Wednesday, 2 December 2009
जल्द अमीर बनने का ख्वाब भी टूटा !
दावे चाहे जितना करें मगर यह कड़वा सच है कि दुबई में छोटी-मोटी नौकरियों के सहारे गुजर-बसर कररहे भारतीय परिवारों पर तो संकट के बादल मंडराने लगे हैं। किसी बड़े आंकड़े के चक्कर में न पड़कर सिर्फ यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सामान्य लोग इससे कितने प्रभावित हो रहे हैं या होंगे । मेरी जानकारी में मेरे गांव के करीब दर्जनों ऐसे बेरोजगार लड़के कंप्यूटर की डिप्लोमा सिर्फ इसलिए ले रहे हैं कि उन्हें दुबई में रह रहे लोगों ने साथ ले जाने और नौकरी दिलाने को कहा है। अभी वे घोर निराशा में जी रहे हैं। जो नौकरियां दिलाने की बात कर रहे थे, अब वे ही मुश्किल में यातो फंस गए हैं या फिर फंसने वाले हैं। कम से कम निर्माणकार्य में लगे हजारों मजदूरों को तो बेहद धक्का पहुंचा है।
मेरठ के एक नौकरीपेशा भारतीय की नौकरीदुबई से एसएमएस भेजकर नौकरी खत्म किए जाने की कहानी तो सभी अखबारों में छप चुकी है।कुल मिलाकर दुबई संकट ने तमाम बरोजगारों के सपने भी तोड़ दिए हैं। एक तो बड़ी मुश्किल से दुबई जाने का मौका हाथ लगता है वह भी इस दुबई संकट ने छीन लिया। थोड़े दिनों में अमीर बन जाने का इनका भी सपना चनाचूर हो गया है। क्यों कि दुबई का आकर्षण शाहरूख खान से लेकर मामूली मजदूर तक को खांचकर यहां लाता है।
दुबई आज दुनिया की सर्वाधिक आकर्षक जगहों में से एक है। यह सारा श्रेय दुबई वर्ल्ड को जाता है। यानी दुबई में तेज़ी से हुई विकास के पीछे बहुत हद तक दुबई वर्ल्ड का ही हाथ है। अब विश्व की आर्थिक मंदी का ग्रहण इसपर भी लग गया है। संयुक्त अरब अमीरात में सात स्वयं-शासित अमीरात या राज्य हैं और दुबई उनमें से एक है। इसी दुबई की मुख्य निवेश कंपनी दुबई वर्ल्ड संकट में है। यह दुनिया को इस संकट का तब पता चला जब दुबई की यह सरकारी कंपनी दुबई वर्ल्ड ने अनुरोध किया कि जिन कंपनियों ने उसे कर्ज़ दिया है वो उसे छह महीने की अवधि और दें ताकि वो ऋण चुका सके। कंपनी को पांच करोड़ नब्बे लाख डॉलर का कर्ज़ चुकता करना है। दरअसल छह साल से तेज़ गति से विकास के बाद 2008 से वहाँ अर्थव्यवस्था डगमगाई है. इस कारण प्रॉपर्टी मार्केट में दाम गिरे हैं। विदेशी पैसे और बड़ी योजनाओं पर आधारित आर्थिक मॉडल अपनाने का खामियाज़ा दुबई को भुगतना पड़ रहा है।
दुबई वर्ल्ड के कर्ज़ अदायगी से संबंधित संकट के सार्वजनिक होने के बाद भारत समेत दुनिया भर के शेयर बाज़ार गिरे हैं। अनेक भारतीय जो दुबई में दशकों से काम करते रहे हैं, उनकी नौकरियाँ ख़तरे में आ गई हैं क्योंकि निवेश कंपनी दुबई वर्ल्ड कोई एक प्रतिष्ठान नहीं बल्कि पूँजी निवेश के हिसाब से उसका अनेक कंपनियों और प्रतिष्ठानों में दख़ल है।
दुबई संकट की मार वहां काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों पर पड़ने लगी है। दुबई से ईद की छुट्टी पर मेरठ और कोच्चि आए हुए साठ से ज्यादा लोगों को एसएमएस के जरिए बताया गया है कि वो काम पर वापस न लौटें। इनमें से ज्यादातर लोग दुबई के ढ़ांचा निर्माण क्षेत्र की अलग-अलग कंपनियों में टाइल बनाने वाली इकाई में काम करते थे। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने भी भरोसा दिलाया है कि दुबई वित्तीय संकट से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें नया कुछ नहीं है। मंदी की शुरूआत के समय से ही स्थिति खराब थी। उस वक्त करीब 1 लाख लोग देश वापस लौटे थे। लेकिन उनमें से ज्यादातर लोग वापस दुबई में काम के लिए चले गए हैं।
संकट और गहराएगा ?
