अखबारों व समाचार एजंसियों के पत्रकारों व गैर पत्रकारों को ३० प्रतिशत अंतरिम राहत को न्यायमूर्ति के. नारायण कुरूप की अगुवाई वाले वेजबोर्ड ने मंजूरी दे दी है। न्याय मूर्ति कुरूप की अध्यक्षता में शनिवार २८ जून को हुई बैठक यह फैसला काफी जद्दोजहद के बाद आमराय से नहीं बल्कि मतदान के जरिए हुआ। इस संस्तुति के मुताबिक मूल वेतन का ३० प्रतिशत अंतरिम राहत के तौर पर दिया जाएगा जो ८ जनवरी २००८ से लागू माना जाएगा। अब इसे केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय को सौंपा जाएगा। मतदान में कर्मचारियों के प्रतिनिधियों और स्वतंत्र सदस्यों ने ३० प्रतिशत अंतरिम दिए जाने के पक्ष में मत दिया। एक प्रतिनिधि बैठक से नदारद था।
जो संस्तुति वेजबोर्ड ने दी है उससे भी ट्रेड यूनियन नेता खुश नहीं हैं। ट्रेड यूनियन नेताओं ने इसमें और वृद्धि किए जाने की मांग करते हुए ३० प्रतिशत अंतरिम दिए जाने को अपेक्षा से कम बताया है। ट्रेडयूनियन नेता एमएस यादव और सुरेश अखौरी की दलील है मंहगाई ११.४२ प्रतिशत पर पहुंच चुकी है और इससे पत्रकार व गैर पत्रकार भी परेशान हैं। अंतरिम में वृद्धि के लिए ट्रेड यूनियन कंफेडरेशन के नेता जल्द ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, केंद्रीय श्रममंत्री आस्कर फर्नांडीज और वामपंथी नेताओं से मिलेंगे। नेताओं ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय बछावत वेतन बोर्ड ने ७.५ प्रतिशत अंतरिम के मंजूरी दी थी जिसे बढ़ाकर १५ प्रतिशत किया गया था। इसी तरह मणिसाना बोर्ड ने २० प्रतिशत अंतरिम की मंजूरी दी थी जिसमें १०० रुपए अतिरिक्त जोड़ा गया। इसी आधार और बढ़ती मंहगाई के मद्देनजर अंतरिम में वृद्धि की मांग की गई है।
ट्रेड यूनियन कंफेडरेशन में इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन, आल इंडिया न्यूजपेपर इंप्लाइज फेडरेशन, नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (आई), दी फेडरेशन आफ पीटीआई इंप्लाइज यूनियन और यूएनआई वर्कर्स यूनियन शामिल हैं।
(स्रोत-पीटीआई व हिंदू समाचार पत्र से साभार)
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