मई २०११ में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर। पढ़िए दूसरी कड़ी। ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह |
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चुनाव या खूनी जंग
पश्चिम बंगाल में चुनावी संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि इस बार का पश्चिम बंगाल चुनाव खून खराबे का हर रिकार्ड तोड़ देगा। लालगढ़ में हर्मद वाहिनी के मुद्दे पर जो वाकयुद्ध ममता बनर्जी और बुद्धदेव भट्टाचार्य में चल रहा है वह अब खून कराबे की शक्ल अख्तियार करने लगा है। ममता ने आरोप लगाया है कि जो यूथवाहिनी लालगढ़ में तैनात की गई है दरअसल में वह हथियारबंद माकपा कैडर हैं। ऐसे लोगों को ममता हर्मदवाहिनी कहती हैं। माकपा ने इस शब्द पर कड़ा प्रतिवाद किया है। इसी आशय की मुख्यमंत्री बुद्धदेव को लिखी गई चिट्ठी ने तो पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया है। अब उसके आगे ममता के लोग लालगढ़ में हर्मदवाहिनी के सबूत पुख्ता कर रहे हैं और साबित करने में तुले हैं कि खूनखराबा यही हर्मदवाहिनी के लोग करके इलाका दखल कर रहे हैं। इलाका दखल की इसी लड़ाई ने सिंगुर, नंदीग्राम की जंग को अंजाम दिया था। छोटा अंगुरियाकांड भी शायद आप नहीं भूले होंगे जिसमें एक घर में सभा कर रहे तृणमूल के लोगों को घर समेत विस्फोट करके उड़ा दिया गया था और आरोप माकपा पर लगा था।
ठीक वैसी ही घटना आज लालगढ़ में घटी। एक घर में जुटे माकपा कार्यकर्ताओं को जब लोगों ने घेरा तो भीतर बैठे माकपा के लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी जिसमें पांच लोग मारे गए और २० लोग जख्मी होगए हैं। पांच और की हालत नाजुक है। इस घटना के बाद से पश्चिम बंगाल में बंद की अफवाह फैली हुई है। लोग बदले की कार्रवाई में और खूनखराबा होने की आशंका से सहमें हुए हैं। जब कि अभी चुनाव में चार महीने बाकी हैं। बहरहाल भाषा समाचार एजंसी की वह खबर पढ़िए जिसने फिर लालागढ़ समेत बंगाल में भय का माहौल पैदा कर दिया है।
अंधाधुंध फायरिंग में मारे गए
पश्चिम मिदनापुर के लालगढ़ क्षेत्र में एक महिला समेत पांच लोग तब मारे गए, जब गांववालों ने माकपा कार्यकर्ताओं के द्वारा एक घर का इस्तेमाल होने के संदेह में उसका घेराव किया, इसी दौरान घर के भीतर से गोली बरसाई गई। इस घटना में 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने प्रेट्र को बताया कि पांच लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग तब घायल हो गए, जब लालगढ़ पुलिस थाना क्षेत्र के बेलाटिकरी ग्राम पंचायत के नेताई गांव में एक घर के अंदर से गोलीबारी होने लगी। उन्होंने कहा मृतकों में एक महिला भी शामिल है। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया जहां पांच की हालत नाजुक बनी हुई है।
मृतकों की शिनाख्त फूलकुमारी , सौरभ घोराई, श्यामनंदा घोरोई, कबलू पात्र और धिरेन सेन के तौर पर की गई है। यह पूछे जाने पर कि उस घर को माकपा के सशस्त्र कैंप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था, उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग इसकी जांच कर रहे हैं।’’ इस संबंध में जब लालगढ़ माकपा के नेता चांदी किरण से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी एक निजी दौरे पर पश्चिम मेदिनीपुर में हूं, इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकता।’’ ( कोलकाता, ७ जनवरी - भाषा )
2 comments:
न जाने क्या क्या देखना है अभी।
रूह कंपा देने वाली सर्द खबर.
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