Monday, 28 March 2011

बंगाल की राजनीति में मतुआ का भूचाल


१८ अप्रैल २०११ से छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर।
ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह
धर्मतला में मतुआ महासंघ की महारैली में जुटे नेता। इसमें सभी दलों के नेता मसलन वाममोर्चा के गौतम देव, कांग्रेस के मानस भुइंया व तृणमूल के पार्थ चटर्जी एक मंच पर थे।
बड़ो मां वीणापाणि का आशीर्वाद लेने पहुंचीं तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी।

ठाकुरनगर में मतुआ महासंघ का मुख्यमंदिर।

कामनासागर।

मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचांद ठाकुर।
मतुआ गोविंददेवजी मंदिर वृंदावन।

मतुआ रंगजी मंदिर वृंदावन।
ठाकुरनगर में अपने घर के दरवाज पर बैठीं बड़ोमां।
   
    राजनीति में संगठित समुदायों के मह्त्व का आकलन सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि विगत की दशकों से जाति या सामुदायिक आधारों से चुनावों से दूर रहने वाले पश्चिम बंगाल में भी इस बार सामुदायिक छाया में चुनाव होने जा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बांग्लादेश से बंगाल में आकर बसा मतुआ संप्रदाय है। इनकी राजनीतिक हलकों में गूंज २००६ से ही सुनाई देने लगी थी, जो २००९ के लोकसभा चुनावों में वामपंथियों समेत सभी को अपने दर पर मत्था टेकने को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं जब मतुआ ने अपनी नागरिकता समेत कई मांगों के लिए कोलकाता में महारैली की तो उसके मंच पर वह दृश्य भी दिखा जो इसके पहले असंभव सा लगता था। मतुआ के मंच पर वाममोर्चा , कांग्रेस, तृणमूल समेत कई विरोधी दलों ने एक साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसके बाद से उनकी मदद के एलान की सभी में होड़ भी मच गई। और हो भी क्यों नहीं ? बंगाल में रह रहे सवा करोड़ मतुआ तो राजनीति किसी भी धारा को बदल देने की औकात जो रखते हैं। जो हाल तक वाममोर्चा के परंपरागत वोट थे मगर जब नाराज हुए तो इन्हें तृणमूल की ममता बनर्जी ने लपक लिया। मतुआ की नाराजगी का खामियाजा भुगत चुके वाममोर्चा ने इनका मानमनौव्वल अपने काबिल नेता और राज्य के आवास मंत्री गौतम देव को इस काम में लगाकर कर रहा है। ममता भी इनके वोट पाने का दावा कर रही हैं। मतुआ अभी खामोस हैं मगर उनके वोट किसका बेड़ा पार करंगे यह तो चुनाव बाद ही पता चलेगा। शायद ये भी हवा का रुख भांपने में लगे हैं। फिलहाल तो मतुआ को महिमामंडित किया जा रहा है। उनपर एक फिल्म बनाए जोने का पोस्टर भी दमदमकैंट समेत तमाम जगहों पर लग चुके हैं। मुक्ति प्रोडक्शन की इस फिल्म को मतुआ संप्रदाय की बड़ो मां वीणापाणि देवी का आशीर्वाद भी प्राप्त है। बांग्लाभाषा की इस फिल्म का नाम है- पूर्ण ब्रह्म श्री श्री श्री हरिचंद। हरिचंद ठाकुर ही इस मतुआ संप्रदाय के संस्थापक थे। आगे हम इस पर विस्तार से आपको बताने वाले हैं कि मतुआ आखिर कौन हैं और बंगाल की राजनीति में कैसे इनकी वजह से भूचाल सा आ गया है।

मतुआ का वर्चस्व

पश्चिम बंगाल की राजनीति पर २००६ के विधानसभा चुनावों के बाद से मतुआ का वर्चस्व दिखने लगा है। इसके पहले बेहद गरीब लोगों के इस संप्रदाय का वोट एकतरफा वाममोर्चा को जाता था। मगर लगातार उपेक्षा ने मतुआ को ममता की शरण में जाने पर मजबूर कर दिया। अपनी नागरिकता के सवाल पर तो इनकी नाराजगी थी ही मगर सामुदायिक विकास में भी उपेक्षा से उपजी नाराजगी को ममता ने भांप लिया। इनकी तरफ से इनकी मांगों को उठाने के साथ ही बतौर रेलमंत्री तमाम सहायता देने का भी एलान कर दिया। नतीजा सामने था। पश्चिमबंगाल की राजनीति में इनके ममता को समर्थन ने भूचाल खड़ा कर दिया। मतुआ ने वह कर दिखाया जो वाममोर्चा के ३५ सालों के शासन में कभी नहीं हुआ। इसके बाद से ही मतुआ के समर्थन और ममता के वाममोर्चा के खिलाफ नन्दीग्राम, सिंगुर, लालगढ़ जैसे आंदोलनों ने पश्चिम बंगाल के पूरे राजनीतिक परिदृश्य को ही बदल दिया। कहा जा रहा है कि कम्युनिष्ट सत्ता के लालदुर्ग में तृणमूल की घुसपैठ ने पश्चिम बंगाल में 35 सालों बाद परिवर्तन की लहर पैदा कर दी है। अब २०११ के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इन्हीं मतुआ, आदिवासी और वाममोर्चा से नाराज मुसलमान मतदाताओं ने सत्ता के नए समीकरण की लकीर खींच दी है। जंग छिड़ गई है। बेसुध वाममोर्चा भी अब सावधान है। मतुआ को मनाने की कोशिश के साथ मुसलमानों और मेदिनीपुर (लालगढ़ ) के आदिवासियों तक पुनः अपनी पैठ बनाई है। लेकिन गलतियां सुधारने में वाममोर्चा से देरी की चूक हो गई है। अब तो 35 सालों की सत्ता के मद से हुई गलतियों से बंगाल के अवाम की नाराजगी ही अब ममता की ताकत बन चुकी है और उसमें सबसे बड़ी ताकत सवा करोड़ की तादाद वाले मतुआ ही होंगे।


कौन हैं मतुआ ?

१९ शताब्दी के मध्य में वर्तमान बांग्लादेश के फरीदपुर राज्य के गोपालगंज में हरीचंद नें मतुआ संप्रदाय की स्थापना की थी। ठाकुर हरिचंद (१८१२-१८७८) और उनके पुत्र गुरूचंद (१८४७-१९३७ ) दोनों बांग्लादेश में समाज सुधारक थे। इनके उत्तराधिकारी बंगाल के विभाजन के बाद बांग्लादेश के फरीदपुर, खुलना समेत कई राज्यों से १९४८ के बाद से भारत के विभिन्न राज्यों खासतौर पर राज्य पश्चिम बंगाल में आए और अब ये संगठित तौर पर भारत में रह रहे हैं। भारत-बांग्लादेश सीमा से सटा पश्चिमबंगाल राज्य का एक शहर है बनगांव। इसी बनगांव के पास है मतुआ का मुख्यालय है- ठाकुरनगर। कोलकाता से करीब ७५ किलोमीटर की दूरी पर है यह ठाकुरनगर। यहीं पर हर साल २४ मार्च को मतुआ संप्रदाय का मेला लगता है। इसे बारूनि मेला कहते हैं। इस मेले को मतुआ महासंघ के संश्थापक हरिचंद ने बांग्लादेश गोपारगंज के अपने गांव ओराकांडी में शुरू किया था। अब यह १९४८ के बाद से पश्चिम बंगाल के ठाकुरनगर में लगता है।

हालही में ममता बनर्जीं ने मतुआ संप्रदाय की सुविधा के मद्देनजर ठाकुरनगर रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया है। मतुआ लोगों का मुख्यालय इस रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर पड़ता है। यहीं एक बड़े घर में रहती हैं मतुआ संप्रदाय की मुखिया वीणापाणि देवी यानी बड़ोमां। मतुआ संप्रदाय ( मतुआ महासंघ ) की स्थापना इनके ही पति के परदादा हरिचंद ठाकुर ने मौजूदा बांग्लादेश फरीदपुर के गोपालगंज में की थी। भारत में इस संप्रदाय के ज्यादातर लोग बांग्लादेश से आए हैं। कहते हैं कि गोपालगंज के इस ब्राह्मण ने जीवनभर पिछड़ी जातियों, जनजातियों की भलाई के लिए लड़ाई लड़ी। मतुआ महासंघ जनजातियों व पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें ज्यादातर बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत में आकर बसे लोग हैं। क्या मतुआ हिंदू या मुस्लिम संप्रदाय की तरह कोई संप्रदाय है ? शायद नहीं। मतुआ महासंघ भी एक धर्म है मगर इनके भगवान गुरू हरिचंद हैं और इनकी संघ को दी गई शिक्षाओं को ही मतुआ महासंघ मानता है। यह संघ वह आंदोलन है जो समाज के दबे-कुचले तबके के उत्थान के लिए काम करता है। हरिचंद ने अपने महासंघ के लोगों को लोगों से स्नेह, एक दूसरे के प्रति सहनशीलता, स्त्री-पुरूष में समानता, जाति आधारित भेदभाव को न मानने के साथ लालची न होंने की शिक्षा दी। विश्वास व समर्पण का भाव रखने वाले मतुआ किसी वौदिक कर्मकांड को नहीं मानते।

अभी महासंघ की सर्वेसर्वा प्रमथ रंजन विश्वास की पत्नी वीणापाणि देवी यानी बड़ो मां हैं। प्रमथरंजन १३ मार्च १९४८ को ठाकुरनगर आए और एक छोटा सा घर बनाकर रहने लगे। वे कोलकाता हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। उन्होंने स्थानीय जमीदार जगतकुमारी दासी से जंगल व जमीन खरीद ली। सही मायने में प्रमथ रंजन ने ही मतुआ महासंघ को संगठित किया। वे १९३७ में विधानसभा चुनाव जीते और १९६२ में विधानचंद राय की सरकार में जनजातीय विकास राज्य मंत्री भी रहे। १९६७ में नवद्वीप से कांग्रेस के सांसद भी हुए मगर कुछ मतभेद के कारण पार्टी छोड़ दी।

