भारत में किसी और बात का लोकतंत्र भले न दिखे मगर एक बात की पूरी छूट और भरमार भी है। वह यह कि जब मौसम ठीक लगे और ठाक-ठाक मददगार हो तो कोई राजनैतिक पार्टी खड़ी कर लीजिए। और शौक से करिए जनता की खेती। ज्यादातर अचानक पैदा होने वाली पार्टियां सिर्फ कद्दावर नेताओं या बड़ी पार्टियों के समीकरण ठीक करने को ऐन वक्त पर मैदान में उतरती हैं। यह अलग बात है कि इनमें से कुछ के मकसद नेक होते हैं मगर आप भी तो जानते हैं कि खरबूजे को देखकर खरबूजा भी रंग बदलता है। इसी कारण सत्ता का कुछ मजा लेने के बाद ये पार्टियां परिदृश्य से ही गायब हो जाती हैं। जनता ठगी रह जाती है और वादे हवा हो जाते हैं।
देश में बढ़ रही ऐसी ही राजनीतिक पार्टियों की भीड़ में एक अलग तरह की एक और पार्टी उभरी है और इस पार्टी की विशेषता यह है कि इसमें सिर्फ़ महिला सदस्य हैं. 'यूनाइटेड वीमेन फ़्रंट' (यूडब्लूएफ़) के नाम से गठित इस पार्टी का उद्देश्य भ्रष्टाचार और ग़रीबी से लड़ना और महिलाओं को समाज में बराबरी का हक़ दिलाना है. इस पार्टी में इस समय कोई 100 सदस्य हैं और यह चाहती है कि गुजरात और हिमाचल में लड़ा जाए और इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार उतारे जाएँ. इस पार्टी की प्रमुख हैं सुमन कृष्णकांत. वे समाजसेविका हैं और दिवंगत उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की पत्नी हैं. इनकी शिकायत है कि "महिलाएँ कई सालों से अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.। पिछले दस सालों में एनडीए और यूपीए दोनों ने महिलाओं को बहुत कुछ देने का वादा किया लेकिन दिया कुछ नहीं." ।जब देश में सिर्फ़ आठ प्रतिशत महिलाएँ विधायिका का हिस्सा हों और सिर्फ़ दो प्रतिशत महिलाओं को न्यायपालिका में जगह मिल सकी हो तो संघर्ष करना ज़रूरी है. इस महिलावादी पार्टी में पुरुषों को ५० फासद आरक्षण देने का वादा किया गया है।
देर सबेर और भी लुभावने इनके वायदे आएँगे। देखना तो यह है कि यह पार्टी सचमुच में सशक्त महिलावादी पार्टी बनकर महिलाओं की लड़ाई लड़ेगी या किसी बड़ी पार्टी का चुनावी समीकरण बनकर महिलाओं को धोखा देगी।
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