Sunday 17 April 2011

तृणमूल पर आरोपों के साए में उत्तरबंगाल में मतदान


छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव के पहले चरण का मतदान सोमवार यानी १८ अप्रैल को होने जा रहा है। इस चरण के माहौल की झलक के साथ अब हर चरण के मतदान से पहले हाजिर होता रहूंगा। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर।
ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह
  कई घटनाक्रमों के साए में सोमवार १८ अप्रैल को पश्चिम बंगाल के उत्तरबंगाल में वोट पड़ेंगे। मतदान से ठीक एक दिन पहले तृणमूल नेता व जहाजरानी मंत्री मुकुलराय का बेटा शुभ्रांशु राय को चुनाव अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में नैहाटी इलाके से ममता की चुनावी सभा होने के बाद सभास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया। शुभ्रांशु बीजपुर से तृणमूल का उम्मीदवार भी है। इस बड़ी घटना के अलावा दमदम सीट से वाममोर्चा उम्मीदवार व राज्य के आवास मंत्री गौतम ने ममता पर उम्मीदवारों के बीच ३४ करोड़ से अधिक कालाधन बांटने का आरोप लगाया है। जब मुकुल राय ने इसे गलत बताते हुए मानहानि का दावा करने की बात कही तो गौतम देव ने चुनौती दी कि हिम्मत हो तो ममता मानहानि का दावा करें। गौतम ने इस आरोप के पुख्ता सबूत होने का दावा किया। इन दोनों घटनाओं ने उत्तरबंगाल में मतदान से ठीक एक दिन पहले वाममोर्चा में जहां उत्साह भर दिया है वहीं तृणमूल को पशोपेश में डाल दिया है। उत्तरपबंगाल वैसे तो कांग्रोस का गढ़ है मगर विधानसभा चुनावों में वहां वाममोर्चा ही भारी पड़ता रहा है। मालदा इलाके में तो गनीखान परिवार में मतभेद काग्रेस का खासा नुकसान कर चुका है। उत्तरबंगाल में काग्रेस व तृणमूल गठबंधन उम्मीदवार के साथ इनके विद्रोही भी नुकसान पहुंचाने को तैयार खड़े हैं। ऐसे में इन दो बड़ी घटनाओं ने और असमंजस पैदा कर दिया है। क्या सचमुच इन आरोपों से तृणमूल व कांग्रेस के मतदाता दिग्भ्रमित होंगे ? यह तो मतदाता ही जाने मगर परिवरिवर्तन की जो लहर बंगाल में है उसे इस तरह की घटनाएं शायद ही रोक पाएं। कल के मतदान को तो फिलहाल यह प्रभावित करने वाला नहीं दिखता मगर मुद्दा इसी तरह गरम रहा तो कोलकाता और उत्तर २४ परगना के मतदान पर शायद कुछ असर दिखा पाए।
   पर्वतीय उत्तरी इलाके दार्जीलिंग से लेकर मालदा जिले तक चुनाव प्रचार अभियान के दौरान राजनीति के बड़े दिग्गजों जैसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी और अरुण जेटली ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया। वाम मोर्चा के अध्यक्ष एवं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बिमान बोस, माकपा पॉलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने छह जिलों में चुनाव प्रचार कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया।

10 मंत्रियों के भाग्य का फैसला
पश्चिम बंगाल के छह जिलों के 54 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले प्रथम चरण के चुनाव में 97.42 लाख मतदाता अपना वोट देंगे। यहां पर मुख्य लड़ाई माकपा की अगुवाई में वाम मोर्चा और तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन के बीच है। प्रथम चरण के इस चुनाव से राज्य के 10 मंत्रियों के भाग्य का फैसला तय होगा। पहले चरण के मतदान में माकपा के 32, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के दो, फॉरवार्ड ब्लॉक के 10, रिवोल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नौ, सोशलिस्ट पार्टी के एक, तृणमूल कांग्रेस के 26, कांग्रेस के 27, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक तथा भाजपा के 49 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है।

    इन 54 सीटों पर कुल 364 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चत करने के लिए सुरक्षा के कड़े प्रावधान किए गए हैं। राज्य के जिन जिलों में चुनाव होना है उनमें-कूच बिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जीलिंग, उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और मालदा शामिल है। इसके लिए 12,133 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि सुरक्षा बल विभिन्न इलाकों में पहुंच चुके हैं। राज्यों और अंतरराष्ट्रीय सीमा को सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि दार्जीलिंग और कलिमपोंग के सुदूरवर्ती इलाकों के लिए मतदानकर्मी शनिवार को ही रवाना हो गए थे।