मतुआ महासंघ का पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में ५०० लोगों का पंजीकृत समूह है और सभी समूहों का एक मुखिया है जिसे दलपति कहते हैं। इन दलपतियों की अपने समूह पर बेहद मजबूत पकड़ होती है। इसी कारण इनके निर्देश पर वोट भी एकतरफा पड़ते हैं। इसी कारण मतुआ पर ममता की इनायत इतनी हुई कि मतुआ के पुरखों के नाम पर मेट्रो स्टेशन व रेलवे स्टेशन के नाम रखने का एलान कर दिया है। सियालदह बनगाव सेक्शन में ठाकुरनगर और चांदपाड़ा के बीच मतुआधाम हाल्ट स्टेशन और बड़ो मां बीणापाणि देबी के पति स्व.पीआर ठाकुर के नाम पर बनगांव सेक्शन में ही मसलन्दपुर से स्वरूप नगर तक रेललाइन बिछाने का भी ममता एलान कर चुकी हैं।


कामनासागर है इनका पवित्र तीर्थ

पश्चिम बंगाल के उत्तर २४ परगना जिले में बनगांव के पास ठाकुरनगर में हरिचंद गुरूचंद ठाकुर मंदिर है। इसी मंदिर से लगा एक तालाब है, जिसे मतुआ लोग कामनासागर कहते हैं। हर साल २४ मार्च को यहां एक सालाना मेला लगता है। यह उत्सव सप्ताह भर चलता है। इस मेला को बारुनि मेला कहते हैं। लाखों मतुआ श्रद्धालु इस कामनासागर में स्नान करते हैं। एक सप्ताह बाद बाकी संप्रदायों के लोगों को भी इस मेले में शामिल होने की इजाजत मिल जाती है। इस मेले में मतुआ संप्रदाय के महाराष्ट्र, उत्तर पूर्वी राज्यों, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल और उत्तरप्रदेश से लोग आते हैं। भारत के आजाद होने से पहले यह मेला मौजूदा बांग्लादेश के गोपालपुर में हरिचंद गुरूचंद ठाकुर के जन्मस्थान औराकांडी में लगता था। अब इसका केंद्र भारत के पश्चिमबंगाल राज्य के ठाकुरनगर में है।


तृणमूल और माकपा में मतुआ को अपनी ओर खींचने की जंग

पूर्वी पाकिस्तान से पलायन कर कई चरणों में बंगाल पहुंचते रहे हिंदु समुदाय की समस्यायें उनके पलायन के इतिहास जितनी ही पुरानी हैं लेकिन अब लगता है समय बदलने वाला है। मंगलवार २८ दिसंबर २०१० को मतुआ महासंघ ने कोलकाता में नागरिकता के सवाल पर विशाल रैली की। अपने सभामंच पर सभी प्रमुख दलों के नेताओं को एक साथ लाकर खड़ा करते हुए वह मिसाल पेश की जो अब तक पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में कभी देखने को नहीं मिला। सभा में सभी प्रमुख दल के नेताओं ने एक स्वर में समुदाय के उत्थान के लिये सक्रियता दिखाने का आह्वान किया। सभा में मौजूद आवास मंत्री गौतम देव ने महासंघ के नेताओं को विशेष पर धन्यवाद किया और कहा कि उन्होंने जो किया है वह कम बड़ी बात नहीं। देव ने समुदाय के कल्याण के लिये सर्वदलीय कमेटी के गठन का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि माकपा इस बारे में पहल करने को तैयार है अन्य दल भी इस बारे में सकारात्मक कदम उठायें। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मानस भुइयां ने आवास मंत्री के सुझाव का स्वागत किया। भुइयां ने कहा कि जनवरी के मध्य में प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह,यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के अलावा गृहमंत्री पी चिदम्बर से वे व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर नागरिकता कानून में दुबारा संसोधन की अपील करेंगे। केन्द्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री मुकुल राय ने कहा कि नागरिकता से वंचित समुदाय के लोगों के हित में कानून का संसोधन होना चाहिये। सभा को प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष तथागत राय ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से उत्पीड़ित होकर आये हिंदुओं को पूरा अधिकार मिलना चाहिये। केन्द्र व राज्य सरकारों को इस बारे में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करनी होगी। मतुआ महासंघ की सभा में हजारों की संख्या में समर्थक मौजूद थे।


नागरिकता कानून में संशोधन चाहते हैं मतुआ

राज्य में करीब डेढ़ करोड़ की आबादी वाले मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले महासंघ की मांग है कि 2003 के भारतीय नागरिकता कानून में हुए संशोधन का दुबारा संशोधन किया जाय। उनकी नजर में २००३ के कानून में संशोधन के बाद से ही समुदाय के लोगों को घुसपैठिये की नजर से देखा जाने लगा है। जो लोग नागरिकता प्राप्त करने से वंचित रह गये है कानूनी जटिलताओं के चलते उनके लिये नयी नागरिकता प्राप्त करना मुश्किल हो गया है। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य ने भी इस बारे में केन्द्र से बात करने का आश्वासन दिया है। महासंघ की धर्मतल्ला में हुई सभा में प्रमुख नेत्री वीणापाणि ठाकुरमां ने भी कानून में दोबारा संशोधन की मांग की। महासंघ से जुड़े प्रमुख नेताओं के अनुसार 2003 का कानूनी संशोधन काफी जटिलताओं से भरा है। इसकी एक धारा में कहा गया है कि जब तक माता और पिता दोनो भारत के वैध नागरिक न हों तब तक उसके बेटे या बेटी को देश की नागरिकता नहीं मिल सकती। 1971 में बांग्लादेश युद्ध के बाद पलायन भारत आये अनेक हिंदुओं को अभी तक देश की नागरिकता नहीं मिल सकी है। १९७२ में हुए इंदिरा-मुजीब समझौते के अनुसार जो लोग १९७१ तक बांग्लादेश से भारत आए हैं , सिर्फ वहीं लोग भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं।

राज्य सरकार ने अपने प्रभाव को बनाए रखने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए मतुआ आंदोलन के संस्थापक हरिचंद और गुरूच्द ठाकुर के नाम पर पुरस्कार दिए जाने का भी एलान कर दिया है। इतना ही नहीं वाममोर्चा सरकार के आवास मंत्नी गौतम देब ने मतुआ ट्रस्ट के लिए राजारहाट में २० कट्ठा जमीन भी दे दी है। यह जमीन सौंपे जाने के मौके पर मतुआ संप्रदाय के करीब चार हजार समर्थक मौजूद थे। यह जमीन मतुआ रिसर्च फाउंडेशन के लिए सौंपते हुए बड़ी साफगोई से गौतम देब ने स्वीकार किया कि वे इसके पहले वे मतुआ लोगों और उनके ३०० साल के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते थे। उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री कांति विश्वास और माकपा के वरिष्ठ नेता विमान बोस से इनके बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि यह राजनीति की बात नहीं है बल्कि मतुआ संप्रदाय की मदद करके हम गर्व महसूस कर रहे हैं। वैसे भी हमें इनका शतप्रतिशत समर्थन मिलता रहा है। दरअसल वाममोर्चा २००६ के चुनाव और २००९ के आम चुनाव में मतुआ संप्रदाय के तृणमूल की ओर झुक जाने से चिंतित है। ममता बनर्जी ने भी व्यक्तिगत तौर पर मतुआ महासंघ की प्रमुख बड़ोमां वीणापाणि से आशीर्वाद हासिल कर वाममोर्चा खेमे में खलबली मचा चुकी हैं। यहां बता दें कि करीब पांच करोड़ मतुआ सिर्फ बड़ोमां के इशारे पर चलते हैं। इनके लिए बड़ोमां का आदेश ही कानून है। करीब ७४ विधानसभा क्षेत्रों में जीत-हार कराने का दम रखने वाले मतुआ की वाममोर्चा से नाराजगी ने ममता को राजनौतिक तौर पर शक्तिशाली बना दिया है। यह बात वाममोर्चा को काफी देर से तब समझ में आई जब नगरपालिका, लोकसभा चुनावों में वाममोर्चा की जमान ही खिसक गई। यह बात यहां मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मतुआ बंगाल की राजनीति में कितना दखल दे सकते हैं और ममता व वाममोर्चा दोनों को क्यों इनकी जीहजूरी करनी पड़ रही है।

     वाममोर्चा से मतुआ महासंघ की नाराजगी को ममता २००६ के विधानसभा और २००९ के लोकसभा चुनावों में भुना लिया। इससे पहले वाममोर्चा का यह अभेद्य वोट बैंक था। वाममोर्चा के इस वोटबैंक में पहली सेंध तृणमूल ने २००६ के चुनावों में लगाई। अब २०११ के विधानसभा चुनावों में ममता और वाममोर्चा दोनों की इस वोटबैंक पर नजर है। ७४ विधानसभाओँ में जीत दिलाने का माद्दा रखने वाला करीब सवा करोड़ की आबादी वाला मतुआ महासंघ भी इस बार अपनी अहमियत समझ रहा है। यह तो २००९ के लोकसभा चुनावों में ही समझ में आ गया था जब माकपा की वृंदा कारत, माकपा के राज्य सचिव विमान बोस, फारवर्ड ब्लाक प्रमुख अशोक घोष और तत्कालीन खेलमंत्री सुभाष चक्रवर्ती बड़ो मां से आशीर्वाद लेने ठाकुरनगर पहुंच गए थे। यह अलग बात हैं कि तब महासंघ की संरक्षक बन चुकी ममता को ही आशीर्वाद मिला और संसदीय सीटें ममता की झोली में चली गईं। इसके बाद से ममता निरंतर मतुआ महासंघ को अपने पक्ष करने का प्रयास कर रही हैं।

ममता ने यह राजनीतिक खेल मतुआ महासंघ के विकास का एलान करके शुरू किया। मतुआ के महापुरुषों हरिचंद, इनके पुत्र गुरूचंद और पोता प्रमथरंजन के नाम पर रेलवे स्टेशनों के नाम का एलान कर दिया। इतना ही नहीं मतुआ संप्रदाय के ठाकुरनगर स्थित पवित्र तालाब कामनासागर के जीर्णोद्धार के लिए ३३ लाख रुपए दिए। पास में एक रेलवे अस्पताल और स्पोर्टस स्टेडियम बनवाने के लिए भी ६० लाख देने का वायदा किया। इसके एवज में बड़ोमां ने ममता बनर्जी को मतुआ संप्रदाय का मुख्य संरक्षक बना दिया। यही पर वोममोर्चा को ममता का खेल समझने में देर हो गई। मगर देर से ही सही वाममोर्चा ने अपने आवास मंत्री गौतम देब को मतुआ महासंघ को प्रभावित करने में लगा दिया। अब दमदम सीट से गौतम देब चुनाव भी लड़ रहे हैं। इस इलाके में भी मतुआ के वोट निर्णायक होंगे।

