Wednesday, 11 May 2011

एक्जिट पोल की बजी ढोल- ढह गया कम्युनिस्टों का लाल किला

छह चरणों में पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया है। नतीजे तो १३ को ही आएँगे मगर मंगलवार की शाम को ही एक्जिट पोल के नतीजे आ गए। सर्वे की रिपोर्ट को हकीकत मानें तो ३४ सालों बाद पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों का अभेद्य लाल गढ़ ढहता दिख रहा है। वैसे तो १९७७ से लगातार तीन दशक से अधिक समय से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिष्ट सरकार की नींव पिछले पंचायत , लोकसभा और कोलकाता नगर निगम व नगरपालिका चुनावों में हिल चुकी है। अब विधानसभा चुनावों में कम्युनिस्टों को भारी पराजय का सामना करना पड़ सकता है। कौतूहल भरी इस दिलचस्प लड़ाई का आखिरी दौर भी खत्म हो चुका है। शुरू से ही निरपेक्ष भाव से मैं भी अपने ब्लाग के माध्यम से आपको इस जंग से रूबरू करा रहा था। जीत का सेहरा किसके सिर होगा, यह को १३ मई को ही मुकम्मल तौरपर पता चल पाएगा। फिलहाल आइए एक्जिट पोल पर नजर डालें।

यह भी जान लें कि किस चरण में कितना हुआ मतदान
पहला चरण - 54 सीटें - 83.75%
दूसरा चरण - 50 सीटें - 85.32%
तीसरा चरण - 75 सीटें - 78.3%
चौथा चरण - 63 सीटें - 84.8%
पाँचवाँ चरण - 38 सीटें - 83%
छठवाँ चरण - 14 सीटें - 83.48%

ब्लाग नियंत्रक - डा.मान्धाता सिंह

  बंगाल व केरल में होगा सत्ता परिवर्तन, वाममोर्चा का सफाया कर देगा तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन - स्टार न्यूज टेलिविजन चैनल सर्वे

    आजतक, हेडलाइन्स, ओआरजी सर्वे और स्टार न्यूज टीवी ने अलग-अलग कराए सर्वे में बताया है कि ममता बनर्जी की तृणमूल और कांग्रेस गठबंधन पश्चिम बंगाल में आसानी से दो तिहाई बहुमत हासिल कर लेगा। यानी सर्वे की मानें तो कम्युनिस्टों का लाल किला ढह चुका है। हालांकि माकपा के राज्यसचिव विमान बोस ने कोलकाता में माकपा मुख्यालय अलीमुद्दीन स्ट्रीट में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में सर्वे को सिरे से खारिज करके फिर दावा किया कि- सरकार वाममोर्चा की ही बनेगी। अभी हाल ही में बीबीसी हिंदी को कोलकाता स्थित संवाददाता से बातचीत में कहा था- लिख लो वाममोर्चा की ही सरकार बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि ये जो समाज शास्त्री चुनाव विश्लेषक 2009 के लोक सभा चुनावों के नतीजों को आधार बना कर कहते हैं कि वाम मोर्चा हार जाएगा. ये 13 मई को मतगणना के दिन चुप हो जाएँगें।


    दावे तो राजनीतिक स्तर पर किए ही जा सकते हैं। मगर इतना तो तय है कि ममता बनर्जीं की कम्युनिस्टों के साथ छिड़ी इस जंग ने पश्चिम बंगाल को एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर में ला खड़ा किया है और कुशासन से लड़ना भी सिखा दिया। कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल में मजबूत विपक्ष रह चुकी है मगर कभी परिवर्तन की वह इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाई जो आज ममता बनर्जीं के कारण दिख रही है। कांग्रेस की इसी चरित्र के कारण उसके विरोधी उसे माकपा की बी टीम कहने लगे थे। यह सच है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता मगर अपनी जान को जोखिम में डालकर पश्चिम बंगाल में संगठित वाममोर्चा से लड़ने की हिम्मत तो ममता बनर्जी ने ही जुटाई। बंगाल के इस परिवर्तनवादी मुकाम का एक ही चेहरा है-ममता बनर्जी।


