनोअनसेचुरेटेड वसा (बादाम व अन्य मेवे, जैतून, मूंगफली ) पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (सोयाबीन का तेल, अलसी, मछली, अखरोट) युक्त पदार्थों की प्रचुरता कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार करती है। फल, सब्जियां और मेवे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो प्लैक जमने से रोक कर हार्ट अटैक की आशंका को कम कर देते हैं।
खून में होमोसिस्टेइन कम करना
होमोसिस्टेइन एक अमिनो एसिड है, जो प्रोटीन के पाचन के बाद शेष बचता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा कर हृदय रोगों की आशंका को बढ़ा देता है। होमोसिस्टेइन का स्तर बढ़ने पर रक्त नलिकाओं को नुकसान होता है और खून का थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है। होमोसिस्टेइन को काबू में रखने के लिए शरीर को विटामिन बी और विटामिन सी की जरूरत होती है। खाने में फल व सब्जियों को शामिल करें, जिनमें विटामिन बी-6, फॉलिक एसिड और विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं। पालक और संतरा खाना अच्छा रहेगा।
पालक: हरी पत्तेदार सब्जियां खाना होमोसिस्टेइन के स्तर को कम करके शरीर में फोलेट का स्तर बढ़ाता है। पालक में फोलेट भरपूर मात्रा में होता है। नाश्ते में खाए जाने वाले अनाज और दालों में भी इसकी प्रचुरता होती है। कटी हुई पालक, संतरा, जैतून का तेल और नींबू रस, इन सबको पीस कर ऑमलेट या सेंडविच में लेयर बना कर खाएं। उबले हुए पालक को दाल चावल के साथ खाना भी अच्छा रहेगा।
संतरा: संतरे में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं, जो हृदय वहनियों की सुरक्षा करते हैं। फॉलिक एसिड धमनियों को रोकने वाले होमोसिस्टेइन को शरीर से बाहर करता है। एक संतरा, एक कप कम वसा वाला दही या दूध, बर्फ के टुकड़े और वनिला की कुछ बूंदों को ब्लैंडर में पीस कर स्मूदी बना कर खाना फायदेमंद रहेगा।
बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाएं
एलडीएल यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना धमनियो में कोलेस्ट्रॉल जमा करता है, जिससे धमनियां संकुचित होती हैं और हृदयाघात का जोखिम बढ़ जाता है।
ओट्स: कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में ओट्स काफी असरदार है। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर रक्त में से कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण कर इसे शरीर से बाहर करने में मदद करते हैं।
कई तरह की सब्जियां मिला कर ओट्स उपमा बनाएं। आप चाहें तो इसे दही के साथ भी खा सकते हैं। सुबह नाश्ते में नियमित ओट्स शामिल करें।
ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोल
अनियंत्रित उच्च रक्तचाप धमनियों को कठोर और संकुचित बनाता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है और हृदय का आकार बड़ा हो सकता है। दिल के काम करने की क्षमता घटती है।
डार्क चॉकलेट: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन 'चॉकलेट कन्सम्प्शन एंड कार्डियोमेटाबॉलिक डिसॉर्डर्स' में नियमित रूप से डार्क चॉकलेट खाने वालों में हृदय रोगों की आशंका 37% कम देखने को मिली है। डार्क चॉकलेट में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। उचित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाना फायदा पहुंचाता है।
सूजन, प्लेक और खून के थक्के रोकने के लिए
वसा और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता से रक्त नलिकाओं में प्लेक जमने लगता है, जिससे धमनियां संकुचित होने लगती हैं और खून के थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है।
सामन: यह प्रोटीन, ओमेगा-3 और विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है। इससे सूजन भी नहीं आती। विभिन्न जड़ी-बूटियों व मसालों के साथ इसे माइक्रोवेव में पका कर खाएं।
