Wednesday, 10 September 2008

सिंगुर समझौते पर सरकार झूठ बोल रही है या ममता बनर्जी ?


सिंगुर समझौते पर कौन झूठ बोल रहा है? तीन दिन राज्यपाल के साथ बैठक के बाद मीडिया के सामने समझौते का जो प्रारूप सामने आया उसके तहत कहा गया कि ३०० एकड़ जमीन परियोजना के भीतर से और १०० एकड़ परियोजना के बाहर से अनिच्छुक किसानों को जमीन दी जाएगी। उस दिन न तो मीडिया में आई इस खबर या समझौते के किसी प्रारूप पर सरकार ने कोई बयान दिया और न विपक्ष ने। अब जब टाटा ने कह दिया कि हम १००० एकड़ परियोजना को एक साथ ही रखेंगे और ऐसा तय हो जाएगा तभी काम शुरू करेंगे तब सरकार को अचानक झटका लगा और पैंतरे बदलने शुरू हो गए। सरकार ने कहा कि भीतर से जमीन देने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। ममता बनर्जी ऐसा बयान देकर भ्रम फैला रही है। जबकि तृणमूल भीतर की जमीन ही किसानों को दिए जाने पर अडिग हैं। कहा है कि उन्होंने अपना धरना खत्म नहीं किया है बल्कि स्थगित किया है। उन्हें जमीन तलाशने के लिए बनी समीति के रिपोर्ट का इंतजार है। यानी जमीन नहीं लौटाने पर धरने पर फिर बैठने का तृणमूल ने मन बना लिया है। आखिर इस भ्रम की स्थिति में कौन सही है और कौन गलत ? दरअसल फिर दखल की लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं सरकार और विपक्ष ? अर्थात् टाटा मोटर्स के सपनों को लगा ग्रहण अभी दूर होने का नाम नहीं ले रहा है और सिंगूर परियोजना स्थल पर तीन सौ एकड़ जमीन वापस करने की तृणमूल कांग्रेस की मांग के बीच मंगलवार को कंपनी ने पश्चिम बंगाल सरकार को ऐसा कोई कदम नहीं उठाने को आगाह किया जिससे कार एकीकरण ऑटो क्लस्टर को कोई आंच आए। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रविकांत ने राज्य सरकार को लिखे एक पत्र में कहा कि कंपनी ने अपने स्पष्टीकरण को नोट किया है कि यह ऑटो क्लस्टर की एकीकृत प्रकृति को बरकरार रखेगा जिसमें मुख्य संयंत्र और सहायक इकाइयां शामिल हैं।

उद्योग मंत्री निरुपम सेन ने सचिवालय पर कांत के पत्र के हवाले से संवाददाताओं से कहा कि अत: सरकार को भविष्य में ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे इसकी व्यवस्था और पूर्व में बनी समझ अव्यस्थित हो। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक ने अपने पत्र में यह भी कहा कि हम भविष्य की व्यवस्थाओं, समझ या प्रतिबद्धता के बारे में स्पष्ट रूप से कहा, जाना पसंद करेंगे जो व्यवस्था के खिलाफ जाए और जिससे उस प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं होना सामने आए।
इस बीच सरकार के दो प्रतिनिधियों और तृणमूल कांग्रेस के दो प्रतिनिधियों की चार सदस्यीय समिति की पहली बैठक हुई ताकि अनिच्छुक किसानों की भूमि की पहचान और उसे वापस करने की संभावना पर विचार किया जा सके। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि काम परियोजना स्थल के भीतर तीन सौ एकड़ और बाहर सौ एकड़ जमीन चिन्हित करना है। ममता ने कहा कि समझौते में कोई भ्रम नहीं है जिस पर रविवार को सिंगूर अड़चन को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे और निर्णय को कार्यान्वित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

ममता के रुख को दोहराते हुए तृणमूल कांग्रेस के विधायक रविंद्रनाथ भट्टाचार्य ने समिति की पहली बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि हमने परियोजना क्षेत्र के भीतर ही 300 एकड़ जमीन चाही है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं तृणमूल कांग्रेस के ही बेचराम मन्ना, डब्ल्यूबीआईडीसी के प्रबंध निदेशक सुब्रत गुप्ता और हुगली की जिलाधिकारी नीलम मीणा कल परियोजना स्थल का मुआयना करेंगे जिसके बाद एक बार और बैठक की जाएगी।
सिंगूर गतिरोध दूर करने के लिए निजी पहल करने वाले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने गत रविवार को तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार द्वारा हस्ताक्षरित वक्तव्य को पढ़ा था कि सरकार अनिच्छुक किसानों को परियोजना क्षेत्र के भीतर ही अधिकतम जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी जबकि अतिरिक्त भूमि पास ही के क्षेत्रो में मुहैया कराई जाएगी। इस मामले में तब विवाद हो गया जब तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने अधिकतम भूमि को 300 एकड़ जमीन समझ लिया जिस पर दोनों पक्ष राजी हुए थे।
बाद में टाटा मोटर्स ने कहा कि राज्यपाल द्वारा जारी वक्तव्य में स्पष्टता की कमी है और सिंगूर में काम रोकने के फैसले को वापस नहीं लिया जाएगा। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल सरकार ने टाटा मोटर्स से अपनी नैनो कार निर्माण इकाई में निर्माण कार्य शुरू करने को कहा है और दोबारा भरोसा जताया है कि सिंगूर में कंपनी के मुख्य संयंत्र की कोई भूमि वापस नहीं ली जाएगी। सेन ने एक निजी टेलीविजन चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा कि हमने टाटा को फिर से भरोसा दिलाया है कि परियोजना स्थल से कोई जमीन वापस नहीं ली जाएगी और राज्य सरकार चाहती है कि नैनो कार सिंगूर से ही बनकर निकले।

एक सवाल के जवाब में सेन ने कहा कि राजभवन में द्विपक्षीय बातचीत के दौरान सरकार कभी भी विपक्षी तृणमूल कांग्रेस की मांग पर राजी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हम प्रभावित लोगों को जमीन देने के लिए संभावनाएं तलाशने के लिए राजी हो गए थे। सेन ने आशा जाहिर करते हुए कहा कि विपक्षी दल टाटा की परियोजना से हाथ पीछे खींचने से पैदा हालात की गंभीरता को समझेंगे। सेन ने कहा कि मैं सभी संबद्ध पक्षों से अपील करता हूं कि टाटा को सिंगूर संयंत्र शांतिपूर्ण तरीके से शुरू और संचालित करने दें।

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