Friday 27 April 2012

सेक्स पर बदलनी होंगी कई धारणाएं

 ​ सेक्स पर पूरी दुनिया में हो रहे रिसर्च ने कई धारणाओं को तोड़ने पर मजबूर कर दिया है। हम पहले सुनते थे कि बांग्लादेश या फिर भारत के पश्चिम बंगाल में १३-१४ साल की ( उत्तर भारत के मुकाबले काफी कम उम्र में ही ) लड़कियों को मासिक स्राव होने लगता है। अब नए रिसर्च ने साबित कर दिया है कि पूरी दुनिया में मासिक स्राव की उम्र दर न सिर्फ घट गई है बल्कि वह १३ से १० साल में पहुंच गई है। नए रिसर्च के अनुसार भारतीय लड़कियां 10 साल की उम्र में ही जवानी की दहलीज पर पहुंच जा रही हैं। उनके अंदर फिजिकल, हार्मोनल और सेक्शुअल बदलाव अब 2 साल पहले हो जा रहा है। पहले 12-13 साल की उम्र में लड़कियां बड़ी होती थीं। यह ट्रेंड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। बुधवार यानी २५ अप्रैल को सभी अखबारों में छपी एक स्टडी के मुताबिक, खाने-पीने और लाइफ स्टाइल में हो रहे बदलाव के चलते लड़कियों का यौवन वक्त से पहले आ जा रहा है। इस बदलाव से जोखिम बढ़ गया है। स्टडी को अंजाम देने वाले प्रफेसर सुसान और जॉर्ज पैटन कहते हैं, 'स्टडी से यह पता चला है कि तरुणाई का पहले आ जाना एक अहम शारीरिक घटना है। इसका हेल्थ पर खतरनाक असर हो सकता है। इससे भविष्य में मेंटल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं।' लाइफ स्टाइल और खाने-पीने की आदतों में आए बदलाव ने इसे बढ़ावा दिया है। पहले कहा जाता था कि 13 साल की उम्र में लड़कियों से एमसी के बारे में बात करें और उन्हें सही सलाह दें। लेकिन अब हम उन्हें 10 साल पर इस तरह की सलाह देने को कहते हैं।'​
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मर्दों की मर्दानगी खतरे में

एक और रिसर्च ने भी दुनिया भर के मर्दों में खौफ पैदा कर दिया है। एक अलग किए गए अध्ययन के मुताबिक मर्दों के स्पर्म काउंट में तेजी से गिरावट आ रही है। पिछले 50 साल में इसमें 50 पर्सेंट तक गिरावट दर्ज की गई है। अर्थात दुनिया भर के मर्दों की मर्दानगी खतरे में है। संभव है कि अगले 40-50 सालों में दुनिया भर के सभी मर्द नपुंसक हो जाएं। वजह है बढ़ता तनाव, मोटापा और पलूशन।

भारतीयों के लिए रिप्रॉडक्टिव टेक्नीक गाइडलाइंस पर काम करने वाले डॉक्टर पी. एम. भार्गव के मुताबिक स्पर्म में आ रही यह गिरावट पश्चिम देशों में 90 के मध्य में नोटिस की गई थी। भारत के जाने - माने साइंटिस्ट भार्गव का कहना है कि भारत में कुछ डॉक्टरों का मानना है कि स्पर्म में स्थानीय स्तर पर भी गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में की गई स्टडी बताती है कि स्पर्म काउंट में हर साल 2 प्रतिशत की दर से गिरावट आ रही है। अगर यही हाल रहा तो अगले 40-50 सालों में दुनिया में सभी नपुंसक हो जाएंगे।उनके मुताबिक कुछ साल पहले स्कॉटलैंड में साढ़े सात हजार लोगों पर एक स्टडी गई गई थी। इसमें 1989 और 2002 में औसत स्पर्म काउंट में 30 पर्सेंट की गिरावट दर्ज की गई। कोपेनहेगन में की गई स्टडी में इसकी वजह अल्कोहल, स्मोकिंग और बढ़ते मोटापे को बताया गया। भार्गव के मुताबिक रोजमर्रा की इस्तेमाल होने वाली चीजों जैसे बाल्टी आदि से फीमेल हार्मोन ऐस्ट्रोजन जैसे केमिकल निकलते हैं। उनके मुताबिक स्पर्म में गिरावट की वजह यह केमिकल भी हो सकता है। हालांकि इससे कई लोग इत्तफाक नहीं रखते हैं।

सेक्स के मामले में लड़कों से आगे निकल गई लड़कियां​

भारत जैसे विकासशील देशों में 15 से 19 के आयु वर्ग की लड़कियां सेक्स के मामले में लड़कों से आगे निकल गई हैं। भारत में 2005 से 2010 के बीच 3 फीसदी लड़के जहां 15 साल की उम्र से पहले ही सेक्स कर चुके हैं, वहीं तकरीबन 8 फीसदी लड़कियां इसी उम्र में सेक्स कर चुकी हैं। यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित 'किशोरों पर ग्लोबल रिपोर्ट कार्ड 2012 में यह खुलासा हुआ है। 15-19 वर्ष के विकासशील देशों (चीन को छोड़कर) में किशोरावस्था में ही 5 फीसदी लड़कियां 15 वर्ष की उम्र से पहले ही सेक्स कर चुकी होती है। कम उम्र में ही सेक्स के कारण प्रसव और एचआईवी संक्रमण के खतरे में भी वृद्धि हुई है।

46 हजार को एचआईवी​
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​ भारत में 35 फीसदी किशोरों और 19 फीसदी किशोरियों को ही एचआईवी के बारे में संपूर्ण जानकारी है जो कि बहुत कम है। 2010 भारत में 49000 किशोरों और 46000 किशोरियां एचआई से संक्रमित है। दुनिया भर में 10 से उन्नीस वर्ष के लगभग 22 लाख युवा एचआईवी के साथ जी रहे हैं जिसमें 13 लाख और 870000 किशोर लड़के और लड़कियों को अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में भी अंदाजा नहीं है।

प्रसव दर भी ‍अधिक​
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​ भारतीय किशोरियों में प्रसव दर भी बहुत अधिक है। ऐसी 20-24 साल की महिलाओं की संख्‍या 20 फीसदी है जिन्होंने 18 साल से पहले ही बच्चे को जन्म दिया। दुनियाभर में से बांग्लादेश, भारत और नाइजीरिया में हर तीन में से एक किशोरी कम उम्र में बच्चे को जन्म दे रही है। यूनिसेफ ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट घोषित किया कि दुनिया में हर साल 15-19 साल की लगभग 1 करोड़ 60 लाख लड़कियां प्रसव से गुजरती है। यह आंकड़ा कुल 11 फीसदी प्रसव में से है। चीन को छोड़कर विकासशील देशों में 15-19 साल की लड़कियों में लगभग हर चार में से एक शादीशुदा है। दक्षिण एशिया में 15-19 साल की लड़की शादीशुदा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में 15-19 साल तक की शादीशुदा लड़कियों का अनुपात बहुत अधिक है।

2 comments:

Aadi... said...

Nice Post.

Aadi... said...

Nice Post sir,....

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