Friday, 26 April 2013

सोशल नेटवर्किंग की जाल में फंसे बच्चे ?


         अदालत ने भी सरकार से पूछा- 18 साल से कम उम्र वालों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल  अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी ?

मैं निजी काम से घर के पास एक साइबर कैफे में बैठा अपना काम कर रहा था तभी देखा कि तीन-चार लड़के -लड़कियों का समूह कैफे में घुसा। मैंने सोचा शायद कुछ डाक्यूमेंट जीराक्स कराने आए हैं क्यों कि उस कैफे में जीराक्स के अलावा रेल टिकट आरक्षण , फोटो स्कैन, लैमिनेशन वगैरह सभी कुछ होता है। मगर मेरा अनुमान गलत निकला। बच्चे संभवतः आठवीं - नवीं कक्षा के थे। आते ही बड़ी बेफिक्री से दो कंप्यूटर परबैठ गए। फेसबुक अकाउंट में लागिन किया। और अपनी  ई-मित्र मंडली से कनेक्ट हो गए। किसी के फोटो पर कमेंट तो किसी के कमेंट पर कमेंट करते रहे। साथ के बच्चों के सुझाव से भी कुछ कमेंट करते रहे। इन सभी की स्कूल की छुट्टी हुई थी और वे घर जाने से पहले कैफे चले आए थे। यह उन बच्चों की सोशल नेटवर्किंग से जुड़ने की कथा हैजिन्हें कंप्यूटर के लिए कैफे में जाना पड़ता है। इनसे ईतर वे बच्चे भी हैं जो अपने घरों में ही कंप्यूटर पर या मोबाइल पर अधिकतर समय फेसबुक पर गुजारते हैं।
  सोशलनेटवर्किंग की यह सुविधा एक मायने में ठीक भी है कि बच्चे देश-दुनिया के अपने हमउम्र से जुड़कर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि वे अपना अधिकतर समय सोशलनेटवर्किंग पर बिताने के आदी हो जाते हैं। जो इनके विकास में निश्चित रूप से बाधा पहुंचाती है। हालांकि अपेक्षाकृत बड़ी उम्र के यानी किशोर बच्चे से लेकर ऊंची कक्षा की पढ़ाई कर रहे बच्चों से भी मां-बाप को यही शिकायत हो सकती है। मगर स्नातक स्तर के बच्चे अपना बला-बुरा समझने की क्षमता रखते हैं। निहायत कम उम्र के बच्चों की शायद इतनी समझ नहीं होती कि वे खुद को अनुशासित रख सकें। शायद इसी कारण से एक जनहित याचिका दायर करके  कम उम्र के बच्चों के सोशलनेटवर्किंग  अकाउंट खोलने पर सवाल खड़ा कर दिया गया है। और अदालत ने भी सरकार से पूछा है कि 18 साल से कम उम्र वालों को फेसबुक सहित सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल वगैरह पर पर अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी गई? जबकि भारतीय कानून इसकी इजाजत नहीं देते।
  एक साइबर कानून विशेषज्ञ के अनुसार- अगर कोई नबालिग इन सोशलनेटवर्किंग साइट में अकाउंट खोलता है तो न सिर्फ इस साइट को चलाने वाले बल्कि संबंधित बच्चों के माता-पिता भी कानून तोड़ने के लिए आपराधिक करार दिए जाएंगे । भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम  के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा ४६५ में ऐसे लोग अपराधी करार दिए जाएंगे और इसके लिए उन्हें दो साल तक की सजा हो सकती है।
      दरअसल  सोशल मीडिया साइट फेसबुक की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है की बच्चे भी फेसबुक के जाल में बुक होते जा रहे है। दुनिया के किसी भी कोने में अपने दोस्त बनाना और उनसे बाते करने का ऑपशन बच्चों को इसकी ओर खींचता है। कोर्ट ने भाजपा के पूर्व नेता गोविंदाचार्य की याचिका पर फेसबुक और गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगे हैं। आइए देखते हैं कि जनहित याचिका में क्या मेंग की गई है.-------