Thursday, 24 March 2011

पत्रकारों ने वेतनबोर्ड पांच अप्रैल तक लागू करने का दिया अल्टीमेटम, सांसदों ने सरकार से जवाब मांगा

नई दिल्ली में श्रम मंत्रलाय पर वृहस्पतिवार को जस्टिस मजीठिया की पत्रकारों व गैरपत्रकारों के वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने में देरी के विरोध में प्रदर्शन करते देशभर से जुटे पत्रकार। (सभी फोटो साभार-एपी, पीटीआई)
   श्रम मंत्रालय के समक्ष करीब दो घंटे तक अभूतपूर्व प्रदर्शन
अखबारी कर्मचारियों के लिए मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने की मांग पर आज देश भर के पत्रकारों ने नयी दिल्ली में श्रम मंत्रालय के समक्ष करीब दो घंटे तक अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। कर्मचारी नेताओं ने वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें पांच अप्रैल तक लागू करने का सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर वह नतीजे भुगतने को तैयार रहे। संसद में आज कांग्रेस, आरजेडी, जद (यू) और भाजपा सांसदों ने भी मजीठिया की सिफारिशें फौरन लागू करने की मांग की। सदन में मौजूद सूचना प्रसारण मंत्री से भी इस मामले पर जवाब देने को कहा।

अखबारी कर्मचारियों की विभिन्न फ़ेडरेशनों ने परस्पर मिलकर बनाये गये कान्फ़ेडरेशन के बैनर तले नई दिल्ली में अपने आक्रोश का इजहार कर अपनी जोरदार एकजुटता का परिचय दिया.। श्रम मंत्रालय के समक्ष रफ़ी मार्ग पर पत्रकारों के करीब दो घंटे तक चले प्रदर्शन के कारण यातायात पूरी तरह ठप रहा।

प्रदर्शन के दौरान कांफ़ेडरेशन आफ़ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लायज आर्गेनाइजेशन्स के महासचिव एम एस यादव ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने के लिए सरकार को पांच अप्रैल तक का समय दिया। उन्होंने कहा कि यदि उक्त अवधि तक सिफ़ारिशें लागू नहीं हुई तो श्रम मंत्री नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। पत्रकारों ने प्रदर्शन के दौरान वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने के साथ साथ टिब्यून अखबार से निलंबित कर्मचारियों को भी बहाल करने की जोरदार मांग की।

यादव ने कहा, ‘कान्फ़ेडरेशन के बैनर तले देश भर से आये विभिन्न कर्मचारी महासंघों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपनी भारी एकजुटता का परिचय दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 31 दिसंबर की तयसीमा के भीतर वेतनबोर्ड का रिपोर्ट दिये जाने के बावजूद सरकार जानबूझ कर इस मामले में देर कर रही है।’ ( स्रोत- प्रभात खबर )।

सांसदों ने भी सरकार से जवाब मांगा

आज सदन के दोनों सदनों में जस्टिस मजीठिया की सिफारिशों को अविलंब लागू करने की मांग सांसदों ने की। लोक सभा में शून्यकाल में यह मुद्दा कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि वेतनबोर्ड लागू करने की मांग को लेकर देशभर में पत्रकार प्रदर्शन कर रहे हैं। मालूम हो कि पत्रकारों ने आज २४ मार्च को देश भर में प्रदर्शन किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि २००८ से वेतनबोर्ड की सिफारिशें फौरन लागू करना चाहिए। मालूम हो कि पत्रकारों व गैरपत्रकारों के वेतन की समीक्षा के लिए बोर्ड का गठन २००७ में किया गया था।

राज्यसभा में आरजेडी के रामकृपाल यादव ने सरकार को आड़े हाथे लेते हुए कहा कि जस्टिस जीआर मजीठिया ने अपनी सिफारिशें २०१० के दिसंबर में ही श्रममंत्रालय को सौंप दी मगर सरकार ने अभी तक इसे लागू नहीं किया। उन्होंने सिफारिशें अबतक लागू नहीं करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जबकि पत्रकार व गैरपत्रकार राजधानी दिल्ली व देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं।

भाजपा के रूद्रनारायण पैनी ने सदन में मौजूद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से इस मुद्दे पर उनसे जवाब देने को कहा।

काग्रेस के शाताराम नाइक ने जानना चाहा कि सिफारिशें लागू करने में आखिर क्या अड़चने हैं।

जद(यू) के अली अनवर अंसारी ने कही कि सरकार को आज ही इस संबंध में घोषणा कर देनी चाहिए। मालूम हो कि जस्टिस मजीठिया ने दिसंबर २०१० को सौंपे अपनी रिपोर्ट में पांच मानदंड तय किए हैं। इसमें समाचार पत्रों को पुनर्वर्गीकरण, ८ जनवरी २००८ से वेतन भत्ता का भुगतान, वेतनमान में सालाना इनक्रीमेंट में वृद्धि, आवास भत्ता में वृद्धि शामिल है। (स्रोत- पीटीआई )

मुंबई में भी पत्रकारों ने किया प्रदर्शन

पीटीआई के पत्रकारों ने मुंबई में आज दोपहर बाद मजीठिया की सिफारिशों को फौरन लागू करने की मांग पर पीटीआई दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया। इस मौके पर फेडरेशन आफ पीटीआई कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जान गोंसाल्वेज ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सिफारिशों को फौरन लागू नहीं कर रही है जबकि रिपोर्ट तान महीने पहले ही सौंपी जा चुकी है। इस मौके पर हुई सभा में पत्रकार व गैर पत्रकार दोनो शामिल थे। (स्रोत-पीटीआई)





Saturday, 19 March 2011

कांग्रेस ने फिर दिया धोखा, अकेले चलने पर मजबूर हुईं ममता बनर्जी


१८ अप्रैल २०११ से छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर।
ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह


सीटों के बंटवारे का नाटक खत्म, ममता ने ६४ सीटें कांग्रेस को छोड़कर २२८ पर तृणमूल उम्मीदवार खड़े किए
कांग्रेस को समझौता मानलेने का सोमवार तक समय दिया
  पहली मार्च को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के एलान के बाद से कांग्रेस व तृणमूल के बीच गठबंधन कर चुनाव लड़ने का नाटक शुरू हो गया था। १८ दिन तक चले नाटक में तृणमूल को अंततः अकेले चलने का फैसला लेना पड़ा। कांग्रेस का यह नाटक नया नहीं है। कोलकाता महानगर कारपोरेशन के ३० मई २०१० को हुए चुनाव  में भी कांग्रेस की इसी खींचतान के कारण तृणमूल को अंततः अकेले चुनाव लड़ना पड़ा और इस चुनाव में महानगर के मतदाताओं ने वाममोर्चा को उसके कुशासन और कांग्रेस को उसके वाहियात नाटक के कारण दंडित किया। १४१ वार्डों वाले कोलकाता नगर निगम पर दो तिहाई बहुमत से तृणमूल का कब्जा हो गया। तृणमूल ने अपनी सहयोगी पार्टी एसयूसीआई के साथ ९५ सीटें हथिया ली। कांग्रेस १० सीटों पर सिमट गई। पिछले कारोपोरेशन में ७५ सीटों हासिल कर चुका वाममोर्चा भी इस बार ३३ सीटों पर सिमट गया। कुल मिलाकर कांग्रेस अपनी पिछली गलतियों से भी कोई सीख नहीं लेना चाहती है। अब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने वही रवैया अख्तियार कर जनता में यह संदेश दे दिया है कि वह बंगाल में परिवर्तन में बाधा बन रही है। हालांकि तृणमूल के एकतरफा सूची जारी होने से कांग्रेस व उसके आलाकमान नाराज है। उसने कह दिया है कि वह अब विचार कर रही है कि कांग्रेस ६४ सीटों पर चुनाव लड़े या फिर सभी २९४ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करे। यहां कांग्रेस उपने उस सिद्धांत को लेकर चल रही है जिसमें कहा गया था कि वह सिर्फ सम्मानजनक समझौता ही मानेगी। इसी के तहत तमिलनाडु में अपनी मनचाही सीटे हासिल की और असम में तृणमूल को दरकिनार कर अकेले ही चुनाव लड़ रही है। तृणमूल ने भी असम में अपने अलग उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं।
  यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कांग्रेस लंबे समय से पश्चिम बंगाल में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा नहीं पाई है और बंगाल की जनता को वाममोर्चा के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। कांग्रेस के इसी रवैए ने ममता बनर्जी जैसे लोगों को पार्टी से अलग होने पर मजबूर किया। १९९८ में तब सीताराम केशरी काग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे जब ममता ने अलग होकर अपने कुछ राजनैतिक सलाहकारों के साथ तृणमूल का गठन किया। तब से तृणमूल को पश्चिम बंगाल में दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़नी पड़ी। एक तो वाममोर्चा और दूसरा मोर्चा रहा कांग्रेस। ममता बनर्जी की वाममोर्चा से लड़ाई में कभी कांग्रेस ने साथ दिया तो कभी धोखा दिया। कुल मिलाकर कांग्रेस का रवैया तब से और आज २०११ के विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे तक तृणमूल को भटकाना ही रहा है। ईमानदारी से मिलकर लड़ते तो शायद वाममोर्चा को पश्चिम बंगाल की जनता के साथ मनमानी करने की हिमम्त नहीं होती। मगर यह बंगाल का दुर्भाग्य रहा कि उसे लड़ाका विपक्ष नसीब नहीं हुआअब शायद ममता बनर्जी बंगाल की अवाम के परिवर्तन का सपना पूरा कर पाएं। इसमें कुछ संशय इस लिए है क्यों कि अभी भी कांग्रेस अपने सम्मान व बंगाल में समाप्ति की ओर जा रहे राजनीतिक वजूद को बचाने की आड़ में तृणमूल का साथ नहीं दे रही है। यह उसकी राजनैतिक मजबूरियां हो सकती है मगर बंगाल के अवाम की नहीं। क्यों कि अवाम को अब परिवर्तन चाहिए और बंगाल में परिवर्तन का एक ही चेहरा है- ममता बनर्जीं और उनकी तृणमूल पार्टी। शायद इस बात को ममता बनर्जी भी समझती है इसी लिए कांग्रेस का ज्यादा इंतजार न करके अकेले चलना तय कर लिया है। 

   पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2011 के लिए तृणमूल कांग्रेस ने आज 228 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की सूची तय कर दी। तृणमूल ने २९४ सीटों के लिए सूची जारी की है जिसमें कांग्रेस के लिए ६४ सींटें हैं और २२८ तृणमूल उम्मीदवारों की सूची है। सोमवार तक अगर कांग्रेस सीटों का यह तालमेल नहीं मानती है तो इन ६४ सीटों पर भी तृणमूल उम्मीदवार खड़े कर दिए जाएंगे। पूरी सूची इस प्रकार है।---
1. मेखलीगंज (कांग्रेस) 2. माथाभांगा से बिनय कुमार बर्मन, 3. कूचबिहार उत्तर से प्रसेनजीत बर्मन, 4. कूचबिहार दक्षिण से जलील अहमद, 5. शीतलकूची से हितेन बर्मन, 6. सिताई (कांग्रेस), 7. दिनहाटा से मिहिर गोस्वामी, 8. नटबाड़ी से रवींद्रनाथ घोष, 9. तूफानगंज से अग्रहा राय प्रधान, 10. कुमारग्राम से जोयाचिम बाक्सला, 11. कालचीनी से पवन लाकरा, 12. अलीपुरदुआर (कांग्रेस), 13. फालाकाटा से अनिल अधिकारी, 14. मदारीहाट (कांग्रेस), 15. धूपगुड़ी से मीना बर्मन, 16. मोयनागुड़ी से जुथीका राय बासुनिया, 17. जलपाईगुड़ी (कांग्रेस), 18. राजगंज से खगेश्वर राय, 19. देवग्राम-फूलबाड़ी से गौतम देव, 20. माल (कांग्रेस), 21. नगराकाटा (कांग्रेस), 22. कलिम्पोंग (कांग्रेस), 23. दार्जिलिंग (कांग्रेस), 24. कर्सियांग (कांग्रेस), 25. माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी (कांग्रेस), 26. सिलीगुड़ी से रूद्रनारायण भट््टाचार्य, 27. फांसीदेवा से सुषमा केरकेटा, 28. चोपड़ा से एसके जलालुद्दीन 29. इस्लामपुर से करीम चौधरी, 30. गोपालपोखड़ (कांग्रेस), 31. चाकुलिया (कांग्रेस), 32. करण दिघी (कांग्रेस), 33. हेमताबाद से शेखर राय, 34. कालियागंज (कांग्रेस), 35. रायगंज (कांग्रेस), 36. इटाहार से रब्बल बक्स, 37. खुशमंडी (कांग्रेस), 38. कुमारगंज से मामुदा बेगम, 39. बालूरघाट से शंकर चक्रवर्ती, 40. तपन से बचू हांसदा, 41. गंगारामपुर से सत्येन राय, 42. हरिरामपुर से विप्लव मित्र, 43. हबीबपुर से मोहन टुबू, 44. गाजोल (कांग्रेस), 45. चांचल (कांग्रेस), 46. हरीश्चंद्रपुर (कांग्रेस), 47. मालतीपुर से गौतम चक्रवर्ती ,48. रातुआ (कांग्रेस), 49. माणिकचक से सावित्री मित्रा, 50. मालदा (कांग्रेस), 51. इंग्लिशबाजार (कांग्रेस), 52. मोथाबाड़ी (कांग्रेस), 53. सूजापुर (कांग्रेस), 54. वैष्णवनगर (कांग्रेस), 55. फरक्का (कांग्रेस), 56. शमशेरगंज (कांग्रेस), 57. सुती (कांग्रेस), 58. जंगीपुर (कांग्रेस), 59. रघुनाथगंज (कांग्रेस), 60. सागरदिघी से सुब्रत साहा, 61. लालगोला (कांग्रेस), 62. भगवानगोला से सागीर हुसैन, 63. रानीनगर (कांग्रेस), 64. मुर्शिदाबाद (कांग्रेस), 65. नवग्राम (कांग्रेस), 66. खारग्राम (कांग्रेस) 67. बरवान (कांग्रेस), 68. कांदी (कांग्रेस), 69. भरतपुर (कांग्रेस), 70. रेजीनगर (कांग्रेस), 71. बेलडांगा (कांग्रेस), 72. बहरमपुर (कांग्रेस), 73. हरिहरपाड़ा से एसके नियामत, 74. नवदा (कांग्रेस), 75. डोमकल (कांग्रेस), 76. जालंगी से महुआ मित्रा, 77. करीमपुर से रमेन सरकार, 78. तेहट््टा से गौरीशंकर दत्त, 79. पलाशीपाड़ा से मानिक भट््टाचार्य, 80. कालीगंज से नसीरुद्दीन हमद, 81. नक्काशीपाड़ा से कोलोल खां, 82. चापरा से रुकवानुर रहमान, 83. कृष्णनगर उत्तर से अवनी जोआरदार 84. नवद्वीप से नंदा साहा, 85. कृष्णनगर दक्षिण से उज्जल विश्वास, 86. शांतिपुर (कांग्रेस), 87.रानाघाट उत्तर पश्चिम से पार्थ सारथी चटर्जी, 88. कृष्णागंज से सुशील विश्वास, 89. रानाघाट उत्तर पूर्व से समीर पोद्दार, 90. रानाघाट दक्षिण से अबीर विश्वास, 91. चाकदा से नरेशचंद्र चाकी 92. कल्याणी से रमेंद्रनाथ विश्वास, 93. हरिणघाट से नीलिमा नाग, 94. बागदा से उपेन विश्वास, 95. बनगांव उत्तर से विश्वजीत दास, 96. बनगांव दक्षिण से सुरजीत विश्वास, 97. गाईघाटा से मजुलकृष्ण ठाकुर, 98. स्वर्णनगर से बीना मंडल, 99. बादुरिया (कांग्रेस), 100. हाबरा से ज्योतिप्रिय मल्लिक, 101. अशोकनगर से धीमन राय, 102. आमडांगा से रफीकूर रहमान ,103. बीजपुर से सुब्रांशु राय, 104. नैहाटी से पार्थ भौमिक, 105. भाटपाड़ा से अर्जुन सिंह, 106. जगदल से प्रभाष दत्त, 107. नोयापाड़ा से मंजू बोस,108. बैरकपुर से शीलभद्र दत्त 109. खरदह से अमित मित्र, 110. दमदम उत्तर सीट से चंद्रिमा भट््टाचार्य, 111.पानीहाटी से निर्मल घोष, 112. कमरहट््टी से मदन मित्र, 113. बरानगर से तापस राय,114. दमदम से ब्रात्य बसु, 115. राजारहाट न्यूटाउन से सब्यसाची दत्त, 116. विधाननगर से सुजीत बोस, 117. राजारहाट गोपालपुर से पुर्णेंदु बोस, 118. मध्यमग्राम से रथीन घोष, 119. बारासात से दीपक चक्रवर्ती, 120. देगंगा से नरूज्जमान, 121. हाड़ोआ से जुल्फीकार अली मौल्ला, 122. मिनाखां से उषा रानी मंडल, 123. संदेशखाली से पद्मा महतो, 124. बशीरहाट दक्षिण से नारायण गोस्वामी, 125. बशीरहाट उत्तर से सरदार अमजद अली, 126. हिंगलगंज से देवाशीष मंडल, 127. गोसाबा से जयंत नस्कर, 128. बासंती (कांग्रेस) 129. कुलतली (एसयूसीआई), 130. पाथरप्रतिमा से समीर जाना, 131. काकद्वीप से मंगतुराम पखारिया, 132. सागर से बंकिम हाजरा, 133. कुल्पी से जोगरंजन हालदार, 134. रायदिघी से देवश्री राय, 135. मंदिरबाजार से जयदेव हालदार, 136. जयनगर (एसयूसीआई), 137. बारुईपुर पूर्व से निर्मल मंडल, 138. कैनिंग पश्चिम से श्यामल मंडल, 139. कैनिंग पूर्व से इदरीश अली, 140. बारुईपुर पश्चिम से विमान बनर्जी, 141. मगराहाट पूर्व से नमिता साहा, 142. मगराहाट पश्चिम से गियासुद्दीन मल्लाह, 143. डायमंड हार्बर से दीपक घोष, 144. पालता से तमोनाश घोष, 145. सातगाछिया से सुनाली गुहा, 146. विष्णुपुर से दीपक मंडल, 147. सोनारपुर दक्षिण से फिरदोषी बेगम/ शमीमा शेख, 148. भांगड़ से अराबुल इस्लाम, 149. कसबा से जावेद खान, 150. यादवपुर से मनीष गुप्त, 151. सोनारपुर   उत्तर से जीवन मुखर्जी, 152. टालीगंज से अरूप विश्वास, 153. बेहला पूर्व से शोभन चटर्जी, 154. बेहला पश्चिम से पार्थ चटर्जी,155. महेशतला से कस्तुरी दास, 156. बजबज सीट से अशोक देव, 157. मटियाबुर्ज से मुमताज बेगम, 158. कोलकाता पोर्ट से फिरहाद हकीम, 159. भवानीपुर से सुब्रत बक्सी, 160. रासबिहारी से शोभनदेव चट््टोपाध्याय, 161. बालीगंज से सुब्रत मुखर्जी, 162. चौरंगी से शिखा मित्र, 163. इंटाली से तारक बनर्जी, 164. बेलेघाटा से परेश पाल, 165. जोड़ासांको से शांतिलाल जैन, 166. श्यामपुकुर से शशि पांजा,167. मानिकतला से साधन पांडेय, 168. काशीपुर-बेलगछिया से माला साहा, 169. बाली से सुल्तान सिंह, 170. हावड़ा उत्तर से अशोक घोष, 171. हावड़ा मध्य से अरूप राय, 172. शिवपुर से जाटू लाहिरी 173. हावड़ा दक्षिण से ब्रजमोहन मजुमदार, 174. सांकराइल से शीतल सरदार, 175. पांचला से गुलशन मल्लिक, 176. उलबेड़िया पूर्व से हैदर अली शफी, 177. उलबेड़िया उत्तर से निर्मल माझी, 178. उलबेड़िया दक्षिण से पुलक राय, 179. श्यामपुर से कालीपद मंडल, 180. बागनान से राजा सेन, 181. आमता सीट (कांग्रेस), 182. उदयनारायणपुर से समीर पांजा, 183. जगतबल्लभपुर से डा. एमए कासिम, 184. डोमजूर से राजीव बनर्जी, 185. उत्तरपाड़ा से अनूप घोषाल, 186. श्रीरामपुर से सुदीप्त राय, 187. चांपदानी से मुजफ्फर खान, 188. सिंगुर से रवींद्रनाथ भट््टाचार्य, 189. चंदननगर से अशोक साव, 190. चूंचुड़ा से तपन मजुमदार, 191. बलागढ़ से असीम मांझी, 192. पांडुआ से नरगिस बेगम, 193. सप्तग्राम से तपन दासगुप्ता, 194. चंडीतला से स्वाति खांडेकर, 195. जंगीपाड़ा से स्नेहाशीष चक्रवर्ती, 196. हरिपाल से बच्चाराम मन्ना, 197. धनियाखाली असीमा पात्र, 198. तारकेश्वर से रछपाल सिंह, 199. पुरसुरा से परवेज रहमान, 200. आरामबाग से कृष्ण सांतरा, 201. गोघाट (कांग्रेस), 202. खानाकुल से इकबाल अहमद, 203. तमलुक से सोमैन महापात्र, 204. पांशकुड़ा पूर्व से विप्लव राय चौधरी, 205. पांशकुड़ा पश्चिम से अमर अली, 206. मोयना से भूषण दुलाई, 207. नंदकुमार से सुकुमार दे, 208. महिषादल से सुदर्शन घोष दस्तीदार, 209. हल्दिया से साउली साहा, 210. नंदीग्राम से फिरोजा बीबी, 211. चंडीपुर से अमिय भट््टाचार्य, 212. पटाशपुर से ज्योतिमय कर, 213. कांथी उत्तर से बनारसी माइती, 214. भगवानपुर से अर्द्धेंदु माइती, 215. खेजुरी से पार्थ प्रतीम दास, 216. कांथी दक्षिण से देवेंदु अधिकारी, 217. रामनगर अखिल गिरी, 218. एगरा से शर्मेश दास, 219. दांतन से साइबल गिरी, 220. नयाग्राम से दुलाल मुर्मू, 221. गोपीवल्लभपुर से चारूमनी महतो, 222. झाड़ग्राम से सुकुमार हांसदा, 223. केशियारी से श्याम मांडी, 224. खड़गपुर सदर से बिलकिस बेगम, 225. नारायणगढ़ से कौशर अली, 226. संबग (कांग्रेस), 227. पिंगला से अजीत मााइती, 228. खड़गपुर (कांग्रेस), 229. डेबरा से राधाकांत माइती, 230. दासपुर से अजीत भुइयां, 231. घाटाल से शंकर दुलई, 232. चंद्रकोना से शिवराम दास, 233. गड़बेता (कांग्रेस), 234. सालबनी से श्रीकांत महतो, 235. केशपुर (कांग्रेस), 236. मेदिनीपुर से मृगेन माइती, 237. बीनपुर(कांग्रेस), 238. बांदवान (कांग्रेस), 239. बलरामपुर से शांतिराम महतो, 240. बाघमुंडी सीट से मंगल महतो (कांग्रेस), 241.जयपुर से सुजय बनर्जी/ कीर्तन महतो, 242. पुरुलिया से एसपी सिंहदेव 243. मानबाजार से संध्या टुडू, 244. काशीपुर से स्वपन बेलटोरिया, 245. पारा (कांग्रेस), 246. रघुनाथपुर से पूर्णचंद्र बारूई, 248. छातना से शुभाशीष बात्याबल, 249. रानीबांध से ममता मुर्मू, 250. रायपुर से प्रमिला मुर्मू, 251. तालडांगा (कांग्रेस), 252. बांकुड़ा से काशीनाथ मिश्रा, 253. बड़जोरा से आशुतोष मुखर्जी, 254. ओंदा से अरूप खां, 255. विष्णुपुर से श्याम मुखर्जी, 256. कतुलपुर (कांग्रेस), 257. इंदस से गुरुपद मेते, 258. सोनामुखी से दीपाली साहा, 259. खंडघोष से अशोक माझी, 260. बर्दवान दक्षिण से स्वरूप दत्त, 261. रायना से नेपाल गोराई, 262. जमालपुर से उज्जवल प्रमाणिक, 263. मंतेश्वर से अबू आयास मंडल, 264. कालना से विश्वजीत कुंडू, 265. मेमारी से अब्दुल हसन मंडल, 266. बर्दवान उत्तर से निशीथ मल्लिक, 267. भातार से बनमाली हाजरा 268. पूर्वस्थली दक्षिण से स्वपन देवनाथ, 269. पूर्वस्थली उत्तर से तपन चटर्जी, 270. कटवा (कांग्रेस), 271. केतुग्राम से एसके शहनवाज, 272. मंगलकोट से अपूर्व चौधरी, 273. आउसग्राम (कांग्रेस), 274. गलसी से जयदेव साहा, 275. पांडेश्वर से जहीर आलम, 276. दुर्गापुर पूर्व से निखिल बनर्जी, 277. दुर्गापुर पश्चिम से अपूर्व मुखर्जी, 278. रानीगंज से शोहराब अली, 279. जामुड़िया (कांग्रेस), 280. आसनसोल दक्षिण से तापस बनर्जी, 281. आसनसोल उत्तर से मलय घटक, 282. कुल्टी से उज्जवल चटर्जी, 283. बाराबनी से विधान उपाध्याय, 284. दुबराजपुर से संतोषी साहा, 285. सुरी से स्वपन घोष 286. बोलपुर से चंद्रनाथ सिन्हा, 287. नानूर गदाधर हाजरा, 288. लाभपुर से परीक्षित बाला, 290. मयूरेश्वर से जितेलेश्वर मंडल, 291. रामपुरहाट से आशीष बनर्जी, 292. हासन (कांग्रेस), 293. नलहाटी (कांग्रेस) व 294. मुरारई से नूर आलम चौधरी।

