Sunday, 27 September 2015

विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर ) , सीने में दर्द संकेतों को समझें

विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर )
विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर ) करीब है। खान-पान से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना आपके हृदय को स्वस्थ रख सकता है। यहां जानें कि खान-पान के जरिए किन हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलती है। वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभाकर शेट्टी के अनुसार हृदय की सेहत में खान-पान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके अनुसार फल व सब्जियों वाली लो सोडियम डाइट और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद मिलती है।  डाइट में सामान्य चीनी की मात्रा कम रखना रक्त शर्करा को नियंत्रित रखता है। चीनी और सेचुरेटेड वसा कम खाना और मोनोअनसेचुरेटेड वसा  (बादाम व अन्य मेवे, जैतून, मूंगफली ) पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (सोयाबीन  का तेल, अलसी, मछली, अखरोट) युक्त पदार्थों की प्रचुरता कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार करती है।  फल, सब्जियां और मेवे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो प्लैक जमने से रोक कर हार्ट अटैक की आशंका को कम कर देते हैं।

खून में होमोसिस्टेइन कम करना
होमोसिस्टेइन  एक अमिनो एसिड है, जो प्रोटीन के पाचन के बाद शेष बचता है।  यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा कर हृदय रोगों की आशंका को बढ़ा देता है।  होमोसिस्टेइन का स्तर बढ़ने पर रक्त नलिकाओं को नुकसान होता है और खून का थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है। होमोसिस्टेइन को काबू में रखने के लिए शरीर को विटामिन बी और विटामिन सी की जरूरत होती है।  खाने में फल व सब्जियों को शामिल करें, जिनमें विटामिन बी-6, फॉलिक एसिड और विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं। पालक और संतरा खाना अच्छा रहेगा।

पालक: हरी पत्तेदार सब्जियां खाना होमोसिस्टेइन के स्तर को कम करके शरीर में फोलेट का  स्तर बढ़ाता है। पालक में फोलेट भरपूर मात्रा में होता है। नाश्ते में खाए जाने वाले अनाज और दालों में भी इसकी प्रचुरता होती है।  कटी हुई पालक, संतरा, जैतून का तेल और नींबू रस, इन सबको  पीस कर ऑमलेट या सेंडविच में लेयर बना कर खाएं। उबले हुए पालक को दाल चावल के साथ खाना भी अच्छा रहेगा।

संतरा: संतरे में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी प्रचुरता में होते हैं, जो हृदय वहनियों की सुरक्षा करते हैं। फॉलिक एसिड धमनियों को रोकने वाले होमोसिस्टेइन को शरीर  से बाहर करता है। एक संतरा, एक कप कम वसा वाला दही या दूध, बर्फ के टुकड़े और वनिला की कुछ बूंदों को ब्लैंडर में पीस कर स्मूदी बना कर खाना फायदेमंद रहेगा।

बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाएं
एलडीएल यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना धमनियो में कोलेस्ट्रॉल  जमा करता है,  जिससे धमनियां संकुचित होती हैं और हृदयाघात का जोखिम बढ़ जाता है।

ओट्स: कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में ओट्स काफी असरदार है।  इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर रक्त में से कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण कर इसे शरीर से बाहर करने में मदद करते हैं।
कई तरह की सब्जियां मिला कर ओट्स उपमा बनाएं। आप चाहें तो इसे दही के साथ भी खा सकते हैं। सुबह नाश्ते में  नियमित ओट्स शामिल करें।

ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोल
अनियंत्रित उच्च रक्तचाप  धमनियों को कठोर और संकुचित बनाता है,  जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है और हृदय का आकार बड़ा हो सकता है।  दिल के काम करने की क्षमता घटती है।

डार्क चॉकलेट: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन 'चॉकलेट कन्सम्प्शन एंड कार्डियोमेटाबॉलिक डिसॉर्डर्स' में  नियमित रूप से डार्क चॉकलेट खाने वालों में हृदय रोगों की आशंका 37% कम देखने को मिली है। डार्क चॉकलेट में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। उचित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाना फायदा पहुंचाता है।

