नन्दीग्राम में नरसंहार की भर्त्सना करते हुये पुलिस अभियान के औचित्य का सवाल उठाकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने घायलों और पीड़ितों के बीच जाकर उनके जख्म पर मरहम लगातेहुये कहा वे उनके साथ हैं। इससे पहले उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुये कहा कि यह उनका ख़ून सर्द कर देने वाली आतंकवार्ता थी नन्दीग्राम नरसंहार की ख़बर. नरसंहार के बाद हालांकि घटक दलों की बगावत , जनविद्रोह और वोट समीकरण बिगड़ने के डर से मुख्यमंत्री ने अपनी जिम्मेदारी कबूल कर ली। अलग सफयी भी पेश की। मगर लाख टके का सवाल यह है कि क्या यह नरसंहार रोका नहीं जा सकता था। इस सवाल के मंथन के लिए समयांतर के अप्रैल अंक में वरिष्ठ पत्रकार पलाश बिश्वाश ने काफी सामग्री दीं है। पश्चिम बंगाल के इन हालातों पर विस्तृत सामग्री प्रमुख हिंदी मासिक हंस के मार्च अंक में बंगाल में पोंगापंथ शीर्षक का लेख देखें. इस लिंक को भी देखें। www.hansmonthly.com/ -
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