Thursday, 15 October 2009

अनाज कम पड़ जाएगा, लोग भूखे रह जाएंगे ?

 भारत एक विषम संकट में फंस सकता है अगर खेती की जमीन को उद्योग धंधों को खड़ा करने की मुहिम में अंधाधुंध इस्तेमाल में परहेज नहीं बरता गया। अभी कहा जा रहा है कि उद्योग धंधो के बिना पूरा विकास संभव नहीं है। इस उद्देश्य की पूर्ति में खेती की उपजाऊ जमान पर उद्योग लगाने की कोशिश हो रही है। इतना ही नहीं भविष्य के खाद्यान्न की जरूरत को दरकिनार कर बंजर पड़ी जमीनों को खेती योग्य बनाने की मुहिम भी लगभग ठंडी पड़ गई है। इसका खामियाजा यह भुगतना होगा कि आने वाले कुछ दशकों में दुनिया की जो आबादी बढ़ेगी उसके लिए पेट भर अनाज भी मयस्सर नहीं हो पाएगा। कम से कम भारत इस संकट में ज्यादा फंसता नजर आ रहा है। इसकी कई वजहें हैं। पहला यह कि खेती योग्य जमीन बढ़ाने की जगह उपजाऊ जमीन पर उद्योग लगाने की मुहिम चल रही है। दूसरा यह कि खेती और किसानों की हालत भारत में सोचनीय होती जा रही है। इसी कारण किसान अब पीढ़ी दर पीढ़ी किसान नहीं रहना चाहता। खेत मजदूरों का गांवों से भारी पैमाने पर पलायन हो रहा है। अगर खेती इतने फायदे का धंधा नही बन पाती जिससे किसान खुशहाल रह सके तो यह दशा किसा भी सरकार के लिए सोचनीय हो सकती है। मैं भी एक किसान का बेटा हूं मगर सपने में भी नहीं सोच पारहा हूं कि अच्छी तालीम पाने को बाद एपने बेटे को पुस्तैनी खेती के धंधे में लगा पाऊं। आखिर क्यों ? क्या कोई सरकार इस बात के लिए चिंतित है कि खेती को मूलभत ढांचा ध्वस्त न होने पाए। कोई ठोस प्रयास की जगह किसानों की भलाई के दिखावे भर किए जा रहे हैं जबकि किसान आत्महत्या करने तक को मजबूर हो रहे हैं। वह भी ऐसे समय जब संयुक्त राष्ट्रसंघ ने चेतावनी दे डाली है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में खाद्यान्न का भारी संकट पैदा हो सकता है। दुनिया भर में विश्व खाद्य दिवस मनाए जाने के इस मौके पर कम से कम भारत का हर नागरिक इन सवालों का जवाब ढूंढे कि आखिर क्यों उन्हें इस संकट में धकेल रही हैं हमारी सरकारें ? जाहिर है अनाज किसी मंत्री, उद्योगपति या उनके दलालों को कम नहीं पड़ेगा। भूख से मरेगा आम आदमी ही।  आप भी देखें इस रिपोर्ट में क्या है ?

 अगले 4 दशकों में 40 करोड़ लोग भूखे रह जाएंगे.

  संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर दुनिया में खेती योग्य अतिरिक्त ज़मीन का इंतजाम नहीं किया गया और खाद्यान्न की पैदावार 70 फ़ीसदी नहीं बढ़ी तो अगले 4 दशकों में 40 करोड़ लोग भूखे रह जाएंगे. रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न और कृषि संस्था का कहना है कि दुनिया में अनाज और बाक़ी खाद्यान्न की उत्तरोत्तर कमी होती जा रही है. संस्था ने अपनी दो दिवसीय संगोष्ठी के बाद यह राय दी कि इस वक़्त दुनिया में कृषि योग्य जो ज़मीन उपलब्ध है वह विश्व की बढ़ती आबादी के लिए अनाज और खाद्यान्न पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

सन् 2050 तक खाद्यान्न के उत्पादन में कम से कम 70 फ़ीसदी की वृद्धि की आवश्यकता होगी क्योंकि अनुमान है कि अगले चार दशकों में दुनिया की आबादी बढ़कर नौ अरब हो जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया की वर्तमान कृषि योग्य ज़मीन की पैदावार अगर बढ़ाई भी जाती है तो भी 2050 तक दुनिया में कम से कम 37 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार होंगे.

