Monday, 3 February 2014

15 दिन के भीतर पीएफ, ग्रैच्यूटी, बोनस, पेंशन को लेकर बड़े ऐलान

आम आदमी को यूपीए देगी चुनावी तोहफे

     यूपीए सरकार इलेक्शन मोड में आ गई है। अगले दो हफ्ते में वह कई सौगातों का ऐलान करेगी। इनमें से कुछ की घोषणा तो बुधवार तक ही हो सकती है। इनमें नया मिनिमम वेज, अश्युर्ड मिनिमम पेंशन और ग्रैच्यूटी, प्रॉविडेंट फंड (पीएफ), बोनस और हेल्थकेयर जैसे एंप्लॉयमेंट बेनेफिट के लिए हायर सैलरी लिमिट शामिल हो सकते हैं।

केंद्र सरकार पिछले कई साल से इनमें से ज्यादातर को टालती आ रही है। इससे पिछले साल मजदूर यूनियनों को देशव्यापी हड़ताल करनी पड़ी थी। अब सरकार इन्हें लागू करने की जल्दी में है। वजह यह है कि कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और सरकार चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले वर्किंग क्लास के लिए पैकेज लाना चाहती है।

5 फरवरी को एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड की मीटिंग बुलाई गई है। इसमें लेबर मिनिस्टर ऑस्कर फर्नांडिस 8.87 करोड़ ईपीएफ एकाउंट होल्डर्स के लिए 1,000 रुपये मंथली की न्यूनतम पेंशन की घोषणा कर सकते हैं। मैंडेटरी पीएफ कंट्रिब्यूशन के लिए मंथली वेज लिमिट को भी 6,500 से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया जा सकता है। इससे लोगों के रिटायरमेंट फंड में ज्यादा पैसे जमा होंगे। पहले फाइनेंस मिनिस्ट्री इन दोनों का विरोध कर रही थी। हालांकि 21 जनवरी को उसने लेबर मिनिस्ट्री को भेजे लेटर में इन पर हामी भर दी है।

ग्रैच्यूटी कंट्रिब्यूशंस के लिए भी सैलरी लिमिट को बढ़ाकर 15,000 रुपये महीने किया जा सकता है। इसमें आखिरी बार 2001 में बदलाव किया गया था। फर्नांडिस ने एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन या ईएसआईसी के मेंबर्स को भी बुलाया है। यह संस्था मेडिकल केयर और अन-एंप्लॉयमेंट इंश्योरेंस बेनेफिट्स देती है। इसके साथ उनकी मीटिंग फरवरी के दूसरे हफ्ते में होगी। वह ईएसआईसी बेनेफिट्स के लिए सैलरी लिमिट को 15,000 रुपये मंथली से बढ़ाकर 25,000 रुपये मंथली करना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इसके लिए कंपनियां मान जाएंगी। इससे ईएसआईसी के दायरे में और 50 लाख एंप्लॉयीज आ जाएंगे। अभी इसके तहत 1.7 करोड़ लोगों को कवर मिला हुआ है।

एंप्लॉयर्स का कहना है कि जो लोग महीने में 15,000 से 25,000 रुपये कमा रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार की ओर से इन-एफिशिएंट हेल्थकेयर देने का क्या तुक है? उनका कहना है कि इससे एंप्लॉयीज की टेक होम सैलरी में 6.5 पर्सेंट तक की कमी आ सकती है। 2013-14 में ईपीएफओ बोर्ड पहली बार 15 दिन पहले मिला था। वहीं ईएसआईसी की बैठक 28 जनवरी को हुई थी। फर्नांडिस से पहले सीस राम ओला लेबर मिनिस्टर थे और दिसंबर 2013 में उनका निधन हो गया था। इस वजह से ईपीएफओ बोर्ड की मीटिंग नहीं हो पाई थी।
(saabhar-  ईटी | Feb 3, 2014, विकास धूत, नई दिल्ली )

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

चुनावी साल में सब कुछ संभव है ..

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