सत्ता में लंबे समय तक बना रहना ही सबसे बड़ी कमज़ोरी

सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी के लिए सत्ता में एक लंबे समय तक बना रहना ही उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी कही जा रही है। पश्चिम बंगाल में 21 जून, 1977 को लेफ़्ट फ्रंट ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ली थी और सत्ता में लगतार बने रहते हुए इसे 34 साल पूरे होने को आ गए हैं। इस उपलब्धि के साथ ही पश्चिम बंगाल में लेफ़्ट फ्रंट की सरकार ने लोकतांत्रिक तरीक़े से सत्ता में बनी रहने वाली सबसे लम्बी कम्युनिस्ट सरकार का रिकार्ड भी बनाया है। लेकिन आगामी चुनावों में इसी बात को इस पार्टी की सबसे बड़ी कमज़ोरी भी बताया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानी जाए तो पूरे राज्य में एक सत्ता विरोधी लहर दौड़ रही जो सत्ताधारी सीपीआई-एम की गले की फाँस बन गई है। हालांकि मार्क्सवादी नेताओं ने 2009 के लोक सभा चुनावों में मिले करारे झटके के बाद इस लहर का रुख़ मोड़ने की कोशिश की है पर इसे 'देर से जागने वाला' क़दम बताया जा रहा है।

सत्ताधारी पार्टी के समक्ष मुस्लिम मतदाताओं को अपने ख़ेमे में बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन कर उभरा है।

पिछले चुनावी नतीजों और अल्पसंख्यक बहुल इलाक़ों का आंकलन करने के बाद पता चलता है कि कुल 294 सीटों में से 75 से 77 सीटें ऐसी हैं जहां उन्हीं की जीत की संभावना हैं जिन्हें मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिलेगा। इन चुनावों में ऐसा भी कहा जा रहा है कि एक लंबे समय तक लेफ़्ट का समर्थन करते रहने के बाद अब ज़्यादातर मुस्लिम मतदाताओं ने अपना समर्थन बंद कर दिया है।

Monday 11 April 2011

जन लोकपाल बिल अपडेट-- कहीं विवादों में ही फंसकर दम न तोड़ दे यह आंदोलन

   जिन लोगों ने फोन नंबर 022-61550789 पर मिस कॉल देकर या ‘इंडियाअगेंस्टकरप्शन डॉट 2010 एट जीमेल’ पर मेल करके अभियान में समर्थन जताया है, उन्हें जानकारी मिलती रहेगी।


  ९७ घंटे आमरण अनशन के बाद सरकार के जारी अधिसूचना को २४ घंटे भी नहीं बीते कि जनलोकपाल बिल तैयार करने के लिए गठित कमिटी पर ही सवाल खड़ हो गया है। कमिटी के गठन में भाई-भतीजावाद का आरोप बाबा रामदेव ने लगाया है। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जन लोकपाल विधेयक का प्रारूप तय करने के लिए बनी सामाजिक संगठनों की समिति में भाई-भतीजावाद के योग गुरु बाबा रामदेव के आरोपों को रविवार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि रामदेव के साथ इस मुद्दे का समाधान कर लिया गया है। वक्त की नजाकत समझते हुए इस बीच रामदेव भी अपने पिछले बयान से पलट गए और कहा कि पिता-पुत्र शांति भूषण और प्रशांत भूषण के समिति में होने से उन्हें कोई परेशानी हैं, बल्कि वह किरण बेदी को भी इसमें शामिल करना चाहते थे। रामदेव ने शनिवार को समिति में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था।

रामदेव ने शनिवार को एक टेलीविजन चैनल से कहा था, "देश की 121 करोड़ आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली सामाजिक संगठनों की पांच सदस्यीय समिति में भाई-भतीजावाद के मुद्दे को लोगों द्वारा उठाए जाने पर मैंने किरण (बेदी) जी से बात की है और अन्ना (हजारे) जी से भी बात करूंगा।"
योग गुरु रविवार को हालांकि अपने इस बयान से पलट गए। उन्होंने कहा, "जन लोकपाल विधेयक समिति में मेरी कोई भूमिका नहीं है। मैं समिति में शांति भूषण और प्रशांत भूषण को शामिल करने से नाखुश नहीं हूं। हम अन्ना हजारे में यकीन करते हैं और उन्होंने जो भी निर्णय लिया, वे सही हैं। मैंने केवल यही सलाह दी कि किरण बेदी को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।"

