विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देशभर के २२ जाली विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। इनमें सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में नौ और राजधानी दिल्ली में छह हैं। इसके बाद बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में एक-एक हैं। इनकी सूची देखिए---- FakeUniversities in Delhi
* Varanaseya Sanskrit Vishwavidyalaya, Varanasi, Jagatpuri (Delhi)
* Indian Institute of Science and Engineering (New Delhi)
* Commercial University Ltd, Daryaganj (Delhi)
* United Nations University (Delhi)
* Vocational University (Delhi)
* ADR-Centric Juridical University, Rajendra Place (New Delhi).
Fake Universities in Uttar Pradesh (UP)
* Mahila Gram Vidyapith/Vishwavidyalaya Prayag (Allahabad)
* Indian Education Council of UP (Lucknow)
* Gandhi Hindi Vidyapith, Prayag (Allahabad)
* National University of Electro Complex Homeopathy (Kanpur)
* Netaji Subhash Chandra Bose University (Open University), Achaltal (Aligarh)
* Vishwavidyalaya, Kosi Kalan (Mathura)
* Maharana Pratap Shiksha Niketan Vishwavidyalaya (Pratapgarh)
* Indraprastha Shiksha Parishad, Institutional Area Khoda, Makanpur (Noida)
* Gurukul Vishwavidyala (Vridanvan).
Fake Universities - Rest of India
* Maithili University/Vishwavidyalaya, Darbhanga (Bihar)
* Badaganvi Sarkar World Open University Education Society, Gokak, Belgaum (Karnataka)
* St Johns University, Kishanattam (Kerala)
* Kesarwani Vidyapith, Jabalpur (Madhya Pradesh)
* Raja Arabic University, Nagpur (Maharashtra)
* DDB Sanskrit University, Putur, Trichi (Tamil Nadu)
* Indian Institute of Alternative Medicine (Kolkata)
इस लिंक से भी देख सकते हैं इन जाली विश्वविद्यालयों की सूची।
http://www.ugc.ac.in/inside/fakealerts.html
यूजीसी ने यह सूची जारी करके छात्रों को गुमराह होने से बचाया मगर इससे भी बड़ा संकट प्रोफेशनल शिक्षा ( इंजीनियरिंग, प्रबंधन या अन्य छोटे बड़े पेशेवर शिक्षण ) के लिए कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कालेजों की हकीकत कौन बताएगा। इन्हें भी तथाकथित मान्यता कौन देता है। इन संस्थानों में भारी भरकम फीस पढ़ाई और नौकरी देने के नाम पर वसूली जाती है। बेहतर होता अगर इन कालेजों को मान्यता देने वाले संस्थान भी मानदंड पर खरे न उतरने वाले कालेजों की सूची जारी करते। यह खोजबीन करते कि मान्यता हासिल करने के बाद यहां का स्तर क्या व्यवसायिक शिक्षा देने के लायक है भी या नहीं। तमाम प्राइवेट स्कूल व कालेज में स्तरीय शिक्षण स्टाफ नहीं रखे जाते। कामचलाउ लोगों से कालेज या स्कूल का स्तर क्या होगा यह तो सभी जानते हैं। कहने का अर्थ सिर्फ यह है कि जब से प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को थोक के भाव में मान्यताएं बांटी जाने लगी हैं तब से इस भीड़ में यह जानना भी मुश्किल हो गया है कि किस कालेज को किस श्रेणी का माना जाए जबकि फीस सभी भारीभरकम ही वसूलते हैं। इनसे बचने की सूचना भी अगर दी जाती तो शायद इन शिक्षा माफियाओं के फ्राड से भी लोग जरूर बच जाते। यूजीसी और मान्यता प्रदान करने वाली संस्थाओं को यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
Tuesday, 24 February 2009
Tuesday, 17 February 2009
बाबा रामदेव का देश की जनता से वादा
योगाचार्य स्वामी रामदेव ने स्पष्ट कहा है कि वे सक्रिय राजनीति में नहीं आएँगे, लेकिन इससे
बाहर रहकर देश की सत्ता राष्ट्रवादी, पराक्रमी, पारदर्शी, दूरदर्शी,
मानवतावादी, अध्यात्मवादी व विनयशील देशभक्त एवं ईमानदार लोगों के हाथों
सौंपकर एक शक्तिशाली लोकतांत्रिक भारत बनाने का हरसंभव प्रयास करेंगे। रामदेव
ने यहाँ आगामी लोकसभा के चुनावों के संदर्भ में कहा कि देश में आज एक
विशुद्ध चिंतन की आवश्यकता है, जिससे हम सत्ता के शीर्ष में बैठे भ्रष्ट,
बेईमान और अपराधी किस्म के लोगों को सत्ता से बाहर कर देश में एक नई आजादी
ला सकें। उन्होंने कहा चुनावों में सौ प्रतिशत मतदान कर हम देश को राजनैतिक भ्रष्टाचार से
मुक्त कर सकते हैं। उनका भारत स्वाभिमान ट्रस्ट इस दिशा में कार्यरत है।
उन्होंने स्पष्ट कहा हमने विदेशी गुलामी से मुक्ति पा ली है, लेकिन शासन
के नाम पर वही शोषण, अन्याय, अत्याचार एवं भ्रष्टाचार शिखर पर है। रामदेव
ने कहा आजादी के बाद देश में कई सरकारें बदल गईं, लेकिन आज भी चरित्र,
नियम और नीतियाँ नहीं बदली हैं, जिनके कारण आज भी सत्ता के शीर्ष में
अधिकांश भ्रष्ट, बेईमान और अपराधी किस्म के लोग विराजमान हैं। श्रीराम
मंदिर के निर्माण के नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने के संदर्भ में पूछे गए
सवाल के उत्तर में रामदेव ने कहा कि जो लोग श्रीराम मंदिर के निर्माण के
नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और जो लोग श्रीराम मंदिर
के निर्माण का विरोध कर रहे हैं दोनों की नीयत पर खोट है। बाबा
रामदेव ने कहा कि शक्ति एवं संपत्ति के केंद्र सत्ता के शीर्ष पर बैठे
नेताओं का चरित्र ठीक नहीं होने के कारण ही देश में भ्रष्टाचार पनप रहा
है। दुःख इस बात का है कि इस भ्रष्टाचार को पूरे देश ने आज एक शिष्टाचार
के रूप में स्वीकार कर लिया है। रामदेव ने कहा कि यह कड़वा सच है कि देश में
99 प्रतिशत से अधिक लोग ईमानदारी केसाथ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, लेकिन एक प्रतिशत
से कम भ्रष्ट और बेईमान लोग एवं भ्रष्ट व्यवस्था ने सौ करोड़ से अधिक जनता और देश का जीवन नरक बना
दिया है। (नई दिल्ली (भाषा), रविवार, 15 फरवरी 2009)
बाहर रहकर देश की सत्ता राष्ट्रवादी, पराक्रमी, पारदर्शी, दूरदर्शी,