लहसुन: लहसुन में सल्फाइड कंपाउंड होता है, जो न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल घटाता है, बल्कि थक्का जमने से भी रोकता है। ये बंद धमनियों को खोलने में सहायक है और रक्त संचार को नियमित करता है। नियमित एक कली खाएं। लहसुन को जैतून के तेल में मिला कर रख लें। अब इस मिश्रित तेल को ड्रेसिंग के तौर पर इस्तेमाल करें। इसके अलावा ताजा लहसुन, बींस, जैतून का तेल और नींबू के रस से अच्छी डिप भी तैयार कर सकते हैं। जैतून के तेल का नियमित सेवन काफी फायदेमंद रहता है।
जैतून का तेल: जैतून का तेल हृदय रोगों की आशंका को काफी हद तक दूर रखता है। इस तेल में मोनोअनसेचुरेटेड फैट और ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर की सूजन और दर्द को कम करते हैं और थक्का जमने की आशंका को रोकते हैं। ताजी हरी पत्तियां, पास्ता, सलाद व भुने हुए आलू में जैतून का तेल मिला कर खाएं।
सीने में दर्द संकेतों को समझें
सीने में जलन, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के कुछ लक्षण इतने सामान्य हैं कि कई बार इनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। समय रहते इनके अंतर को कैसे पहचानें और क्या उपचार करें, बता रहे हैं डॉ. टी. एस. क्लेर
सीने में असहजता, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एंजाइना या हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं, लेकिन रोजमर्रा में ऐसा एसिड इनडाइजेशन या एसिडिटी होने पर भी होता है। यही वजह है कि इन दोनों स्थितियों में भ्रम हो जाता है और समस्या को पहचानने में लापरवाही होने की आशंका बढ़ जाती है।
खासतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति को मामूली रिफलक्स का मामला समझने पर व्यक्ति के उपचार में गोल्डर अवर साबित होने वाला समय नष्ट हो जाता है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी बात यह है कि इस संबंध में जागरूकता बढ़ी है। सांस लेने में असहजता व बेचैनी की स्थिति में लोग तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने लगे हैं। हमारे शरीर में भोजन नली का हिस्सा सीने के करीब होता है, ऐसे में एसिड रिफलक्स की तकलीफ होने पर सीने में भी असहजता और बेचैनी का अहसास होता है।
यही वजह है कि हार्ट अटैक से पीडि़त बहुत सारे लोग इसे हार्ट बर्न समझने की गलती कर बैठते हैं। कई बार डॉक्टर के लिए भी तुरंत कुछ कहना मुश्किल होता है। कई बार अटैक माइनर होता है, जिसका पता डॉक्टरी जांच या स्थिति बिगड़ने पर पता चलता है। यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति में सुधार होता है तो यह समस्या के एसिड रिफलक्स से जुड़े होने का संकेत है। वैसे किसी भी सूरत में स्थिति नियंत्रित होने के बाद डॉक्टर से संपर्क करना अच्छा रहता है।
हमारे दिल के तीन हिस्से होते हैं। एक हिस्सा मसल्स हैं, जो पम्पिंग का काम करते हैं और रक्त को शरीर के तमाम हिस्सों में पहुंचाते हैं। दूसरा धमनियां और तीसरा नसें होती हैं। ये तीनों मिल कर एक इंजन का काम करते हैं, जिसके लिए ईंधन होती है ऑक्सीजन।
धमनियों में ब्लॉकेज होने से रक्त प्रवाह में रुकावट आने लगती है, जिससे हृदय रोगों के लक्षण उभरने लगते हैं। इस समस्या के मुख्य पांच कारण होते हैं-आनुवंशिक, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और तनाव। यदि वजन सामान्य से 10 प्रतिशत भी अधिक है तो ऐसे व्यक्तियों में डायबिटीज और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। यदि सीने का दर्द बहुत कष्टदायी नहीं है, लेकिन आशंका है कि समस्या गंभीर हो सकती है तो लक्षणों के शांत पड़ने का इंतजार न करें। तत्काल डॉक्टरी मदद लें।
युवाओं में हृदय रोगों की समस्या पहले से कई गुणा बढ़ गयी है। 30 पार करने के बाद एक बार हृदय जांच कराना बेहतर रहता है। खासतौर पर यदि परिवार में पहले से किसी को यह समस्या रही है तो समय-समय पर जांच कराएं। डॉक्टर के निर्देशानुसार जीवनशैली अपनाने से हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलेगी।