समिति के सम्बंध में अन्ना हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कानून का प्रारूप तय करने के लिए अनुभवी और कानूनी विशेषज्ञ की आवश्यकता थी। रविवार सुबह उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "समिति स्थाई नहीं है। यह दो महीने के लिए बनी है और हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि यह या वह वहां क्यों है और क्यों नहीं है? कड़े कानून के लिए हमें अनुभवी और कानूनी विशेषज्ञों की जरूरत थी। यही वजह है कि मैं स्वयं भी समिति में शामिल होना नहीं चाहता था, लेकिन उन्होंने कहा कि यदि मैं रहूंगा तो सरकार पर दबाव बनेगा।"

वहीं, रामदेव पर पलटवार करते हुए शांति भूषण ने कहा, "अन्ना हजारे ने इसे लोगों की जीत बताई है और बाबा रामदेव भी इसमें शामिल हैं। प्रारूप समिति के बारे में वह क्या समझते हैं.. वह उसमें नहीं हो सकते, क्योंकि वहां कानूनी विशेषज्ञों की आवश्यकता है, योग गुरु की नहीं।" किरण बेदी ने कहा, "यह बेहतर टीम है, जो सरकार के साथ लड़ सकती है और कानून की पेचीदगियों को समझती है।" समिति के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शांति भूषण और प्रशांत भूषण जन लोकपाल विधेयक के पहले प्रारूप का हिस्सा थे, जिसे उन्होंने तैयार किया। वे विधेयक के सार को समझते हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से इसका हिस्सा हैं।

लोकपाल बिल की खातिर जॉइंट कमिटी बनाने के लिए सरकार को मजबूर करने वाले अन्ना हजारे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जिस तरह इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने निचले स्तर पर गांवों में काम किया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि बाकी मुख्यमंत्रियों को उनसे सीख लेनी चाहिए। एनडीए के दोनों मुख्यमंत्रियों की तारीफ करने के बाद अन्ना ने यह भी कहा कि उनके इस बयान से कोई राजनीतिक संदर्भ नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं किसी पार्टी के समर्थन में नहीं हूं।'

अन्ना हजारे ने कहा कि उन्हें संसद और लोकतंत्र में पूरा विश्वास है लेकिन प्रतिनिधियों के भ्रष्ट होने की सूरत में जनता के पास आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। उन्होंने कहा कि सख्त लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति पूरी पारदर्शिता बरतेगी। विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जनता मसौदे के निर्माण को देखेगी। इस महीने में 12 से 16 तारीख से मसौदा तैयार करने का काम शुरू हो जाएगा।

आम लोगों को पूरी जानकारी मिलती रहेगी - केजरीवाल


लोकपाल विधेयक का मसौदा बनाने के लिए सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की संयुक्त समिति के कामकाज के बारे में आम लोगों को पूरी जानकारी मिलती रहेगी जिन्होंने इस अभियान में अपना समर्थन जताया है।
संयुक्त समिति में शामिल आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सरकार के मंत्रियों द्वारा ‘जन लोकपाल विधेयक’ के मसौदे को पूरी तरह मान लेने पर संदेह जताया और कहा कि इसलिए जनता को संयुक्त समिति में चल रहे पूरे कामकाज से अवगत कराया जाएगा।

केजरीवाल ने बताया कि जिन लोगों ने फोन करके और ईमेल करके इस अभियान को समर्थन जताया है उन सभी का पंजीकरण हो चुका है। संयुक्त समिति में मसौदे को लेकर क्या चल रहा है इसकी जानकारी पंजीकरण कराने वाले लोगों को एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से मिलती रहेगी।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार किसी भी तरह नागरिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की बात को दरकिनार करती है तो अन्ना हजारे की तरफ से जनता को सड़कों पर उतरने का आह्वान किया जाएगा और यह आंदोलन जारी रहेगा।

    जिन लोगों ने फोन नंबर 022-61550789 पर मिस कॉल देकर या ‘इंडियाअगेंस्टकरप्शन डॉट 2010 एट जीमेल’ पर मेल करके अभियान में समर्थन जताया है, उन्हें जानकारी मिलती रहेगी।