सूजन, प्लेक और खून के थक्के रोकने के लिए

वसा और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता  से  रक्त नलिकाओं में प्लेक जमने लगता है, जिससे धमनियां संकुचित होने लगती हैं और खून के थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है।

सामन: यह  प्रोटीन, ओमेगा-3 और विटामिन डी का अच्छा स्रोत  है।  दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है। इससे सूजन भी नहीं आती।  विभिन्न जड़ी-बूटियों व मसालों के साथ इसे माइक्रोवेव में पका कर खाएं।

लहसुन: लहसुन में सल्फाइड कंपाउंड होता है, जो न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल घटाता है, बल्कि थक्का जमने से भी रोकता है। ये बंद धमनियों को खोलने में सहायक है और रक्त संचार को नियमित करता है। नियमित एक कली खाएं।  लहसुन को जैतून के तेल में मिला कर रख लें। अब इस मिश्रित तेल को ड्रेसिंग के तौर पर इस्तेमाल करें।  इसके अलावा ताजा लहसुन, बींस, जैतून का तेल और नींबू के रस से अच्छी डिप भी तैयार कर सकते हैं।  जैतून के तेल का नियमित सेवन काफी फायदेमंद रहता है।

जैतून का तेल: जैतून का तेल हृदय रोगों की आशंका को काफी हद तक दूर रखता है। इस तेल में मोनोअनसेचुरेटेड फैट और ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर की सूजन और दर्द को कम करते हैं और थक्का जमने की आशंका को रोकते हैं। ताजी हरी पत्तियां, पास्ता, सलाद व भुने हुए आलू में जैतून का तेल  मिला कर खाएं।

सीने में दर्द संकेतों को समझें
सीने में जलन, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के कुछ लक्षण इतने सामान्य हैं कि कई बार इनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। समय रहते इनके अंतर को कैसे पहचानें और क्या उपचार करें, बता रहे हैं डॉ. टी. एस. क्लेर
सीने में असहजता, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एंजाइना या हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं, लेकिन रोजमर्रा में ऐसा एसिड इनडाइजेशन या एसिडिटी होने पर भी होता है। यही वजह है कि इन दोनों स्थितियों में भ्रम हो जाता है और समस्या को पहचानने में लापरवाही होने की आशंका बढ़ जाती है।
खासतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति को मामूली रिफलक्स का मामला समझने पर व्यक्ति के उपचार में गोल्डर अवर साबित होने वाला समय नष्ट हो जाता है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी बात यह है कि इस संबंध में जागरूकता बढ़ी है। सांस लेने में असहजता व बेचैनी की स्थिति में लोग तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने लगे हैं। हमारे शरीर में  भोजन नली का हिस्सा सीने के करीब होता है, ऐसे में एसिड रिफलक्स की तकलीफ होने पर सीने में भी असहजता और बेचैनी का अहसास होता है।
यही वजह है कि हार्ट अटैक से पीडि़त बहुत सारे लोग इसे हार्ट बर्न समझने की गलती कर बैठते हैं। कई बार डॉक्टर के लिए भी तुरंत कुछ कहना मुश्किल होता है। कई बार अटैक माइनर होता है, जिसका पता डॉक्टरी जांच या स्थिति बिगड़ने पर पता चलता है। यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति में सुधार होता है तो यह समस्या के एसिड रिफलक्स से जुड़े होने का संकेत है।  वैसे किसी भी सूरत में स्थिति नियंत्रित होने के बाद डॉक्टर से संपर्क करना अच्छा रहता है।
हमारे दिल के तीन हिस्से होते हैं। एक हिस्सा मसल्स हैं, जो पम्पिंग का काम करते हैं और रक्त को शरीर के तमाम हिस्सों में पहुंचाते हैं। दूसरा धमनियां और तीसरा नसें होती हैं। ये तीनों मिल कर एक इंजन का काम करते हैं, जिसके लिए ईंधन होती है ऑक्सीजन।
धमनियों में ब्लॉकेज होने से रक्त प्रवाह में रुकावट आने लगती है, जिससे हृदय रोगों के लक्षण उभरने लगते हैं। इस समस्या के मुख्य पांच कारण होते हैं-आनुवंशिक, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल,  उच्च रक्तचाप और तनाव। यदि वजन सामान्य से 10 प्रतिशत भी अधिक है तो ऐसे व्यक्तियों में डायबिटीज और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। यदि सीने का दर्द बहुत कष्टदायी नहीं है, लेकिन आशंका है कि समस्या गंभीर हो सकती है तो लक्षणों के शांत पड़ने का इंतजार न करें। तत्काल डॉक्टरी मदद लें।
युवाओं में हृदय रोगों की समस्या पहले से कई गुणा बढ़ गयी है। 30 पार करने के बाद  एक बार हृदय जांच कराना बेहतर रहता है। खासतौर पर यदि  परिवार में पहले से किसी को यह समस्या रही है तो  समय-समय पर जांच कराएं।  डॉक्टर के निर्देशानुसार जीवनशैली अपनाने से हृदय रोगों को दूर रखने में मदद मिलेगी।