ममता बनर्जी का सीएम बनना लगभग तय : आजतक सर्वे

   क्या पश्चिम बंगाल में बदला जाएगा इतिहास. 35 साल से सत्ता पर काबिज वाममोर्चे को बंगाल की जनता कर देगी सत्ता से बेदखल. आजतक, हेडलाइन्स, ओआरजी सर्वे ने पश्चिम बंगाल में सभी चरणों के मतदान के बाद तैयार की है बंगाल की पोस्टपोल तस्वीर इस तस्वीर में ममता अपने विरोधियों से काफी आगे दिख रही हैं जबकि वाममोर्चा का किला टूटता दिख रहा है.

   आजतक-हेडलाइन्स-ओआरजी सर्वे के मुताबिक पोस्ट पोल में वाममोर्चा को 65 से 70 सीट मिल सकती हैं. इन्हें 39 फीसदी वोट मिल सकता है. पोस्टपोल के मुताबिक वाममोर्चे को 160 सीटों का घाटा है जबकि उसका वोट प्रतिशत 9 फीसदी घटा है.

    2006 विधानसभा के मुताबिक वाममोर्चा को 294 में से 227 सीट मिलीं थीं जबकि उसका वोट प्रतिशत 48 फीसदी था. इस तरह से अगर मुकम्मल तस्वीर देखें तो 2011 में पोस्टपोल के मुताबिक वाममोर्चा 65 से 70 सीट पा सकता है उसे 39 फीसदी वोट मिलेंगे उसे 9 फीसदी वोटों के साथ 160 सीटों का नुकसान होगा जबकि 2006 में उसने 48 फीसदी वोट के साथ 227 सीट जीतीं थीं.

इस तरह से आजतक-हेडलाइन्स-ओआरजी पोस्ट सर्वे के मुताबिक लेफ्ट का लाल गढ़ ढहता दिख रहा है और ममता बनर्जी, कांग्रेस और अन्य की सरकार बनती दिख रही है. आंकड़ों की जुबानी अगर इस बात को समझें तो ममता बनर्जी गठबंधन को 210 से 220 सीट मिल सकती हैं. गठबंधन को 48 फीसदी मत मिल सकते हैं. ममता गठबंधन को 186 सीटों का फायदा होता दिख रहा है जबकि गठबंधन का वोट प्रतिशत 19 फीसदी बढ़ा है.

   2006 विधानसभा में ममता को बीजेपी के साथ 29 फीसदी वोट और 30 सीट मिलीं थीं जबकि कांग्रेस को 17 फीसदी वोट के साथ 21 सीट मिलीं थीं. पर 2011 में दोनो साथ में हैं लिहाजा पोस्ट पोल से जो मुकम्मल तस्वीर बनती है वो ये है कि गठबंधन को 210 से 220 सीट मिलेंगी इन्हें 48 फीसदी वोट मिल सकता है. इन्हें 2006 की अपेक्षा 186 सीट का फायदा हो सकता और उनका वोट प्रतिशत करीब 19 फीसदी बढ़ सकता है.

    इस तरह से साफ है कि ममता बनर्जी अपने गठबंधन के साथ बड़ी जीत पाती दिख रही हैं. यानी बंगाल में एक बड़े ऐतिहासिक बदलाव के संकेत दो तिहाई से ज्यादा के बहुमत से साफ हैं. सर्वे में बाकी सीटों के बारे में संकेत हैं कि अन्य 6 फीसदी वोट के साथ 16 सीट पर काबिज हो सकते हैं जो पिछली बार से 26 सीट कम होगा और वोट प्रतिशत में 10 फीसदी कम हो सकता है. इस तरह से ममता सत्ता पर काबिज दिखती हैं और लेफ्ट सत्ता से बाहर.

