Friday, 2 July 2010

गूगल के मेल में छिपा है किराये का खेल !

   मुफ्त वेबमेल सेवा जीमेल, पीकासा वेब एल्बम्स और गूगल डॉक्स जैसी बेहतरीन एप्लीकेशंस देने वाली कंपनी गूगल इंक आपको कभी गुगली भी मार सकती है। दरअसल, कंपनी की कई एप्लीकेशंस के बारे में यह भ्रांति है कि इन सेवाओं में मुफ्त असीमित स्टोरेज है। लेकिन, ऐसा है नहीं। जब आप इन एप्लीकेशंस में तयशुदा स्टोरेज के पास पहुंच जाते हैं तो आपको पता चलता है कि इसके आगे स्टोरेज करने के लिए आपको सालाना रेंटल यानी किराया देना होगा। जीमेल ऐसी ही एक सेवा है। जीमेल में 7जीबी से ज्यादा स्टोरेज के लिए आपको सालाना रेंटल देना होगा।
जीमेल में अब 7जीबी तक ही स्टोरेज मुफ्त है। इसके बाद अगर आप अपनी स्टोरेज क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए डॉलर खर्च करने पड़ेंगे। 20 जीबी अतिरिक्त स्टोरेज लेने के लिए ग्राहकों को 5 डॉलर सालाना खर्च करने होंगे। इस बारे में बिजनेस भास्कर ने जब गूगल से बात की तो उसके प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय 2009 के अंत में हुआ था और यह तब से ही प्रभावी है। हालांकि प्रवक्ता के इस दावे के उलट यह बात सही है कि भले ही गूगल का यह फैसला कभी का भी हो, भारत में तो अधिकांश जीमेल उपभोक्ताओं में यही भ्रांति है कि जीमेल में स्टोरेज किसी भी सीमा तक पूरी तरह से मुफ्त है।
दरअसल, जब किसी ग्राहक की स्टोरेज क्षमता 7जीबी के आसपास पहुंच जाती है तब जाकर गूगल की तरफ से इस बारे में जानकारी दी जाती है। ऐसे में ग्राहक बेहद पसोपेश की स्थिति में होता है कि वह अपना स्टोरेज किस तरह खाली करे। खाली करने के झंझट से बचने के लिए ग्राहक मजबूरी में अतिरिक्त स्टोरेज की सुविधा खरीदता है।
वहीं, अगर ग्राहकों को पहले से ही यह पता हो कि 7जीबी के बाद स्टोरेज के लिए चार्ज देना होगा तो वह शुरू से ही उस हिसाब से जीमेल का इस्तेमाल करेगा। इस बारे में पूछे जाने पर गूगल इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि जीमेल में 7 जीबी से कुछ ज्यादा स्टोरेज मुफ्त है। इसके बाद अगर कोई ग्राहक स्टोरेज क्षमता बढ़ाना चाहता है तो उसके लिए सालाना कई प्लान हैं। प्रवक्ता ने बताया कि नवंबर 2009 में इस बाबत निर्णय किया गया था।
इस निर्णय के मुताबिक 20 जीबी की अतिरिक्त स्टोरेज क्षमता के लिए ग्राहकों को 5 डॉलर सालाना का शुल्क अदा करना होगा। इसके अलावा अगर ग्राहक 80 जीबी का अतिरिक्त स्टोरेज स्पेस चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए 20 डॉलर सालाना खर्च करने होंगे।

http://www.bhaskar.com/article/DEL-google-email-service-1115021.html

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