क्या होता है स्ट्रोक
स्ट्रोक का संबंध मस्तिष्क से है। इसमें मस्तिष्क में होने वाली खून आपूर्ति में बाधा आती है, जिससे मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। वहीं हार्ट अटैक में दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में बाधा आती है। ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। यदि स्ट्रोक मस्तिष्क की रक्त धमनियों में ब्लॉकेज आने के कारण होता है तो इसे स्कीमिक स्ट्रोक कहते हैं, वहीं रक्त वाहिकाओं के फटने से रक्तस्राव के कारण होने वाले स्ट्रोक को हैमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं।

स्ट्रोक के कारण
मधुमेह, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, हृदय रोगों का होना, मोटापा, परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होना स्ट्रोक की आशंका को बढ़ाता है। यही कारण हृदय रोगों में भी देखने को मिलते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
चेहरे का एक तरफ लटकना या लकवा मारना
एक बाजू में कमजोरी महसूस होना, कंधे सुन्न होना
बोलने और समझने में दिक्कत होना
सुन्न होना
बेहोश होना
दृष्टि में असंतुलन होना।

जबकि हार्ट अटैक में पीडि़त व्यक्ति को छाती में दर्द व जकड़न होती है, काफी पसीना आता है और बायीं बाजू में दर्द होता है।

कैसे होता है उपचार
प्राथमिक उपचार: मेडिकल उपचार उपलब्ध होने तक पीडि़त को सीधा लिटाएं। इससे रक्त प्रवाह सही बना रहता है। चक्कर, बेहोशी, उल्टी या मरीज के प्रतिक्रिया नहीं देने पर उल्टी या दम घुटने की आशंका को रोकने के लिए उसे एक करवट लिटाएं।

यदि स्ट्रोक का कारण नस फटना है तो व्यक्ति को एस्प्रिन न दें। इससे स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी।
यदि मरीज को चार घंटे के भीतर हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाता है तो स्कीमिक स्ट्रोक होने पर क्लॉट बस्टिंग इंजेक्शन दिया जाता है। इससे दिमाग की कार्य प्रक्रिया में सुधार होता है। मरीज पूरी तरह ठीक भी हो जाता है।
स्ट्रोक मैनेजमेंट में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी व जरूरत पड़ने पर स्पीच थेरेपी महत्वपूर्ण साबित होती हैं।


सीने में जलन और हार्ट अटैक का अंतर
सीने में जलन
सीने में जलन यानी हार्ट बर्न का  दिल की परेशानियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब किसी को एसिड इनडाइजेशन यानी खट्टी डकार या अपच की समस्या होती है। इसमें भोजन नली प्रभावित हो जाती है।