Friday, 18 March 2011

पीएफ पर ९.५ फीसद से राहत पर वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में देरी से पत्रकार नाराज, २४ को प्रदर्शन करेंगे

भविष्य निधि जमा पर अब 9.5 फीसद ब्याज
वित्त मंत्रालय ने 2010-11 के लिए कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन के भविष्य निधि के सदस्यों को उनकी जमाराशि पर साढ़े नौ फीसद ब्याज देने की मंजूरी दे दी है। इस संबंध में जारी अधिसूचना की प्रति श्रम मंत्रालय के जरिए केंद्रीय भविष्य निधि संगठन को मिल गई है। इस फैसले से भविष्य निधि के 4.7 करोड़ से भी ज्यादा जमाकर्ताओं को लाभ होगा। वित्त मंत्रालय के इस फैसले का केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने स्वागत किया है।

एटक के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने हमेशा इस बात पर एतराज किया है कि जब कर्मचारियों की भविष्यनिधि के न्यासियों ने साढ़े नौ फीसद की दर से ब्याज देने की सिफारिश कर दी उसे श्रम मंत्रालय के मंत्री व भविष्य निधि के अध्यक्ष ने मंजूरी ही नहीं बल्कि घोषित भी कर दिया तो उस पर वित्त मंत्रालय को इतना समय गंवाने की क्या जरूरत थी। फिर भी केंद्रीय श्रमिक संगठनों के साथी सदस्य एटक इस फैसले का स्वागत करती है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन 2005-06 से भविष्य निधि जमा पर 8.5 फीसद की दर से ब्याज दे रहा है। सितंबर महीने में संगठन के न्यासियों ने ब्याज दर बढ़ा कर साढ़े नौ फीसद करने की मांग को मंजूर किया था। जिसकी घोषणा श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दी थी। लेकिन केंद्रीय श्रमिक संगठनों की अर्से से मांग थी कि भविष्य निधि के खाते में लगभग 1,731 करोड़ की रकम ऐसी है जिस पर दावे नहीं हैं। इसका लाभ भविष्य निधि के सदस्यों को उनके ब्याज दर में बढ़ोतरी कर दिया जा सकता है।

श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साढ़े नौ फीसद की दर से ब्याज देने के फैसले को वित्त मंत्रालय के पास भेजा था। जिस पर वित्त मंत्रालय ने न केवल बगैर दावे की जमा राशि बल्कि खातों के सही तरीके से रखरखाव और ब्याज की दर बढ़ाने के आधार पर सवालिया निशान लगाए थे। वित्त मंत्रालय ने अपनी मंजूरी इस शर्त के साथ दी है कि कर्मचारी भविष्य निधि से अंशधारकों की सूची छह महीने में दुरुस्त हो जाएगी। साथ ही यदि साढ़े नौ फीसद की दर से रिटर्न देने में यदि निधि में कहीं कमी आती है तो उसका समायोजन 2011-12 में ब्याज दर के साथ कर दिया जाएगा।

केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त समिरेंद्र चटर्जी ने गुरुवार को कहा कि अगले वित्त वर्ष में समायोजन की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। वित्त मंत्रालय ने भी अपनी छानबीन में कर्मचारी भविष्य निधि के ‘सस्पेंस एकाउंट’ अतिरिक्त 1,731 करोड़ रुपए की हमारी गणना को सही पाया। इसी कारण उसने एक फीसद अधिक दर से ब्याज देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। उन्होंने बताया कि एक फीसद की दर से बढ़े ब्याज का लाभ भविष्य निधि के 4.7 करोड़ से अधिक जमाकर्ताओं को मिलेगा।(साभार-जनसत्ता ब्यूरो)

वेतनआयोग की सिफारिशों पर अमल में देर पर 24 को करेंगे प्रदर्शन

अखबारी कर्मचारियों और पत्रकारों के लिए बने वेतन आयोग की सिफारिशों के अमल में सरकार की ओर से हो रही देर पर 24 मार्च को श्रम मंत्रालय पर होगा धरना-प्रदर्शन। यह घोषणा की है कंफेडरेशन आॅफ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजंसी एंप्लाइज आर्गेनाइजेशन के महासचिव एमएस यादव ने। उन्होंने कहा कि वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मजीठिया ने समय पर यानी 31 दिसंबर को सिफारिशों संबंधी अपनी रपट जमा कर दी। लेकिन अब सरकार जानबूझ कर देर कर रही है।

