Tuesday 13 March 2012

8 माह में शादी के मात्र 9 मुहूर्त, शुभ समय का प्रतीक है मुहूर्त

हिंदू पंचांग में इस साल शादी के मुहूर्त का टोटा है। आने वाले आठ महीने में सिर्फ 9 श्रेष्ठ मुहूर्त हैं, जिसमें फेरे लिए जा सकते हैं। मार्च, अप्रैल और जून में तीन-तीन मुहूर्त हैं। इसके बाद अक्टूबर तक कोई मुहूर्त नहीं है। फिर नवंबर, दिसंबर में विवाह किए जा सकेंगे

मीनार्क, गुरु तारा अस्त होना प्रमुख वजह
ज्योतिषी डा. दत्तात्रेय होस्कर के अनुसार होलाष्टक के कारण होली तक कोई शुभ कार्य नहीं होगा। इस महीने शादी का मुहूर्त लगातार 9, 10 व 11 मार्च को है। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर रहा है। इसे शास्त्रों में मीनार्क कहा जाता है। मीनार्क में सूर्य को अस्त होना माना जाता है और जब सूर्य अस्त होता है तो शादी नहीं होती। यह स्थिति 13 अप्रैल तक रहेगी। इस दौरान विवाह नहीं होगा। इसके बाद अप्रैल में 20, 24 व 30 तारीख को फेरे लिए जा सकेंगे।

3 मई को गुरु तारा अस्त होने के कारण एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त मई में नहीं है। जून में 24, 27 व 29 तारीख को विवाह किए जा सकेंगे। जून माह में ही देवशयनी एकादशी आ रही है। इस दिन देव सो जाएंगे और चार माह बाद देवउठनी एकादशी को जागेंगे तब तक विवाह वर्जित है। इस तरह जुलाई, अगस्त, सितंबर व अक्टूबर में फेरे नहीं ले सकेंगे।
शुभ समय का प्रतीक है मुहूर्त
सात 'स' से कीजिए हर काम का शुभारंभ
 कहते हैं किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें 'मुहूर्त' को प्राथमिकता देनी होगी। शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।  यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य संपादित हो सके।

शुभ वार : सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार (गुरुवार), शुक्रवार तथा शनिचर (शनिवार) सर्वाधिक शुभ दिन माने गए हैं। मंगलवार एवं रविवार को कभी भी भूमिपूजन, गृह निर्माण की शुरुआत, शिलान्यास या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।

शुभ माह : देशी या भारतीय पद्धति के अनुसार फाल्गुन, वैशाख एवं श्रावण महीना गृह निर्माण हेतु भूमिपूजन तथा शिलान्यास के लिए सर्वश्रेष्ठ महीने हैं, जबकि माघ, ज्येष्ठ, भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष महीने मध्यम श्रेणी के हैं। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा कार्तिक मास में उपरोक्त शुभ कार्य की शुरुआत कदापि न करें। इन महीनों में गृह निर्माण प्रारंभ करने से धन, पशु एवं परिवार के सदस्यों की आयु पर असर गिरता है।

शुभ तिथि : गृह निर्माण हेतु सर्वाधिक शुभ तिथिया ये हैं - द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथियां, ये तिथियां सबसे ज्यादा प्रशस्त तथा प्रचलित बताई गई हैं, जबकि अष्टमी तिथि मध्यम मानी गई है। हर  महीने में तीनों रिक्ता अशुभ होती हैं। ये रिक्ता तिथियां निम्न हैं- चतुर्थी, नवमी एवं चौदस या चतुर्दशी। रिक्ता से आशय रिक्त से है, जिसे बोलचाल की भाषा में खालीपन या सूनापन लिए हुए रिक्त (खाली) तिथियां कहते हैं। अतः इन उक्त तीनों तिथियों में गृह निर्माणनिषेध है।

शुभ नक्षत्र : किसी भी शुभ महीने के रोहिणी, पुष्य, अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, स्वाति, हस्तचित्रा, रेवती, शतभिषा, धनिष्ठा सर्वाधिक उत्तम एवं पवित्र नक्षत्र हैं। गृह निर्माण या कोई भी शुभ कार्य इन नक्षत्रों में करना हितकर है। बाकी सभी नक्षत्र सामान्य नक्षत्रों की श्रेणी में आ जाते हैं।

सात 'स' और शुभता
शास्त्रानुसार (स) अथवा (श) वर्ण से शुरू होने वाले सात शुभ लक्षणों में गृहारंभ निर्मित करने से धन-धान्य व अपूर्व सुख-वैभव की निरंतर वृद्धि होती है व पारिवारिक सदस्यों का बौद्धिक, मानसिक व सामाजिक विकास होता है। सप्त साकार का यह योग है, स्वाति नक्षत्र, शनिवार का दिन, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि, शुभ योग, सिंह लग्न एवं श्रावण माह। अतः गृह निर्माण या कोई भी कार्य के शुभारंभ में मुहूर्त पर विचार कर उसे क्रियान्वित करना अत्यावश्यक है।
साभार -http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article/ 
 

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