हार्टबर्न एक सामान्य परेशानी है, जिसमें एसिड आपके पेट से ऊपर निकल कर भोजन नली में पहुंच जाता है और सीने में दर्द का कारण बनता है। सांस लेने में भी तकलीफ होती है। सामान्य तौर पर इस स्थिति को एंटीएसिड दवाओं से संभाला जा सकता है या खान-पान की आदत दुरुस्त करके इसे काबू किया जा सकता है।

यदि थोड़े समय बाद या कुछ डकारों के बाद स्थिति सुधर जाती है तो यह सीधा संकेत है कि सीने का यह दर्द एसिड रिफ्लक्स के कारण है।

 यदि किसी व्यक्ति को एपिगैस्ट्रिक या सीने में नीचे की तरफ इस तरह के लक्षण उभरते हैं और वे कई महीनों या सालों से उभर रहे हैं तो यह पेट या ऐसोफेगस से जुड़ी समस्या है, जिसके लिए गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट से मिलना चाहिए।

सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या ज्यादातर अधिक भोजन करने, अनियमित समय पर भोजन करने और व्यायाम की कमी से होती है। नियमित योग व स्वस्थ जीवनशैली  ऐसी समस्याओं से निबटने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

हार्ट अटैक
दिल से जुड़ी रक्त धमनियां जब संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं तो हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और यही हार्ट अटैक का कारण बनता है। हमारे पूरे  शरीर के लिए आवश्यक है कि ऑक्सीजनयुक्त रक्त बिना बाधा शरीर के सभी अंगों में पहुंचता रहे।

हार्ट अटैक के दौरान पुरुष व महिलाओं में सबसे सामान्य लक्षण सीने में जकड़न व दर्द है। इसके अलावा  छाती और बायीं बाजू में दर्द व सुन्नता होना, जबड़े और कमर में संवेदना होना, अपच, ठंडा पसीना आना व थकावट का अनुभव होना इसके अन्य लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पताल जाना चाहिए।

सामान्यत: एसिडिटी या गैस संबंधी समस्या एंटीएसिड दवा लेने के 20 मिनट बाद के समय तक ठीक हो जाती है। स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है कि चिकित्सक से संपर्क करके ईसीजी व अन्य टैस्टिंग कराएं।

भोजन नली चूंकि शरीर में हृदय के पास होती है, इसलिए हार्ट बर्न  की स्थिति में आसपास के हिस्से में दर्द व बेचैनी का अनुभव होता है। आमतौर पर यह सीने से थोड़ा नीचे केंद्र में होता है। हार्ट अटैक में यह दर्द बायीं ओर ज्यादा तेज और जकड़न भरा होता है।

हृदय रोग की समस्या अचानक नहीं होती। रोजमर्रा की दिनचर्या में इसके कुछ-कुछ लक्षण दिखायी देते हैं, मसलन कुछ सीढि़यां चढ़ने पर ही थक जाना, आराम करने पर अच्छा महसूस करना और सांस फूलना। मोटापा व व्यायाम की कमी हृदय रोगों की आशंका बढ़ा देती है।  (लेखक  फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के कार्डियक साइंसेज विभाग के निदेशक हैं )

चले जाने के बाद भी लोक में रहता है मनुष्य, श्राद्ध में 54 बातें रखें ध्यान

चले जाने के बाद भी लोक में रहता है मनुष्य
कोई भी मनुष्य जब अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता है, तब किसका श्राद्ध करता है, किस चीज का श्राद्ध करता है? क्या वह आत्मा का श्राद्ध करता है? नहीं। आत्मा सर्वव्यापी अर्थात् विभु है। उसके लिए मरण नहीं है, स्थानांतर अथवा लोकांतर नहीं है। इसलिए आत्मा के श्राद्ध का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