उन्होंने बताया कि 24 मार्च को पत्रकार और अखबारों के कर्मचारी यूएनआई मुख्यालय से दोपहर बारह बजे रैली-प्रदर्शन शुरू करेंगे और श्रम मंत्रालय पर धरना देंगे। कंफेडरेशन ने गुरुवार को हुई अपनी आपात बैठक में इस धरना प्रदर्शन का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्य संसद में भी इस वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी होने में हो रही देर पर सरकार से प्रतिक्रिया मांगते रहे हैं लेकिन सरकार से कोई स्पष्ट जवाब अब तक नहीं मिला।(साभार-जनसत्ता ब्यूरो)

Monday, 14 March 2011

ममता बनर्जी सीटों के बंटवारें में उलझीं, वाममोर्चा ने उम्मीदवार घोषित कर चुनाव प्रचार शुरू किया


१८ अप्रैल २०११ से छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर।
ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह
असम में ममता की कांग्रेस से नहीं पटी, पश्चिम बंगाल में भी सीटों पर तकरार
     तमिलनाडु में द्रमुक के साथ अपने माफिक समझौते की कामयाबी के बाद कांग्रेस अब पश्चिम बंगाल में भी ज्यादा सीटें पाने की उम्मीद लगाए है। ममता बनर्जी कांग्रेस को साठ से सीटें देना चाहतीं है जबकि कांग्रेस 75 से ज्यादा चाहती है। इसके पहले शहरी निकाय के चुनाव में सीटों के तालमेल नहीं हो पाने के कारण दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ी थीं। तृणमूल कांग्रेस अभी भी उसी तरह की हेकड़ी दिखा रही है। फिलहाल बातचीत जारी है मगर सीटों पर जारी तकरार शायद इसलिए खत्म नहीं हो पाएगी क्यों कि ममता को बंगाल में अकेले ही विधानसभा चुनाव जीत लेने का भरोसा है।

   असम में जीत की हैट्रिक की तैयारी कर रही कांग्रेस पड़ोसी पश्चिम बंगाल की तर्ज पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से समझौता नहीं करेगी। जबकि अपने प्रभाव क्षेत्र के बाहर फैलकर राष्ट्रीय दल बनने की महत्वाकांक्षा पाल रही टीएमसी पश्चिम बंगाल और असम के चुनाव समझौतों को आपस में जोड़कर कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने दबाव में आने से इनकार करते हुए असम में टीएमसी की सीटों की मांग ठुकरा दी है। अब टीएमसी वहां अकेले चुनाव लड़ने की धमकी दे रही है। लेकिन असम के मामले देख रहे कांग्रेस के नेताओं ने साफ कर दिया है कि टीएमसी की वोट काटने की भूमिका को वहां स्वीकार नहीं किया जाएगा। टीएमसी वहां 126 में से 110 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। उसका कहना है कि सोमवार को वह पार्टी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देगी।असम में टीएमसी का कोई असर नहीं है। मगर प. बंगाल से लगे कुछ इलाकों में उसे समर्थन मिलता रहा है। 2001 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने एक सीट जीती थी। लेकिन 2006 में उसका खाता भी नहीं खुला। हां, इस बीच 2003 के एक उपचुनाव में टीएमसी जीत चुकी है। उत्तर-पूर्व के इलाकों में अपना असर बढ़ाने के लिए ममता वहां के राज्यों में चुनाव लड़ती रहती है। पिछले महीने मणिपुर विधानसभा के एक उपचुनाव में टीएमसी कांग्रेस को शिकस्त दे चुकी हैं।

    उधर काग्रेस ने असम में विधानसभा चुनाव के लिए अपने 118 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इसमें मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और विधानसभा अध्यक्ष टांका बहादुर राय के भी नाम हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई पार्टी की चुनाव समिति की बैठक में 126 सदस्यीय प्रदेश विधानसभा के लिए 118 उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाई गई।

   पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा अपनी पूरी टीम के दो तिहाई चेहरों को बदलकर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। वाममोर्चा के उम्मीदवारों की जारी सूची में 149 नए चेहरे शामिल किए गए हैं। मौजूदा की विधायकों और नौ मंत्री रहे लोगों को उम्मीदवार नहीं बनाया है। वाममोर्चा ने ऐसा करके यह संकेत दिया है कि हम अनुशासित हैं और एक नई टीम लेकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। जिस तरह से फेरबदल करके वाममोर्चा ने उम्मीदवार तय किए वह अगर दूसरी पार्टी करती तो बगावत और मारपीट की नौबत आ जाती। ऐसा पश्चिम बंगाल कांग्रेस में अभी हाल में हो चुका है। वाममोर्चा ने इस बार के चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि कर 46 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। 2006 के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या 34 थी। इसी तरह अबकी सूची में नए चेहरों की संख्या भी पिछली बार के 134 से बढ़कर 149 हो गई है। खास बात यह कि इस बार करीब 60 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है।

विधानसभा चुनाव-2011 के लिए दो सीटों को छोड़कर बाकी 292 सीटों पर खड़े होने वाले वाममोर्चा  उम्मीदवारों के नामों की सूची इस प्रकार है-