बंगाल व केरल में होगा सत्ता परिवर्तन, वाममोर्चा का सफाया कर देगा तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन - स्टार न्यूज टेलिविजन चैनल सर्वे
    एक और चुनाव बाद सर्वे ने दावा किया है कि बंगाल व केरल में सत्ता परिवर्तन होगा जबकि तमिलनाडु में यह बेहद करीबी मामला होगा। चैनल के एक्जिट पोल सर्वे के मुताबिक बंगाल में तृणमूल को १८१, कांग्रेस को ४० और वाममोर्चा को ६२ सींटे मिल सकती हैं। अगर इस सर्वे पर भरोसा करें तो ३५ साल पुरानी वाममोर्चा सरकार का बंगाल से सफाया हो जाएगा जबकि इसके पूर्व विधानसभा में इसकी २२७ सीटें थीं।

इसी तरह केरल में कांग्रेस की संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा को ८८ और माकपा के वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को ४९ सीटें मिलेंगी। तमिलनाडु की २३४ सीटों में से आलइंडिया अन्नाद्रमुक को ११० और द्रमुक को १२४ सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।

असम में तरुण गोगोई सरकार को इस सर्वे में तीसरी बार भी सत्ता में आने की बात कही गई है। हेडलाइन्स टूडे के सर्वे के मुताबिक असम में कांग्रेस को १२६ में ४४ सीटें जीतने का दावा किया गया है। विपक्ष को महज १४ सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है।


प. बंगाल चुनाव: छठे चरण में 84 फीसदी मतदान

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के छठे एवं अंतिम चरण में 14 सीटों के लिए हुए मतदान में 84.8 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. मतदान पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा.

उप चुनाव आयुक्त विनोद जुत्शी ने मतदान की समाप्ति के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा, पुरूलिया और पश्चिमी मिदनापुर जिलों के 14 विधानसभा सीटों के लिए 84.8 प्रतिशत मतदान हुआ. मतदान बहुत ही शांतिपूर्ण रहा और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है.’

उन्होंने बताया कि मतदान का प्रतिशत कुछ और बढ़ सकता है क्योंकि मतदान की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी अनेक मतदान केन्द्रों पर लोग वोट डालने के लिए लाइनों में लगे थे. गौरतलब है कि वर्ष 2006 में हुए विधानसभा चुनाव में इन निर्वाचन क्षेत्रों में 82.53 फीसदी और 2009 के लोकसभा चुनाव में 76.49 प्रतिशत मतदान हुआ था.

सबसे ज्यादा 86.6 प्रतिशत मतदान पश्चिमी मिदनापुर जिले में हुआ जबकि पुरूलिया जिले में 80.1 प्रतिशत और बाकुंड़ा जिले में 85.5 प्रतिशत मतदान हुआ. छठे चरण के इस मतदान से 97 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में कैद हो गया. इन उम्मीदवारों में राज्य की मंत्री सुसांता घोष और पीसीपीए नेता छत्रधर महतो शामिल हैं.

अंतिम चरण में कुल 7 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं. 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए इस बार 18 अप्रैल से 10 मई के बीच छह चरणों में चुनाव कराये गये. सभी सीटों के लिए मतगणना 13 मई को होगी. उप चुनाव आयुक्त ने बताया कि इन 14 निर्वाचन क्षेत्रों के 26 लाख 57 हजार से ज्यादा मतदाताओं के लिए कुल 3534 मतदान केन्द्र बनाये गये थे.

शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न कराने के लिये सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने एक विशेष पर्यवेक्षक, 14 सामान्य पर्यवेक्षक और तीन व्यय पर्यवेक्षकों के अलावा पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में भारतीय पुलिस सेवा के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया था.

जुत्शी ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाये रखने के इरादे से निरोधात्मक कार्रवाई के तहत ऐहतियात के तौर पर 22 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया. उन्होंने बताया कि पुरूलिया जिले में एक मतदान केन्द्र में लोगों ने स्थानीय मुद्दे को लेकर मतदान का बहिष्कार किया.

उन्होंने राज्य की सभी 294 सीटों के लिए मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से पूरी होने पर प्रसन्नता जताई और साथ ही कहा कि इस बार राज्य में पिछले विधानसभा और 2009 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ.