तब क्या मनुष्य देह का श्राद्ध करता है? नहीं, देह का भी नहीं। देह की तो राख या मिट्टी हो जाती है। कदाचित् देह अन्य प्राणियों का आहार बन कर उनके साथ एकरूप भी हो गई हो। मृत देह को खाने वालों सियारों, भेडि़यों या गिद्धों का हम श्राद्ध नहीं करते। अथवा संभव हो कि देह में कीड़े पड़ गए हों और उनका ही एक बड़ा देश बस गया हो; लेकिन उनकी तृप्ति के लिए भी हम तर्पण नहीं करते अथवा पिंड नहीं रखते।

अब बाकी बचता है मरने वाले मनुष्य की वासनाओं का समुच्चय अथवा पीछे रहने वाले लोगों के मन में रही मृतक-संबंधी भावनाओं का समुच्चय। जिन दो वासनात्मक और भावनात्मक देहों द्वारा मनुष्य मृत्यु के बाद शेष रहता है, इन दो में से एक देह का अथवा दोनों देहों का श्राद्ध संभव तो है।

लोक-कल्पना यह है कि मरा हुआ पूर्वज महाशूर, क्रूर, पेटू या आलसी हो तो उसका वासना समुच्चय अथवा लिंग-शरीर बाघ या भेडि़ए के शरीर में जन्म लेता है। यदि वह मिलनसार न होगा तो बाघ की योनि प्राप्त करेगा। समान शील वालों का संघ बनाने की वृत्ति वाला होगा तो भेडि़ए की योनि उसके लिए अधिक अनुकूल सिद्ध होगी। परंतु श्राद्ध इन बाघों या भेडि़यों का नहीं होता।

ऐसा हो, तब तो उनके नाम पर खीर और लड्डू अर्पण करने के लिए किसी वेद-शास्त्र-संपन्न ब्राह्मण को बुलाने पर यह तमाशा हो सकता है कि हमारे पूर्वज खीर और लड्डू के बदले उसी ब्राह्मण को ही पसंद करें और चट कर जाएं; और श्राद्ध में एक समय जो पशु हत्या होती थी, उसके बदले ब्रह्महत्या हो जाए!
(मानव-पिता मनु भगवान ने कहा है कि 'मां स भक्षयिताऽमुत्र यस्य मांसं इहाद्म्यहम् इति मांसस्य मांसत्वम्'- जिसका मांस यहां मैं खाता हूं, व (स:) मुझे (मां) परलोक में खाएगा। इसलिए मांस को मांस कहते हैं। इस न्याय से यदि हम श्राद्ध का विचार करें तो कहना होगा कि दुनिया में सब जगह श्राद्ध ही चल रहा है।)

पूर्वजों में कोई अपने कर्मों, वासनाओं और संस्कारों के अनुरूप किसी भी योनि में गया हो और वहां अपनी पुरानी वासनाओं की तृप्ति करते-करते नई वासनाओं का बंधन रचता हो तो उससे हमारा कोई वास्ता नहीं। हमारा कोई पूर्वज शरीर छोड़ कर चला गया हो तो भी इस लोक में उसका संपूर्ण नाश नहीं होता। उसके द्वारा किए गए अच्छे-बुरे कर्म, उसके द्वारा प्रेरित अच्छी-बुरी प्रवृत्तियां और उसके द्वारा मानव-स्वभाव के विकास में की गई वृद्धि- यह सब उसके चले जाने के बाद भी इस लोक में मौजूद रहता है।