1. मेखलीगंज (सुरक्षित)-परेश चंद्र अधिकारी (फारवर्ड ब्लाक), 2. माथाभांगा (सुरक्षित) -अनंत राय (माकपा), 3. कूचबिहार उत्तर (सुरक्षित)-नगेन राय (फारवर्ड ब्लाक), 4. कूचबिहार दक्षिण-अक्षय ठाकुर (फारवर्ड ब्लाक), 5. शीतलकूची (सु)-विश्वनाथ प्रमाणिक (माकपा), 6. सिताई (सु)- दीपक राय (फारवर्ड ब्लाक), 7. दिनहाटा -उदयन गुहा (फारवर्ड ब्लाक), 8. नटबाड़ी-तमशेर अली (माकपा), 9. तूफानगंज (एसटी)-धनंजय रावा (माकपा), 10. कुमारग्राम (अनु. जाति) - दशरथ तिर्के (आरएसपी), 11. कालचीनी (अनु. जाति) से विनय भूषण करकेट््टा (आरएसपी), 12. अलीपुरडुआर्स -क्षिति गोस्वामी (आरएसपी), 13. फालाकाटा (सु)- रवींद्रनाथ वर्मा (माकपा), 14. मदारीहाट (अनु. जाति) - कुमारी कुजूर (आरएसपी), 15. धूपगुड़ी (सु) -ममता राय (माकपा), 16. मोयनागुड़ी (सु) - अनंत देव अधिकारी (आरएसपी), 17. जलपाईगुड़ी (सु)- गोविंद राय (फारवर्ड ब्लाक), 18. राजगंज (सु) -अमूल्य राय (माकपा), 19. देवग्राम-फूलबाड़ी -दिलीप सिंह (माकपा), 20. माल (अनु. जाति) -बुलू बराइक (माकपा), 21. नगराकाटा (अनु. जाति) - सुखमोआइत ओरांव (माकपा), 22. कलिमपोंग सीट (घोषणा बाद में), 23. दार्जिलिंग- केबी वत्तार (माकपा), 24. कर्सियांग - दीपा छेत्री (माकपा), 25. माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी (सु)-झरेन राय (माकपा), 26. सिलीगुड़ी- अशोक भट््टाचार्य (माकपा), 27. फांसीदेवा (अनु. जाति)- छोटन किस्कू (माकपा), 28. चोपड़ा -अनवारुल हक (माकपा), 29. इस्लामपुर - सइदा फरहत अफरोज (माकपा), 30. गोपालपोखड़ - शफीउर रहमान (फारवर्ड ब्लाक), 31. चाकुलिया - अली इमरान रम्ज (विक्टर) (माकपा), 32. करण दिघी (सु) - गोकुल राय (फारवर्ड ब्लाक), 33. हेमताबाद (सु) -खगेन सिन्हा (माकपा), 34. कालियागंज (सु)- ननीगोपाल राय (माकपा), 35. रायगंज -किरणमय नंद (एसपी), 36. इटाहार- श्रीकुमार मुखर्जी (भाकपा), 37. खुशमंडी (सु)-नर्मदा चंद्र राय (आरएसपी), 38. कुमारगंज -मफूजा खातून (माकपा), 39. बालूरघाट - विश्वनाथ चौधरी (आरएसपी), 40. तपन (अनु. जाति)- खारा सोरेन (आरएसपी), 41. गंगारामपुर (सु) - नंदलाल हाजरा (माकपा), 42. हरिरामपुर -नारायणचंद्र विश्वास (माकपा), 43. हबीबपुर (अनु. जाति) - खगेन मुर्मू (माकपा), 44. गाजोल (सु) गोविंद मंडल (माकपा), 45. चांचल - अंजुमनारा बेगम (माकपा), 46. हरीश्चंद्रपुर -तजमुल हुसैन (फारवर्ड ब्लाक), 47. मालतीपुर- अब्दुर रहीम बक्शी (आरएसपी),48. रातुआ - शैलेन सरकार (माकपा), 49. माणिकचक -रत्ना भट््टाचार्य (माकपा), 50. मालदा (सु) - राहुल रंजन दास (माकपा), 51. इंग्लिशबाजार - समर राय (माकपा), 52. मोथाबाड़ी - नइमुद्दीन शेख (माकपा), 53. सूजापुर - केताबुद्दीन (माकपा), 54. वैष्णवनगर- विश्वनाथ घोष (माकपा), 55. फरक्का -अब्दुस सलाम (माकपा), 56. शमशेरगंज - तोयब अली (माकपा), 57. सुती - जाने आलम मियां (आरएसपी), 58. जंगीपुर - पूर्णिमा भट््टाचार्य (माकपा), 59. रघुनाथगंज- अब्दुल हसनत खान (आरएसपी), 60. सागरदिघी - इस्माइल (माकपा), 61. लालगोला -यान अली (माकपा), 62. भगवानगोला -चांद मोहम्मद (एसपी), 63. रानीनगर - मकसुदा बेगम (फारवर्ड ब्लाक), 64. मुर्शिदाबाद -विभाष चक्रवर्ती (फारवर्ड ब्लाक), 65. नवग्राम (सु) - कनाई मंडल (माकपा), 66. खारग्राम (सु) -गौतम मंडल (माकपा), 67. बरवान (सु) -विनय सरकार (आरएसपी), 68. कांदी -इनाल हक (भाकपा), 69. भरतपुर -ईद मोहम्मद (आरएसपी), 70. रेजीनगर- सिराजुल इस्लाम मंडल (आरएसपी), 71. बेलडांगा -मोहम्मद रफतुल्ला (आरएसपी), 72. बहरमपुर - तड़ित ब्रह्मचारी (आरएसपी), 73. हरिहरपाड़ा -इंसार अली (माकपा), 74. नवदा -जयंत विश्वास (आरएसपी), 75. डोमकल - अनिसुर रहमान (माकपा), 76. जालंगी - अब्दुर रज्जाक (माकपा), 77. करीमपुर -समर घोष (माकपा), 78. तेहट््टा -रंजीत मंडल (माकपा), 79. पलाशीपाड़ा - एसएम सद्दी (माकपा), 80. कालीगंज -शंकर सरकार (आरएसपी), 81. नक्काशीपाड़ा (अनु. जाति)-गायत्री सरदार (माकपा), 82. चापरा - शमशुल इस्लाम मोल्ला (माकपा), 83. कृष्णनगर उत्तर -सुविनय घोष (माकपा), 84. नवद्वीप - सुमित विश्वास (माकपा),85. कृषणनगर दक्षिण (सु) - रमा विश्वास (माकपा), 86. शांतिपुर - यार मल्लिक (आरसीपीआई), 87.रानाघाट उत्तर पश्चिम - मीना भट््टाचार्य (माकपा), 88. कृष्णागंज (सु) -वरुण विश्वास (माकपा), 89. रानाघाट उत्तर पूर्व (सु) - अर्चना विश्वास (माकपा), 90. रानाघाट दक्षिण (सु) - आलोक दास (माकपा), 91. चाकदा - विश्वनाथ गुप्त (माकपा), 92. कल्याणी (सु)-ज्योत्सना सरकार (माकपा), 93. हरिणघाटा (सु)-डा. विश्वजीत पाल (माकपा), 94. बागदा (सु)-मृणाल सिकदर (फारवर्ड ब्लाक), 95. बनगांव उत्तर (सु)- डा. विश्वजीत विश्वास (माकपा), 96. बनगांव दक्षिण (सु) -अनुज सरकार (माकपा), 97. गाइघाटा (सु) -मनोज कांति विश्वास (भाकपा), 98. स्वर्णनगर (सु)- शिवपद दास (माकपा), 99. बादुरिया-मोहम्मद सलीम गाएन (माकपा), 100. हबरा-प्रणव भट््टाचार्य (माकपा), 101. अशोकनगर -सत्यसेवी कर (माकपा), 102. आमडांगा - अब्दुस सत्तार (माकपा),103. बिजपुर- निर्झरणी चक्रवर्ती (माकपा), 104. नैहाटी - रंजीत कुंडू (माकपा), 105. भाटपाड़ा -नेपालदेव भट््टाचार्य (माकपा), 106. जगदल (सु) - हरिपद विश्वास (फारवर्ड ब्लाक),107. नोआपाड़ा - डा. केडी घोष (माकपा),108. बैरकपुर - डा. मधुसूदन सामंत (माकपा), 109. खरदह-असीम दासगुप्त (माकपा), 110. दमदम उत्तर-रेखा गोस्वामी (माकपा), 111.पानीहाटी - दुलाल चक्रवर्ती (माकपा), 112. कमरहट््टी-मानस मुखर्जी (माकपा), 113. बरानगर- अमर चौधरी (आरएसपी),114. दमदम-गौतम देव (माकपा), 115. राजारहाट न्यूटाउन -तापस चटर्जी (माकपा), 116. विधाननगर-पलाश दास (माकपा), 117. राजारहाट गोपालपुर-रबीन मंडल (माकपा), 118. मध्यमग्राम -रंजीत चौधरी (फारवर्ड ब्लाक), 119. बारासात- संजीव चटर्जी (फारवर्ड ब्लाक ), 120. देगंगा- डा. मुर्तजा हुसैन (फारवर्ड ब्लाक), 121. हाड़ोआ-इम्तियाज हुसैन (माकपा), 122. मिनाखां (सु) -दिलीप राय (माकपा), 123. संदेशखाली (अनु. जाति) - निरापद सरदार (माकपा), 124. बशीरहाट दक्षिण -नारायण मुखर्जी (माकपा), 125. बशीरहाट उत्तर - मुस्तफा बिन कासिम (माकपा), 126. हिंगलगंज (सु) - आनंद मंडल (भाकपा), 127. गोसाबा (सु) - समरेंद्र नाथ मंडल (आरएसपी), 128. बासंती (सु) - सुभाष नस्कर (आरएसपी), 129. कुलतली (सु) -रामशंकर हालदार (माकपा), 130. पाथरप्रतिमा - योगेश्वर दास (माकपा), 131. काकद्वीप -मिलन भट््टाचार्य (माकपा), 132. सागर -मिलन पारुआ (माकपा), 133. कुल्पी (सु)- शकुंतला पाइक (माकपा), 134. रायदिघी - कांति गांगुली (माकपा), 135. मंदिरबाजार (सु) -डा. शरत हालदार (माकपा), 136. जयनगर (सु) - श्यामली हालदार (माकपा), 137. बारुईपुर पूर्व (सु)-विमल मिस्त्री (माकपा), 138. कैनिंग पश्चिम (सु) -जयदेव पुरकायत (माकपा), 139. कैनिंग पूर्व -अब्दुर रज्जाक मोल्ला (माकपा), 140. बारुईपुर पश्चिम -कनक कांति पारिया (माकपा), 141. मगराहाट पूर्व (सु)- चंदन साहा (माकपा), 142. मगराहाट पश्चिम -डा. अब्दुल हसनत (माकपा), 143. डायमंड हार्बर-शुभ्रा साव (माकपा), 144. पालता -अर्द्धेंदु शेखर बिंदु (माकपा), 145. सातगाछिया (सु) -वरुण नस्कर (माकपा), 146. विष्णुपुर (सु) -प्रो. सुधीन सिन्हा (माकपा), 147. सोनारपुर दक्षिण -तड़ित चक्रवर्ती (भाकपा), 148. भांगड़ - बादल जमादार (माकपा), 149. कसबा - शतरूप घोष (माकपा), 150. यादवपुर - बुद्धदेव भट््टाचार्य (माकपा), 151. सोनारपुर उत्तर (सु)- श्यामल नस्कर (माकपा), 152. टालीगंज -प्रो. पार्थ प्रतीम विश्वास (माकपा), 153. बेहला पूर्व -कुमकुम चक्रवर्ती (माकपा), 154. बेहला पश्चिम- प्रो. अनपम देव शंकर (माकपा),155. महेशतला- शेख मोहम्मद इसरायल (माकपा), 156. बजबज- हृषिकेश पोद्दार (माकपा), 157. मटियाबुर्ज -बदरुदोजा मोल्ला (माकपा), 158. कोलकाता पोर्ट -मोइनुद्दीन शम्स (फारवर्ड ब्लाक), 159. भवानीपुर-नारायण जैन (माकपा), 160. रासबिहारी- प्रो. शांतनु बोस (माकपा), 161. बालीगंज - डा. फुआद हलीम (माकपा), 162. चौरंगी-विमल सिंह (राजद), 163. इंटाली (सु)- डा. देवेश दास (माकपा),164. बेलेघाटा-अनादि साहू (माकपा), 165. जोड़ासांको- जानकी सिंह (माकपा), 166. श्यामपुकुर-जीवन साहा (फारवर्ड ब्लाक),167. मानिकतला- रूपा बागची (माकपा), 168. काशीपुर-बेलगछिया-कनिनिका घोष (माकपा), 169. बाली - कनिका गांगुली (माकपा), 170. हावड़ा उत्तर - निमाई सामंत (माकपा), 171. हावड़ा मध्य-अरूप राय (माकपा), 172. शिवपुर- डा. जगन्नाथ भट््टाचार्य (फारवर्ड ब्लाक), 173. हावड़ा दक्षिण-कृष्ण किशोर राय (माकपा), 174. सांकराइल (सु)-अनिर्वाण हाजरा (माकपा), 175. पांचला-डोला राय (फारवर्ड ब्लाक), 176. उलबेड़िया पूर्व- मोहन मंडल (माकपा), 177. उलबेड़िया उत्तर (सु)- भीम घुकू (माकपा), 178. उलबेड़िया दक्षिण-शेख कुतुबुद्दीन अहमद (फारवर्ड ब्लाक), 179. श्यामपुर-मिनती प्रमाणिक (पारवर्ड ब्लाक), 180. बागनान-अक्केल अली (माकपा), 181. आमता सीट से रवींद्रनाथ मित्र (माकपा), 182. उदयनारायणपुर सीट से चंद्रलेखा बाग (माकपा), 183. जगतवल्लभपुर-काजी जफ्फार अहमद (माकपा), 184. डोमजुर -मोहंत चटर्जी (माकपा), 185. उत्तरपाड़ा-श्रतिनाथ प्रहराज (माकपा), 186. श्रीरामपुर (बाद में घोषित), 187. चंपदानी -जीवेश चक्रवर्ती (माकपा), 188. सिंगुर-डा. असित दास (माकपा), 189. चंदननगर- शिव प्रसाद बनर्जी (माकपा), 190. चूंचुड़ा -नरेन दे (फारवर्ड ब्लाक), 191. बलागढ़ (सु)-भुवन प्रमाणिक (माकपा), 192. पंडुआ-अमजद हुसैन (माकपा), 193. सप्तग्राम -आशुतोष मुखोपाध्याय (माकपा), 194. चंडीतला - शेख आजिम अली (माकपा), 195. जंगीपाड़ा- प्रो. सुदर्शन रायचौधरी (माकपा), 196. हरिपाल-भारती मुखर्जी, 197. धनियाखाली (सु)-श्रवाणी सरकार (फारवर्ड ब्लाक), 198. तारकेश्वर-प्रतीम चटर्जी (मार्क्सवादी फारवर्ड ब्लाक), 199. पुरसुरा -सौमेंद्रनाथ बेरा (माकपा), 200. आरामबाग (सु)- असित मलिक (माकपा), 201. गोघाट (सु)- विश्वनाथ कराक (फारवर्ड ब्लाक), 202. खानकुल- शुभ्रा पारुई (माकपा), 203. तमलुक-जगन्नाथ मित्र (भाकपा), 204. पांशकुरा पूर्व -अमिय साहू (माकपा), 205. पांशकुरा पश्चिम- निर्मल कुमार बेरा (भाकपा), 206. मोयना-मुजीबुर रहमान (माकपा), 207. नंदकुमार -ब्रह्ममय नंद (एसपी), 208. महिषादल-तमालिका पंडा सेठ (माकपा), 209. हल्दिया (सु)-नित्यानंद बेरा (माकपा), 210. नंदीग्राम-परमानंद बेरा (भाकपा), 211. चंडीपुर -विद्युत गुछायट (माकपा), 212. पटाशपुर-माखन नायक (भाकपा), 213. कांथी उत्तर (ओबीसी)-चक्रधर मैकप (माकपा), 214. भगवानपुर- रंजीत मन्ना (एसपी), 215. खेजुरी (सु) -असीम मंडल (एसपी), 216. कांथी दक्षिण -उत्तम कुमार प्रधान (भाकपा), 217. रामनगर -स्वदेश रंजन नायक (माकपा), 218. एगरा- प्रो. हृषिकेश पायरा (डीएसपी), 219. दांतन -अरुण महापात्र (भाकपा), 220. नयाग्राम (अनु.जाति) - भूतनाथ सोरेन (माकपा), 221. गोपीवल्लभपुर -रविलाल मोइत्र (माकपा), 222. झाड़ग्राम-अमर बोस (माकपा), 223. केशियारी (अनु. जाति) - विराम मांडी (माकपा),