क्या होता है स्ट्रोक
स्ट्रोक का संबंध मस्तिष्क से है। इसमें मस्तिष्क में होने वाली खून आपूर्ति में बाधा आती है, जिससे मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। वहीं हार्ट अटैक में दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में बाधा आती है। ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। यदि स्ट्रोक मस्तिष्क की रक्त धमनियों में ब्लॉकेज आने के कारण होता है तो इसे स्कीमिक स्ट्रोक कहते हैं, वहीं रक्त वाहिकाओं के फटने से रक्तस्राव के कारण होने वाले स्ट्रोक को हैमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं।
स्ट्रोक के कारण
मधुमेह, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, हृदय रोगों का होना, मोटापा, परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होना स्ट्रोक की आशंका को बढ़ाता है। यही कारण हृदय रोगों में भी देखने को मिलते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
चेहरे का एक तरफ लटकना या लकवा मारना
एक बाजू में कमजोरी महसूस होना, कंधे सुन्न होना
बोलने और समझने में दिक्कत होना
सुन्न होना
बेहोश होना
दृष्टि में असंतुलन होना।
जबकि हार्ट अटैक में पीडि़त व्यक्ति को छाती में दर्द व जकड़न होती है, काफी पसीना आता है और बायीं बाजू में दर्द होता है।
कैसे होता है उपचार
प्राथमिक उपचार: मेडिकल उपचार उपलब्ध होने तक पीडि़त को सीधा लिटाएं। इससे रक्त प्रवाह सही बना रहता है। चक्कर, बेहोशी, उल्टी या मरीज के प्रतिक्रिया नहीं देने पर उल्टी या दम घुटने की आशंका को रोकने के लिए उसे एक करवट लिटाएं।
यदि स्ट्रोक का कारण नस फटना है तो व्यक्ति को एस्प्रिन न दें। इससे स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी।
यदि मरीज को चार घंटे के भीतर हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाता है तो स्कीमिक स्ट्रोक होने पर क्लॉट बस्टिंग इंजेक्शन दिया जाता है। इससे दिमाग की कार्य प्रक्रिया में सुधार होता है। मरीज पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
स्ट्रोक मैनेजमेंट में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी व जरूरत पड़ने पर स्पीच थेरेपी महत्वपूर्ण साबित होती हैं।
सीने में जलन और हार्ट अटैक का अंतर
सीने में जलन
सीने में जलन यानी हार्ट बर्न का दिल की परेशानियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब किसी को एसिड इनडाइजेशन यानी खट्टी डकार या अपच की समस्या होती है। इसमें भोजन नली प्रभावित हो जाती है।
हार्टबर्न एक सामान्य परेशानी है, जिसमें एसिड आपके पेट से ऊपर निकल कर भोजन नली में पहुंच जाता है और सीने में दर्द का कारण बनता है। सांस लेने में भी तकलीफ होती है। सामान्य तौर पर इस स्थिति को एंटीएसिड दवाओं से संभाला जा सकता है या खान-पान की आदत दुरुस्त करके इसे काबू किया जा सकता है।
यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति सुधर जाती है तो यह सीधा संकेत है कि सीने का यह दर्द एसिड रिफ्लक्स के कारण है।
यदि किसी व्यक्ति को एपिगैस्ट्रिक या सीने में नीचे की तरफ इस तरह के लक्षण उभरते हैं और वे कई महीनों या सालों से उभर रहे हैं तो यह पेट या ऐसोफेगस से जुड़ी समस्या है, जिसके लिए गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट से मिलना चाहिए।
सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या ज्यादातर अधिक भोजन करने, अनियमित समय पर भोजन करने और व्यायाम की कमी से होती है। नियमित योग व स्वस्थ जीवनशैली ऐसी समस्याओं से निबटने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
हार्ट अटैक
