Wednesday 12 June 2013

आपने भी कभी तार भेजा होगा, पर अब नहीं भेज पाएंगे!

    

बंद होगी करीब 160 साल पुरानी टेलिग्राम सेवा
   मुझे याद है कि जब गांव में कोई तार आता था तो हड़कंप मच जाता था। तब तार का ज्यादातर सरोकार दुखद संदेश से होता था। हालांकि वह तार भी इतना द्रुत नहीं था जितना कि आज फोन, मैसेज या मेल हैं। ग्रामीण इलाके में तार मिलने में भी दो-तीन दिन लग जाते थे। तारसेवा को अंग्रेजी शासन ने गुलाम भारत में अपने खिलाफ हो रहे विद्रोहों की त्वरित सूचना प्रशासनिक हलकों में जारी करने के लिया था। बाद में पत्र व संवाद माध्यमों के लिए संचार का प्रमुख जरिया बना। व्यवसायिक इस्तेमाल भी हुआ। भारत के दूरसंचार विभाग का यह इतना महत्वपूर्ण विभाग था कि इसके लिए सारी व्वस्थाएं अलग से की गई। पहले डाक विभाग से जुड़ा था मगर बाद में उससे अलग कर दिया गया। डाक विभाग का वजूद तो अब भी है मगर अब वह समय आगया है जब तार सेवा बंद होने जा रही है।
   स्मार्ट फोन, ईमेल और एसएमएस ने आज टेलिग्राम सेवा को किनारे कर दिया था और अब बीएसएनएल ने 160 साल से चली आ रही इस टेलिग्राम सेवा को 15 जुलाई से बंद करने का फैसला किया है। एक समय में तेजी से और आवश्यक संचार के लिए मुख्य स्रोत मानी जाने वाली इस सेवा ने देशभर में कई लोगों के लिए खुशी और गम के समाचार पहुंचाए हैं। लेकिन नई तकनीक के आने और संचार के नए साधनों से टेलिग्राम खुद को किनारे पा रहा है।
   भारत संचार निगम लिमिटेड के (टेलिग्राफ सेवाओं के) सीनियर जनरल मैनेजर शमीम अख्तर द्वारा नई दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट ऑफिस से जारी किए सर्कुलर के मुताबिक टेलिग्राफ सेवाएं 15 जुलाई 2013 से बंद कर दी जाएगी। यह सर्कुलर विभिन्न दूरसंचार जिलों और सर्किल कार्यालयों को भेजा गया और इसमें कहा गया है कि टेलिग्राम सेवाएं 15 जुलाई से बंद हो जाएंगी। इसके फलस्वरूप बीएसएनएल प्रबंधन के अंतर्गत आने वाले सभी टेलिग्राफ ऑफिस 15 जुलाई से टेलिग्राम की बुकिंग बंद कर देंगे।
    सर्कुलर में कहा गया है कि दूरसंचार कार्यालय बुकिंग की तारीख से केवल छह महीने तक लॉग बुक, सेवा संदेश, डिलिवरी स्लिप को रखना होगा। बीएसएनएल दिल्ली के सूत्रों ने बताया, 'हमने सरकार से इस सेवा की मदद के लिए कहा था क्योंकि व्यवसायिक रूप से यह चलाने योग्य नहीं रही। इस पर सरकार ने कहा कि बीएसएनएल बोर्ड को इस पर फैसला करना चाहिए। हमने डाक विभाग से विचार-विमर्श के बाद इस सेवा को बंद करने का फैसला किया।' ( भाषा)
( साभार- http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/20554320.cms?google_editors_picks=true&google_editors_picks=true )

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