Thursday, 21 June 2007
उम्रदराज को ही मिलती है ऊंची कुर्सी !
देश की करीब आधी आबादी भले ही 25 वर्ष से कम उम्र के लोगों की हो, मगर यह बात तय है कि इस बार भी भारत का नया राष्ट्रपति अन्य देशों के शीर्ष पद पर बैठे नेताओं की तुलना में काफी उम्रदराज होगा। भारत के शासनाध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी 74 साल के हैं। राष्ट्रपति पद की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल जहां 72 वसंत देख चुकी हैं वहीं भैरों सिंह शेखावत 83 साल के हैं जिन्हें समर्थन देने का एलान राजग ने किया है। तीसरे मोर्चे ने मौजूदा राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को समर्थन देने की घोषणा की है। कलाम भी इस समय 75 वर्ष के हैं। भारतीय राजनीति में उम्र कभी बड़ा मुद्दा नहीं रहा, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस सरीखे देशों पर नजर डालें तो अपेक्षाकृत युवा तस्वीर उभरती दिखती है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अभी 54 साल के हैं। रूस की बागडोर संभालते समय उनकी उम्र थी सिर्फ 47 साल। फ्रांस में हालिया चुनावों में समाजवादी उम्मीदवार सेगोलीन रोयाल को शिकस्त देकर राष्ट्रपति बने दक्षिणपंथी निकोलस सारकोजी अभी महज 52 साल के हैं। रोयाल भी इस साल 22 सितंबर को 54 वर्ष की ही होंगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर जहां 53 वर्ष के हैं, वहीं आगामी दिनों में उनकी जगह लेने वाले गार्डन ब्राउन 56 वर्ष के ही हैं। ब्लेयर 1997 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने तो उनकी उम्र थी महज 44 साल। जर्मनी की पहली महिला चांसलर एंजेला डी मर्केल इस वर्ष 17 जुलाई को महज 53 वर्ष की होंगी, जबकि वहां के राष्ट्रपति हर्स्ट कोहलर ने 64 वसंत देखे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश भले ही 61 साल के हैं लेकिन वर्ष 2008 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों की होड़ में आगे बताई जा रहीं रिपब्लिकन हिलेरी क्लिंटन 59 वर्ष की ही हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइस इनासियो लुला डी सिल्वा 61 वर्ष के हैं तो पड़ोसी पाकिस्तान में सेना की वर्दी में राष्ट्रपति पद पर बैठे परवेज मुशर्रफ भारतीय शीर्ष नेताओं से अधिक चुस्त नजर आते हैं। आगामी 20 अगस्त को वह 64 साल के होंगे। जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और नेतृत्व क्षमता के लिए वर्ष 2006 के प्रतिष्ठित मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में बुजुर्ग नेताओं के दबदबे को चुनाव प्रक्रिया, सत्ता को कब्जे में रखने के स्वार्थ और सामाजिक संरचना से जोड़ कर देखते हैं। कश्यप ने कहा कि भारत का सामाजिक ढांचा ही ऐसा है कि अगर 50 साल में कोई राष्ट्रपति हो गया तो 55 साल की उम्र में उसके लिए करने को क्या होगा। कोई पूर्व राष्ट्रपति किसी विश्वविद्यालय में पढ़ाता दिखे तो लोगों को कुछ अटपटा सा लगेगा जबकि विदेश में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में राजनीतिक दलों की भी भूमिका है। उनका ढांचा ही ऐसा है कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में उभरने तक उम्मीदवार की काफी उम्र हो चुकी होती है। केजरीवाल ने कहा कि उम्र के सवाल पर गौर करते समय देखना होगा कि चुनाव की प्रक्रिया कैसी है। राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता नहीं करती है लिहाजा कोई उससे पूछ भी नहीं रहा है कि उसका इस बारे में क्या सोचना है। केजरीवाल ने कहा कि शीर्ष राजनीतिक पदों के बारे में उम्र एक कारक तो है ही। दरअसल विभिन्न राजनीतिक दलों में बुजुर्ग नेताओं ने अपना दबदबा कायम कर रखा है। वे नहीं चाहते कि युवा नेतृत्व उभरे। भारत के राष्ट्रपति पद पर सबसे कम उम्र 64 वर्ष में नीलम संजीव रेड्डी पहुंचे थे। पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और ज्ञानी जैल सिंह दोनों ही 66 वर्ष में शीर्ष पद पर पहुंचे। इस पद पर सर्वाधिक उम्र में आर वेंकटरमण और के आर नारायणन आए थे। वीवी गिरि 75 साल सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शंकर दयाल शर्मा , कलाम 71 साल, जाकिर हुसैन 70, फखरुद्दीन अली अहमद 69 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने।
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1 comment:
good blog
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