मधुमेह या डायबिटीज का एक प्रभाव ऐसा भी है जिस पर अमूमन खुलकर चर्चा कम ही होती है। मधुमेह पर होने वाली कई गोष्ठियों में भी विशेषग्य अक्सर इस विषय ( सेक्स प्रभाव ) को छोड़ देते हैं। सच यह है कि असुविधाजनक चर्चा मानकर छोड़ दिए जाने से इस गंभीर नुक्सान के प्रति जागरूकता लाने का एक महत्वपूर्ण पहलू छूट जाता है। विशेषग्यों का मानना है कि मधुमेहग्रस्त स्त्रियों और पुरुषों में सेक्स संबंधी ऐसी शिथिलता आ जाती है जिसके कारण इच्छा होते हुए भी ऐसे मरीज सेक्स के प्रति अक्षम हो जाते हैं। अंग शिथिल पड़ जाते हैं । महिलाओं में योनि की तंत्रिकाओं व उसकी कोशिकाओं को इतना नुकसान पहुंचता है जिससे संसर्ग के वक्त होने वाला द्रव्य प्रवाह रुक जाता है। योनि मार्ग सूख जाता है जिससे संसर्ग काफी तकलीफदेह हो जाता है। नतीजे में मधुमेह के मरीजों में कामेच्छा ही मर जाती है। एक अध्ययन के मुताबिक लगभग ४० प्रतिशत मधुमेह पीड़ित महिलाओं में या कामेच्छा ही मर जाती है या सेक्स के प्रति उनकी रुचि ही खत्म हो जाती है। कोई कामोत्तेजना न होने या सेक्स की अक्षमता के कारण यौनांगों में कोई कामोत्मुक प्रतिक्रिया नहीं होती। कहने का अर्थ यह है कि ऐसा महिला मरीजों का पूरा सेक्स जीवन ही नष्ट हो जाता है।
इसी तरह पुरुषों में भी मधुमेह के कारण तंत्रिकाएं और रक्तवाहिनियां प्रभावित होती हैं। इस कारण वह नपुंशकता का शिकार हो जाता है। मधुमेह पुरुषों के शिश्न समेत पूरे शरीर के तंत्रिका तंत्र को नष्ट कर देता है। एक बार जब तंत्रिकाएं नष्ट हो जाती हैं तो वह बिल्कुल क्रियाशील नहीं रह जाती हैं। संपर्क या संसर्ग के वक्त इसी कारण पुरुषों को कोई उत्तेजना नहीं होती। सामान्य अर्थों में इसे यह कहा जा सकता है कि मन में उठी कामोत्तेजना शिश्न ( लिंग ) तक नहीं पहुंच पाती। मन उत्तेजित हो जाता है मगर यौनांग बेजान पड़े रहते हैं क्यों कि उनतक कामोत्तेजना को पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं की क्रियाशीलता मधुमेह के कारण नष्ट हो चुकी रहती है। नपुंशकता की इस अवस्था में लगभग असहाय हो जाता है मधुमेह का मरीज। क्यों कि लिंग में वह तनाव या कड़ापन नही आ पाता जो सेक्स क्रिया को पूरा करने के लिए जरूरी होता है। यानी दो मुख्य घटनाएं होती हैं। पहला यह कि संवेदनाओं या कामेच्छा की सूचना यौनांगों तक नहीं पहुंच पाती और दूसरा यह कि रक्त कोशिकाओं में दोष के कारण लिंग में तनाव नहीं आता। स्त्रियों और पुरुषों में सेक्स की यह अधोगति तब आती है जब वे मधुमेह को नियंत्रित नहीं रख पाते। अगर मधुमेह पर कारगर नियंत्रण हो तो सेक्स संबंधी इन विकारों से बचा जा सकता है।