    भाजपा नेता गोविंदाचार्य की जनहित याचिका------

    भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जारहा हैऔर फेसबुक पर अकाउंट खोलते वक्त एक एग्रीमेंट साइन करना होता है, ऐसे में अगर बच्चा नाबालिग है तो भारतीय कानून के मुताबिक किसी भी तरह के एग्रीमेंट का अधिकार प्राप्त नहीं है। ये भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के खिलाफ है। कोर्ट ने अमेरिका की दो कंपनियों फेसबुक  और गूगल से भी बीजेपी के पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य की याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें उन्होंने भारत में अपनी वेबसाइटों के संचालन से इन कंपनियों को हो रही आय पर कर वसूले जाने का आदेश दिए जाने की मांग की है।

  जस्टिस बीडी अहमद व विभू बाखरू की बेंच ने सरकार के वकील सुमित पुष्करणा से 10 दिन में हलफनामा पेश करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। पीठ ने कहा, कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों का फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ अनुबंध हो सकता है! याचिका में कहा गया है कि पहचान का कोई तरीका न होने के कारण दुनियाभर में फेसबुक के आठ करोड़ यूजर्स फर्जी हैं। खुद फेसबुक इस बात को अमेरिकी अधिकारियों के सामने मान चुकी है। भारत सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही है।

    राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका में केंद्र और दो वेबसाइटों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करे। उनके मुताबिक फेसबुक का पिछले साल तकरीबन 37 अरब डॉलर का व्यापार किया था, लेकिन कंपनी ने भारत सरकार को एक रुपए तक का कर नहीं दिया। इस याचिका में 5 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने मांग की है कि-

-पांच करोड़ भारतीय यूजर्स की जानकारी की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
-इस जानकारी का अमेरिका में व्यावसायिक उपयोग रुकवाया जाए।
-भविष्य में सभी यूजर्स की पहचान सुनिश्चित करवाई जाए।



Thursday, 25 April 2013

रेलवे ने बदला नियम, अब 2 महीना पहले तक का ही रिजर्वेशन


   अब आप 4 महीना पहले ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं करा पाएंगे। रेलवे ने अडवांस रिजर्वेशन के लिए नया नियम बना दिया है। नए नियम के मुताबिक अब 2 महीना पहले ही रिजर्वेशन हो सकेगा। नया नियम 1 मई से लागू होगा।
रेलवे ने रेल टिकट के रिजर्वेशन में बढ़ती कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को इस मामले में एक अहम फैसला लिया गया। अब इस फैसले के तहत यात्रा की तारीख से अधिकतम 60 दिन (2 महीने) पहले रेल टिकट का रिजर्वेशन करवाया जा सकेगा। अभी 4 महीने पहले रिजर्वेशन करवाने की सुविधा है। (

Monday, 1 April 2013

पश्चिम बंगाल में बेरोजगारों की नुमाईश बनी प्राइमरी टीचर की परीक्षा !



