Saturday, 16 November 2013

हर छह सेकेंड में मरता है एक मधुमेह रोगी, तेजी से फैल रही है यह महामारी


 पूरी दुनिया मधुमेह की महामारी की चपेट में आ गई है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के प्रकाशित एटलस में में छपे आंकड़े रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। यह एटलस मधुमेह पर ताजा अध्ययनों को हर दो साल में प्रकाशित करता है। एटलस का तो यहां तक कहना है कि उन्हें अध्ययन में यह कहीं नहीं दिखा कि इस महामारी को कोई रोक लग पाई है। इसके मुताबिक पूरी दुनिया में 382 मिलियन लोग मधुमेह की चपेट में आ चुके हैं। आलम यह है कि हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति मधुमेह  का शिकार हो जा रहा है। पिठले दो सालों में मधुमेह के मरीजों की तादाद 4.4 प्रतिशत बढ़ी है जो पूरी दुनयिा की आबादी का पांच प्रतिशत है। अगर इस पर कारगर रोक नहीं लग पाई तो 2035 तक मधुमेह के मरीजों की तादाद का आंकड़ा 55 प्रतिशत हो जाएगा जो 592 मिलियन का आंकड़ा पार कर लेगा। जबकि 2009 में मधुमेह के सिर्फ 285 मिलियन मरीज थे। इतनी तेजी से मरीज इसलिए बढ़ी है क्यों कि लोगों ने अपनी जीवनशैली, खानपान पर ध्यान नहीं दिया और मोटापा बढ़ाया।
  अध्ययन में मौतों के बढ़ने की एक और वजह सामने आई है। वह यह कि इन्सुलिन का खर्च गरीब मरीज उठा नहीं पाते और समस्या उनके लिए विकराल होती जा रहा है। अगर सरकारें इस आर्थिक बोझ को उठाएं तो खर्चा काफी बढ़ जाएगा। इस साल ऐसा करनें में 548 बिलियन डालर का खर्च उठाना भी पड़ा है। चुपके से मरीज को मौत की ओर ले जाने वाली यह बीमारी तभी रुकेगी जब इस पर काफी बात की जाएगी और लोगों में जागरूकता लानी होगी। लोगों को कितनी मदद की जरूरत है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सालाना 5.1 मिलियन लोग इस बीमारी से मर रहे हैं। और आडीएफ के एक अनुमान के मुताबिक हर साल 10 मिलियन लोग मधुमेह के गिरफ्त में आ रहे हैं। सबसे ज्यादा इस बीमारी के शिकार 40 से 59 आयु वर्ग के लोग हो रहे हैं। हर साल करीब 5 लाख लोगों की किडनी हर साल फेल हो जाती है और 1.5 मिलियन लोग अंधत्व के शिकार हो रहे हैं। अमेरिकी जनसंख्या ब्यूरो के मुताबिक मधुमेह के मरीजों की संख्या दुनिया की आबादी बढ़ने के अनुपात से ज्यादा है। अब तो कम उम्र को लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विकासशील देशों में तो हर चार में से एक व्यक्ति मधुमेह की चपेट में है। चीन में तो मधुमेह की समस्या ज्यादा भयावह हो गई है। तीन में से एक चीनी नागरिक मधुमेह से पीड़ित है। एशियाई देशों में 12 प्रतिशत प्रौढ़ इस बीमारी से पीड़ित हैं। गरीब देशों में समस्या ज्यादा है। चीन  का आंकड़ा इस एटलस में शामिल नहीं है।
  हम सभी जानते हैं कि मधुमेह से होरही मौतों पर काबू पाया जा सकता है। यह खानपान व दवा से काबू में रखी जा सकती है मगर गरीबी व खराब जीवनशैली इसे महामारी बना चुकी है। विशेषज्ञों की राय है कि शारीरिक श्रम व अच्छे खानपान से टाईप 2 डायबिटीज पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। जो मधुमेह के मरीज हैं उन्हें हर छह महीने में एक बार चेकअप कराना चाहिए। साल में एक बार आंख चेक करानी चाहिए। जब भी रक्त परीक्षण कराएं तो लिपिड प्रोफाइल, किडनी फंक्शन और लीवर फंक्शन की जांच साल में एक बार जरूर करा लें। ( साभार- इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन -आईडीएफ व गूगल समाचार )।

2 comments:

dr.mahendrag said...

अच्छा आलेख,दवा तो इलाज है ही पर शुगर से बचाव के लिए लाइफ में मैनेजमेंट बहुत जरूरी हगे, खानपान का,नियमित श्रम व सैर का. भारत तो वैसे भी विश्व में शुगर कैपिटल के नाम से जाना जाता है. हमें इस और विशेष धयान देने की जरूरत है

dr.mahendrag said...

अच्छा आलेख,दवा तो इलाज है ही पर शुगर से बचाव के लिए लाइफ में मैनेजमेंट बहुत जरूरी हगे, खानपान का,नियमित श्रम व सैर का. भारत तो वैसे भी विश्व में शुगर कैपिटल के नाम से जाना जाता है. हमें इस और विशेष धयान देने की जरूरत है

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