Thursday, 15 May 2008

भूकंप प्रलय अब भी है अबूझ

भूकंप आज भी ऐसा प्रलय माना जाता है जिसे रोकने या काफी समय पहले सूचना देने की कोई प्रणाली वैग्यानिकों के पास नहीं है। प्रकृति के इस तांडव के आगे सभी बेबश हो जाते हैं। सामने होता है तो बस तबाही का ऐसा मंजर जिससे उबरना आसान नहीं होता है। अभी तो चीन में ही आए भूकंप को देखलीजिए। भरी दुपहरिया में जब लोग या तो अपने काम पर थे या फिर घरों में औरतें-बच्चे अपनी बेफिक्र जिंदगी में आने वाले इस मौत के तांडव से अनजान थे। नहीं पता था कि जिसे वे अपना घर या आशियाना समझ रहे थे वहीं कुछ ही पलों में जिंदा दफ्न होने वाले हैं। थोड़ी ही देर में एक खुशगवार माहौल चीख-पुकार में बदल गया।
चीन के इस सिचुआन प्रांत में सोमवार को आए भूकंप से हुई भारी तबाही में मारे गए लोगों की संख्या 15 हज़ार तक पहुँच गई है. हज़ारों और लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं और जीवितों की तलाश की जा रही है. इंगश्यू शहर में ढही इमारतों से अभी भी चीखने की आवाज़ें सुनाई दे रही है. सोमवार को आया वह भूकंप रिक्टर पैमाने पर 7.9 मापा गया था. उससे अनेक स्थानों पर ज़मीन धँस गई और इमारतें धराशायी हो गईं. हज़ारों घर तबाह हो गए और अनेक स्थानों पर तो पूरे गाँव के गाँव ही धराशायी हो गए. जान-माल की क्षति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दस हज़ार की आबादी वाले इस शहर में सिर्फ़ दो हज़ार तीन सौ लोग जीवित बचे हैं. पिछले 30 सालों से भी ज़्यादा समय में ये सिचुआन में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था।
कारण तो पता है मगर रोकना नामुमकिन
वैज्ञानिकों ने धरती की सतह के काफ़ी भीतर आने वाले भूंकपों की ही तरह नकली भूकंप प्रयोगशाला में पैदा करने में सफलता पाई है.ऐसे भूकंप आमतौर पर धरती की सतह से सैंकड़ों किलोमीटर अंदर होते हैं, और वैज्ञानिकों की तो यह राय है कि ऐसे भूकंप वास्तव में होते नहीं हैं.वैज्ञानिकों ने इन कथित भूकंपों को प्रयोगशाला में इसलिए पैदा किया कि इसके ज़रिए धरती की अबूझ पहेलियों को समझा जा सके.ताज़ा प्रयोगों से धरती पर आए भीषणतम भूकंपो में से कुछ के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी.अधिकांश भूकंपों की उत्पत्ति धरती की सतह से 30 से 100 किलोमीटर अंदर होती है.
सतह के नीचे धरती की परत ठंडी होने और कम दबाव के कारण भंगुर होती है. ऐसी स्थिति में जब अचानक चट्टानें गिरती हैं तो भूकंप आता है.एक अन्य प्रकार के भूकंप सतह से 100 से 650 किलोमीटर नीचे होते हैं.इतनी गहराई में धरती इतनी गर्म होती है कि सिद्धांतत: चट्टानें द्रव रूप में होनी चाहिए, यानि किसी झटके या टक्कर की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए.लेकिन ये चट्टानें भारी दबाव के माहौल में होती हैं.इसलिए यदि इतनी गहराई में भूकंप आए तो निश्चय ही भारी ऊर्जा बाहर निकलेगी।
धरती की सतह से काफ़ी गहराई में उत्पन्न अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 1994 में बोलीविया में रिकॉर्ड किया गया. सतह से 600 किलोमीटर दर्ज इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.3 मापी गई थी.हालाँकि वैज्ञानिक समुदाय का अब भी मानना है कि इतनी गहराई में भूकंप नहीं आने चाहिए क्योंकि चट्टान द्रव रूप में होते हैं.वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न रासायनिकों क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते होंगे.अत्यंत गहराई में आने वाले भूकंपों के बारे में ताज़ा अध्ययन यूनवर्सिटी कॉलेज, लंदन के मिनरल आइस एंड रॉक फिज़िक्स लैबोरेटरी में किया गया है.