दिल से जुड़ी रक्त धमनियां जब संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं तो हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और यही हार्ट अटैक का कारण बनता है। हमारे पूरे शरीर के लिए आवश्यक है कि ऑक्सीजनयुक्त रक्त बिना बाधा शरीर के सभी अंगों में पहुंचता रहे।
हार्ट अटैक के दौरान पुरुष व महिलाओं में सबसे सामान्य लक्षण सीने में जकड़न व दर्द है। इसके अलावा छाती और बायीं बाजू में दर्द व सुन्नता होना, जबड़े और कमर में संवेदना होना, अपच, ठंडा पसीना आना व थकावट का अनुभव होना इसके अन्य लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पताल जाना चाहिए।
सामान्यत: एसिडिटी या गैस संबंधी समस्या एंटीएसिड दवा लेने के 20 मिनट बाद के समय तक ठीक हो जाती है। स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है कि चिकित्सक से संपर्क करके ईसीजी व अन्य टैस्टिंग कराएं।
भोजन नली चूंकि शरीर में हृदय के पास होती है, इसलिए हार्ट बर्न की स्थिति में आसपास के हिस्से में दर्द व बेचैनी का अनुभव होता है। आमतौर पर यह सीने से थोड़ा नीचे केंद्र में होता है। हार्ट अटैक में यह दर्द बायीं ओर ज्यादा तेज और जकड़न भरा होता है।
हृदय रोग की समस्या अचानक नहीं होती। रोजमर्रा की दिनचर्या में इसके कुछ-कुछ लक्षण दिखायी देते हैं, मसलन कुछ सीढि़यां चढ़ने पर ही थक जाना, आराम करने पर अच्छा महसूस करना और सांस फूलना। मोटापा व व्यायाम की कमी हृदय रोगों की आशंका बढ़ा देती है। (लेखक फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के कार्डियक साइंसेज विभाग के निदेशक हैं )
विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर ) करीब है। खान-पान से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना आपके हृदय को स्वस्थ रख सकता है। यहां जानें कि खान-पान के जरिए किन हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलती है। वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभाकर शेट्टी के अनुसार हृदय की सेहत में खान-पान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके अनुसार फल व सब्जियों वाली लो सोडियम डाइट और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद मिलती है। डाइट में सामान्य चीनी की मात्रा कम रखना रक्त शर्करा को नियंत्रित रखता है। चीनी और सेचुरेटेड वसा कम खाना और मोनोअनसेचुरेटेड वसा (बादाम व अन्य मेवे, जैतून, मूंगफली ) पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (सोयाबीन का तेल, अलसी, मछली, अखरोट) युक्त पदार्थों की प्रचुरता कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार करती है। फल, सब्जियां और मेवे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो प्लैक जमने से रोक कर हार्ट अटैक की आशंका को कम कर देते हैं।
खून में होमोसिस्टेइन कम करना
होमोसिस्टेइन एक अमिनो एसिड है, जो प्रोटीन के पाचन के बाद शेष बचता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा कर हृदय रोगों की आशंका को बढ़ा देता है। होमोसिस्टेइन का स्तर बढ़ने पर रक्त नलिकाओं को नुकसान होता है और खून का थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है। होमोसिस्टेइन को काबू में रखने के लिए शरीर को विटामिन बी और विटामिन सी की जरूरत होती है। खाने में फल व सब्जियों को शामिल करें, जिनमें विटामिन बी-6, फॉलिक एसिड और विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं। पालक और संतरा खाना अच्छा रहेगा।
पालक: हरी पत्तेदार सब्जियां खाना होमोसिस्टेइन के स्तर को कम करके शरीर में फोलेट का स्तर बढ़ाता है। पालक में फोलेट भरपूर मात्रा में होता है। नाश्ते में खाए जाने वाले अनाज और दालों में भी इसकी प्रचुरता होती है। कटी हुई पालक, संतरा, जैतून का तेल और नींबू रस, इन सबको पीस कर ऑमलेट या सेंडविच में लेयर बना कर खाएं। उबले हुए पालक को दाल चावल के साथ खाना भी अच्छा रहेगा।
