डायबिटीज अब उम्र, देश व परिस्थिति की सीमाओं को लाँघ चुका है। इसके मरीजों का तेजी से बढ़ता आँकड़ा दुनियाभर में चिंता का विषय बन चुका है। मधुमेह रोगियों के लिए कुछ देसी नुस्खे पेश किए जा रहे हैं। इनमें से किसी को भी आजमाने से पूर्व अपने चिकित्सक से राय अवश्य ले लें।
नींबू से प्यास बुझाइए
मधुमेह के मरीज को प्यास अधिक लगती है। अतः बार-बार प्यास लगने की अवस्था में नीबू निचोड़कर पीने से प्यास की अधिकता शांत होती है।
खीरा खाकर भूख मिटाइए
मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बार-बार भूख महसूस होती है। इस स्थिति में खीरा खाकर भूख मिटाना चाहिए।
गाजर-पालक को औषधि बनाइए
इन रोगियों को गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है। रामबाण औषधि है शलजम
मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है। अतः शलजम की सब्जी, पराठे, सलाद आदि चीजें स्वाद बदल-बदलकर ले सकते हैं।
जामुन खूब खाइए
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। जामुन को मधुमेह के रोगी का ही फल कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन औषधि के रूप में खूब करना चाहिए। जामुन की गुठली संभालकर एकत्रित कर लें। इसके बीजों जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
करेले का इस्तेमाल करें
प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसका कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है। मधुमेह के रोगी को इसका रस रोज पीना चाहिए। इससे आश्चर्यजनक लाभ मिलता है। अभी-अभी नए शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी, मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त करने की क्षमता रखता है।
मैथी का प्रयोग कीजिए
मधुमेह के उपचार के लिए मैथीदाने के प्रयोग का भी बहुत चर्चा है। दवा कंपनियाँ मैथी के पावडर को बाजार तक ले आई हैं। इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण बनाकर रख लीजिए। नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिए। कुछ दिनों में आप इसकी अद्भुत क्षमता देखकर चकित रह जाएँगे।
चमत्कार दिखाते हैं गेहूँ के जवारे
गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण विद्यमान हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड के नाम से पुकारा जाता है। जवारे का ताजा रस निकालकर आधा कप रोगी को तत्काल पिला दीजिए। रोज सुबह-शाम इसका सेवन आधा कप की मात्रा में करें।
अन्य उपचार
नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस, केले के पत्ते का रस चार चम्मच सुबह-शाम लेना चाहिए। आँवले का रस चार चम्मच, गुडमार की पत्ती का काढ़ा सुबह-शाम लेना भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।
मोटा खाएं मस्त रहें
मोटे अनाज न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं बल्कि इनके इस्तेमाल से दिल की बीमारी कैल्शियम की कमी और कई तरह की बीमारियां आप के पास भी नहीं फटक पातीं। देहाती भोजन समझ कर जिन मोटे अनाजों को रसोई से कभी का बाहर किया जा चुका है, अब वैज्ञानिक शोध से बार-बार उनकी पौष्टिकता सिद्घ हो रही है। भारतीय खाद्य एवं चारा विभाग की फसल विज्ञानी डा. उमा रघुनाथन के मुताबिक धान और गेहूं की अपेक्षा छोटे खाद्यान्न जैसे मड़ुआ, कोदो, सावां तथा कुटकी आदि की पौष्टिकता अधिक है। इस संबंध में डा. उमा का शोधपत्र आईसीएआर की अनुसंधान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अनुसंधान ने दिखाया है कि परंपरागत तौर से रसोई घर से बाहर की कर दिए गए मोटे अनाज दिल की बीमारी, मधुमेह तथा डियोडिनम अल्सर से लड़ने में सहायक है। यही नहीं, सामान्य गेंहूं में जहां साल 2 साल में घुन लग जाता है वहीं मड़ुआ का दाना 2 दशक तक ज्यों का त्यों बना रहता है।
शुगर फ्री से घुल न जाए कडुवाहट