मानवतावादी, अध्यात्मवादी व विनयशील देशभक्त एवं ईमानदार लोगों के हाथों
सौंपकर एक शक्तिशाली लोकतांत्रिक भारत बनाने का हरसंभव प्रयास करेंगे। रामदेव
ने यहाँ आगामी लोकसभा के चुनावों के संदर्भ में कहा कि देश में आज एक
विशुद्ध चिंतन की आवश्यकता है, जिससे हम सत्ता के शीर्ष में बैठे भ्रष्ट,
बेईमान और अपराधी किस्म के लोगों को सत्ता से बाहर कर देश में एक नई आजादी
ला सकें। उन्होंने कहा चुनावों में सौ प्रतिशत मतदान कर हम देश को राजनैतिक भ्रष्टाचार से
मुक्त कर सकते हैं। उनका भारत स्वाभिमान ट्रस्ट इस दिशा में कार्यरत है।
उन्होंने स्पष्ट कहा हमने विदेशी गुलामी से मुक्ति पा ली है, लेकिन शासन
के नाम पर वही शोषण, अन्याय, अत्याचार एवं भ्रष्टाचार शिखर पर है। रामदेव
ने कहा आजादी के बाद देश में कई सरकारें बदल गईं, लेकिन आज भी चरित्र,
नियम और नीतियाँ नहीं बदली हैं, जिनके कारण आज भी सत्ता के शीर्ष में
अधिकांश भ्रष्ट, बेईमान और अपराधी किस्म के लोग विराजमान हैं। श्रीराम
मंदिर के निर्माण के नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने के संदर्भ में पूछे गए
सवाल के उत्तर में रामदेव ने कहा कि जो लोग श्रीराम मंदिर के निर्माण के
नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और जो लोग श्रीराम मंदिर
के निर्माण का विरोध कर रहे हैं दोनों की नीयत पर खोट है। बाबा
रामदेव ने कहा कि शक्ति एवं संपत्ति के केंद्र सत्ता के शीर्ष पर बैठे
नेताओं का चरित्र ठीक नहीं होने के कारण ही देश में भ्रष्टाचार पनप रहा
है। दुःख इस बात का है कि इस भ्रष्टाचार को पूरे देश ने आज एक शिष्टाचार
के रूप में स्वीकार कर लिया है। रामदेव ने कहा कि यह कड़वा सच है कि देश में
99 प्रतिशत से अधिक लोग ईमानदारी केसाथ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, लेकिन एक प्रतिशत
से कम भ्रष्ट और बेईमान लोग एवं भ्रष्ट व्यवस्था ने सौ करोड़ से अधिक जनता और देश का जीवन नरक बना
दिया है। (नई दिल्ली (भाषा), रविवार, 15 फरवरी 2009)
Thursday, 12 February 2009
बंगाल और झारखंड के हिंदी ब्लागरों से अपील
बंगाल और झारखंड के हिंदी ब्लागरों से अपील
रांची में कोलकाता और झारखंड को हिंदी ब्लागरों का सम्मेलन २२ फरवरी को होने जा रहा है।
क्या आप इसमें शामिल होना चाहते हैं। तो आप सादर आमंत्रित हैं। आयोजक की अपील व आमंत्रण भी इस मेल के साथ अटैच है। आप चाहें तो उन्हें मेल कर सकते हैं या फिर बात भी कर सकते हैं। MANDHATA SINGH
दोस्तो,
अभी लगभग १६ दिन पहले मैंने आप सभी को एक ईमेल करके यह निवेदन किया था कि झारखण्ड और कोलकाता के ब्लॉगर एक जगह जमा हों और इस दिशा में प्रयास हो। सभी ने इसे सकारात्मक तरीके से लिया, इसकी मुझे खुशी है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि डॉ॰ भारती कश्यप ने इस कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा लिया है। कार्यक्रम का औसत खाँका और इससे जुड़ी २-४ बातें मैंने यहाँ प्रकाशित कर रखे हैं- http://baithak.hindyugm.com/2009/02/bloggers-meet-ranchi-jharkhand-22-feb.html