 प्रशासनिक अदूरदर्शिता ने एक साथ  लगभग ३५००० प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के ममता बनर्जी के महत्वाकांक्षी फैसले पर दाग लगा दिया। रविवार ३१ मार्च को एक साथ ४५ लाख परीक्षार्थियों ने टीचर इल्जीबिलिटी टेस्ट दिया। मगर अव्यवस्था के साथ परीक्षार्थियों व अभिभावकों की परेशानियों का पूर्वानुमान न कर पाने के कारण हजारों छात्र परीक्षा नहीं दे पाए। इसकी कई वजहें रहीं।
  पहली वजह यह कि सभी परीक्षार्थियों को अपने फार्म नंबर के आधार पर http://wbbpe.org/TETvenue.aspx  साइट से अपना परीक्षा केंद्र जानकर परीक्षा देनी थी। आरोप हैं कि तमाम परीक्षार्थियों को तकनीकी गड़बड़ी के कारण सही केंद्र का पता नहीं चला। जो मालूम हुआ उसके आधार पर जब परीक्षार्थी उस सेंटर पर पहुंचे तो बताया गया कि आपका सेंटर यहां नहीं कहीं और है। यह गड़बड़ी शायद ज्यादा नहीं थी मगर जो फंसे उनका तो प्राथमिक शिक्षक बनने का सपना ही टूट गया।
  दूसरी वजह परीक्षार्थियों के अपने सेंटर पर पहुंचने के दौरान हुईं दिक्कतें थीं। एक उदाहरण लीजिए। सियालदह से चली बनगांव लोकल  दमदमकैंट पर पहुंची तो वहां मौजूद भारी हुजूम से लोकल खचाखच भर गई। इसके बाद हाबरा स्टेशन तक हर स्टेशन पर भारी तादाद में परीक्षार्थी ट्रेन में चढ़ने का असफल प्रयोस करते रहे। नतीजे में तमाम परीक्षार्थी अपने सेटर वाले स्टेशन पर उतर ही नहीं पाए। ताज्जुब तो तब होता है जब हर स्टेशनों पर मौजूद भीड़ देखकर भी रेल प्रशासन या स्थानीय प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। नतीजें में कई परीक्षार्थी भीड़ की धक्कामुक्की सह नहीं पाए और नीचे गिरकर जख्मी हो गए। अफवाह तक फैल गई कि कुछ छात्रों की मौत हो गई है। यह ट्रेन जब हाबरा स्टेशन पहुंची तो वहां भी हजारों लोग इसी ट्रेन में चढ़ने के लिए खड़े थे। ऐसी मारामारी शुरू हुई कि उतरने वाले उतर नहीं पाए और चढ़ने वाले लोगों को उतरने नहीं दिए। सबसे अधिक दुर्दशा छात्राओं और उनके साथ चल रही महिला अभिभावकों की हुई। चारो ओर चीखपुकार मच गई। किसी के पर्स गायब तो तमाम की चप्पलें या तो टूट गईं या फिर पैर से निकलकर गायब हो गईं।
  मैं और मेरे साथ कुछ और लोग दौड़कर ड्राईवर केबिन गए और अनुरोध किया कि ट्रेन को कुछ देर रोककर रखें अन्यथा हादसा हो जाएगा। ड्राईवर ने ट्रेन जब रोके रखी तो महिला डिब्बों समेत कई डिब्बों में चढ़ने वालों यह बताकर रोका गया कि ट्रेन रोकी गई है। उतरने वालों को पहले उतरने दीजिए। ऐसा करने के बावजूद डिब्बे से छात्राएं रोते-चीखते निकल पाईं। यहां बता दूं कि सबसे ज्यादा परीक्षार्थी हाबरा स्टेशन पर ही उतरने वाले थे।
  यह अफरातफरी सावधानी न बरतने का ही परिणाम था। रविवार को ट्रेने कम होती हैं मगर कहा गया था कि रोज की तरह ट्रेनें चलेंगी। इस ट्रेन के साथ ऐसा इसलिएभी हुआ क्यों कि इसके आगे बारासात, और दत्तपुकुर को छोड़ा गया जिससे हाबरा जाने वाले परीक्षार्थी नहीं जा सकते थे। १२ बजे तक सेंटर पर पहुंचने के लिए ९ से ९.३० के बीच की ट्रेनों में भीड़ होना लाजिमी था। अगर पहले और बाद की ५ या ६ ट्रेनों को बनगांव तक लेजाते और इसकी घोषणा स्टेशनों पर की जाती तो शायद लोगों को इतना कष्ट नहीं झेलना पड़ता। रेल प्रशासन यह क्यों नहीं समझ पाया, यह समझ से परे है। शायद जनता को रामभरोसे की आदत पड़ी हुई है। कैसे नहीं समझ में आया कि ४५ लाख परीक्षार्थी और उनके साथ ४५ लाख अभिभावक होंगे और इतने बड़ी भीड़ को पीक आवर में संभालने के विशेष इंतजाम करने होंगे। ऊपर से कुछ सिरफिरे लोगों ने बाद में ट्रेंन अवरोध कर दिया नतीजे में भीड़ के कारण पिछली ट्रेंन से अपने सेंटर पर आ रहे लोंग अटक गए। कोई आधा घंटे तो कोई १५ से लेकर २० मिनट लेट तक सेंटर पहुंचा। इनके मानसिक कष्ट और नुकसान का अपराधी किसे समझा जाए?
 बेरोजगारी के मारे इन परीक्षार्थियों के प्रति इतनी गैरजिम्मेदार व्यवस्था की आखिर क्या सजा हो सकती है? लोगों के जानमाल के साथ यह साफ खिलवाड़ था। एक आंकड़े के अनुसार ३४५५९ असिस्टेंट टीचर के लिए ४५ से ५५ लाख तक परीक्षार्थी की परीक्षा के बाद राज्य के ५९००० प्राइमरी स्कूलों में खाली पड़ जगहों को भरा जाना है। यह एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती थी। पहली बार पश्चिम बंगाल सरकार ने एक ही बार में इतने सारे शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया है।

