फिजी के एक वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रशांत क्षेत्र के कई द्वीपों के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि कोपेनहेगन में होने जा रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इन द्वीपों को पुनर्वास सहायता की मांग करनी चाहिए। फिजी में यूनिवर्सिटी आफ साउथ पैसिफिक में जलवायु परिवर्तन पर शोध कर रहे प्रोफेसर पैट्रिक नून ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि सन 2100 तक कितने द्वीपों पर आबादी सलामत रहेगी।
नून मार्शल द्वीप की राजधानी माजुरो में सोमवार को शुरू हुई पैसिफिक क्लाइमेट चेंज राउंडटेबल बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में प्रशांत क्षेत्र के चौदह देश दिसंबर में कोपेनहेगन में होने वाली बैठक के लिए अपनी रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे। नून ने कहा कि 2007 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की ओर से पेश की गई तस्वीर के मुकाबले समुद्र का जलस्तर बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। इस सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में तीन फुट से ज्यादा की बढ़ोतरी होगी। नून ने कहा कि निचले स्तर पर बसे मार्शल आयलैंड, किरिबाती और तुवालू जैसे द्वीपीय देश नक्शे से गायब हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती नीति निर्धारकों को यह समझाने की है कि आज प्रशांत क्षेत्र के लोगों की पूरी जीवन शैली में व्यापक बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस बहस में पुनर्वास का मुद्दा सबसे पेचीदा है। लोगों को यह समझाना मुश्किल है कि जहां वे सदियों से रहते आए हैं वहां रहना अब व्यावहारिक विकल्प नहीं रह गया है (एजंसियां)।
1 comment:
बहुत चिंताजनक स्थिति है .. शायद इस बैठक में कुछ सकारात्मक पहल की जाए !!
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