उसके साथ जिनका संबंध था, उन सगे-संबंधी, शत्रु-मित्र आदि लोगों की स्मृति और भावना में वह पहले की तरह ही जीवित रहता है; इतना ही नहीं, उसके बाकी रहे स्मृतिगत  जीवन में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन भी होते रहते हैं। मृत्यु के बाद उसका निवास एक ही शरीर में नहीं रहता; स्मृति के रूप में, कार्य के रूप में अथवा प्रेरणा के रूप में वह जितने समाज में व्याप्त होगा, उस समस्त समाज में उसका निवास होता है; और उसके इस जीवन को लक्ष्य में रख कर ही उसका श्राद्ध संभव हो सकता है। शिवाजी महाराज जैसे पुण्यश्लोक राजा ने मोक्ष प्राप्त किया हो या इस देश अथवा दूसरे देश में राष्ट्र-पुरुष का जन्म लिया हो; उनकी इस नई यात्रा- कैरियर- का हम श्राद्ध नहीं करते। आज हम उन शिवाजी महाराज का श्राद्ध करते हैं, जो हमारे हृदय में बस कर जीते हैं, वहां बड़े होते हैं- विभूति के रूप में बढ़ते हैं।
श्राद्ध मरे हुए जीवों का नहीं होता; परंतु देहत्याग करने के बाद उनका जो अंश समाज में जीवित रहता है, समाज के द्वारा प्रवृत्ति करता है, विकसित होता है और पुरुषार्थ करता है, उसी का श्राद्ध हो सकता है। यह मरणोत्तर सामाजिक जीवन ही सच्चा पारलौकिक जीवन है।

श्राद्ध में 54 बातें रखें ध्यान
  पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का भाव ही श्राद्ध है। वैसे तो हर अमावस्या और पूर्णिमा को, पितरों के लिये श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। लेकिन आश्विन शुक्ल पक्ष के 15 दिन, श्राद्ध के लिये विशेष माने गये हैं। इन 15 दिनों में अगर पितृ प्रसन्न रहते हैं, तो फिर, जीवन में, किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। कई बार, ग़लत तरीके से किये गये श्राद्ध से, पितृ नाराज़ होकर शाप दे देते हैं। इसलिये श्राद्ध में इन 54 बातों का खास ध्यान रखना चाहिये।

श्राद्ध की मुख्य प्रक्रिया
-तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है।
-ब्राह्णणों को भोजन और पिण्ड दान से, पितरों को भोजन दिया जाता है।
-वस्त्रदान से पितरों तक वस्त्र पहुंचाया जाता है।
-यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है। श्राद्ध का फल, दक्षिणा देने पर ही मिलता है। 

श्राद्ध के लिये कौन सा पहर श्रेष्ठ?
-श्राद्ध के लिये दोपहर का कुतुप और रौहिण मुहूर्त श्रेष्ठ है।
-कुतुप मुहूर्त दोपहर 11:36AM से 12:24PM तक।
-रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:24PM से दिन में 1:15PM तक।
-कुतप काल में किये गये दान का अक्षय फल मिलता है।
-पूर्वजों का तर्पण, हर पूर्णिमा और अमावस्या पर करें।

श्राद्ध में जल से तर्पण ज़रूरी क्यों?
-श्राद्ध के 15 दिनों में, कम से कम जल से तर्पण ज़रूर करें। 
-चंद्रलोक के ऊपर और सूर्यलोक के पास पितृलोक होने से, वहां पानी की कमी है।
-जल के तर्पण से, पितरों की प्यास बुझती है वरना पितृ प्यासे रहते हैं।

श्राद्ध के लिये योग्य कौन?
-पिता का श्राद्ध पुत्र करता है। पुत्र के न होने पर, पत्नी को श्राद्ध करना चाहिये।
-पत्नी न होने पर, सगा भाई श्राद्ध कर सकता है।
-एक से ज्य़ादा पुत्र होने पर, बड़े पुत्र को श्राद्ध करना चाहिये। 

श्राद्ध कब न करें?
- कभी भी रात में श्राद्ध न करें, क्योंकि रात्रि राक्षसी का समय है।
- दोनों संध्याओं के समय भी श्राद्धकर्म नहीं किया जाता है।

श्राद्ध का भोजन कैसा हो?
-जौ, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ है।
-ज़्य़ादा पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये।
-गंगाजल, दूध, शहद, कुश और तिल सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
-तिल ज़्यादा होने से उसका फल अक्षय होता है।
-तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं।