   अव्यवस्था की एक और वजह परीक्षार्थियों को अपने स्थायी निवास से काफी दूर के सेंटर दिया जाना था। किसी का घर श्यामबाजार में है तो उसे ८० किलोमाटर दूर हाड़ोआ में भेजा गया। कोई बेलघरिया का परीक्षार्थी है तो उसे संदेशखाली ( यानी सुंदरवन ) भेज दिया गया। ऐसे हजारों परीक्षार्थियों को भटकना पड़ा। अगर सेंटर कम पड़ रहे थे तो दो शिफ्ट में परीक्षा लिया जाना उचित था।
   बहरहाल जो भी हो एक बात तो स्पष्ट देखने को मिली कि परीक्षार्थी के साथ अभिभावक भी इस से बेहद नाराज थे। आपस में टिप्पणी करके अपने आक्रोश व्यक्त कर रहे थे।
शक तो यह भी होता है कि पंचायत चुनाव की बिसात का मोहरा बनाकर परीक्षार्थियों के साथ राजनीति हुई। सत्ता के इस राजनीतिक खेल में आखिर कब तक पिसती रहेगी मासूम जनता? और यह जनता भी आखिर कब तक खुद को बेचारी समझती रहेगी?
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कुछ जानकारियां इस परीक्षा के बारे में
The selection is based on TET exam conducted by National Council for Teacher Education and the candidates who scores 60% or above are considered as pass in TET and 5% marks relaxation is allowed for SC/ST/OBC/PH/EC candidates. The West Bengal TET exam consists of five section which carries 100 marks and the details are as follows.
Section I - Child Development - 20 marks
Section II - Language I - 20 marks
Section III - Language II - 20 marks
Section IV - Mathematics - 20 marks
Section V - Environmental Science - 20 marks

The qualified candidates in the written examination will be called for Viva-voce/Interview which carries 10 marks.

So candidates will be selected based on academic, training, TET scores, extra curricular activities and through interview process for which the evaluation will be done as per the following schedule.

Madhyamik examination - 10 marks
Higher Secondary - 15 marks
Training - 20 marks
TET - 40 marks
Extra curricular activity - 5 marks
Viva-voce or Interview - 10 marks

A total of 34559 vacancies available for which the district-wise vacancies are as follows.

Bankura District - 1770 vacancies
Birbhum District - 1968 vacancies
Burdwan District - 2521 vacancies
Coochbehar District - 1272 vacancies
Dakshin Dinajpur District - 753 vacancies
Hooghly District - 1760 vacancies
Howrah District - 1597 vacancies
Jalpaiguri District - 1442 vacancies
Kolkata District - 1483 vacancies
Malda District - 2493 vacancies
Murshidabad District - 2403 vacancies
Nadia District - 1757 vacancies
North 24 Parganas District - 4799 vacancies
Paschim Medinipur District - 1871 vacancies
South 24 Parganas District - 2792 vacancies
Purulia District - 1424 vacancies
Siliguir District - 303 vacancies
Uttar Dinajpur District - 1768 vacancies


WEST BENGAL PRIMARY SCHOOL SERVICE COMMISSION
http://www.wbbpe.in/


Primary TET Exam Centre

West Bengal Primary TET Exam centre is given in West Bengal Primary Board website http://wbbpe.org/TETvenue.aspx March 2013.
View exam venue through http://wbresults.nic.in/

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