चॉकलेट, मिठाई, आईसक्रीम व सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीजों पर 'शुगर फ्री' लिखा देखकर गुमराह न हों, क्योंकि इनका लगातार इस्तेमाल न सिर्फ मधुमेह के स्तर व मोटापे की समस्या को बढ़ा सकता है, बल्कि सिरदर्द, पेट दर्द, अनिद्रा व चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शुगर फ्री के नाम पर धड़ल्ले से परोसी जा रही इन चीजों में सिर्फ चीनी के इस्तेमाल से परहेज किया जाता है, दूध, खोया, घी जैसे फैट व कैलोरी के अन्य कंटेंट वही होते हैं, जो आम उत्पादों में इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में 'शुगर फ्री है, तो नुकसान नहीं करेगा' इस भ्रम में मधुमेह ग्रस्त लोग इन चीजों का मुक्त रूप से इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, जो कि काफी घातक साबित होता है। उल्लेखनीय है कि चॉकलेट, आईसक्रीम, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक जैसी जिन चीजों से मधुमेह रोगियों को परहेज करने के लिए कहा जाता है, कंपनियां उनके शुगर फ्री उत्पाद बाजार में लेकर आ जाते हैं, जिनका दावा होता है कि इनके इस्तेमाल से मधुमेह रोगियों को कोई समस्या नहीं होगी। आजकल शादी-विवाह व जन्मदिन आदि की पार्टियों में भी शुगर फ्री उत्पादों को परोसना फैशन ट्रेंड बन गया है और मधुमेह पीड़ित लोग भी बेफिक्र होकर इनका इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर की ओर से किए गए अध्ययन में पाया गया कि शुगर फ्री उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले लोगों के मुंह का स्वाद खराब रहने, माइग्रेन, पेट संबंधी दिक्कतें, चिड़चिड़ापन व इनसोमनिया जैसी समस्याएं आम होती हैं।
कपाल भाति से दूर होते हैं संपूर्ण रोग
यदि प्रत्येक व्यक्ति कपाल भाति प्राणायाम करता रहे तो वह संपूर्ण रोगों से मुक्ति पा सकता है। कपाल भाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास करने से मस्तिष्क व मुख मंडल पर तेज, आभा व सौंदर्य बढ़ता है साथ ही हृदय, फेफड़ों एवं मस्तिष्क के सभी रोग दूर होते है। मोटापा, मधुमेह, गैस, कब्ज, अम्लियत आदि के विकार दूर होते है यदि मनुष्य कपाल भाति प्राणायाम करता रहे तो शरीर निरोग रहता है। भ्रामरी प्राणायाम अनेक रोगों को दूर करता है। यह प्राणायाम आंख, कान, बालों के लिए काफी लाभदायक है इसके अलावा इससे मिरगी के चक्कर आना, हाथ, पैरों के सुनापन आदि बीमारियों में यह योग महत्वपूर्ण है। यह प्राणायाम बुद्धि वर्धक भी है। रोजाना इसे 3-4 मिनट तक करने से बुद्धि का विकास होगा व स्मरण शक्ति भी बढ़ेगी।
प्राणायाम और आसन
लखनऊ: योग गुरु स्वामी रामदेव यहां अम्बेडकर मैदान जेल रोड में हुए योग शिविर में साधकों को प्राणायाम और आसन कराने के साथ ही इनकी खासियत भी बतायी। जीवन के रूपांतरण की सप्त प्रणायाम की क्रियाओं के सम्पूर्ण आरोग्य देने का जिक्र करते हुए स्वामी रामदेव ने भस्त्रिका प्राणायाम के बारे में बताया कि लम्बा गहरा श्वास फेफड़ों में ढाई सेकेंड में भरो और ढाई सेकेंड में ही छोड़ो। सामान्य तरह से अधिकतम पांच मिनट और कैंसर या किसी अन्य समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को इसे 10 मिनट तक करना चाहिए। यानी सामान्यत: 50 से 60 बार और जटिलता में सौ बार यह प्रक्रिया दोहरानी है। उन्होंने बताया कि कपाल भांति एक सेकेंड में एक बार करो। औसतन इससे एक झटके में एक ग्राम वजन कम होता है। कैंसर ल्यूकोडर्मा में कपालभांति 15 की जगह 30 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भस्त्रिका अगर अर्जन है कपालभांति विसर्जन। यह क्रिया 15 मिनट में नौ सौ होनी चाहिए। असाध्य रोगों में 18 सौ से दो हजार बार दोहराई जानी चाहिए। गहरा श्वास लेकर बाहर छोड़कर वाह्य प्राणायाम की क्रिया को तीन से पांच बार करने की सलाह देते हुए उन्होंने अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बारे में बताया कि इसे एक चक्र में अधिकतम पांच मिनट करें और सामान्य रूप में कुल समय 15 मिनट और असाध्य रोगों की स्थिति में 30 मिनट दें। होंठ बंदकर ओंकार का गुंजन करने वाले भ्रामरी के साथ ही उन्होंने उद्गीत और प्रणाम प्राणायाम का जिक्र किया। साथ ही सहायक प्राणायाम उज्जायी के बारे में बताया