पहले दौर के चुनाव में 54 सीटों के लिए मतदान हुआ था जिसमें 70 प्रतिशत से भी अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. दूसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को हुआ था जिसमें 83 फ़ीसदी मतदान हुआ था.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तीसरा चरण का मतदान ख़त्म हो गया है. चुनाव आयोग के मुताबिक़ इस चरण में 78.3 फ़ीसदी मतदान हुआ है. इस दौर में कुल 479 उम्मीदवारों की किस्मत का फ़ैसला होगा जिसमें मुख्यमंत्री बु्द्धदेव भट्टाचार्य भी शामिल हैं. मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे. कुल 17792 मतदान केंद्र बनाए गए थे. जिन 75 सीटों पर चुनाव हुए हैं, उनमें से 11 कोलकाता, 33 उत्तरी 24 परगना और 31 दक्षिणी परगना में हैं. मुख्यमंत्री के अलावा वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता, आवास मंत्री गौतम देब, ट्रांसपोर्ट मंत्री रंजीत कुंडू, विपक्ष के नेता पार्था चटर्जी, फ़िक्की के महासचिव अमित मित्रा और फ़िल्म अभिनेत्री देबाश्री रॉय भी तीसरे दौर में प्रत्याशी हैं.

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के लिए हुए मतदान के चौथे दौर में 84.8 प्रतिशत मतदान हुआ है. चौथे चरण का मतदान हुगली और पूर्वी मिदनापुर ज़िले में हुआ है, जबकि बर्दवान ज़िले के कुछ हिस्से में भी इस चरण का मतदान संपन्न हुआ. जिन क्षेत्रों में मतदान हुआ है, उनमें नंदीग्राम और सिंगुर भी शामिल हैं. इन दोनों शहरों ने पिछले कुछ समय में राज्य की राजनीति का चेहरा बदल दिया।

राज्य में सत्ताधारी वाम मोर्चे के लिए पांचवे चरण का मतदान खासतौर पर अहमियत रखता है. 2006 के विधानसभा चुनावों में 38 में से 35 सीटें वाम मोर्चा ने जीती थी. शेष तीन में से दो कॉंग्रेस और एक पर तृणमूल कॉंग्रेस किसी सफल हो पाए थे. 2006 में वाम मोर्चा की ज़बरदस्त जीत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे डाले गए कुल मतों में से क़रीब 92 फ़ीसदी मत मिले थे.अभूतपूर्व सुरक्षा के बीच पश्चिम बंगाल के चार जिलों की 38 सीटों के लिए मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया है. राजनीतिक हिंसा के ख़ूनी इतिहास वाले राज्य में चुनाव आयोग ने इस बार वेबकास्ट और हेलीकॉप्टरों के सहारे मतदान प्रक्रिया पर नज़र रखी. पांचवे चरण में 82.2 फ़ीसदी मतदान हुआ है.



'लिख लो वाम मोर्चा फिर जीतेगा

सोमवार, 9 मई, 2011


अविनाश दत्त


बीबीसी संवाददाता, कोलकाता से

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/05/110509_biman_iv_pp.shtml

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कोलकाता दफ़्तर में सुबह से रात तीन-चार बजे तक बैठकें करने वाले राज्य इकाई के सचिव बिमान बसु दावे के साथ कहते हैं कि उन्हें आठवीं बार राज्य में वाम मोर्चा सरकार बनाने का पूरा भरोसा है.

बिमान बसु कहते हैं, "ये जो समाज शास्त्री चुनाव विश्लेषक 2009 के लोक सभा चुनावों के नतीजों को आधार बना कर कहते हैं कि वाम मोर्चा हार जाएगा. ये 13 मई को मतगणना के दिन चुप हो जाएँगें."