ऐसे मित्र जिन्होंने पिछली बार ईमेल का जवाब नहीं दिया, वे बेशक दुबारा भी जवाब न दें, लेकिन कार्यक्रम में सम्मिलित होने की तैयारी अवश्य कर लें।
साथ ही सभी एक-एक करके अपने निजि/सामूहिक ब्लॉग पर इस आयोजन के बारे में लिखें ताकि जो सोये हैं, उन्हें भी इसके बारे में पता चले और कार्यक्रम सफल हो सके। कार्यक्रम की प्रासंगिकता-अप्रासंगिकता पर भी लिख सकते हैं। आप अपना दृष्टिकोण भी दे सकते हैं।
निवेदक-
शैलेश भारतवासी
नियंत्रक-संपादक
हिन्द-युग्म
मुझसे संपर्क ले लिए नं॰ है- 9873734046, 9454950705
धन्यवाद।
रांची में कोलकाता और झारखंड को हिंदी ब्लागरों का सम्मेलन २२ फरवरी को होने जा रहा है।
क्या आप इसमें शामिल होना चाहते हैं। तो आप सादर आमंत्रित हैं। आयोजक की अपील व आमंत्रण भी इस मेल के साथ अटैच है। आप चाहें तो उन्हें मेल कर सकते हैं या फिर बात भी कर सकते हैं। MANDHATA SINGH
दोस्तो,
अभी लगभग १६ दिन पहले मैंने आप सभी को एक ईमेल करके यह निवेदन किया था कि झारखण्ड और कोलकाता के ब्लॉगर एक जगह जमा हों और इस दिशा में प्रयास हो। सभी ने इसे सकारात्मक तरीके से लिया, इसकी मुझे खुशी है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि डॉ॰ भारती कश्यप ने इस कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा लिया है। कार्यक्रम का औसत खाँका और इससे जुड़ी २-४ बातें मैंने यहाँ प्रकाशित कर रखे हैं- http://baithak.hindyugm.com/2009/02/bloggers-meet-ranchi-jharkhand-22-feb.html
ऐसे मित्र जिन्होंने पिछली बार ईमेल का जवाब नहीं दिया, वे बेशक दुबारा भी जवाब न दें, लेकिन कार्यक्रम में सम्मिलित होने की तैयारी अवश्य कर लें।
साथ ही सभी एक-एक करके अपने निजि/सामूहिक ब्लॉग पर इस आयोजन के बारे में लिखें ताकि जो सोये हैं, उन्हें भी इसके बारे में पता चले और कार्यक्रम सफल हो सके। कार्यक्रम की प्रासंगिकता-अप्रासंगिकता पर भी लिख सकते हैं। आप अपना दृष्टिकोण भी दे सकते हैं।
निवेदक-
शैलेश भारतवासी
नियंत्रक-संपादक
हिन्द-युग्म
मुझसे संपर्क ले लिए नं॰ है- 9873734046, 9454950705
धन्यवाद।
Sunday, 1 February 2009
बहस- ब्लॉग में आखिर क्या लिखा जाना चाहिए ?
हिंदी ब्लागर आजकल इस आलोचना के ज्यादा शिकार हैं कि वे स्तरीय नहीं हैं। या फिर कुछ भी अनाप-शनाप पोस्ट करते रहते हैं। यह सवाल तब खड़ा हुआ है जब हिंदी में ब्लागरों की जमात तेजी से बढ़ी है या फि कुछ सामुदायिक ब्लाग ने रेटिंग में स्तरीय ब्लागरों को पीछे छोड़ दिया है। इसके पहले जब हिंदी में नाममात्र को ब्लागर थे और इंटरनेट पर हिंदी लिखना आसान नहीं था, तब हर एक ब्लागर का गर्मजोशी से स्वागत होता था। मगर यह स्थिति बदल रही है। अब भीड़ में से अच्छा लिखने वालों की उन लोगों को तलाश रहती है जो मानते हैं कि बाकी भाषाओं यानी कम से कम अंग्रेजी ब्लाग्स या ग्रुप्स की तरह हिंदी भी अपना अंतरराष्ट्रीय मानदंड बनाए और उसे कायम रखे। वे यह भी चाहते हैं कि हिंदी ब्लागर पूरी दुनिया में समानान्तर मीडिया की भूमिका भी निभाए।