भारत के वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने भरोसा दिलाया है कि भारत पर दुबई संकट का कोई असर नहीं पड़ेगा। संभव है ऐसा हो मगर दुबई सरकार के दुबई वर्ल्ड के कर्ज की गारंटी लेने से मना कर देने के बाद दुबई का संकट अब और गहराता नजर आ रहा है। दुबई सरकार ने कहा है कि वह दुबई वर्ल्ड को सशर्त मदद देगी। साथ ही उसने कर्जदाताओं से री-स्ट्रक्चरिंग के जरिए मसला सुलझाने को कहा है। सरकार इस कंपनी की मालिक है। लेकिन सरकार ने कंपनी की कोई गारंटी नहीं ली है। दुबई वर्ल्ड द्वारा लिए गए कर्ज की भी सरकार गारंटी नहीं ले रही है।
दुबई वल्र्ड के 80 अरब डॉलर के कर्ज में ज्यादातर गल्फ बैंकों की हिस्सेदारी है। इससे इन बैंकों के सामने भी समस्या खड़ी होने की बात से भी मना नहीं किया जा सकता। हालांकि यूएई के सेंट्रल बैंक ने भरोसा जताया है कि इन बैंकों पर आंच नहीं आने दी जाएगी। हालांकि सेंट्रल बैंक का यह बयान भी बाजार के दबाव को कम करने में असफल रहा।जिन कंपनियों के 26 अरब डॉलर की कर्ज़ अदायगी के बारे में बात हो रही है वे हैं - लिमिट्लेस और नाखील. इसमें छह अरब डॉलर के इस्लामी बॉंड भी हैं जिन पर इस्लामी क़ानून के हिसाब से ब्याज नहीं दिया जाता। फिलहाल दुबई वर्ल्ड ने अपना कर्ज़ नए सिरे दिए जाने की व्यवस्था करने पर बैंकों से बातचीत शुरु की है।यह घोषणा तब हुई है जब दुबई की सरकार ने स्पष्ट तौर पर दुबई वर्ल्ड के कर्ज़ की गारंटी लेने से इनकार कर दिया है.
