Tuesday, 28 June 2011

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मजीठिया बोर्ड का समर्थन किया


कोलकाता में मंगलवार को राईटर्स बिल्डिंग में प्रेस ट्रस्ट यूनियन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्रकारों व गैरपत्रकारों के मजीठिया वेतनमान की सिफारिशों को लागू करने के संदर्भ में फौरन अधिसूचना जारी करने की मांग का ग्यापन सौंपा।   
ममता बनर्जी ने पत्रकारों से कहा - बीते दिनों में भी मैं आपके संघर्षों में साथ रही हूं और आगे भी रहूंगी..........
   पत्रकारों व गैर पत्रकारों के लिए नए वेतनमान दिए जाने की सिफारिशों का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समर्थन किया है। उन्होंने आज राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग में उनसे मिलने गए अखबार कर्मियों और समाचार एजंसी के लोगों को कहा कि मैं मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के कार्यान्वयन के पक्ष में हूं। मुख्यमंत्री को इस बाबत कान्फेडेरेशन आफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजंसी इंप्लाइज आर्गेनाईजेशन की ओर से एक ज्ञापन भी दिया गया। मुख्यमंत्री से मिलने वालों में पीटीआई वर्कर्स यूनियन के लोग भी शामिल थे। ममता ने पत्रकारों से कहा कि बीते दिनों में भी मैं आपके संघर्षों में साथ रही हूं और आगे भी रहूंगी। ममता ने अखबारी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान ही केंद्रीय सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री सीएम जटुआ को फोन लगाया और उनसे वेतनमान की ताजा स्थिति की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने ज्ञापन लेने के बाद पत्रकारों से कहा कि मैं इस बाबत केंद्र से बात करूंगी। मुख्यमंत्री के अलावा यही ज्ञापन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन को भी सौंपा गया है।

 सिफारिशें जल्द अधिसूचित करने के लिए देशभर में धरने

मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशें जल्द अधिसूचित करने के लिए पत्रकारों और गैर-पत्रकारों की मांग को मंगलवार को राजनीतिक दलों से भी समर्थन मिला। विभिन्न दलों के नेताओं ने संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे को उठाने का वादा किया। माकपा, भाकपा और जद (एकी)के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर हिचकिचा रही है क्योंकि वह पत्रकारों की बजाए कॉरपोरेट घरानों के हितों के लिए काम करना चाहती है। कन्फेडरेशन आफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजंसी एंप्लॉइज आर्गेनाइजेशन्स के तत्वावधान में जंतर मंतर पर पत्रकारों और गैर-पत्रकारों ने धरना दिया। इसमें कान्फेडरेशन से संबद्ध संगठन फेडरेशन आफ पीटीआई एम्प्लॉयज यूनियन, यूएनआई वर्कर्स यूनियन, आल इंडिया न्यूजपेपर एम्प्लॉयज फेडरेशन, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन और नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (आई) के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। नई दिल्ली में पत्रकारों और गैर-पत्रकारों ने अपनी मांगों को लेकर दिन भर का धरना दिया। इस मुद्दे पर प्रदेशों की राजधानियों और कई शहरों में भी अखबारी कर्मचारियों ने धरने दिए।

धरने के दौरान माकपा के तपन सेन और नीलोत्पल बसु ने कहा कि उनकी पार्टी संसद के अंदर और संसद के बाहर यह मुद्दा उठाएगी। दोनों नेताओं ने कहा कि वे इस अभियान को अपना पूरा समर्थन देंगे। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने सरकार पर कॉरपोरेट जगत के हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से हिचक रही है। राजा ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुश्किल दौर में प्रदर्शनकारियों के साथ है। जद (एकी) प्रमुख शरद यादव ने आरोप लगाया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की सरकार की कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है। उन्होंने कहा हम यह बात संसद में उठाएंगे और सरकार से सवाल करेंगे कि आखिर वह क्यों अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं कर रही है।

