Wednesday, 8 October 2008

देखिये बंगाल की अनुपम छटा : दुर्गापूजा



पूर्वी भारत के मुख्यद्वार कोलकाता में नैनो परियोजना के चले जाने का भले ही मलाल है यहां के लोगों में मगर दुर्गापूजा के उल्लास में फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आता। पूरी रात इस पंडाल से उस पंडाल घूम रहे लोगों की चर्चा का विषय नैनो नहीं बल्कि दुर्गापूजा उत्सव है। पूरे साल इस उत्सव के इंतजार में बैठे लोग नहीं मानते कि उनका उत्सव कुछ भी फीका पड़ा है। हालांकि बंगाल को इस पूजा में धक्के पर धक्के लग रहे हैं। आज ही महाराज सौरभ गांगुली ने आंशिक तौर पर ही सही, क्रिकेट को अलविदा कहा। ऐन पूजा के वक्त मिली यह खबर भी तकलीफदेह ही है। मगर मुझे पूरी उम्मीद है कि पूजा की रौनक में इससे कोई कमा नहीं आएगी। वैसे हम वह दौर नहीं भूले हैं जब सौरभ दादा को टीम में जगह नहीं मिलने पर यहीं मीडिया में कितनी हायतौबा मची थी। कोलकाता में प्रदर्शन भी किए गए। यानी यहां दादा का टीम में खेलना या न खेलना काफी संवेदनशील मुद्दा बन जाता है। बंगाल के लोग या बंगाली मीडिया अपने सितारों से बहुत प्यार करती है। चाहे वह खिलाड़ी हो या फिर साहित्यकार, राजनेता, अभिनेता ही क्यों न हो। ऐसे में खुशी में थोड़ी खलल वाली बात तो है ही। वैसे भी पूरे साल कई घटनाक्रमों के कारण काफी उथलपुथल के बाद सबकुछ भुलाकर लोग उत्सव मनाने में मशगूल हैं। हम भी यही मानते हैं और बंगाल के लोगों को दुर्गापूजा की बधाई देते हैं।
मेरी तरफ से आप सभी को भी दुर्गापूजा और दशहरा की शुभकामनाएं। आप तो कोलकाता से दूर हैं इसलिए आपको कुछ उन पंडालों और प्रतिमाओँ की सौगात भेज रहा हूं जिन्हें पुरस्कृत किया गया है। वैसे पूजा की पूरी रौनक का अंदाजा चंद तस्वारों से नहीं लगाया जा सकता फिर भी निहारिए इनकी अनुपम छटा।



















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