एचआरए के जरिए टैक्स में मिलती रही छूट में अब नया पेंच,मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने
नौकरीपेशा लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। एचआरए के जरिए टैक्स में अब तक जो
छूट मिलती आ रही थी विभाग ने उसमें अब नया पेंच फंसा दिया गया है। सेंट्रल
बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इस संबंध में एक सुर्कलर भी जारी
कर दिया है। इसके मुताबिक, टैक्सपेयर को एचआरए एग्जेम्पशन क्लेम के लिए
मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा।
हालांकि, सालाना 1 लाख
रुपए से कम किराया देने वालों को ऐसा करने से छूट दी गई है, लेकिन जिनका
किराया 1 लाख से ज्यादा है, उन्हें अपने मकान मालिक का पैन नंबर देना
अनिवार्य है। नए सर्कुलर के अनुसार, अगर मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं
है, तो रिटर्न भरने वाले को नाम और पते के साथ एक डिक्लेरेशन देना होगा।
बता
दें कि अब तक नियम यह था कि जिन लोगों के मकान का किराया प्रति माह 15,000
से कम है, उन्हें मकान मालिक का पैन नंबर देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन नए
नियम में यह सीमा घटाकर 8,333 रुपए प्रति माह कर दी गई है। बता दें कि
सरकार ने अप्रैल से सितंबर 2013 के बीच 3.01 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट
टैक्स कलेक्शन किया था। यह पिछले वित्त वर्ष में इसी दौरान हुए डायरेक्ट
टैक्स कलेक्शन से 10.7 फीसदी ज्यादा है, लेकिन सरकार ने इस वित्त वर्ष के
लिए टैक्स कलेक्शन में 19 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा है। इस वित्त वर्ष की
पहली छमाही में 6.72 लाख करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का सिर्फ 45 फीसदी
लक्ष्य ही हासिल हो पाया है।
सीबीडीटी के इस नए सर्कुलर को उन नौकरीपेशा
लोगों के लिए मुसीबत माना जा रहा है, जो टैक्स बचाने के लिए किराए की
फर्जी रसीदें जमा कराते आ रहे थे।
हालांकि,
जानकार मानते हैं कि नए कदम से सबसे ज्यादा नुकसान ऐसे करदाताओं को होगा,
जो कि ईमानदारी से अपना टैक्स भरते आ रहे थे। उनका कहना है कि नए नियम से
उनका काम बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी परेशानी की बात यह होगी कि मकान मालिक से
किराएदार पैन नंबर कैसे निकालेंगे, क्योंकि अगर वे अपना पैन नंबर देंगे तो
उनका कमाई का पूरा ब्योरा सामने आ जाएगा। ऐसे में किराएदारों की मुसीबत
बढ़ने वाली है।
सीबीडीटी के इस सर्कुलर में सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए
एक और चेतावनी भी दी गई है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत
3,000 रुपए प्रति माह तक एचआरए पाने वाले नौकरीपेशा करदाताओं को किराए की
रसीद भी दिखाने की जरूरत नहीं है, लेकिन नए सर्कुलर में स्प्ष्ट किया
गया है कि छूट सिर्फ टीडीएस के मकसद से दी गई है। ऐसे में अधिकारी अपनी
संतुष्टि के लिए जांच कर सकता है कि क्या वाकई में इतना किराया दिया गया
या नहीं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नौकरीपेशा लोगों की मुश्किल
बढ़ा दी है। एचआरए के जरिए टैक्स में अब तक जो छूट मिलती आ रही थी विभाग
ने उसमें अब नया पेंच फंसा दिया गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज
(सीबीडीटी) ने इस संबंध में एक सुर्कलर भी जारी कर दिया है। इसके मुताबिक,
टैक्सपेयर को एचआरए एग्जेम्पशन क्लेम के लिए मकान मालिक का पैन नंबर भी
देना होगा।
हालांकि, सालाना 1 लाख रुपए से कम किराया देने
वालों को ऐसा करने से छूट दी गई है, लेकिन जिनका किराया 1 लाख से ज्यादा
है, उन्हें अपने मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य है। नए सर्कुलर के
अनुसार, अगर मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं है, तो रिटर्न भरने वाले को
नाम और पते के साथ एक डिक्लेरेशन देना होगा।
बता दें कि अब तक नियम यह
था कि जिन लोगों के मकान का किराया प्रति माह 15,000 से कम है, उन्हें मकान
मालिक का पैन नंबर देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन नए नियम में यह सीमा
घटाकर 8,333 रुपए प्रति माह कर दी गई है। बता दें कि सरकार ने अप्रैल से
सितंबर 2013 के बीच 3.01 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन किया
था। यह पिछले वित्त वर्ष में इसी दौरान हुए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से
10.7 फीसदी ज्यादा है, लेकिन सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए टैक्स कलेक्शन
में 19 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में
6.72 लाख करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का सिर्फ 45 फीसदी लक्ष्य ही हासिल
हो पाया है।
सीबीडीटी के इस नए सर्कुलर को उन नौकरीपेशा लोगों के लिए
मुसीबत माना जा रहा है, जो टैक्स बचाने के लिए किराए की फर्जी रसीदें जमा
कराते आ रहे थे। हालांकि, जानकार मानते हैं कि नए कदम से सबसे ज्यादा
नुकसान ऐसे करदाताओं को होगा, जो कि ईमानदारी से अपना टैक्स भरते आ रहे
थे। उनका कहना है कि नए नियम से उनका काम बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी परेशानी की
बात यह होगी कि मकान मालिक से किराएदार पैन नंबर कैसे निकालेंगे, क्योंकि
अगर वे अपना पैन नंबर देंगे तो उनका कमाई का पूरा ब्योरा सामने आ जाएगा।
ऐसे में किराएदारों की मुसीबत बढ़ने वाली है।
सीबीडीटी के इस
सर्कुलर में सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए एक और चेतावनी भी दी गई है। इनकम
टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत 3,000 रुपए प्रति माह तक एचआरए पाने
वाले नौकरीपेशा करदाताओं को किराए की रसीद भी दिखाने की जरूरत नहीं है,
लेकिन नए सर्कुलर में स्प्ष्ट किया गया है कि छूट सिर्फ टीडीएस के मकसद
से दी गई है। ऐसे में अधिकारी अपनी संतुष्टि के लिए जांच कर सकता है कि
क्या वाकई में इतना किराया दिया गया या नहीं। (साभार- नवभारत टाइम्स, दैनिक भाष्कर, आजतक)