जानवरों को मालूम हो जाता है भूकंप
बचपन में बड़े बुजुर्गों से सुना था कि जब भूकंप आने को होता है तो पशु-पक्षी कुछ अजीब हरकतें करने लगते हैं। चूहे अपनी बिलों से बाहर आ जाते हैं। अगर यह सही है तो वैग्यानिक पशु-पक्षियों की इस अद्भुत क्षमता को भूकंप की पूर्व सूचना प्रणाली में क्यों नहीं बदल सकते। अगर ऐसा संभव हो जाए तो प्रकृति की इस तबाही पर विजय पा सकेगा मानव। हालांकि प्रयोगशालाओं में इस पर शोध कर रहे हैं वैग्यानिक।
चूहे भूकंप आने का संकेत दे सकते हैं। जापान के शोधकर्ताओं का कुछ यही मानना है। उन्होंने पाया है कि भूकंप आने से पहले जिस तरह के विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र बनते है अगर चूहों को उन क्षेत्रों में रखा जाए तो वे अजीबोगरीब हरकते करते हैं। ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ताकेशी यागी का कहना है कि चूहों का अजीब व्यवाहर उन्होंने आठ साल पहले कोबे में आए भूकंप से एक दिन पहले अपनी प्रयोगशाला में देखा था.इस तरह के व्यवाहर से भूकंप के आने का कुछ अंदेशा लगाया जा सकता है. हालाँकि जीववैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की हरकतें एक समान नहीं रहती इसलिए पक्की भविष्यवाणी करना कठिन हो जाता है.

अगल-अगल कहानियाँ
दुनिया भर में ऐसी कई कहानियाँ हैं कि जानवर भूकंप से पहले अदभुत तरह से बर्ताव करने लगते हैं. जैसे चीन में कैट नाम की मछली पानी से बाहर कूदने लगती है, मैक्सिको में साँप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं. अमरीका में भूगर्भ सर्वेक्षण के एक कार्यकर्ता मानते है कि भूकंप से पहले अख़बारों में गुम हुए पालतू जानवरों के इश्तिहार भी ज़्यादा हो जाते है. प्रोफेसर यागी के परीक्षण में चूहों को दो हफ़्तो के लिए एक स्थिर पर्यावरण में रखा गया और उनकी हरकतों पर नज़र रखी गई. फिर उन्हें 30 मिनट के लिए विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र में रखा गया. प्रोफेसर का कहना है कि ऐसा करने से उनका चूहा बेचैन होने लगा था. हालाँकि वे मानते हैं कि इन नतीजों को पक्का करने के लिए कुछ और परीक्षण करने होंगे।