संस्था का यह भी कहना है कि कृषियोग्य ज़मीन की कमी के अलावा धरती के जलवायु में हो रहे परिवर्तन और खेतिहर मज़दूरों की घटती संख्या भी खाद्यान्न की कमी के कारण होंगे. इसलिए खाद्यान्न की पर्याप्त आपूर्ति के लिए अभी से उचित क़दम उठाने की ज़रुरत है.
 
'खाद्यान्न पर ख़र्च बढ़ाना होगा'


खाद्य पदार्थों की विकासशील देशों से माँग बढ़ रही है और लागत भी बढ़ रही है संयुक्त राष्ट्र  ने चेतावनी दी है कि दुनिया के खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए विकासशील देशों को कृषि क्षेत्र में 10 गुना अधिक राशि ख़र्च करनी होगी. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के प्रमुख ज़ाक डियूफ़ ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए 20 से 30 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी. खाद्यान्न संकट के कारण दुनिया के कई देशों में गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इसको देखते हुए रोम में खाद्यान्न सुरक्षा सम्मेलन बुलाया गया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की ओर से इस सम्मेलन में दुनिया के नेताओं से खाद्यान्न की लगातार बढ़ रही कीमतों को काबू में करने के लिए प्रभावी प्रयास करने का प्रस्ताव आना है. इस मौके पर मून व्यापारिक रोक के रूप में कीमतों पर लगाम कसने के लिए कोई उपाय पेश कर सकते हैं.

खाद्य और कृषि संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर खाद्यान्न की पैदावार बढ़ाने और उन लोगों तक इसे पहुँचाने का इंतज़ाम नहीं किया गया तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं. भुखमरी से 10 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं

ऐसा माना जा रहा है कि इस खाद्यान्न संकट ने 10 करोड़ लोगों को भुखमरी की तरफ़ ढकेल दिया है.आंकड़ों के अनुसार इस साल ग़रीब देशों को खाद्यान्न आयात करने के लिए 40 प्रतिशत ज़्यादा खर्च करना पड़ा है.

खाद्य और कृषि संगठन ने दानकर्ता देशों से माँग की है कि वो विकासशील देशों की और अधिक मदद करें ताकि किसान बीज, खाद और किसानी से जुड़ी दूसरी चीज़ों को खरीद सकें. इस बैठक का एक बड़ा मुद्दा जैविक ईंधन भी होगा. पिछले कुछ सालों में मक्के का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि बान की मून अमरीका से माँग कर सकते हैं कि वो जैविक ईंधन की पैदावार के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को वापस लें ताकि इसका इस्तेमाल खाद्यान्न के तौर पर किया जा सके.

बढ़ती लागत

इसके पहले संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि खाद्य पदार्थों की विकासशील देशों से माँग बढ़ रही है और उत्पादन की लागत भी बढ़ रही है.खाद्य संकट ने कई देशों में दंगे तक करा दिए हैं संयुक्त राष्ट्र संस्था खाद्य और कृषि संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की जो क़ीमतें बढ़ी हैं वो पिछले सभी रिकॉर्ड से कहीं ज़्यादा है और उसकी कुछ वजह ये भी थी कि ख़राब मौसम की वजह से बहुत सी फ़सलें तबाह हो गई थीं.

विश्व खाद्य संगठन की वार्षिक अनुमान रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 तक गेहूँ की क़ीमतों में 60 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है और वनस्पति तेल उस समय तक लगभग 80 प्रतिशत महंगा हो सकता है. दुनिया भर में वर्ष 2005 और 2007 के बीच गेहूँ, मक्का और तिलहन फ़सलों के दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं. संगठन ने हालाँकि इन चीज़ों क़ीमतों में कुछ कमी होने की संभावना जताई है लेकिन यह कमी हाल के समय में हुई महंगाई के मुक़ाबले बहुत धीमी होगी.
   
     
इसे भी पढ़िए-------- लिंक पर क्लिक करिए ।

भारत पर खाद्य संकट का ख़तरा?

5 comments:

Unknown said...

सही सवालों पर दृष्टि खींच रहे हैं आप।
ये सवाल हमारे चिंतन के मंतव्य होने ही चाहिएं।

एक बढिया विश्लेषण।
कारणों की और पड़ताल तथा अंतर्निर्भरता के पहलूओं को खोलने की और मांग करता हुआ।

शुक्रिया।

RAJNISH PARIHAR said...

SAHI KAHAA AAPNE...GOOD THINKING..

Mishra Pankaj said...

सार्थक चिंतन ,

आपको दीपावली की शुभकामनाये
आप कल हमारे चर्चा में शामिल है धन्यवाद

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा आपका विश्लेषण!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

Randhir Singh Suman said...

दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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