Friday, 14 November 2008

तसलीमा पर फिर भारत छोड़ने का दबाव

नई दिल्ली। बांग्लादेश की निर्वासित एवं विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन पर एक बार फिर भारत छोड़कर जाने का दबाव पड़ रहा है। इस साल आठ अगस्त को भारत लौटी तसलीमा ने कहा कि उन्हें सरकार के आदेश की वजह से 15 अक्टूबर को देश छोड़ना था।

तसलीमा ने एक साक्षात्कार में कहा कि हां, मुझ पर एक बार फिर भारत को छोड़कर जाने का दबाव पड़ रहा है। सरकार ने मुझे गुप्त शर्तो के साथ छह महीने का निवास परमिट दिया था लिहाजा मुझे कुछ दिनों में ही इस देश को फिर छोड़ना पडे़गा। अपनी विवादित किताब लज्जा के लिये मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आई तसलीमा ने कहा कि वह इस समय यूरोप में हैं और व्याख्यान देने में व्यस्त हैं।

डाक्टर से लेखिका बनी तसलीमा को सात महीने बाद एक बार फिर भारत से जाना होगा। सात माह पहले उनकी यहां मौजूदगी के खिलाफ कट्टरपंथी संगठनों के विरोध प्रदर्शन की वजह से उन्हें भारत छोड़कर जाना पड़ा था। विवादास्पद किताब लिखने की वजह से बांग्लादेश से निकाली गई तसलीमा इसके पूर्व भारत से जाने से पहले वर्ष 1994 से हिंदुस्तान में रह रही थीं।

तसलीमा ने कहा कि भारत में रहने की अनुमति मिलने की फिलहाल उम्मीद नहीं है। मेरे लिए बांग्लादेश के दरवाजे बंद हो चुके हैं। लिहाजा मेरी नजर में अब भारत में ही मेरा घर है। अगर मुझे घर वापस आने की इजाजत नहीं मिलेगी तो मेरी जिंदगी फिर से एक खानाबदोश की सी हो जाएगी।

भारत से बार-बार निकाले जाने पर नाराजगी और अफसोस जाहिर करते हुए तसलीमा ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष देश भारत मुझे पनाह नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसे इंसान को शरण नहीं दे सकता, जिसने अपनी सारी जिंदगी धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की सेवा में बिता दी। एक ऐसा इंसान जिसका न कोई वतन है और न ही जमीन, जो भारत को अपना मुल्क समझता है और कोलकाता को अपना घर।

अमार मेयेबेला, उटल हवा और द्विखंडितों जैसी चर्चित पुस्तकों की लेखिका तसलीमा ने कहा कि मैं इस बात से हैरान हूं कि भारत का कोई भी राजनीतिक दल संगठन या संस्थान मेरे साथ हो रहे बर्ताव के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा है। इसके अलावा धर्मनिरपेक्षता के आदर्श वाहक कहे जाने वाले अनेक लोग भी मेरे मामले पर खामोश हैं। उन्होंने कहा कि मुझे कोलकाता में रहने की अनुमति मिलने की उम्मीद है। मैं विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से शहर में रहने की इजाजत देने का आग्रह कर रही हूं।
याहू जागरण से साभार

2 comments:

Bhushan said...

Tasleema ji aapko anumati milne mein sandeh hai, kyunki hamare desh mein lakho avaidh bangladeshiyo ko to jagah mil sakti hai lekin ek tasleema nasreen se hamari dharm nirpekshta khatre mein pad sakti hai...yahi hai hamari kendra sarkar ki dogli neeti.

Pramendra Pratap Singh said...

आज पूर्णत: देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति चल रही है, कांग्रेसनीति सरकार हमेंशा से भारतीय धर्मो के प्रति खिलवाड़ करती थी, मुस्लिम प्रधानमंत्री इन्दिरा ने सिक्‍खों के प्रति तो ईसाई सुपर प्रधानमंत्री सोनिया हिन्‍दुओं के प्रति षड़यंत्र कर रही है।

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