जब शरीर की पाचन क्रिया ध्वस्त हो जाती है और खाने से शरीर में जाने
वाले ग्लूकोज का उपयोग बंद हो जाता है। ऐसा मधुमेह रोग के कारण होता है।
जब ग्लूकोज का मात्रा रक्त में बढ़ जाती है तो वह व्यक्ति अधिक बार पेशाब
करने लगता है। रक्तचाप बढ़ जाता है। बार-बार प्यास लगती है। दरअसल ग्लूकोज
हमें भोजन से मिलता है जो यकृत और मासपेशियों में भी बनता है। शरीर की हर
कोशिकाओं में संचित रहता है। यही ग्लूकोज हमारी ऊर्जा के स्रोत हैं।
शरीर आग्नाशय बनने वाले एक रसायन इनसुलिन से इन कोशिकाओं में संचित ग्लूकोज
से ऊर्जा बनती है। जब पाचनतंत्र खराब हो जाता है तो यह इनसुलिन बनना या तो
कम हो जाता है या फिर बनता ही नहीं। परिणाम स्वरूप यह ग्लूकोज रक्त में
बढ़ने लगता है क्यों कि इसको उर्जा में बदलना बंद हो जाता है। रक्त में
ग्लूकोज की बढ़ती मात्रा कई रोगों को जन्म देता है और इनसुलिन का नहीं बनना
मधुमेह कहलाता है।
मधुमेह का कारण
१- बहुत अधिक खाना। जो पच ही नहीं पाता। तले-भुने खाने क्रीम इत्यादि ( तैलीय खाद्य ) भी पाचन क्रिया को प्रभावित करता है।
२- शारीरिक श्रम का अभाव।
३- मानसिक तनाव।
४- बहुत ज्यादा सोना।
५- बहुत अधिक खाना और उसके कारण मोटापा।
६- अधिक चीनी खाना। खाने में कारबोहाइड्रेट की अधिक मात्रा।
७- अधिक मात्रा में प्रोटीन और वसा ( तैलीय, चिकनाई वाले खाद्य ) लेना।
८- आनुवांशिक कारण। यानी माता-पिता, नाना-नानी वगैरह अगर मधुमेह के मरीज रहे हों तो भी मधुमेह का खतरा होता है।
मधुमेह के लक्षण
दिन और रात बहुत बार पेशाब लगना। या तो वजन बढ़ जाता है या फिर काफी घट जाता है। बहुत प्यास का लगना। नजर धुंधली होना। घाव का देर से भरना। मधुमेह का इलाज न हो तो इससे अंधत्व, पैर खराब हो जाना, दिल की बीमारी और किडनी खराब हो जाती है। शरीर के लगभग सभी अंग मधुमेह से प्रभावित हो जाते हैं।आयुर्वेद में इसे महारोग कहा जाता है क्यों कि समय रहते अगर इसका ईलाज नहीं किया गया तो इससे आंखें खराब हो जाती हैं। हड्डियोँ के जोड़ों में दर्द, नपुंसकता, किडनी फेल हो जाती है, सेक्स व पेशाब संबंधित कई रोग हो जाते हैं। शरीर की अनगिनत जटिलताएं शुरू हो जाती हैं।
आयुर्वेद में इसका इलाज की शुरुआत जीवनशैली में पूरी तरह से परिवर्तन से शुरू होती है। ऐसे रोगी को दवा और संयमित भोजन के साथ सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है। आरामतलब जीवन वर्ज्य है।
क्या करना चाहिए ? भोजन व जीवनशैली संबंधित सुझाव-
१-खाने में दानेदार खाद्य जैसे कि गेहूं की रोटी, पास्ता, भूरा चावल उपयोग करें।
२- बिना चिकनाई वाले दूध व दही लें।
३-प्याज, लहसुन, करैला, पालक, कच्चा केला,जामुन का सेवन करें।
४- एक भाग जौ का आंटा, एक भाग black chickpeas, चार भाग गेहूं का आंटा मिलाकर रोटी बनाकर खाएं।
५- माठा, खट्टा और नमकीन खाना, आलू, मीठा आलू, ताजी दालें, वसायुक्त दही, तैलीय मसालेदार खाने से बचना चाहिए।
६- अंगूर, आम, व अन्नास जैसे मीठे फल खाने से बचना चाहिए।
७- शारीरिक श्रम सुरू कर देना चाहिए। सुबह व शाम को कम से कम ३०-४० मिनट तेज चलना चाहिए।
