कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंशधारकों को सेवानिवृत्ति के बाद जल्द 1000 रुपए की न्यूनतम मासिक पेंशन मिल सकती है। वित्त मंत्रालय के पास इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि श्रम मंत्रालय ने हाल में वित्त मंत्रालय के पास ईपीएफओ के अंशधारकों के लिए न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय करने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें यह नहीं देखा जाएगा कि इस योजना में उनका योगदान कितना है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सिफारिश पर श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह या तो 20 साल की सेवा के बाद दिए जाने वाले दो साल के बोनस को वापस ले या फिर न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय कर 539 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त बोझ उठाए।
फिलहाल हर अंशदाता को 20 साल की सेवा के बाद दो साल के अतिरिक्त बोनस का लाभ मिलता है। ईपीएफओ का कहना है कि यदि दो साल के बोनस को वापस लिया जाता है तो 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन तय करने की प्रक्रिया ऐसी होगी जो राजस्व की दृष्टि से तटस्थ होगी। इसके अलावा पेंशनधारकों को करीब पांच फीसद की राहत मिलेगी।
वित्त मंत्रालय अगर वैकल्पिक व्यवस्था की ओर नहीं जाता है तो सरकार को हर साल 539 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। यह उन 994 करोड़ रुपए सालाना से अलग होंगे, जो सरकार को पेंशन कोष में मूल वेतन और महंगाई भत्ते में 1.16 फीसद के योगदान के लिए देने पड़ रहे हैं। 31 मार्च, 2010 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 35 लाख ईपीएफओ पेंशनधारक हैं। इनमें से 14 लाख ऐसे हैं जिन्हें 500 रुपए से कम पेंशन मिलती है। इसके अलावा सात लाख पेंशनधारक ऐसे हैं जिन्हें 1000 रुपए महीने पेंशन मिलती है। इनके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे पेंशनधारक भी हैं जिन्हें 12 और 38 रुपए पेंशन दी जा रही है। ( नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा)।)
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि श्रम मंत्रालय ने हाल में वित्त मंत्रालय के पास ईपीएफओ के अंशधारकों के लिए न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय करने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें यह नहीं देखा जाएगा कि इस योजना में उनका योगदान कितना है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सिफारिश पर श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह या तो 20 साल की सेवा के बाद दिए जाने वाले दो साल के बोनस को वापस ले या फिर न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय कर 539 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त बोझ उठाए।
फिलहाल हर अंशदाता को 20 साल की सेवा के बाद दो साल के अतिरिक्त बोनस का लाभ मिलता है। ईपीएफओ का कहना है कि यदि दो साल के बोनस को वापस लिया जाता है तो 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन तय करने की प्रक्रिया ऐसी होगी जो राजस्व की दृष्टि से तटस्थ होगी। इसके अलावा पेंशनधारकों को करीब पांच फीसद की राहत मिलेगी।
वित्त मंत्रालय अगर वैकल्पिक व्यवस्था की ओर नहीं जाता है तो सरकार को हर साल 539 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। यह उन 994 करोड़ रुपए सालाना से अलग होंगे, जो सरकार को पेंशन कोष में मूल वेतन और महंगाई भत्ते में 1.16 फीसद के योगदान के लिए देने पड़ रहे हैं। 31 मार्च, 2010 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 35 लाख ईपीएफओ पेंशनधारक हैं। इनमें से 14 लाख ऐसे हैं जिन्हें 500 रुपए से कम पेंशन मिलती है। इसके अलावा सात लाख पेंशनधारक ऐसे हैं जिन्हें 1000 रुपए महीने पेंशन मिलती है। इनके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे पेंशनधारक भी हैं जिन्हें 12 और 38 रुपए पेंशन दी जा रही है। ( नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा)।)
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