Thursday 29 May 2008

ना तख्त बचा, ना ताज

४ जून २००१ को नेपाल के हनुमान महल में राजा घोषित किए जाने के बाद ताज पहन कर राजगद्दी पर बैठे राजा ग्यानेंद्र और राजसभा के लोग।

कल के नेपाल के महाराज ग्यानेंद्र वीर विक्रम शाहदेव। अभी ही तो वह दौर भी गुजरा है जब नेपाल के ये हिंदू राजा देवा-देवताओं की तरह पूजे जाते थे। उनके फैसले ईश्वरीय आदेश माने जाते थे मगर आज वह दिन भी आगया जब जब नेपाल की लोकतंत्र की बयार में इनका न तख्त बचा न ताज। २००१ में नेपाल के पूर्ववर्ती राजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाहदेव और उनके पूरे शाही परिवार के इसी शाही महल नारायणहिती में बर्बरतापूर्वक कत्ल किए जाने के बाद ग्यानेंद्र ने सत्ता संभाली। इसके साथ ही सत्ता का पहले से नेपाल में चल रहा संघर्ष और तेज हो गया। (पढिए नेपाल में राजशाही का उत्थान और पतन)

यहीं से शाही नेपाल और राजा ग्यानेंद्र दोनों का पतन शुरू हो गया। लगातार अलोकप्रिय हुए ग्यानेंद्र अब आमआदमी की हैसियत से नेपाल का शाही महल छोड़कर कहीं और रहेंगे क्यों कि नेपाल अब उनका राज्य नहीं रहा। यह है- रिपब्लिक आफ नेपाल।

यही है नेपाल का वैभवशाली राजशाही नारायणहिती महल। इस महल से अब राजशाही ध्वज उतार दिया गया है। राजशाही के समर्थकों को यह नागवार भी लगा।


नेपाल में राजशाही खत्म
नेपाल में पिछले 240 साल से चली आ रही राजशाही बुधवार को खत्म हो गई। ऐतिहासिक संविधान सभा में देश को धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित कर दिया गया। नेपाल में नया राष्ट्रप्रमुख अब राष्ट्रपति होगा हालांकि कार्यपालिका की तमाम शक्तियां प्रधानमंत्री के हाथ में रहेंगी। माओवादियों की बहुलता वाली नई संविधान सभा की पहली बैठक में देश को गणराज्य घोषित करने का प्रस्ताव लगभग एकमत से पास हो गया। सभा में प्रस्ताव के पक्ष में 560 और विरोध में चार वोट पडे़। देश के गणराज्य बनने की घोषणा प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की ओर से गृहमंत्री कृष्ण प्रसाद ने की। इस घोषणा के साथ ही राजा ज्ञानेंद्र देश के आम नागरिक बनकर रह गए हैं। राजा की सभी सांस्कृतिक, प्रशासनिक, राजनीतिक शक्तियां खत्म हो गई हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन ने नरेश ज्ञानेंद्र को महल छोड़ने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। अगर उन्होंने इस आदेश का पालन नहीं किया तो उन्हें जबरन महल से निकाल दिया जाएगा। इसके बाद नारायणहिती महल को संग्रहालय में बदल दिया जाएगा। आज पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि देश में प्रत्येक 28 मई को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। देश में राष्ट्रप्रमुख के रूप में राष्ट्रपति के पद के सृजन को सत्तारूढ़ गठबंधन ने मंजूरी दे दी है। कार्यवाहक प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। नेपाली कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति नेपाली सेना का सुप्रीम कमांडर होगा। उसे आपातकाल लागू करने का अधिकार भी होगा। 13 हज़ार लोगों की जान लेने वाला गृहयुद्ध समाप्त हो चुका है. और सबसे बड़ी बात – नेपाल आज एक गणराज्य है, जनता के चुने हुए प्रतिनिधि अब उसकी किस्मत के बारे में फ़ैसला लेंगे.
राजा ग्यानेंद्र और महारानी कोमल के अलावा राजकुमार पारस।

नेपाल में उत्सव का माहौल
राजशाही की समाप्ति और देश के गणतंत्र घोषित होने की खुशी में बृहस्पतिवार को नेपाल में उत्सव का माहौल रहा। सरकार ने शाही महल सहित देश के सभी भागों से राजतंत्र के चिन्ह वापस ले लिए हैं। नारायणहिती से शाही ध्वज को उतार दिया गया है। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र से तुरंत महल खाली कराने की मांग को लेकर भीड़ हिंसा पर भी उतर आई लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें बेकाबू नहीं होने दिया। नारायणहिती से शाही ध्वज हटाने की घटना के हजारों लोग गवाह बने। ये लोग पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के खिलाफ नारे लगा रहे थे और आंदोलनकारी गीत गा रहे थे। लोगों के एक समूह ने शाही महल के मुख्य द्वार के ऊपर राष्ट्रध्वज फहराना चाहा लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। कुछ देर बाद ही ज्ञानेंद्र विरोधी लोगों का एक समूह पथराव पर भी उतर आया। पूर्व नरेश के खिलाफ जनविरोधी भावनाओं को देखते हुए महल के आसपास कडे़ सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। सरकार ने राजतंत्र के अंत और गणतंत्र की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए तीन दिन के राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की है। राजधानी काठमांडू सहित देश के तमाम हिस्सों में रैलियां एवं सभाएं आयोजित की जा रही हैं। लोगों ने अपने घरों को सजाया है। सरकारी कार्यालयों को भी रोशनी से नहलाया जा रहा है।
नेपाल को रिपब्लिक घोषित किए जाने के बाद जशन मनाते लोग।

बदलाव का दुनिया भर में स्वागत
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने पड़ोसी देश में गणतंत्र की घोषणा का स्वागत करते हुए समृद्धि और स्थायित्व के मकसद से किए जा रहे इस काम में भारत के हर संभव सहयोग की वचनबद्धता दुहराई है। उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि संविधान सभा में विचार विमर्श के फलस्वरूप नेपाल में पूर्ण लोकतंत्र स्थापित करने का स्वप्न साकार होगा।
अमेरिका ने नेपाल के राजशाही को छोड़कर ऐतिहासिक गणतांत्रिक व्यवस्था अपनाने पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन हिमालयी राष्ट्र से राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अपील की है। विदेश विभाग के प्रवक्ता टाम कैसी ने कहा कि हम स्थिति पर नजर रखेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका नेपाल को फिलहाल दी जा रही हर तरह की सहायता आगे भी जारी रखेगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने नेपाल में राजतंत्र को समाप्त कर गणतंत्र की घोषणा किए जाने का स्वागत किया है।

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