साल 2000 से पश्चिम बंगाल की कमान ज्योति बसु से लेने वाले बुद्धदेब भट्टाचार्य की जनता से अपने कार्यकर्ताओं की ग़लतियों के लिए बारंबार माफ़ी मांगने की बात पर पश्चिम बंगाल में पार्टी के मुखिया बसु कहते हैं कि हज़ारों ग़लत कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल बाहर किया गया है.
उन्होंने कहा कि साल 2009 के चुनावी नतीजों से उन्होंने सबक लिया और भीतर बहस करके सुधार कार्यक्रम चलाए, जिनका अच्छा असर हुआ है.
आप उनसे पूछिए कि अगर सब कुछ उनके इच्छा के मुताबिक़ चल रहा है तो फिर उन्हें पार्टी से निकाल फेंके गए पूर्व लोक सभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की प्रचार में मदद क्यों लेनी पड़ी.
इस पर उन्होंने कहा, "कुछ लोग बाहर रहते हुए पार्टी की मदद करना चाहते हैं वो करते हैं. कुछ भाषण भी दे देते हैं. सोमानाथ चटर्जी ने भी दो सीटों पर पार्टी के समर्थन में इसी तरह की सभाएं की."

विपक्ष की ममता

बसु से जब मैंने पूछा कि 34 साल बाद सत्ता से बहार हुए तो क्या पार्टी मुश्किल में नहीं पड़ जाएगी तो बसु ने सामने पड़ी काली चाय की चुस्की ली और चारों तरफ़ चलते पंखों की तेज़ हवा के बीच अपनी सिगरेट जलाई और बोले, "जो तेज़ हवा के बीच सिगरेट नहीं जला सकता वो स्मोकर नहीं है."
दोबारा पूछने पर बसु बोले प्रश्न बेमतलब है और आठवीं सरकार फिर उनकी बनेगी.
वर्षों पहले घर छोड़ कर पार्टी दफ़्तर में आ बसे बसु से जब ये पूछिए कि उनमे और सीपीएम के उन बहुसंख्यक कार्यकर्ताओं में क्या अंतर है जिन्होंने पैदा होते ही पार्टी की सत्ता देखी है, तो वो कहते हैं- जो ज़माने में फर्क आया है, समाज में आया है, वही कार्यकर्ता में आया है. मैं और बुद्धो बाबु धोती-कुर्ता पहनते हैं, हमारे पास बैंक अकाउंट नहीं है. लेकिन आजकल कार्यकर्ता नए तरह के कपड़ों में रहना चाहते हैं और ज़माने के साथ चलते हैं."
बिमान बसु बात करते-करते तेज़ी से हाथ उठा कर सामने की टेबल पर दौड़ रहे एक छोटे से कॉकरोच को मारने की कोशिश करते हैं और ममता बनर्जी के बारे में कहते हैं, "ममता कहती हैं कि माओवादी और मार्क्सिस्ट एक हैं. पिछले लोकसभा चुनावों के बाद से हमारे 400 कार्यकर्ता और नेता माओवादियों ने मार डाले. कितनों को उनके इलाक़ों से भगा दिया. ममता ने कभी माओवादियों के ख़िलाफ़ एक नारा तक नहीं दिया."
पार्टी के विरोध और आम लोगों के ग़ुस्से की बात करते हुए दोबारा टेबल पर भटक आए उस कॉकरोच को सफलता पूर्वक ठंडा करते हुए बसु कहते हैं, "तारीख़ समय नोट कर लीजिए मैं कहता हूँ कि आठवीं बार सरकार बनाएँगें."
लेकिन शायद 34 साल सत्ता में रहने के बाद चौतरफ़ा उपजे विरोध को दबाना सामने दौड़ रहे कीड़े को दबाने से बहुत ज़्यादा मुश्किल है

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

जनता से कटे हैं तो नतीजा भी भुगतेंगे। और जनता भी .......

Gyan Darpan said...

इनका दोगले वामपंथियों का सुपड़ा साफ़ होने के बाद इनकी जड़ों में मट्ठा डालना बहुत जरुरी है !!

amit said...

चलो दिल्ली दोस्तों अब वक्त अग्या हे कुछ करने का भारत के लिए अपनी मात्र भूमि के लिए दोस्तों 4 जून से बाबा रामदेव दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ रहे हें हम सभी को उनका साथ देना चाहिए में तो 4 जून को दिल्ली जा रहा हु आप भी उनका साथ दें अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को देखें
http://www.bharatyogi.net/2011/04/4-2011.html

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