इंटरनेट के वैश्विक विस्तार के कारण अब यह संभव भी है कि आप बाकी अंतरराष्ट्रीय भाषाई मीडिया, ब्लाग्स और ग्रुप्स के समानान्तर दिखें। यह तभी संभव है जब ब्लागर अपने ब्लागिंग को यह स्वरूप प्रदान करे। निश्चित रूप से हिंदी के तमाम ब्लागर स्तरीय लेखन कर भी रहे हैं मगर उन्हें अब यह डर भी सताने लगा है कि स्तरहीन ब्लागरों की रजिस्टर्ड हो रही भारी जमात कहीं सामूहिक तौर पर हिंदी ब्लाग जगत की छवि ही धूमिल न कर दे। यहां मैं व्यक्तिगत तौर पर नतो किसी स्तरीय न ही तथाकथित गैरस्तरीय ब्लाग का उदाहरण देना चाहता हूं क्यों मुझे बहस सिर्फ इस मुद्दे पर चाहिए कि आखिर ब्लाग या ग्रुप्स में क्या लिखा जाना चाहिए जो हिंदी चिट्ठाजगत को इस कलंक से निजात दिलाए।
हिंदी ब्लागरों पर कई ऐसे पाठकों की भी टिप्पणियां भी मैंने सुनी है जो अधिकांश हिंदी ब्लागरों को घटिया मानते है। ऐसे कई पाठकों को मैं जानता हूं जो हिंदी ब्लाग्स या ग्रुप्स के नियमित पाठक है। हां ये लोग कुछ की सराहना भी करते हैं मगर गैरस्तरीय प्रदर्शन से निराश भी हैं। कई ऐसे ब्लागरों को भी जानता हूं जो शौकिया हैं और ब्लागरों में जमात में सिर्फ शामिल होने के लिए ब्लाग खोलकर कहीं से कुछ भी माल बटोरकर पोस्ट करते रहते हैं। ये अलग बात है कि ऐसे ब्लागर उत्साहित होकर अपने ब्लाग का खूब प्रचार भी करते रहते हैं। इनमें से किसी को भी यहां दर्ज किए बिना यह भी अपनी ब्लागर जमात से जानना चाहता हूं कि लिखने-पढ़ने की इस आजादी को आखिर वे किस रूप में देखना चाहते हैं?
मेरी राय तो यह है कि लिखने की इस आजादी पर कोई बंदिश नहीं होना चाहिए। कोई क्या लिखता है ,यह बहस का विषय न होकर जो कर सकते हैं उनसे उम्मीद की जानी चाहिए कि वे अपने स्तर पर हिंदी ब्लागिंग को समपन्न बनाएं। हाथ की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होती। हिंदी ब्लागिंग पर अपनी अवधारणा बदलनी चाहिए। इसलिए स्पष्टतौरपर मेरी राय है कि निंदा करके लिखने की आजादी पर सवाल उठाना बेईमानी है। कोई कुछ भी लिखे मगर आपको जो चाहिए वहीं पढ़िए। जब आपके पढ़ने पर कोई बंदिश नहीं तो किसी के अपनी मनमर्जी के लेखन को निंदा का विषय क्यों बनाया जाना चाहिए। क्या आप भी इस राय से सहमत हैं तो आप भी सार्वजनिक तौर पर उनलोगों की निंदा करें जो लिखने की आजादी को ( तथाकथित स्तरहीन ब्लागरों को ) हतोत्साहित कर रहे हैं।