श्राद्ध के भोजन में क्या न पकायें?
-चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा
-कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी
-बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी
-खराब अन्न, फल और मेवे

 ब्राह्णणों का आसन कैसा हो?
-रेशमी, ऊनी, लकड़ी, कुश जैसे आसन पर भी बिठायें।
-लोहे के आसन पर ब्राह्मणों को कभी न बिठायें।

ब्राह्णण भोजन का बर्तन कैसा हो?
-सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन भोजन के लिये सर्वोत्तम हैं।
-चांदी के बर्तन में तर्पण करने से राक्षसों का नाश होता है।
-पितृ, चांदी के बर्तन से किये तर्पण से तृप्त होते हैं।
-चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य अक्षय होता है।
-श्राद्ध और तर्पण में लोहे और स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें।
-केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं कराना चाहिये।

ब्राह्णणों को भोजन कैसे करायें?
-श्राद्ध तिथि पर भोजन के लिये, ब्राह्मणों को पहले से आमंत्रित करें।
-दक्षिण दिशा में बिठायें, क्योंकि दक्षिण में पितरों का वास होता है।
-हाथ में जल, अक्षत, फूल और तिल लेकर संकल्प करायें।
-कुत्ते,गाय,कौए,चींटी और देवता को भोजन कराने के बाद, ब्राह्मणों को भोजन करायें।
-भोजन दोनों हाथों से परोसें, एक हाथ से परोसा भोजन, राक्षस छीन लेते हैं।
-बिना ब्राह्मण भोज के, पितृ भोजन नहीं करते और शाप देकर लौट जाते हैं।
-ब्राह्मणों को तिलक लगाकर कपड़े, अनाज और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
-भोजन कराने के बाद, ब्राह्मणों को द्वार तक छोड़ें।
-ब्राह्मणों के साथ पितरों की भी विदाई होती हैं।
-ब्राह्मण भोजन के बाद , स्वयं और रिश्तेदारों को भोजन करायें।
-श्राद्ध में कोई भिक्षा मांगे, तो आदर से उसे भोजन करायें।
-बहन, दामाद, और भानजे को भोजन कराये बिना, पितर भोजन नहीं करते।
-कुत्ते और कौए का भोजन, कुत्ते और कौए को ही खिलायें।
-देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं।

कहां श्राद्ध करना चाहिये?
-दूसरे के घर रहकर श्राद्ध न करें। मज़बूरी हो तो किराया देकर निवास करें।
-वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ और मंदिर दूसरे की भूमि नहीं इसलिये यहां श्राद्ध करें।
-श्राद्ध में कुशा के प्रयोग से, श्राद्ध राक्षसों की दृष्टि से बच जाता है।
-तुलसी चढ़ाकर पिंड की पूजा करने से पितृ प्रलयकाल तक प्रसन्न रहते हैं।
-तुलसी चढ़ाने से पितृ, गरूड़ पर सवार होकर विष्णु लोक चले जाते हैं।

Thursday, 17 September 2015

मोबाइल एप्‍प, एसएमएस, मिस्‍ड कॉल से मिलेगी पीएफ खाते और पेंशन की जानकारी, छह लाख का बीमा कवर

      कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पीएफ अकाउंट के डिटेल को प्राप्‍त करने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन और अन्य फोन आधारित सेवाएं शुरू की हैं। ईपीएफओ के सदस्‍यों के लिए तीन नए मोबाइल फोन आधारित सेवाओं को शुरू किया गया है, वे इस प्रकार हैं- मोबाइल एप्‍लीकेशन, एसएमएस आधारित यूनिवर्सल अकाउंट नंबर एक्‍टीवेशन और मिस्‍ड कॉल सर्विस। जानिये आप अपने पेंशन के डिटेल को कैसे प्राप्‍त कर सकते हैं।
1. ईपीएफओ की वेबसाइट से नया मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड कर लेने के बाद सदस्य अपने मोबाइल फोन से यूएएन खातों को सक्रिय कर सकते हैं और वे अपने खातों में मासिक आधार पर योगदान तथा अन्य ब्योरा देख सकेंगे। इसी प्रकार से ईपीएफ पेंशनर इस मोबाइल एप के द्वारा पेंशन वितरण के ब्यौरे देख सकते है। इसी प्रकार से नियुक्ता भी अपने प्रेषण के ब्यौरे को देख सकते हैं।