आंदोलन से जुड़े संगठन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के सूत्रों के अनुसार इस अभियान में फोन पर करीब 11 लाख लोग देशभर में अपना समर्थन दर्ज करा चुके हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा फेसबुक पर अभियान के होमपेज पर एक लाख 90 हजार लोगों ने और इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर अन्ना हजारे के पन्ने पर एक लाख लोग जुड़े हैं।

अन्ना हजारे ने भी शनिवार को अनशन तोड़ते हुए एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक पारित कराने की सांसदों की इच्छाशक्ति पर आशंका जताई और अपने समर्थकों को आगाह किया कि उन्हें ‘बड़ी लड़ाई’ के लिए तैयार रहना चाहिए।

मीडिया से बातचीत में 72 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि ‘सत्ता के भूखे’ नेता ऐसे किसी भी विधेयक को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे जिनमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रावधान हों या जिससे उनका सत्ता का सुख छीना जाता हो।

हजारे ने कहा कि मुझे लगता है कि भविष्य में (संसद में इस विधेयक को पारित कराने के लिए) बड़ा आंदोलन चलाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे (सांसद) विधेयक को आसानी से पारित कर देंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शक्तियाँ कम हो जाएँगी।

संयुक्त समिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और समाज की तरफ से इसके सहअध्यक्ष अधिवक्ता शांति भूषण होंगे। इसमें सरकार की तरफ से कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, संचार मंत्री कपिल सिब्बल, गृहमंत्री पी चिदंबरम और जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद सदस्य होंगे।
दूसरी तरफ समाज की तरफ से इसमें शांति भूषण के अलावा हजारे, वकील प्रशांत भूषण, उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश संतोष हेगड़े और आरटीआई कार्यकर्ता केजरीवाल शामिल हैं। (भाषा)

97 घंटे के बाद अन्‍ना ने तोड़ा अनशन

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे का 97 घंटे से अधिक का उपवास शनिवार को खत्‍म हो गया। अन्‍ना हजारे ने जन लोकपाल बिल पर सरकार की रजामंदी को देश की जनता की जीत करार दिया है। हालांकि उन्‍होंने कहा कि यह ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की शुरुआत भर है और आगे अभी लंबा सफर तय करना है।



गत मंगलवार को राजधानी स्थित जंतर मंतर पर शुरू किया गया आमरण अनशन खत्‍म करने के बाद देश को संबोधित करते हुए अन्‍ना हजारे ने कहा कि लोकपाल बिल के मसौदे से जुड़ा शासनादेश जारी होने के बाद उनकी जिम्‍मेदारियां और बढ़ गई हैं। उन्‍होंने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अपनी ‘लड़ाई’ का तीन सूत्रीय मसौदा पेश करते हुए कहा है कि पहली सफलता जन लोकपाल बिल पर सरकार का राजी होना है लेकिन इसके बाद यह मसौदा मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और जरूरत पड़ी तो उस वक्‍त भी अभियान चलाया जाएगा। उन्‍होंने आगे कहा कि यदि इस बिल को पारित करने को लेकर संसद में कोई अड़ंगा आया तो भी उन्‍हें देशवासियों के साथ मिलकर अभियान चलाने की जरूरत पड़ेगी।



अन्‍ना ने कहा कि अगर 15 अगस्त तक सरकार ने लोकपाल बिल पारित नहीं किया तो हम फिर से आंदोलन करेंगे। उन्‍होंने कहा, ‘लोकपाल बिल पारित होने के बाद भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालने की जरूरत होगी कि सत्‍ता का विकेंद्रीकरण किया जाए।’ उन्‍होंने ग्राम सभाओं, नगर परिषदों, नगरपालिकाओं के जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार (राइट टू रिकॉल) की भी वकालत की। उन्‍होंने कहा कि यदि सरपंच या उप सरपंच जनता से बिना पूछे पैसा खर्च करते हैं तो उसे वापस बुलाने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए जो उन्‍हें चुनती है।



चुनाव व्‍यवस्‍था में बदलाव की मांग करते हुए अन्‍ना हजारे ने कहा कि इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी होने की शिकायतें सामने आती रही हैं, इसे दुरुस्‍त किया जाना चाहिए। उन्‍होंने भरोसा दिलाया कि ईवीएम की गड़बड़ी ठीक करने की उनकी पेशकश सरकार ने मान ली है। अन्‍ना हजारे ने ‘नापसंद का अधिकार’ की भी वकालत की। उन्‍होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्‍मीदवार दागी हैं तो जनता के पास यह विकल्‍प होना चाहिए कि वो इनमें से किसी को भी ना चुने और वहां का चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराए जाएं।