सिफारिशें जल्द लागू करने की मांग करते हुए कन्फेडरेशन आफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजंसी एंप्लॉइज आर्गेनाइजेशन्स के महासचिव एमएस यादव ने सरकार को आगाह किया कि अगर पत्रकारों और गैर-पत्रकारों की मांगों को जल्द नहीं माना गया तो विरोध प्रदर्शन को तेज किया जाएगा। मजीठिया वेतनबोर्ड ने पत्रकारों और गैर.पत्रकारों के वेतनमान में संशोधन के संबंध में अपनी सिफारिशें सरकार को 31 दिसंबर 2010 को सौंप दी थीं। लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी इसे अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है।

उधर लखनऊ में सैकडों पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मियों ने प्रदर्शन किया और सिफारिशों को फौरन लागू करने की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। धरने में शामिल मीडिया कर्मी अपने हाथों में ’ मंहगाई की मार है वेज बोर्ड की दरकार है’ लिखी तख्तियां लिए थे। खराब मौसम और बारिश के बावजूद धरने में सैकड़ो की संख्या में पत्रकार शामिल हुए और जिला प्रशासन के जरिये भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबोधित ज्ञापन सौपा ,जिसमें वेजबोर्ड की सिफारिशों को फौरन अधिसूचित करने की मांग की गई है। धरने को विधानपरिषद में प्रतिपक्ष के नेता अहमद हसन ने भी संबोधित किया और समाचारकर्मियों के वेतनमान में संशोधन में हो रही देरी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। हसन ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव वेतन बोर्ड की सिफारिशों को तुरंत लागू करने के लिए न सिर्फ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर अनुरोध करेंगे बल्कि संसद में भी इस मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाया जाएगा। आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रमराव ने अफसोस और आक्रोश जताते हुए कहा कि देश में केवल समाचार पत्रों में ही आज भी 1996 का वेतनमान लागू है, जबकि सरकारी एवं गैर सरकारी तमाम संगठनों में उसके बाद से कई बार वेतन पुनरीक्षण हो चुका है और केंद्र की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार समाचार पत्रों के मालिकों के दबाव में सिफारिशें लागू नहीं कर रही है। समाचारपत्र कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के माध्यम से भी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी को संबोधित ज्ञापन भिजवाया है।

पटना में आर ब्लाक चौराहे के पास पत्रकार संगठनों ने धरना दिया। इस मौके पर बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष कमलेश कुमार और महासचिव अरुण कुमार ने जस्टिस मजीठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को लेकर किए जा रहे इस दुष्प्रचार को गलत बताया कि बोर्ड की अनुशंसाओं को लागू किए जाने से कई अखबार बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस समय कई अखबारों की राजस्व वृद्धि सौ फीसद से ज्यादा है। धरने के बाद पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री आवास और राजभवन जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल देवानंद कुंवर को ज्ञापन सौंपा।

राजस्थान में जयपुर, बीकानेर, हनुमागढ़, चूरू, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर समेत कई जिला मुख्यालयों पर समाचार पत्र उद्योग के कर्मचारियों के अलावा राजनीतिक दलों ने भी मांग के समर्थन में धरना दिया।

चेन्नई में 150 से ज्यादा पत्रकारों और गैर-पत्रकारों ने प्रदर्शन किया। जिलाधीश कार्यालय के सामने किए गए इस प्रदर्शन में समाचारपत्रों के अलावा दो संवाद समितियों, पीटीआई और यूएनआई के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस आंदोलन का नेतृत्व हिंदू के कर्मचारियों और नेशनल प्रेस वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष ई गोपाल ने किया। तिरुवनंतपुरम में यूपीए सरकार पर मीडियाकर्मियों को आंदोलन करने के लिए ‘मजबूर’ करने का आरोप लगाते हुए माकपा नेता वीएस अच्युतानंदन ने वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को तुरंत अधिसूचित करने के मामले में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि अखबार और संवाद समितियों के पत्रकारों और गैरपत्रकारों के वेतन संशोधन में देरी को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यही वह एकमात्र क्षेत्र है जहां लंबे समय से वेतन स्थिर बने हुए हैं।