दुबई को लेकर बॉलीवुड भी हुआ चिंतित
दुबई ऋण संकट ने बॉलीवुड निर्माताओं और वितरकों को भी चिंता में डाल दिया है। हिंदी फिल्मों के लिए पश्चिम एशिया बाजार में दुबई की अहम भूमिका रहती है।
बॉलीवुड की आगामी फिल्म 'पा', जिसमें अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन दिखाई देंगे, ने पहले ही अपने दुबई प्रीमियर को टाल दिया है, हालांकि फिल्म के सह-निर्माता, रिलायंस बिग पिक्चर्स ने इसके लिए साजो-सामान की किल्लत को जिम्मेवार बताया है।
फिल्म उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक विदेशी बाजार कई बॉलीवुड की नई रिलीज होने वाली फिल्मों, दे दना दन, रेडियो, रॉकेट सिंग, पा और 3 इडियट्स के कारोबार के लिए अहम है। विदेशी बाजारों में भी खाड़ी क्षेत्र हिंदी फिल्मों के लिए अहम बाजार बनता जा रहा है।
मुंबई के एक उद्योग विशेषज्ञ का कहना है, 'लगभग 50 करोड़ रुपये इन फिल्मों में विदेशी बाजारों से हासिल होने की उम्मीद है, क्योंकि अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इन फिल्मों की कलेक्शन का कम से कम 25 से 30 फीसदी हिस्सा यही से मिलेगा। निर्माताओं को लगभग विदेशी बाजारों से 50 करोड़ रुपये कमा पाने की उम्मीद है।'
हिंदी फिल्मों के वितरकों के मुताबिक दुबई के बाजार से बॉलीवुड फिल्मों के कुल विदेशी क्लेक्शन का लगभग 40 से 45 फीसदी हासिल होता है। किसी भी प्रमुख बॉलीवुड अभिनेता जैसे शाह रुख खान, आमिर खान, अमिताभ बच्चन या अक्षय कुमारकी कोई भी फिल्म विदेशी बाजारों में लगभग 35 से 40 फीसदी क्लेक्शन कर पाती है।
फिल्म निर्माता और वितरक कंपनी शेमारू फिल्म के निदेशक हीरेन गाडा का कहना है कि खाड़ी क्षेत्र, अमेरिका और ब्रिटेन से कुल मिलाकर किसी भी बॉलीवुड की फिल्म के लिए विदेशी कलेक्शन का 70 से 75 फीसदी हिस्सा हासिल होता है, जिसमें से पश्चिम एशिया हमेशा शीर्ष दो विदेशी बाजारों में शामिल होता है।
डागा बताते हैं, 'बॉलीवुड फिल्में दुबई की 40 से 50 स्क्रीनों पर काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। अक्षय कुमार की एक्शन फिल्म ब्लू हाल में ही खाड़ी बाजारों में बढ़िया कारोबार कर पाई है।' शेमारू के पास 'ब्लू' के अंतरराष्ट्रीय वितरण अधिकार हैं।
दुबई बाजार में बॉलीवुड फिल्मों के वितरक और एक फिल्म वितरक कंपनी अल-मनसूर की प्रवर्तक खुशी खटवानी का कहना है, 'रियल एस्टेट के लिए में कोई विशेषज्ञ नहीं हूं। लेकिन दुबई में बॉलीवुड बाजार पर क्या असर होगा, यह कह पाना जल्दबाजी होगा।' दुबई में फिल्म एवं वीडियो वितरण एजेंसी के साथ काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दुबई की विशेष जनसंख में लगभग 40 फीसदी भारतीय हैं।
रिलायंस बिग पिक्चर्स के अंतरराष्ट्रीय वितरण के प्रमुख जवाहर शर्मा मानते हैं, 'पिछले साल वित्तीय संकट के बावजूद अमेरिका में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को देखते हुए कह सकते हैं कि मंदी में भी लोग फिल्म पर खर्च कर रहे थे। लेकिन थिएटरों में फिल्म देखने जाने वालों की रफ्तार में कमी आई थी।'
दुबई वर्ल्ड में निवेश का ब्योरा दें बैंक : आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक दुबई वर्ल्ड में भारतीय बैंकों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश की विस्तृत जानकारी मांगेगा। उल्लेखनीय है कि दुबई सरकार के स्वामित्व वाली संकटग्रस्त होल्डिंग कंपनी दुबई वर्ल्ड ने अपना कर्ज चुकाने के लिए ऋणदाताओं से और अधिक समय देने की गुजारिश की है। आरबीआई ने हालांकि इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दुबई वर्ल्ड में इसका निवेश तकरीबन 928 करोड़ रुपये का है।
बैंक के एक अधिकारी ने कहा, 'इस राशि का भुगतान साल 2012 के बाद किया जाना है। कंपनी ब्याज का भुगतान कर रही है और कोई बकाया नहीं है। इसलिए हमें तात्कालिक तौर पर कोई चिंता नहीं है।' अधिकारी ने कहा कि यूनाइटेड अरब अमीरात में बैंक का कुल निवेश अनुमानत: 10,000 करोड रुपये का है जिसमें दुबई की हिस्सेदारी लगभग 4,000 करोड रुपये की है।
