समाचार पत्रों के प्रबंधकों ने अतिरिक्त भुगतान के सवाल पर विचार करने से मना किया, सुप्रीम कोर्ट का भी कोई अंतरिम व्यवस्था करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए न्यायमूर्ति मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ दायर याचिकाएं लंबित होने की अवधि के दौरान कोई अंतरिम व्यवस्था करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह साफ किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार का स्थगनादेश नहीं है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। इससे पहले, समाचार पत्रों के प्रबंधकों ने अपने कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान के सवाल पर विचार करने से इनकार कर दिया। लेकिन जब विभिन्न ट्रेड यूनियनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसालविज ने न्यायालय से यह साफ करने का अनुरोध किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार की रोक तो नहीं है, इस पर न्यायाधीशों ने सकारात्मक जवाब दिया।
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने अंतरिम व्यवस्था के बारे में समाचार पत्र संगठनों से पूछा। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान 21 सितंबर को इस संबंध में विचार का सुझाव दिया था। इस पर एक समाचार पत्र समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन ने कहा,‘मैं विनम्रता से इसे अस्वीकार करता हूं।’ उन्होंने कहा कि पिछले 13 सालों में कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन सौ फीसद तक की वृद्धि दी गई है। उन्होंने यूनियनों के इस आरोप को गलत बताया कि पिछले वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बाद उन्हें कुछ नहीं मिला है।
न्यायाधीशों ने कहा कि सभी पक्षों को सुने बगैर कोई अंतरिम आदेश देना संभव नहीं है। अब वे इस मामले की आठ जनवरी से सुनवाई करेंगे। न्यायालय ने 21 सितंबर को सुनवाई के दौरान वेतन बोर्ड की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे के लिए आठ जनवरी से सुनवाई करने का निश्चय करते हुए कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान करने पर विचार का सुझाव प्रबंधकों को दिया था।
सरकार ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बारे में 11 नवंबर, 2011 को अधिसूचना जारी की थी। कई समाचार पत्र समूहों ने वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इन सभी ने इस अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। साभार-नई दिल्ली, 8 अक्तूबर (भाषा)।
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए न्यायमूर्ति मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ दायर याचिकाएं लंबित होने की अवधि के दौरान कोई अंतरिम व्यवस्था करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह साफ किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार का स्थगनादेश नहीं है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। इससे पहले, समाचार पत्रों के प्रबंधकों ने अपने कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान के सवाल पर विचार करने से इनकार कर दिया। लेकिन जब विभिन्न ट्रेड यूनियनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसालविज ने न्यायालय से यह साफ करने का अनुरोध किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार की रोक तो नहीं है, इस पर न्यायाधीशों ने सकारात्मक जवाब दिया।
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने अंतरिम व्यवस्था के बारे में समाचार पत्र संगठनों से पूछा। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान 21 सितंबर को इस संबंध में विचार का सुझाव दिया था। इस पर एक समाचार पत्र समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन ने कहा,‘मैं विनम्रता से इसे अस्वीकार करता हूं।’ उन्होंने कहा कि पिछले 13 सालों में कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन सौ फीसद तक की वृद्धि दी गई है। उन्होंने यूनियनों के इस आरोप को गलत बताया कि पिछले वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बाद उन्हें कुछ नहीं मिला है।
न्यायाधीशों ने कहा कि सभी पक्षों को सुने बगैर कोई अंतरिम आदेश देना संभव नहीं है। अब वे इस मामले की आठ जनवरी से सुनवाई करेंगे। न्यायालय ने 21 सितंबर को सुनवाई के दौरान वेतन बोर्ड की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे के लिए आठ जनवरी से सुनवाई करने का निश्चय करते हुए कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान करने पर विचार का सुझाव प्रबंधकों को दिया था।
सरकार ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बारे में 11 नवंबर, 2011 को अधिसूचना जारी की थी। कई समाचार पत्र समूहों ने वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इन सभी ने इस अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। साभार-नई दिल्ली, 8 अक्तूबर (भाषा)।