पत्रकारिता के पेशे में अपेक्षा के अनुरूप पैसा नहीं मिलने और कामकाज की
स्वतंत्रता के अभाव में देश में काफी तादाद में प्रशिक्षित पत्रकार अब इस
पेशे को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में पलायन कर गए हैं। मीडिया स्टडीज ग्रुप
और जन मीडिया जर्नल ने भारतीय जनसंचार संस्थान के 1984-85 से लेकर 2009-10
तक के शैक्षणिक सत्र के छात्रों की प्रतिक्रिया के आधार पर यह रिपोर्ट
तैयार की है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनसंचार संस्थान से प्रशिक्षित कुल 73.24 फीसद छात्र ही इस पेशे से जुड़े हुए हंै, जबकि एक चौथाई से ज्यादा पत्रकारों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो चुका है। अभी तक मीडिया से जुड़े प्रशिक्षित छात्रों में से 32.28 फीसद अखबार, 25.98 फीसद टेलीविजन, 13.39 फीसद साइबर माध्यमों, 8.66 फीसद रेडियो, 7.09 फीसद पत्रिकाओं, 2.88 फीसद विज्ञापन और 5.77 फीसद जनसंपर्क क्षेत्र में कार्यरत हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पत्रकारिता से जुड़े पेशेवरों की काफी बड़ी तादाद इससे असंतुष्ट है। इसके कारण इनमें तेजी से नौकरियां बदलने का चलन देखा गया है। सर्वेक्षण में शामिल 24.77 फीसद लोगों ने ही कहा कि वे अपने कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। 53.21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मामूली संतुष्ट है जबकि 16.51 फीसद लोग अपने कामकाज से असंतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की माली हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 56.64 फीसद लोगों के पास अपना मकान नहीं है और वे किराए के मकान में रह रहे हैं। 30.97 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मकान तो है लेकिन यह उनकी पैतृक संपत्ति है। 6.19 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मध्य आय वर्ग (एमआईजी) मकान हैं जबकि 5.31 फीसद मीडियाकर्मियों के पास उच्च आय वर्ग (एचआईजी) मकान हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के संयोजक अनिल चमडि़या ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़े बड़े सपने लेकर छात्र पत्रकारिता का कोर्स करते हैं। वे इस पेशे में अच्छा पैसा मिलने और लिखने की स्वतंत्रता की उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें न तो अच्छा पैसा मिलता है और न ही कामकाज की स्वतंत्रता। इससे असंतुष्ट होकर उनका दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो रहा है। इस स्थिति से देश का शीर्ष पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। नई दिल्ली, 6 अगस्त (भाषा)।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनसंचार संस्थान से प्रशिक्षित कुल 73.24 फीसद छात्र ही इस पेशे से जुड़े हुए हंै, जबकि एक चौथाई से ज्यादा पत्रकारों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो चुका है। अभी तक मीडिया से जुड़े प्रशिक्षित छात्रों में से 32.28 फीसद अखबार, 25.98 फीसद टेलीविजन, 13.39 फीसद साइबर माध्यमों, 8.66 फीसद रेडियो, 7.09 फीसद पत्रिकाओं, 2.88 फीसद विज्ञापन और 5.77 फीसद जनसंपर्क क्षेत्र में कार्यरत हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पत्रकारिता से जुड़े पेशेवरों की काफी बड़ी तादाद इससे असंतुष्ट है। इसके कारण इनमें तेजी से नौकरियां बदलने का चलन देखा गया है। सर्वेक्षण में शामिल 24.77 फीसद लोगों ने ही कहा कि वे अपने कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। 53.21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मामूली संतुष्ट है जबकि 16.51 फीसद लोग अपने कामकाज से असंतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की माली हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 56.64 फीसद लोगों के पास अपना मकान नहीं है और वे किराए के मकान में रह रहे हैं। 30.97 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मकान तो है लेकिन यह उनकी पैतृक संपत्ति है। 6.19 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मध्य आय वर्ग (एमआईजी) मकान हैं जबकि 5.31 फीसद मीडियाकर्मियों के पास उच्च आय वर्ग (एचआईजी) मकान हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के संयोजक अनिल चमडि़या ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़े बड़े सपने लेकर छात्र पत्रकारिता का कोर्स करते हैं। वे इस पेशे में अच्छा पैसा मिलने और लिखने की स्वतंत्रता की उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें न तो अच्छा पैसा मिलता है और न ही कामकाज की स्वतंत्रता। इससे असंतुष्ट होकर उनका दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो रहा है। इस स्थिति से देश का शीर्ष पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। नई दिल्ली, 6 अगस्त (भाषा)।
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