यद्यपि यूएई की रियल एस्टेट कंपनियों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निवेश लगभग 600 करोड़ रुपये का है लेकिन अधिकारी ने बताया कि इस ऋणदाता ने दुबई वर्ल्ड की रियल एस्टेट इकाई नखील को किसी प्रकार का कर्ज नहीं दिया है।
उल्लेखनीय है कि रियल एस्टेट की कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत तक की गिरावट आने से नखील को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड रहा है। दुबई वर्ल्ड में बैंक ऑफ बड़ौदा के निवेश की खबरों से निवेशकों की धारणाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा और बैंक के शेयर की कीमतों में बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 4.64 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसके शेयर 521.40 रुपये पर बंद हुए।
दुबई और यूएई में परिचालन कर रही कंपनियों में ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंकों (आईओबी) का भी निवेश है। भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर्स की दुबई इकाई में निवेश के बारे में आईओबी ने बताया कि इसका निवेश तकरीबन 70 करोड़ रुपये का है जबकि ऐक्सिस बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसका निवेश लगभग 46 करोड रुपये का है।
बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी ने कहा कि पश्चिम एशिया में बैंक की कोई शाखा नहीं है और इस क्षेत्र की रियल एस्टेट कंपनियों में इइसका कोई प्रत्यक्ष निवेश नहीं है। अधिकारी के अनुसार, इन कंपनियों में कुल निवेश लगभग 100 करोड रुपये का है, हालांकि उन्होंने कंपनियों के नाम नहीं बताए। उन्होंने कहा, 'ये सब निष्पादित परिसंपत्तियां हैं और हमें नहीं लगता कि पुनर्भुगतान में अधिक परेशानी होगी।'
रेमिटेंस नहीं होगा प्रभावित: चावला
वित्त मंत्रालय ने कहा कि रियल एस्टेट बाजार में आई मंदी से पैदा हुए वित्तीय संकट के चलते खाड़ी देश में भारतीयों द्वारा स्वदेश भेजा जाने वाला धन :रेमिटेंस: प्रभावित होने की संभावना नहीं है। वित्त सचिव अशोक चावला ने बताया, '' जब बड़ा संकट था उस दौरान भारतीयों द्वारा स्वदेश धन भेजने के रुख में कमी नहीं आई। इसलिए इस संकट का रोजगार, वेतन और रेमिटेंस पर असर पड़ने की संभावना नहीं है।''
यह भी देखें। लिंक पर क्लिक करें
दुबई की मार भारतीयों पर video
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को पड़े खाने के लाले
घर लौटे कर्ज़ का बोझ लेकर
दुबई की मार भारतीयों पर
Pranab plays down impact
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
दावे चाहे जितना करें मगर यह कड़वा सच है कि दुबई में छोटी-मोटी नौकरियों के सहारे गुजर-बसर कररहे भारतीय परिवारों पर तो संकट के बादल मंडराने लगे हैं। किसी बड़े आंकड़े के चक्कर में न पड़कर सिर्फ यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सामान्य लोग इससे कितने प्रभावित हो रहे हैं या होंगे । मेरी जानकारी में मेरे गांव के करीब दर्जनों ऐसे बेरोजगार लड़के कंप्यूटर की डिप्लोमा सिर्फ इसलिए ले रहे हैं कि उन्हें दुबई में रह रहे लोगों ने साथ ले जाने और नौकरी दिलाने को कहा है। अभी वे घोर निराशा में जी रहे हैं। जो नौकरियां दिलाने की बात कर रहे थे, अब वे ही मुश्किल में यातो फंस गए हैं या फिर फंसने वाले हैं। कम से कम निर्माणकार्य में लगे हजारों मजदूरों को तो बेहद धक्का पहुंचा है।...............all contents
copy and paste in my blog.
Now i am thef your every post in my blog.
Thanks to Mera Blog Surakshit hae
अच्छा विश्लेषण किया है.
दुबई वर्ल्ड संकट नें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों समीकरणों को डगमगा दिया है-आगे देखिये क्या होता है.
ज्ञानवर्धक लेख, आभार
Post a Comment