व्यर्थ की समस्याओं में उलझकर ऊर्जा नष्ट न करें
उन समस्याओं की सूची बनाएं, जिन्हें आप सुलझा सकते हैं या इसकी कोशिश कर सकते हैं। अब सिर्फ इन्हीं पर ध्यान दें। इन्हें सुलझाने के लिए जोर-शोर से जुट जाएं। हम सभी के जीवन में मुश्किलें हैं। चाहे कैब ड्राइवर हो या करोड़ों की कंपनी का सीईओ, सब की अपनी मुश्किलें हैं। यदि आप गृहणी हैं ता सिर्फ आप ही जान सकती हैं कि रोज किन मुश्किलों से दो-चार होती हैं। यदि आप छात्र हैं तो आप ही जान सकते हैं कि छात्रों की जिंदगी कितनी मुश्किल है, खासकर जब इम्तहान सामने हों।
सभी मुश्किलों को दो वर्ग में बांटा जा सकता है:-
या तो आप इसे सुलझाने के लिए कुछ कर सकते हैं या कुछ भी नहीं कर सकते हैं। कॉलेज के दिनों में मैं अपने कद को लेकर चिंतित रहता था। मुझे हैरानी होती कि मैं अपने पिता की तरह लंबा क्यों नहीं हूं। कई साल तक यह सवाल मुझे परेशान करता रहा। फिर एक बार मैंने अपने आप से पूछा, 'क्या मैं अपने कद के बारे में कुछ कर सकता हूं? यकीनन नहीं। मैंने महसूस किया कि मैं ऐसी समस्या को लेकर परेशान था, जिसका मैं कुछ नहीं कर सकता था। मैंने तय किया कि अब इसके बारे में सोचकर वक्त बर्बाद नहीं करूंगा। मैंने यह भी अहसास किया कि मैं बेकार के सवाल से परेशान था। और मुझे ऐसी समस्याओं के बारे में सोचकर समय खराब नहीं करना चाहिए। इसकी बजाय मुझे एक्सरसाइज करना चाहिए। मैंने एक्सरसाइज के लिए वक्त बढ़ा दिया। मुझे एक कविता याद आई,
‘सूरज की किरणों में हर बीमारी के लिए
या तो उपाय है या नहीं है,
यदि है तो उसे ढूंढऩे की कोशिश करो
यदि नहीं है तो चिंता मत करो।
जरा उन शख्सियतों पर नजर डालें जिन्होंने कामयाबी का शिखर छुआ है। इन सभी ने हमेशा अपने सकारात्मक पक्ष या ताकत पर ध्यान दिया और उन मुद्दों और समस्यायों की चिंता करने में वक्त बर्बाद नहीं कया, जिन पर उनका नियंत्रण नहीं है। एआर रहमान ने अपने रंग की चिंता नहीं की बल्कि उनका ध्यान सिर्फ संगीत पर रहता है। लता मंगेशकर को इससे मतलब नहीं होता कि वे कैसी दिख रही हैं, उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ गायन पर है। यदि सचिन तेंडुलकर अपने कद की चिंता में खोए रहते तो वे कभी भी महान क्रिकेटर और दुनिया के करोड़ों लोगों की प्रेरणा नहीं बन सकते थे। यदि मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भगवान से यही पूछते रहते, 'आपने मुझे शाररीक रूप से अक्षम क्यों बनाया?’ तो वे वह सम्मान कभी भी हासिल नहीं कर पाते, जैसा कर पाए। उन्होंने ऐसा सवाल करने की बजाय अपनी प्रतिभा को पहचान कर उसी दिशा में काम किया।
आप अपने जीवन पर नजर दौड़ाएं। क्या आप ऐसे मुद्दों और समस्याओं पर वक्त और ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं, जिन पर आपका वश नहीं है। ऐसी सभी समस्याओं को अपनी सूची से हटा दें, जिन्हें आप नहीं सुलझा सकते, या जो आपके वश से बाहर हैं। सिर्फ उन मुद्दों या समस्याओं की सूची बनाएं, जिन्हें आप सुलझा सकते हैं या सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं। अब सिर्फ इन्हीं पर ध्यान दें। जोरशोर से जुट जाएं। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए पूरी ताकत झोंक दें। जल्दी ही आपको अहसास हो जाएगा कि अब आप अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं कर रहे बल्कि उसे सार्थक बना रहे हैं। कौन जाने? आपकी सोच में यह बदलाव आपको कितना बदल दे? हो सकता है कि आपके दुनिया छोडऩे के बाद पोते-पड़पोते आपके बारे में इतिहास की किताब में पढ़ें। ( साभार- दैनिक भाष्कर )
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इंफीनीमैगजीन प्रेरक कहानियों, उद्धरणों, विकासोन्मुख पोस्टरों और महान व्यक्तियों के विचारों से बनी है। दुनिया पर अमिट छाप छोड़ने वाले अलग-अलग पृष्ठभूमि के महान लोगों और बिना कुछ बोले विपरीत हालात में महान ऊंचाइयां छूने वाले लोगों पर नियमित कॉलम्स हैं। यह मैगजीन पाठकों को विपरीत हालात से जूझने के लिए प्रेरित करती है। इंफीनीमैगजीन के माध्यम से महात्रया रा लोगों को अपनी पूरी क्षमता और वो ऊंचाइयां हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जहां तक वे अधिकारपूर्वक पहुंच सकते हैं। http://infinimagazine.com/
महात्रया रा आध्यात्मिक गुरु हैं। वे देश-विदेश में अपने आध्यात्मिक व्याख्यानों के माध्यम से लोगों को सेल्फ रियलाइजेशन के लिए मार्गदर्शित करते हैं। उनके प्रभावी संदेश व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवन की दिशा बदल देते हैं। उनके व्याख्यान सुनकर कई प्रसिद्ध हस्तियां, बिजनेसमैन, स्पोटर्सपर्सन और स्टूडेंट़स अपनी आंतरिक ऊर्जा की मदद से नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। महात्रया रा जीवन जीने का एक नया रास्ता बताते हैं – ‘इंफीनीथीज्म’, जिसके माध्यम से मनुष्य को अपनी असीम क्षमता का अहसास हो सकता है।