अब आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे या किन रसायनों के कारण मधुमेह के मरीज नपुंशकता के शिकार हो जाते हैं। दरअसल जब मधुमेह को मरीज नियत्रित नहीं रख पाता है तो शरीर में सेक्स व अन्य क्रियाओं को संपन्न कराने वाले महत्वपूर्ण रसायन नाइट्रिक आक्साइड की कमी हो जाती है। इसके अभाव में शिश्न या लिंग में रक्त का दबाव नहीं बन पाता है। इस कारण सेक्स का कार्य करने के लायक बनाने वाला लिंग में भरने वाला खून बाहर निकल जाता है। जबकि उसे लिंग में रुकना चाहिए। इब रक्त का दबाव नहीं बनने से लिंग शिथिल पड़ा रह जाता है। यानी मधुमेह के मरीज में नाइट्रिक आक्साइड की कमी से रक्तवाहिनियां काफी संकरी और कड़ी हो जाती हैं। उनमें लचीलीपन कम हो जाता है। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। हृदयजनित बीमारियां भी इसी के कारण पैदा होती हैं। जब एथेरोस्क्लेरोसिस से वह धमनियां प्रभावित होती हैं जो लिंग में रक्त प्रवाहित करती हैं तो जाहिर तौरपर लिंग में बहुत कम रक्त जा पाता है नतीजे में शिश्न शिथिल ही पड़ा रह जाता है। जो सेक्स क्रिया के अयोग्य होता है। अगर मधुमेह को काबू में रखा जाए तो यह सब कुछ रोका या कम किया जा सकता है।
सेक्स क्षमता बनाए रखने के कुछ सुझाव
मधुमेह पीड़ित स्त्री व पुरुष इन विकारों को रोक सकते हैं। बस आप निम्न कुछ बातों को ध्यान में रखिए।
१- बेहिचक अपने चिकित्क से इस संबंझ में बात करिए। जब आप अपने डाक्टर से बात करेंगे तो कोई शर्म मत महसूस करिए क्यों कि आप जो बात डाक्टर को बता रहे हैं वह उसे पता है। वह जानता है कि मधुमेह के मरीज को यह परेशानी भी होती है। आप जैसे ही बात शुरू करेंगे उसकी भी आपके प्रति झिझक खत्म हो जाएगी। आपका डाक्टर बातचीत से ही तय कर पाएगा कि आपको यह समस्या क्यों है? यह मधुमेह से है या किसी अन्य कारण से ?
२- ब्लड सुगर को नियंत्रित रखिए। अगर लगातार ऐसा रखेंगे तो तंत्रिकाओं व रक्तवाहिनियों में वह गड़बड़ी नहीं आएगी जो सेक्स क्षमता को प्रभावित करती है।
३- मधुमेह के मरीज तंबाकू सेवन और धूम्रपान से बचें। धूम्रपान तो रक्त में नाइट्रिक आक्साइड के स्तर को घटा देता है। जो रक्तवाहिनियों को संकरा बनाकर उनमें रक्त प्रवाह को कम या बंद कर देता है।
४- अधिक शराब पीनें से बचें। यह मधुमेह पीड़ितों में सेक्स क्षमता को घटाता है और रक्तवाहिनियों को नुक्सान पहुंचाता है। अगर पीना जरूरी है तो पुरुष एक दिन में दो पैग और महिलाएं एक से ज्यादा न लें।
इन सब के पीछे सिर्फ यह एहतियात होनी चाहिए कि मधुमेहपीड़ित तंत्रिकाओं और रक्तवाहिनियों को नष्ट होने से बचाएं। और ऐसा सिर्फ जागरूक रहकर ही किया जा सकता है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और सुगर को कभी बढ़ने नहीं दें।
साभार-- मेलाबिकडाटकाम
1 comment:
सार्थक जानकारी भरा लेख, किसी भी रोग से लडने के लिये व्यक्ति में अत्मविश्वास होना चाहिये तो वह बच सकता है। अत्मसयमित जीवन सबसे सरल उपाय है।
Post a Comment