'नेता नहीं मानेंगे तो फिर शुरू होगी लड़ाई'



अन्‍ना ने शनिवार सुबह साढ़े दस बजे जंतर मंतर स्थित मंच पर सबसे पहले 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए। वहां मौजूद बड़ी संख्‍या में लोगों ने भी अन्‍ना के सुर में सुर मिलाए। अन्‍ना ने वहां मौजूद लोगों को इस आंदोलन की सफलता की बधाई देते कहा, 'आज हमारी जो जीत हुई, आपके चलते हुई। हमारी लड़ाई अभी खत्‍म नहीं हुई। हमारे राजनेता अब भी नहीं मानेंगे तो लड़ाई फिर से शुरू होगी। हम मिलते रहेंगे। इस आंदोलन में युवाओं का साथ आना आशा की किरण जगाता है। हमने काले अंग्रेजों की नींद उड़ा दी है।' अन्‍ना और उनके समर्थकों ने इसे जनता की जीत करार दिया है।



73 साल के अन्‍ना ने धरना स्‍थल पर अनशन पर बैठे अन्‍य लोगों को पहले जूस पिलाया, इसके बाद खुद एक बच्‍ची के हाथों नींबू पानी पीकर (देखें तस्‍वीर) अपना उपवास तोड़ा। अन्‍ना के उपवास तोड़ने के साथ ही धरना स्‍थल के साथ साथ पूरे देश में जश्‍न का माहौल पैदा हो गया है। प्रदर्शन स्‍थल पर बीच-बीच में ‘अन्‍ना हजारे जिंदाबाद’ , ‘अन्‍ना तुम संघर्ष करो हम तुम्‍हारे साथ हैं’ के नारे सुनाई दिए। मंच पर मौजूद कई कलाकारों ने 'रघुपति राघव राजा राम...' की धुन छेड़ी।



इससे पहले सुबह करीब साढ़े नौ बजे सरकार की ओर से सीनियर कैबिनट मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में संयुक्‍त समिति गठित किए जाने की अधिसूचना जारी की गई जो एक प्रभावी लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करेगी। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्‍बल ने इस अधिसूचना की कॉपी अन्‍ना की इस मुहिम से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता स्‍वामी अग्निवेश को सौंपी गई। अग्निवेश इस कॉपी को लेकर जंतर मंतर पहुंचे और वहां मंच से इसकी अधिसूचना की प्रति मीडिया के जरिये पूरे देश को दिखाई गई। स्‍वामी अग्निवेश ने कहा, ‘हमने सरकार से इस बारे में शासनादेश मांगा था लेकिन सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।’ अन्‍ना के सहयोगियों में शामिल पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इसे 'आत्‍म सम्‍मान' की जीत करार दिया है।



सरकार और सिविल सोसाइटी का गठबंधन शुभ संकेत: पीएम



प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल बिल मुद्दे पर सरकार और सिविल सोसाइटी के गठबंधन को लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत मानते हुए कहा कि सरकार इस ऐतिहासिक कानून को संसद के मानसून सत्र में लाने पर विचार कर रही है।



मनमोहन सिंह ने शनिवार को जारी बयान में कहा, 'मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भ्रष्टाचार को खत्म करने के मुद्दे पर एकजुट हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि अन्ना हजारे अपना उपवास खत्म करने के लिए मान गए हैं।'



भ्रष्टाचार को सबके लिए एक अभिशाप बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून को लेकर सिविल सोसाइटी और सरकार का हाथ मिलाना लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत है। सरकार और हजारे के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत को सफल बताते हुए उन्होनें उम्मीद जताई कि इस कानून को तैयार करने की प्रक्रिया सही तरीके से आगे बढ़ेगी जिससे कि सभी संबंधित पक्षों से सलाह लेने के बाद यह कानून कैबिनेट के समक्ष मानसून सत्र के दौरान रखा जा सके।





जानिए, क्या है जन लोकपाल बिल?


- इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।



- यह संस्था इलेक्शन कमिशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।



- किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।



- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।



- भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।



- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।



- लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।



- लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।



- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।



- लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।



-जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...