हिंदी ब्लागर आजकल इस आलोचना के ज्यादा शिकार हैं कि वे स्तरीय नहीं हैं। या फिर कुछ भी अनाप-शनाप पोस्ट करते रहते हैं। यह सवाल तब खड़ा हुआ है जब हिंदी में ब्लागरों की जमात तेजी से बढ़ी है या फि कुछ सामुदायिक ब्लाग ने रेटिंग में स्तरीय ब्लागरों को पीछे छोड़ दिया है। इसके पहले जब हिंदी में नाममात्र को ब्लागर थे और इंटरनेट पर हिंदी लिखना आसान नहीं था, तब हर एक ब्लागर का गर्मजोशी से स्वागत होता था। मगर यह स्थिति बदल रही है। अब भीड़ में से अच्छा लिखने वालों की उन लोगों को तलाश रहती है जो मानते हैं कि बाकी भाषाओं यानी कम से कम अंग्रेजी ब्लाग्स या ग्रुप्स की तरह हिंदी भी अपना अंतरराष्ट्रीय मानदंड बनाए और उसे कायम रखे। वे यह भी चाहते हैं कि हिंदी ब्लागर पूरी दुनिया में समानान्तर मीडिया की भूमिका भी निभाए।
इंटरनेट के वैश्विक विस्तार के कारण अब यह संभव भी है कि आप बाकी अंतरराष्ट्रीय भाषाई मीडिया, ब्लाग्स और ग्रुप्स के समानान्तर दिखें। यह तभी संभव है जब ब्लागर अपने ब्लागिंग को यह स्वरूप प्रदान करे। निश्चित रूप से हिंदी के तमाम ब्लागर स्तरीय लेखन कर भी रहे हैं मगर उन्हें अब यह डर भी सताने लगा है कि स्तरहीन ब्लागरों की रजिस्टर्ड हो रही भारी जमात कहीं सामूहिक तौर पर हिंदी ब्लाग जगत की छवि ही धूमिल न कर दे। यहां मैं व्यक्तिगत तौर पर नतो किसी स्तरीय न ही तथाकथित गैरस्तरीय ब्लाग का उदाहरण देना चाहता हूं क्यों मुझे बहस सिर्फ इस मुद्दे पर चाहिए कि आखिर ब्लाग या ग्रुप्स में क्या लिखा जाना चाहिए जो हिंदी चिट्ठाजगत को इस कलंक से निजात दिलाए।
हिंदी ब्लागरों पर कई ऐसे पाठकों की भी टिप्पणियां भी मैंने सुनी है जो अधिकांश हिंदी ब्लागरों को घटिया मानते है। ऐसे कई पाठकों को मैं जानता हूं जो हिंदी ब्लाग्स या ग्रुप्स के नियमित पाठक है। हां ये लोग कुछ की सराहना भी करते हैं मगर गैरस्तरीय प्रदर्शन से निराश भी हैं। कई ऐसे ब्लागरों को भी जानता हूं जो शौकिया हैं और ब्लागरों में जमात में सिर्फ शामिल होने के लिए ब्लाग खोलकर कहीं से कुछ भी माल बटोरकर पोस्ट करते रहते हैं। ये अलग बात है कि ऐसे ब्लागर उत्साहित होकर अपने ब्लाग का खूब प्रचार भी करते रहते हैं। इनमें से किसी को भी यहां दर्ज किए बिना यह भी अपनी ब्लागर जमात से जानना चाहता हूं कि लिखने-पढ़ने की इस आजादी को आखिर वे किस रूप में देखना चाहते हैं?
मेरी राय तो यह है कि लिखने की इस आजादी पर कोई बंदिश नहीं होना चाहिए। कोई क्या लिखता है ,यह बहस का विषय न होकर जो कर सकते हैं उनसे उम्मीद की जानी चाहिए कि वे अपने स्तर पर हिंदी ब्लागिंग को समपन्न बनाएं। हाथ की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होती। हिंदी ब्लागिंग पर अपनी अवधारणा बदलनी चाहिए। इसलिए स्पष्टतौरपर मेरी राय है कि निंदा करके लिखने की आजादी पर सवाल उठाना बेईमानी है। कोई कुछ भी लिखे मगर आपको जो चाहिए वहीं पढ़िए। जब आपके पढ़ने पर कोई बंदिश नहीं तो किसी के अपनी मनमर्जी के लेखन को निंदा का विषय क्यों बनाया जाना चाहिए। क्या आप भी इस राय से सहमत हैं तो आप भी सार्वजनिक तौर पर उनलोगों की निंदा करें जो लिखने की आजादी को ( तथाकथित स्तरहीन ब्लागरों को ) हतोत्साहित कर रहे हैं।
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