Thursday 18 August 2011

इतिहास इसे भी याद रखेगा


   १६ अगस्त को जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठने से पहले गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। वहीं भारी हुजूम जमा हो गया। सभी समाचार चैनल अपने-अपने तरीके से इस घटनाक्रम को प्रसारित कर रहे थे। उसी समय स्टार न्यूज के दीपक चौरसिया यह पता करने की कोशिश कर रहे थे कि कितने लोगों को पता हैं कि लोकपाल बिल क्या है और जनलोकपाल बिल उससे क्या भिन्न है। मोटे तौर पर तो सभी जान रहे थे कि सरकारी लोकपाल बिल जनहित में नहीं है मगर क्या भिन्न है, यह बताने में वे सभी लोग असमर्थ रहे जिनसे चौरसिया ने दोनों में अंतर पूछा था। कई ने तो अंतर बताने की बजाए देशभक्ति गीत गाए। सवाल यह नही है कि लोग कितना जानते हैं बल्कि सवाल यह है कि दीपक चौरसिया किस तकनाकी ज्ञान की अपेक्षा उन सामान्य लोगों से कर रहे थे जो यह मानकर आए थे कि अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। और सरकार से भ्रष्टाचार रोकने की गारंटी का कानून लाने की मांग कर रहे हैं। समर्थन के लिए आई जनता को क्या इतना जानना काफी नहीं ? शायद दीपक चौरसिया इससे ज्यादा की अपेक्षा रख रहे थे। तो क्या सारी जनता किसी आंदोलन में शामिल होने से पहले अध्ययन में जुट जाए। क्या यह संभव है? मेरा दावा है कि अगर अचानक इस देश के तमाम सांसदों व विधायकों से भी पूछा जाए तो वे भी इतनी बारीकी से दोनों लोकपाल विधेयकों का फर्क नहीं बता पाएंगे।
 चौरसिया शायद बताना चाह रहे थे कि यह भेड़ों वाली भीड़ है और किसी को भ्रष्टाचार या लोकपाल से कोई लेनादेना नहीं है। अगर इस पूछताछ के बाद खुद चौरसिया यह स्पष्ट करते कि यह भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता है जो अन्ना ते समर्थन में जुटी है। अगर इन्हे तकनीकी फर्क नहीं भी मालूम है तो क्या ये भ्रष्टाचार को समाप्त होते देखना चाहते हैं। मगर उन्होंने जानबूझकर ऐसा करके लोगों में गलतफहमी फैलाने की कोशिश की। एक कार्यकर्ता यह देख रहा था और उसने आकर स्पष्ट किया कि सभी को तकनीकी जानकारी रखना संभव नहीं मगर भ्रष्टाचार के मायने सभी जानते हैं। मीडिया का यह रोल भी किसा भ्रषटाचार से कम नहीं। इतिहास इसे भी याद रखेगा।
  आलइंडिया ब्लागर एसोसिएशन ने एक पोस्ट डाली है जिसमें दोनों लोकपाल बिल में मुख्य फर्क को बताया है। मैं यहां उसके पीडीएफ को डाल रहा हूं ताकि आप भी इन बारीकियों को जान लें और फिर कभी कोई दीपक चौरसिया गुमराह करे तो करारा जवाब दे सकें। मित्रों भ्रष्टाचार की जड़े बड़ी गहरी हैं और कहां कहां समाई हुई हैं कह पाना मुश्किल है। भले जड़ से मिटाने पर सवाल खड़ा हो रहा है तो क्या प्रयास ही नहीं किए जाने चाहिए। भ्रष्टों की मंडली तो साथ नहीं देगी मगर सचमुच में जो त्रस्त है उसे तो लड़ना ही पड़ेगा। अब दीपक चौरसिया से सीख लीजिए और खुद को जवाब देने लायक भी बनाकर रखिए। इस लिहाज हम दीपक के आभारी भी हैं उन्होंने हमारी इस कमी परह सवाल उठाया। निंदक नियरे राखिए.................।

Thursday 4 August 2011

एक ब्लागर मित्र ने ब्लाग लेखन को अनिश्चित काल के लिए अलविदा कहा !