कि यह गले और थायरायड की समस्याओं में लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी शक्ति संकल्प की, विचार की और विश्वास की है। प्राणायाम यह सोचकर करो कि मैं बीमार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि अतिपोषण और कुपोषण दोनों बीमारी का कारण हैं। अब तक अन्नमय कोष को खूब पोषित किया है, अब कमजोर पड़ते मनोमय, ज्ञानमय और आनन्दमय कोष को प्राणायाम से पोषित करो। प्रज्ञा का विस्तार होगा। प्राणायाम, सूक्ष्म व सम्पूर्ण व्यायाम के साथ उंन्होंने योग आसन के विषय में कहा कि जितनी भी संसार में आकृतियां हैं, पशु पक्षी हैं, उतने ही आसन हैं। लिहाजा सब आसन हमें नहीं करने, हमें सिर्फ वही योग करना है जो हमें निरोग बनाता हो। उन्होंने भुजंग, मर्कट, वज्र और सिंह आसन भी कराये।
कम खाएँ ज्यादा जिएँ
यदि आप कम खाते हैं, तो आप ज्यादा समय तक जिंदा रहेंगे। एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बहुत कम खाना शुरू कर दिया जाए, जो जीवन ही समाप्त कर दे। 1930 में यह पाया गया कि प्रयोगशाला में रहने वाले जीव कम कैलोरी वाले पदार्थ खाते हैं और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। इन लोगों को कैंसर, मधुमेह और हृदयाघात जैसी शिकायतें कम ही होती है। परंतु फिर भी अभी तक इसके प्रमाण कम ही थे कि कम खाने वाले ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं। अब एन्ड्रयू डिलिन ने केलिफोर्निया के ला जोला स्थित साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायलॉजिकल स्टडीज में अध्ययन में एक जीन का पता किया है। इसका सीधा संबंध मनुष्य के जीवन से होता है। यह भी बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि यदि कैलोरी सीमित कर दी जाए तो इससे जीवन अवधि ब़ढ़ सकती है। शोध दल ने पाया कि शरीर पीएच-4 नाम की जीन होती है, जो मनुष्य में विकास के लिए जिम्मेदार होती है। परंतु वयस्कों में ये कैलोरी के साथ कार्य करती है। मनुष्य में पीएचए-4 के समान तीन जीन और भी होती हैं। ये जीन ग्लूकागॉन से संबंधित रहती है। इसका संबंध पेनक्रियाज के हार्मोन से बना रहता है। यही शरीर में रक्त शर्करा को ब़ढ़ाता है और शरीर का संतुलन बनाए रखता है, विशेष रूप से उपवास आदि के दौरान। इसकी जानकारी स्वास्थ्य पोर्टल न्यूज मेडिकल में दी गई है।
15 comments:
इस लाभदायक जानकारी के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद...
आपने बहुत उपयोगी जानकारियों संग्रहीत करके प्रकाशित कीं हैं। धन्यवाद। मधुमेह में चीनी के बदले मुलहठी (य़ष्टिमधु) का उपयोग करना एक रामबाण औषधि माना जाता है। कैंथ के पत्ते का रस एक चम्मच रोज सुबह पीया जाए तो 45 दिन में मधुमेह जड़ से खत्म हो सकता है।
मधुमेह के लिए मेरे पास एक प्राकृतिक दवा है, जिसके लगभग एक माह के सेवन से इसका स्थाई इलाज संभव है। यह दवा मैं नि:शुल्क देता हूँ। कोई भी मुझे शाम 7-8 बजे के बीच संपर्क कर मुझसे यह दवा प्राप्त कर सकता है।
कवि कुलवंत सिंह 09819173477
मधुमेह के बारे में बहुत ही अच्छा जानकारी दी है
आपके द्वारा दी गयी जानकारी ज्ञानवर्धक है
आप ने बहुत बढ़िया
लेख लिखा है ,आपका बहुत बहुत धन्यब्द
रंजित कुमार मंडल
bahot hi acchi jankari di hai thnx ek lekh kavi kulwant ji ka padha unse sampark ker dawaa mangwane ki koshish jari hai .kya ye sahi hai.
Kulwantji apki dava bazar mein uplabdh nahi hai kirpya bhejne ki kirpa kariene. Dhanayabad
नमस्ते , आपका ये लेख सराहनिए हे काफी अच्छी जानकारी दी हे आपने , मेने भी अपने ब्लॉग पर गेहूं के जवारे के बारे में जानकारी दी हे किर्पया मेरी साईट पर भी आयें केंसर में गेहूं के जवारे का प्रयोग
Hello Kulwant Ji, Mujhe yeh dawa chahiye aap kahan rehte hain.
Ashish
Kulwant ji aap se kaha mila ja sakta hai. ..mujhe sugar hai aap ki dawa kaha milegi
कैंथ kya hota hai Hariram ji?
Kulwant ji aap se kaha mila ja sakta hai
कुलवंत जी दवा कहा लेने आना पडेगा
Post a Comment