चीन के १२ मई के भूकंप के पहले ये भी हुए हैं बर्बाद

तीन फ़रवरी, 2008-- कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया. इसमें 45 लोग मारे गए.
छह मार्च, 2007--इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत
27 मई, 2006--इंडोनेशिया के योगजकार्ता में आए भूकंप में छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए.
आठ अक्तूबर, 2005--पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भीषण भूकंप आया जिसमें करीब 75 हज़ार लोग मारे गए. करीब 35 लाख लोग बेघर हुए.
28 मार्च, 2005:--इंडोनेशिया में आए भूकंप में लगभग 1300 लोग मारे गए. रिक्टर स्केल में यह 8.7 मापा गया था.
22 फ़रवरी, 2005:--ईरान के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे.
26 दिसंबर,2004:--भूकंप के कारण उत्पन्न सूनामी लहरों ने एशिया में हज़ारों लोगों की जान ले ली थी. इस भूकंप की तीव्रता 8.9 मापी गई थी.
24 फ़रवरी, 2004:--मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी.
26 दिसंबर, 2003:--दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
21 मई 2003:--अल्जीरिया में बड़ा भूकंप आया. इसमें दो हज़ार लोगों की मौत हो गई थी और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे.
1 मई 2003:--तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे.
24 फरवरी 2003:--पश्चिमी चीन में आए भूकंप में 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर हो गए.
21 नवंबर 2002:--पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत.
31 अक्टूबर, 2002:--इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए.
12 अप्रैल 2002:--उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था. इसमें अनेक लोग मारे गए.
25 मार्च 2002:--अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में भूकंप मे 800 से ज़्यादा लोग मरे. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6 थी.
3 मार्च 2002:--अफ़ग़ानिस्तान में एक अन्य भूकंप ने 150 को मौत की नींद सुलाया. इस भूकंप की तीव्रता 7.2 मापी गई थी.
3 फ़रवरी 2002:---पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे. हज़ारों लोग बेघर.
24 जून 2001:--दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे. भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे.
13 फ़रवरी 2001:--अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए. इस भूकंप को रिक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया.
26 जनवरी 2001:--भारत के गुजरात राज्य में रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया. इसमें कम से कम तीस हज़ार लोग मारे गए और क़रीब 10 लाख लोग बेघर हो गए. भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा.
13 जनवरी 2001:--अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया. 700 से भी अधिक लोग मारे गए.
6 अक्टूबर 2000:--जापान में रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता का एक भूकंप आया. इसमें 30 लोग घायल हुए और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा.
21 सितंबर 1999:--ताईवान में 7.6 तीव्रता का एक भूकंप आया. इसमें ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा.
17 अगस्त 1999:--तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में रिक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का भूकंप आया. इस भूकंप की वजह से सतरह हज़ार से अधिक लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल हुए.
29 मार्च 1999:--भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के उत्तरकाशी और चमोली में दो भूकंप आए और इनमें 100 से अधिक लोग मारे गए.
25 जनवरी 1999:--कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया. इसमें क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए.
17 जुलाई 1998:---न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आए भूकंप से बनी लहरों ने तबाही मचा दी. इसमें एक हज़ार से भी अधिक लोग मारे गए.
26 जून 1998:---तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 144 लोग मारे गए. एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए.
30 मई 1998:--उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप आया. इसमें चार हज़ार लोग मारे गए.
फ़रवरी 1997:---उत्तर-पश्चिमी ईरान में रिक्टर स्केल पर 5.5 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से एक हज़ार लोग मारे गए. तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए.
27 मई 1995:--रूस के सुदूर पूर्वी द्वीप सखालीन में 7.5 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया जिसकी वजह से क़रीब दो हज़ार लोगों की मृत्यु हो गई.
17 जनवरी 1995: --जापान के कोबे शहर में शक्तिशाली भूकंप में छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए.
6 जून 1994:---कोलंबिया में आए भूकंप में क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए.
30 सितंबर 1993:---भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंपों में क़रीब दस हज़ार ग्रामीणों की मृत्यु हो गई.
21 जून 1990:--ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में आए एक भूकंप ने चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की जान ले ली.
17 अक्टूबर 1989:---कैलिफ़ोर्निया में आए भूकंप में 68 लोग मारे गए.
7 दिसंबर 1988:---उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में रिक्टर स्केल पर 6.9 तीव्रता के एक भूकंप ने पच्चीस हज़ार लोगों की जान ले ली.
19 सितंबर 1985:---मैक्सिको शहर एक शक्तिशाली भूकंप से बुरी तरह से हिल गया. इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए.
23 नवंबर 1980:---इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए.
28 जुलाई 1976:---चीन का तांगशान शहर भूकंप की वजह से मिट्टी में मिल गया. इसमें पांच लाख से अधिक लोग मारे गए.
27 मार्च 1964---रिक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए.
22 मार्च 1960:---दुनिया में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 9.5 दर्ज की गई. कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61 लोग मारे गए.
28 जून 1948:---पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया जिसमें तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए.
31 मई, 1935---क्वेटा और उसके आसपास के इलाक़ों में आए ज़बरदस्त भूकंप में लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं.
1935:---ताईवान में रिक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से तीन हज़ार दो सौ लोग मारे गए.
1 सितंबर 1923:---जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप. इसकी वजह से 142,800 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
18 अप्रैल 1906:---सैन फ़्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे. इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए.

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