मसूड़े और दांतों की बीमारी को अगर आप गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अपनी आदत बदल डालिए। यह अनदेखी कैंसर जैसी गंभीर समस्या का सबब बन सकती है। यह दावा लंदन के इम्पीरियल कालेज में 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य रिकार्ड के अध्ययन के आधार पर किया गया है।
यह अध्ययन करने वाले दल ने पाया कि मसूड़े की बीमारी फेफड़े, किडनी, खून और पैनक्रियाज के कैंसर का खतरा बढ़ा देती है। प्रमुख शोधकर्ता डा. डोमिनिक मिचाड के अनुसार, मसूड़ों की बीमारी का लगातार बने रहना प्रतिरक्षण प्रणाली के कमजोर होने का संकेत हो सकता है। इसके कमजोर होने से शरीर में कैंसर फैलने का मौका मिल सकता है। यह रिपोर्ट 'लैनसेट आनकोलाजी' जर्नल में प्रकाशित हुई है।
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को मसूड़े की बीमारी थी, उनमें कैंसर होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले 14 फीसदी अधिक था जिन्हें मसूड़े की बीमारी नहीं थी। मसूड़े की बीमारी से ग्रस्त लोगों में फेफड़े का कैंसर होने का खतरा भी अधिक था और किडनी कैंसर होने का खतरा 50 फीसदी अधिक पाया गया। पैनक्रियाज के कैंसर होने का खतरा भी इतना ही अधिक था। ल्यूकेमिया जैसी ब्लड सेल के कैंसर का खतरा मसूड़ों की बीमारी वालों को 30 फीसदी अधिक था।
डा. मिचाड के मुताबिक यह भी हो सकता है कि मसूड़े की बीमारी से संबंधित बैक्टिरिया जब फैले तो मुंह या गले का कैंसर हो जाए। डा. मिचाड कहते हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि मसूड़े की बीमारी के बाद कैंसर से बचाव का इलाज शुरू कर देना चाहिए। इसकी जगह लोगों को दांत के डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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