2. एसएमएस आधारित यूएएन एक्टीवेशन- इस नई सेवा से ऐसे सदस्य जिनकी सहज पहुंच कम्प्यूटरों तक या स्मार्ट फोन तक नहीं है वे इसका खासतौर पर लाभ उठा सकते हैं। इस सेवा के लिए 7738299899 पर अपना यूएएन नंबर एसएमएस करना होगा।

3. मिस्ड कॉल सेवा- इस सेवा के अंतर्गत आपको यदि अपने ईपीएफ खाते का अकाउंट बैलेंस जानना है तो आप 01122901406 पर मिस कॉल दें। मिस्ड कॉल के तुरंत बाद आपके पास एक एसएमएस आयेगा, जिसमें आपके द्वारा दिया गया पीएफ अंशदान और शेष राशि का विवरण होगा।

   इससे ईपीएफओ के 3.54 करोड़ अंशधारकों, 49.22 लाख पेंशनभोगियों तथा 6.1 लाख नियोक्ताओं को लाभ होगा। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने हैदराबाद में केंद्रीय न्यासी बोर्ड की आज हुई 208वीं बैठक की पूर्व संध्या पर मोबाइल आधारित इन सेवाओं की शुरुआती की। श्रम मंत्रालय की जारी विज्ञप्ति के अनुसार नई मोबाइल आधारित सेवाएं ईपीएफ अंशधारकों के लिये है। इनमें एक मोबाइल एप्प, एसएमएस आधारित सर्वव्यापी खाता संख्या को चालू करने तथा मिस्ड काल सेवा शामिल हैं। ( ज़ी मीडिया ब्‍यूरो ).

ईपीएफओ अब देगा छह लाख का बीमा कवर
श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बुधवार को यहां घोषणा की कि कर्मचारी डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (ईडीएलआई) योजना के तहत बीमा लाभ 3.6 लाख रुपए से बढ़ाकर 6.0 लाख रुपए कर दिया गया है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक के बाद दत्तात्रेय ने कहा, एक बड़े फैसले में सीबीटी ने ईडीएलआई योजना के तहत लाभ 3.6 लाख रुपए से बढ़ाकर 6.0 लाख रुपए कर दिया है। इससे चार करोड़ ईपीएफ सदस्य लाभान्वित होंगे।
      पिछले साल करीब 30,000 लाभार्थियों को 180 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। श्रममंत्री कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सीबीटी के अध्यक्ष हैं। सीबीटी ने इस शर्त को भी हटाने का निर्णय किया कि बीमा लाभ के लिए मौजूदा नियोक्ता के पास कर्मचारी को लगातार 12 महीने काम करना होगा। मंत्री ने कहा कि सीबीटी ने निर्माण कार्य के सभी कर्मचारियों को ईपीएफ योजना के अंतर्गत लाने और उन्हें सार्वभौमिक खाता संख्या (यूएएन) देने पर भी चर्चा की। एक सवाल के जवाब में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त केके जालान ने कहा कि ईपीएफओ ने दो सूचकांक संबद्ध स्टाक एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में 400 करोड़ रुपए निवेश किया है। इसमें से एक बंबई शेयर बाजार तथा दूसरा नेशनल स्टाक एक्सचेंज से जुड़ा है। अधिकारी ने कहा कि ईपीएफओ चालू वित्त वर्ष के अंत तक एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में 5,000 करोड़ रुपए निवेश की उम्मीद कर रहा है। (भाषा)

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