भोपाल में धरने में शामिल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री एवं प्रवक्ता मानक अग्रवाल एवं सैय्यद साजिद अली, जनवादी लेखक संघ के नेता रामप्रकाश और मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ अध्यक्ष शलभ भदौरिया ने कहा कि पिछले दस-बारह साल में महंगाई ने आसमान छू लिया है और सरकारी एवं निजी संस्थानों के कर्मचारियों के वेतनमान कई बार संशोधित हो चुके हैं लेकिन पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों को अब भी पुराना वेतनमान ही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में अखबारों का ‘टर्नओवर’ और मुनाफा कई करोड़ बढ़ा है, लेकिन अखबार मालिक इस वेतनबोर्ड के खिलाफ दुष्प्रचार कर अपने कर्मचारियों को बेहतर जीवन जीने का अवसर छीनना चाहते हैं।

   कर्नाटक की राजधानी बंगलूर में आयोजित धरने में कर्नाटक श्रमजीवी पत्रकार संगठन, बंगलूर अखबार पत्रकार संगठन, कर्नाटक पत्रकार परिसंघ, फेडरेशन आॅफ पीटीआई एंपलाइज यूनियन और यूएनआई वर्कर्स यूनियन ने भी हिस्सा लिया। गोवा की राजधानी पणजी में गोवा पत्रकार संगठन (जीयूजे) और अखबार एवं समाचार एजंसी कर्मचारी संगठन परिसंघ की अगुवाई में आजाद मैदान में धरना दिया गया। वेतनबोर्ड के प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए राज्यपाल एसएस सिद्धू, मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, मुख्य सचिव संजय श्रीवास्तव और श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपे गए। जीयूजे के अध्यक्ष पांडुरंग गावंकर ने कहा कि केंद्र जानबूझकर वेतनबोर्ड की सिफारिशों को लागू करने में देर कर रहा है। ( साभार - जनसत्ता संवाददाता और एजंसियां )।

Monday, 20 June 2011

आखिर कब तक टोटकों से होते रहेंगे लोगों के इलाज ?

चिकित्सा विग्यान के इतनी प्रगति के बावजूद भारत में अंधविश्वास से रोगों का इलाज बदस्तूर जारी है। कहीं झाड़फूंक तो कहीं टोनेटोटके लोगों के लिए दवाओं से ज्यादा कारगर लगते हैं। यह शायद इसलिए भी क्यों कि मंहगी चिकित्सा व उपयुक्त डाक्टर आम लोगों को अभी भी इस देश के लोगों को उपलब्ध नहीं हैं। देश के अनेक हिस्से में दैविक इलाज को आज भी रामबाण मानने को लोग मजबूर हैं। पश्चिम बंगाल में कई महिलाओं को डायन बताकर मारा जा चुका है। इन डायन के बारें में भ्रांति है कि इसके जादू टोने से की लोग अकाल मौत के शिकार हो जाते हैं। पूरे भारत खास तौर से उत्तर भारत में भूतप्रेत भगाने वाले ओझे कुख्यात हैं। धार्मिक इलाज व चमत्कार के धनी साईं बाबा को तो सभी जानते हैं। बीरभूम के बेली का धर्मराज मंदिर भी इसी तरह का स्थल है जहां की रोगों के इलाज के लिए श्रद्धालु जुटते हैं। चित्र में देखिए इलाज के लिए जुटे लोगों की भीड़।


  

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में १९ जून रविवार को अषाढ़ के पहले दिन बारिश और कीचड़ में एक बीमार को इसलिए लाया गया है क्यों कि ऐसी मान्यता है कि इस धार्मिक उपचार से लोगों के असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। नीचे के चित्र में एक शख्श को उसकी पत्नी व मां कीचड़ पोत रही है। ऐसा बीरभूम जिले के बेलिया के धर्मराज मंदिर में सार्वजनिक तौर पर किया जाता है। दूसरे चित्र में महिलाएं इसी मंदिर में कीचड़ का उपयोग जोड़ों व हड्डी के दर्द से निवारण के लिए के लिए कर रही हैं। संभव है इस टोटके से इनको कुछ राहत मिलती हो मगर क्या इन रोगों का इलाज दवाओं से संभव नहीं ? संभव है और यह इन्हें भी पता है मगर बिना खर्च के इस इलाज को अपनाने में ये लोग कोई हर्ज नहीं समझते। जागरूकता की कमी और मंहगे होते डाक्टर व इलाज भी शायद इसके लिए दोषी है।

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