संतरा: संतरे में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं, जो हृदय वहनियों की सुरक्षा करते हैं। फॉलिक एसिड धमनियों को रोकने वाले होमोसिस्टेइन को शरीर से बाहर करता है। एक संतरा, एक कप कम वसा वाला दही या दूध, बर्फ के टुकड़े और वनिला की कुछ बूंदों को ब्लैंडर में पीस कर स्मूदी बना कर खाना फायदेमंद रहेगा।
बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाएं
एलडीएल यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना धमनियो में कोलेस्ट्रॉल जमा करता है, जिससे धमनियां संकुचित होती हैं और हृदयाघात का जोखिम बढ़ जाता है।
ओट्स: कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में ओट्स काफी असरदार है। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर रक्त में से कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण कर इसे शरीर से बाहर करने में मदद करते हैं।
कई तरह की सब्जियां मिला कर ओट्स उपमा बनाएं। आप चाहें तो इसे दही के साथ भी खा सकते हैं। सुबह नाश्ते में नियमित ओट्स शामिल करें।
ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोल
अनियंत्रित उच्च रक्तचाप धमनियों को कठोर और संकुचित बनाता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है और हृदय का आकार बड़ा हो सकता है। दिल के काम करने की क्षमता घटती है।
डार्क चॉकलेट: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन 'चॉकलेट कन्सम्प्शन एंड कार्डियोमेटाबॉलिक डिसॉर्डर्स' में नियमित रूप से डार्क चॉकलेट खाने वालों में हृदय रोगों की आशंका 37% कम देखने को मिली है। डार्क चॉकलेट में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। उचित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाना फायदा पहुंचाता है।
सूजन, प्लेक और खून के थक्के रोकने के लिए
वसा और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता से रक्त नलिकाओं में प्लेक जमने लगता है, जिससे धमनियां संकुचित होने लगती हैं और खून के थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है।
सामन: यह प्रोटीन, ओमेगा-3 और विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है। इससे सूजन भी नहीं आती। विभिन्न जड़ी-बूटियों व मसालों के साथ इसे माइक्रोवेव में पका कर खाएं।
लहसुन: लहसुन में सल्फाइड कंपाउंड होता है, जो न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल घटाता है, बल्कि थक्का जमने से भी रोकता है। ये बंद धमनियों को खोलने में सहायक है और रक्त संचार को नियमित करता है। नियमित एक कली खाएं। लहसुन को जैतून के तेल में मिला कर रख लें। अब इस मिश्रित तेल को ड्रेसिंग के तौर पर इस्तेमाल करें। इसके अलावा ताजा लहसुन, बींस, जैतून का तेल और नींबू के रस से अच्छी डिप भी तैयार कर सकते हैं। जैतून के तेल का नियमित सेवन काफी फायदेमंद रहता है।
जैतून का तेल: जैतून का तेल हृदय रोगों की आशंका को काफी हद तक दूर रखता है। इस तेल में मोनोअनसेचुरेटेड फैट और ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर की सूजन और दर्द को कम करते हैं और थक्का जमने की आशंका को रोकते हैं। ताजी हरी पत्तियां, पास्ता, सलाद व भुने हुए आलू में जैतून का तेल मिला कर खाएं।
सीने में दर्द संकेतों को समझें
सीने में जलन, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के कुछ लक्षण इतने सामान्य हैं कि कई बार इनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। समय रहते इनके अंतर को कैसे पहचानें और क्या उपचार करें, बता रहे हैं डॉ. टी. एस. क्लेर
सीने में असहजता, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एंजाइना या हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं, लेकिन रोजमर्रा में ऐसा एसिड इनडाइजेशन या एसिडिटी होने पर भी होता है। यही वजह है कि इन दोनों स्थितियों में भ्रम हो जाता है और समस्या को पहचानने में लापरवाही होने की आशंका बढ़ जाती है।
खासतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति को मामूली रिफलक्स का मामला समझने पर व्यक्ति के उपचार में गोल्डर अवर साबित होने वाला समय नष्ट हो जाता है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी बात यह है कि इस संबंध में जागरूकता बढ़ी है। सांस लेने में असहजता व बेचैनी की स्थिति में लोग तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने लगे हैं। हमारे शरीर में भोजन नली का हिस्सा सीने के करीब होता है, ऐसे में एसिड रिफलक्स की तकलीफ होने पर सीने में भी असहजता और बेचैनी का अहसास होता है।
यही वजह है कि हार्ट अटैक से पीडि़त बहुत सारे लोग इसे हार्ट बर्न समझने की गलती कर बैठते हैं। कई बार डॉक्टर के लिए भी तुरंत कुछ कहना मुश्किल होता है। कई बार अटैक माइनर होता है, जिसका पता डॉक्टरी जांच या स्थिति बिगड़ने पर पता चलता है। यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति में सुधार होता है तो यह समस्या के एसिड रिफलक्स से जुड़े होने का संकेत है। वैसे किसी भी सूरत में स्थिति नियंत्रित होने के बाद डॉक्टर से संपर्क करना अच्छा रहता है।
हमारे दिल के तीन हिस्से होते हैं। एक हिस्सा मसल्स हैं, जो पम्पिंग का काम करते हैं और रक्त को शरीर के तमाम हिस्सों में पहुंचाते हैं। दूसरा धमनियां और तीसरा नसें होती हैं। ये तीनों मिल कर एक इंजन का काम करते हैं, जिसके लिए ईंधन होती है ऑक्सीजन।
धमनियों में ब्लॉकेज होने से रक्त प्रवाह में रुकावट आने लगती है, जिससे हृदय रोगों के लक्षण उभरने लगते हैं। इस समस्या के मुख्य पांच कारण होते हैं-आनुवंशिक, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और तनाव। यदि वजन सामान्य से 10 प्रतिशत भी अधिक है तो ऐसे व्यक्तियों में डायबिटीज और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। यदि सीने का दर्द बहुत कष्टदायी नहीं है, लेकिन आशंका है कि समस्या गंभीर हो सकती है तो लक्षणों के शांत पड़ने का इंतजार न करें। तत्काल डॉक्टरी मदद लें।
युवाओं में हृदय रोगों की समस्या पहले से कई गुणा बढ़ गयी है। 30 पार करने के बाद एक बार हृदय जांच कराना बेहतर रहता है। खासतौर पर यदि परिवार में पहले से किसी को यह समस्या रही है तो समय-समय पर जांच कराएं। डॉक्टर के निर्देशानुसार जीवनशैली अपनाने से हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलेगी।
क्या होता है स्ट्रोक
स्ट्रोक का संबंध मस्तिष्क से है। इसमें मस्तिष्क में होने वाली खून आपूर्ति में बाधा आती है, जिससे मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। वहीं हार्ट अटैक में दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में बाधा आती है। ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। यदि स्ट्रोक मस्तिष्क की रक्त धमनियों में ब्लॉकेज आने के कारण होता है तो इसे स्कीमिक स्ट्रोक कहते हैं, वहीं रक्त वाहिकाओं के फटने से रक्तस्राव के कारण होने वाले स्ट्रोक को हैमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं।
स्ट्रोक के कारण
मधुमेह, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, हृदय रोगों का होना, मोटापा, परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होना स्ट्रोक की आशंका को बढ़ाता है। यही कारण हृदय रोगों में भी देखने को मिलते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
चेहरे का एक तरफ लटकना या लकवा मारना
एक बाजू में कमजोरी महसूस होना, कंधे सुन्न होना
बोलने और समझने में दिक्कत होना
सुन्न होना
बेहोश होना
दृष्टि में असंतुलन होना।
जबकि हार्ट अटैक में पीडि़त व्यक्ति को छाती में दर्द व जकड़न होती है, काफी पसीना आता है और बायीं बाजू में दर्द होता है।
कैसे होता है उपचार