  ब्लागर महेश कुमार वर्मा के आखिरी संदेश को देखिए। क्या कोई मित्र उनकी मदद कर सकता है ?---


महेशजी का संदेश-------

from ???? ????? ????? : Mahesh Kumar Verma vermamahesh7@gmail.com via blogger.bounces.google.com
to drmandhata@gmail.com
date 3 August 2011 21:11
subject [दिल की आवाज़] अनिश्चित समय के लिए विदा
mailed-by blogger.bounces.google.com
Important mainly because of the people in the conversation.
hide details 21:11 (3 hours ago)
आज-कल मैं अपने ब्लॉग पर नहीं आ रहा हूँ व न ही मैं अन्य किसी के ब्लॉग पर ही जा पा रहा हूँ तथा न ही  ब्लॉगर बंधुओं से ही संपर्क हो रहा है.  इन सब बातों के लिए मैं सभी ब्लॉगर बंधुओं से क्षमा चाहता हूँ.  सच में मेरा लेखन कार्य लगभग बंद हो चूका है और इसका सबसे मुख्य कारण है मेरे पास अपना कंप्यूटर व इन्टरनेट का न होना.  अब तक मैं जो भी लेखन कार्य किया वह साइबर कैफे से किया पर बढती मंहगाई में अब साइबर कैफे में बैठकर लिखना मेरे लिए संभव नहीं है.  इसके अलावा मैं इधर कई निजी मामलों में भी परेशान हूँ.  मैं जहां DTDC Courier & Cargo Ltd, Boring Road, Patna में कार्य कर रहा था वहाँ से मुझे कार्य से निकाल दिया गया है और यह मामला अभी डॉ. अपर्णा, श्रम अधीक्षक, पटना के पास लंबित है और उनके कार्रवाई से मैं संतुष्ट भी नहीं हूँ .  इसके अलावा मेरा एक निजी मामला पारिवारिक न्यायालय, सहरसा में है व इसके अलावा घर का मामला भी पड़ा हुआ है.  Courier Office से कार्य पर से हटने व 3 -4 माह में भी  अब  तक  श्रम अधीक्षक के द्वारा मामला न सल्टाए जाने के कारण अब मेरे साथ आर्थिक तंगी ऐसी हो गयी है की अब भुखमरी की स्थिति हो गयी है.  यदि भुखमरी से मेरी मौत होती है तो इसके लिए जिम्मेवार डॉ. अपर्णा, श्रम अधीक्षक, पटना होंगे जिन्होंने मेरे मामला में सही ढंग से कार्रवाई नहीं की व उनके द्वारा की गयी कार्रवाई से यह स्पष्ट है  की उनका नियोजक से सांठ-गांठ हो गया है..............अभी यहाँ विशेष क्या लिखूं?   यह भी साइबर कैफे से लिख रहा हूँ.........................

विशेष क्या कहूँ? ............................ अब शायद मेरा लेखन कार्य तब तक प्रारंभ नहीं होगा जब तक की मेरे पास अपना सिस्टम नहीं हो जाए....................... अतः अब आपलोगों से मैं कब मिल पाऊंगा यह मुझे भी नहीं मालुम है.  अतः अब मैं अनिश्चित समय के लिए आपलोगों से विदा चाहता हूँ.

आपलोगों के शुभकामनाओं के साथ.


आपका 
महेश कुमार वर्मा
मोबाइल : 09955239846
Posted By महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma to दिल की आवाज़ at 8/03/2011 09:11:00 PM

मैंने यह संदेश महेशजी को लिखा------
महेशजी नौकरी का जाना तो बहुत दुखद खबर है। ईश्वर से दुआ करूंगा कि आपकी नौकरी फिर बहाल हो जाए। ब्लागिंग तो आपस में जुड़ने , कहने, समझने का बेहतर जरिया था मगर अभी जीवन को पटरी पर लाना उससे ज्यादा आवश्यक है। प्रयासरत रहें, नई नौकरी भी मिल जाएगी। जिस ब्लाग से आपने अभी विदा लेने का संदेश दिया है ईश्वर जल्द ही उसी ब्लाग से हमें आपकी वापसी का संदेश सुनाने का रास्ता दे देगा। इसी उम्मीद के साथ आपका शुभचिंतक---- डा. मान्धाता सिंह----कोलकाता।

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