224. खड़गपुर सदर - अनिल दास (माकपा), 225. नारायणगढ़- सूर्यकांत मिश्र (माकपा), 226. संबग-रामापद साहू (बीबीसी), 227. पिंगला- प्रो. प्रबोध चंद्र सिन्हा (डीएसपी), 228. खड़गपुर-नजामुल हक (माकपा), 229. डेबरा-शोहराब हुसैन शेख (माकपा), 230. दासपुर-सुनील अधिकारी (माकपा), 231. घटाल (सु)-छवि पाखीरा (माकपा), 232. चंद्रकोना (सु)-छाया दलुई (माकपा), 233. गड़बेता-सुशांत राणा (भाकपा), 234. सालबनी-अभिराम महतो (माकपा), 235. केशपुर (सु)-रामेश्वर दालुई (माकपा),236. मेदिनीपुर सीट से संतोष राणा (भाकपा), 237. बीनपुर- दिवाकर हांसदा (माकपा), 238. बांदवान (अनु. जाति)-सुशांत बेसरा (माकपा), 239. बलरामपुर (ओबीसी)- मणिंद्र गोप (माकपा), 240. बाघमुंडी-मंगल महतो (फारवर्ड ब्लाक), 241.जयपुर-धीरेन महतो (फारवर्ड ब्लाक), 242. पुरुलिया सीट से कौशिक मजुमदार (माकपा), 243. मानबाजार (अनु. जाति) सीट से हीमानी हांसदा (माकपा), 244. काशीपुर सीट से सुभाष महतो (माकपा), 245. पारा (सु) सीट से दीपक बारुई (माकपा), 246. रघुनाथपुर (सु) सीट से दीपाली बाउरी (माकपा), 248. छातना सीट से अनाथबंधु मंडल (आरएसपी), 249. रानीबांध (अनु. जाति) सीट से देवलीना हेंब्रम (माकपा), 250. रायपुर (अनु. जाति) सीट से उपेन किस्कू (माकपा), 251. तालडांगा सीट से मनोरंजन पात्र (माकपा), 252. बांकुड़ा सीट से प्रतीक मुखर्जी (माकपा), 253. बरजोरा सीट से सुष्मिता विश्वास (माकपा), 254. ओंदा सीट से तारापद चक्रवर्ती (फारवर्ड ब्लाक), 255. विष्णुपुर-स्वपन घोष (माकपा), 256. कतुलपुर (सु)- पूर्णिमा बागदी (माकपा), 257. इंदस (सु)- शांतनु बोरा (माकपा), 258. सोनामुखी (सु)- मनोरंजन चोंगरे (माकपा), 259. खंडघोष (सु)- नवीन बाग (माकपा), 260. बर्दवान दक्षिण- निरूपम सेन (माकपा), 261. रायना (सु)- बासुदेव खान (माकपा), 262. जमालपुर (सु)-समर हाजरा (मार्क्सवादी फारवर्ड ब्लाक), 263. मंतेश्वर- चौधरी मोहम्मद हिदायतुल्ला (माकपा), 264. कालना (सु)- प्रणव सिकदर (माकपा), 265. मेमारी- देवाशीष घोष (माकपा), 266. बर्दवान उत्तर (सु)- अपर्णा साहा (माकपा), 267. भातार- श्रीजीत कोनार (माकपा), 268. पूर्वस्थली दक्षिण- आलिया बेगम (माकपा), 269. पूर्वस्थली उत्तर-प्रदीप साहा (माकपा), 270. काटवा-सुदीप्ता बागची (माकपा)स 271. केतुग्राम- प्रो. सैयद अबुल कादर (माकपा), 272. मंगलकोट-शाहजहां चौधरी (माकपा),

273. आउसग्राम (सु)- बासुदेव मेटे (माकपा), 274. गलसी (सु)- सुनील कुमार मंडल (फारवर्ड ब्लाक), 275. पंजेश्वर- गौरांग चटर्जी (माकपा), 276. दुर्गापुर पूर्व- अल्पना चौधरी (माकपा), 277. दुर्गापुर पश्चिम-बीपरेंदु चक्रवर्ती (माकपा), 278. रानीगंज- रुनू दत्त (माकपा), 279. जामुड़िया-जहांआरा खान (माकपा), 280. आसनसोल दक्षिण-आलोक मुखर्जी (माकपा), 281. आसनसोल उत्तर-रानू राय चौधरी (माकपा), 282. कुल्टी-मानिकलाल आचार्य (फारवर्ड ब्लाक), 283. बाराबनी- आभास रायचौधरी (माकपा), 284. दुबराजपुर (सु)- विजय बागदी (फारवर्ड ब्लाक), 285. सुरी-अब्दुल गफ्फार (माकपा), 286. बोलपुर- तपन होड़ (आरएसपी), 287. नानूर (सु)-श्यामली प्रधान (माकपा), 288. लाभपुर-नवनीता मुखर्जी (माकपा), 290. मयुरेश्वर-अशोक राय (माकपा), 291. रामपुरहाट- रेवती रंजन भट््टाचार्य (फारवर्ड ब्लाक), 292. हासन-कमल हासन (आरसीपीआई), 293. नलहाटी-दीपक चटर्जी (फारवर्ड ब्लाक) व 294. मुराराई-डा. कमरे इलाही (माकपा)।









Tuesday, 1 March 2011

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधाननसभा चुनाव की तारीखों का एलान



१८ अप्रैल २०११ से छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव होने हैं।। चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की फिजा अलग ही होती है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की वाममोर्चा को सत्ता से बेदखल की मुहिम ने माहौल को और गरमा दिया है। १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का बिगुल बज चुका है। मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू कराना चाहता हूं। निरपेक्ष भाव से इस महाभारत की कथा सुनाऊंगा। रखिए मेरे ब्लाग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-२०११ धारावाहिक की हर कड़ी पर नजर।
ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह  

लोकलुभावन-बेवकूफबनावन कार्यक्रमों में ठहराव और चुनाव प्रचार में तेजी 


 वैसे तो पश्चिम बंगाल में चुनावी जंग तीन-चार महीने पहले से शुरू हो चुकी है मगर आज पहली मार्च को चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान करके बाकायदा युद्ध आरम्भ करा दिया। जिन पाच राज्यों में चुनाव होने हैं उसमें सबसे संवेदनशील माहौल पश्चिम बंगाल में है। हालांकि छह चरणों में चुनाव सत्तापक्ष के गले शायद नहीं उतरे मगर सत्ता के लिए पहले से हो रहे खूनखराबे के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सही फैसला लिया है। अब चुनाव आचार संहिता प्रभावी होगी। इस बीच जनता के लिए लोकलुभावन-बेवकूफबनावनकार्यक्रमों में ठहराव और चुनाव प्रचार में तेजी होगी। देखते हैं जनता किसके झांसे में आती है ?
चुनाव आयोग ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधासभा चुनाव की तारीखों का एलान किया।
मुख्‍य चुनाव आयुक्त कुरैशी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में छह चरणों में - 18, 23, 27 अप्रैल और 7, 10 मई को चुनाव होंगे, जबकि असम में 4 और 11 अप्रैल को दो चरणों में चुनाव होंगे। केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी में 13 अप्रैल को वोट डाले जाएँगे। कुरैशी ने बताया विधानसभा चुनाव अप्रवासी भारतीय भी वोट डाल सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका है जब अप्रवासी भारतीय वोट डाल सकेंगे। पाँचों राज्यों की मतगणना 13 मई को होगी। चुनावों की तारीख का एलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सैय्यद याकूब क़ुरैशी ने कहा कि तारीख़ें तय करने से पहले स्थानीय मौसम, स्कूलों की परीक्षाओं, त्योहारों और केंद्रीय सुरक्षा बलों की उपलब्धि का ध्यान रखा गया है।
चुनाव का तिथिवार विवरण
प. बंगाल
पहला चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 24 मार्च, चुनाव की तारीख- 18 अप्रैल
दूसरा चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 30 मार्च,  चुनाव की तारीख- 23 अप्रैल
तीसरा चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 2 अप्रैल,  चुनाव की तारीख- 27 अप्रैल
चौथा चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 7 अप्रैल,  चुनाव की तारीख- 3 मई
पांचवा चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 11 अप्रैल,  चुनाव की तारीख- 7 मई
छंठवा चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 14 अप्रैल,  चुनाव की तारीख- 10 मई

तमिलनाडू


अधिसूचना जारी करने की तारीख- 19 मार्च
चुनाव की तारीख- 13 अप्रैल

केरल
अधिसूचना जारी करने की तारीख- 19 मार्च
चुनाव की तारीख- 13 अप्रैल

असम
पहला चरण- अधिसूचना जारी करने की तारीख- 10 मार्च, चुनाव की तारीख- 4 अप्रैल
दूसरा चरण - अधिसूचना जारी करने की तारीख- 18 मार्च, चुनाव की तारीख- 11 अप्रैल

पुडुचेरी

अधिसूचना जारी करने की तारीख- 19 मार्च
चुनाव की तारीख- 13 अप्रैल

सभी राज्यों में कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या इस प्रकार है-
राज्य                  कुल विधानसभा क्षेत्र
तमिलनाडू                    234
केरल                        140
पुडुचेरी                       30
पश्चिम बंगाल                 294
असम                       126








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