प्राथमिक उपचार: मेडिकल उपचार उपलब्ध होने तक पीडि़त को सीधा लिटाएं। इससे रक्त प्रवाह सही बना रहता है। चक्कर, बेहोशी, उल्टी या मरीज के प्रतिक्रिया नहीं देने पर उल्टी या दम घुटने की आशंका को रोकने के लिए उसे एक करवट लिटाएं।
यदि स्ट्रोक का कारण नस फटना है तो व्यक्ति को एस्प्रिन न दें। इससे स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी।
यदि मरीज को चार घंटे के भीतर हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाता है तो स्कीमिक स्ट्रोक होने पर क्लॉट बस्टिंग इंजेक्शन दिया जाता है। इससे दिमाग की कार्य प्रक्रिया में सुधार होता है। मरीज पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
स्ट्रोक मैनेजमेंट में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी व जरूरत पड़ने पर स्पीच थेरेपी महत्वपूर्ण साबित होती हैं।
सीने में जलन और हार्ट अटैक का अंतर
सीने में जलन
सीने में जलन यानी हार्ट बर्न का दिल की परेशानियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब किसी को एसिड इनडाइजेशन यानी खट्टी डकार या अपच की समस्या होती है। इसमें भोजन नली प्रभावित हो जाती है।
हार्टबर्न एक सामान्य परेशानी है, जिसमें एसिड आपके पेट से ऊपर निकल कर भोजन नली में पहुंच जाता है और सीने में दर्द का कारण बनता है। सांस लेने में भी तकलीफ होती है। सामान्य तौर पर इस स्थिति को एंटीएसिड दवाओं से संभाला जा सकता है या खान-पान की आदत दुरुस्त करके इसे काबू किया जा सकता है।
यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति सुधर जाती है तो यह सीधा संकेत है कि सीने का यह दर्द एसिड रिफ्लक्स के कारण है।
यदि किसी व्यक्ति को एपिगैस्ट्रिक या सीने में नीचे की तरफ इस तरह के लक्षण उभरते हैं और वे कई महीनों या सालों से उभर रहे हैं तो यह पेट या ऐसोफेगस से जुड़ी समस्या है, जिसके लिए गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट से मिलना चाहिए।
सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या ज्यादातर अधिक भोजन करने, अनियमित समय पर भोजन करने और व्यायाम की कमी से होती है। नियमित योग व स्वस्थ जीवनशैली ऐसी समस्याओं से निबटने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
हार्ट अटैक
दिल से जुड़ी रक्त धमनियां जब संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं तो हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और यही हार्ट अटैक का कारण बनता है। हमारे पूरे शरीर के लिए आवश्यक है कि ऑक्सीजनयुक्त रक्त बिना बाधा शरीर के सभी अंगों में पहुंचता रहे।
हार्ट अटैक के दौरान पुरुष व महिलाओं में सबसे सामान्य लक्षण सीने में जकड़न व दर्द है। इसके अलावा छाती और बायीं बाजू में दर्द व सुन्नता होना, जबड़े और कमर में संवेदना होना, अपच, ठंडा पसीना आना व थकावट का अनुभव होना इसके अन्य लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पताल जाना चाहिए।
सामान्यत: एसिडिटी या गैस संबंधी समस्या एंटीएसिड दवा लेने के 20 मिनट बाद के समय तक ठीक हो जाती है। स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है कि चिकित्सक से संपर्क करके ईसीजी व अन्य टैस्टिंग कराएं।
भोजन नली चूंकि शरीर में हृदय के पास होती है, इसलिए हार्ट बर्न की स्थिति में आसपास के हिस्से में दर्द व बेचैनी का अनुभव होता है। आमतौर पर यह सीने से थोड़ा नीचे केंद्र में होता है। हार्ट अटैक में यह दर्द बायीं ओर ज्यादा तेज और जकड़न भरा होता है।
हृदय रोग की समस्या अचानक नहीं होती। रोजमर्रा की दिनचर्या में इसके कुछ-कुछ लक्षण दिखायी देते हैं, मसलन कुछ सीढि़यां चढ़ने पर ही थक जाना, आराम करने पर अच्छा महसूस करना और सांस फूलना। मोटापा व व्यायाम की कमी हृदय रोगों की आशंका बढ़ा देती है। (लेखक फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के कार्डियक साइंसेज विभाग के निदेशक हैं )