८- दिन में सोना नहीं चाहिए। यह बेहद नुकसानदेह है मधुमेह मरीज के लिए।
घरेलू ईलाज
१- दिन में एक बार कड़वे करैले का जूस दो चम्मच लेना चाहिए। इसकी सब्जी भी पकाकर खानी चाहिए।
२- एक चम्मच fenugreek seeds का पाउडर दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए।
३- आंवले का जूस एक चम्मच और एक चम्मच करैले का जूस मिलाकर पीना चाहिए।
मधुमेह का कारण
१- बहुत अधिक खाना। जो पच ही नहीं पाता। तले-भुने खाने क्रीम इत्यादि ( तैलीय खाद्य ) भी पाचन क्रिया को प्रभावित करता है।
२- शारीरिक श्रम का अभाव।
३- मानसिक तनाव।
४- बहुत ज्यादा सोना।
५- बहुत अधिक खाना और उसके कारण मोटापा।
६- अधिक चीनी खाना। खाने में कारबोहाइड्रेट की अधिक मात्रा।
७- अधिक मात्रा में प्रोटीन और वसा ( तैलीय, चिकनाई वाले खाद्य ) लेना।
८- आनुवांशिक कारण। यानी माता-पिता, नाना-नानी वगैरह अगर मधुमेह के मरीज रहे हों तो भी मधुमेह का खतरा होता है।
मधुमेह के लक्षण
दिन और रात बहुत बार पेशाब लगना। या तो वजन बढ़ जाता है या फिर काफी घट जाता है। बहुत प्यास का लगना। नजर धुंधली होना। घाव का देर से भरना। मधुमेह का इलाज न हो तो इससे अंधत्व, पैर खराब हो जाना, दिल की बीमारी और किडनी खराब हो जाती है। शरीर के लगभग सभी अंग मधुमेह से प्रभावित हो जाते हैं।आयुर्वेद में इसे महारोग कहा जाता है क्यों कि समय रहते अगर इसका ईलाज नहीं किया गया तो इससे आंखें खराब हो जाती हैं। हड्डियोँ के जोड़ों में दर्द, नपुंसकता, किडनी फेल हो जाती है, सेक्स व पेशाब संबंधित कई रोग हो जाते हैं। शरीर की अनगिनत जटिलताएं शुरू हो जाती हैं।
आयुर्वेद में इसका इलाज की शुरुआत जीवनशैली में पूरी तरह से परिवर्तन से शुरू होती है। ऐसे रोगी को दवा और संयमित भोजन के साथ सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है। आरामतलब जीवन वर्ज्य है।
क्या करना चाहिए ? भोजन व जीवनशैली संबंधित सुझाव-
१-खाने में दानेदार खाद्य जैसे कि गेहूं की रोटी, पास्ता, भूरा चावल उपयोग करें।
२- बिना चिकनाई वाले दूध व दही लें।
३-प्याज, लहसुन, करैला, पालक, कच्चा केला,जामुन का सेवन करें।
४- एक भाग जौ का आंटा, एक भाग black chickpeas, चार भाग गेहूं का आंटा मिलाकर रोटी बनाकर खाएं।
५- माठा, खट्टा और नमकीन खाना, आलू, मीठा आलू, ताजी दालें, वसायुक्त दही, तैलीय मसालेदार खाने से बचना चाहिए।
६- अंगूर, आम, व अन्नास जैसे मीठे फल खाने से बचना चाहिए।
७- शारीरिक श्रम सुरू कर देना चाहिए। सुबह व शाम को कम से कम ३०-४० मिनट तेज चलना चाहिए।
८- दिन में सोना नहीं चाहिए। यह बेहद नुकसानदेह है मधुमेह मरीज के लिए।
घरेलू ईलाज
१- दिन में एक बार कड़वे करैले का जूस दो चम्मच लेना चाहिए। इसकी सब्जी भी पकाकर खानी चाहिए।
२- एक चम्मच fenugreek seeds का पाउडर दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए।
३- आंवले का जूस एक चम्मच और एक चम्मच करैले का जूस मिलाकर पीना चाहिए।
1 comment:
achhi hai rachna ,
एक नए ब्लागर के लिए लिखने से अधिक पढ़ना सुविधाजनक होता है.
हिंदी में टिप्पणी करना भी अभी कठिन है.
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