Sunday 27 May 2007
आत्मप्रशंसा में डूबी यूपीए सरकार के तीन साल
आत्म प्रशंसा में डूबी यूपीए सरकार ने अपनी उपलब्धियाँ तो गिना दीं मगर तीन साल से उसके भविष्यनिधि के ब्याज दर पर ना सिर्फ धोखा दिया है बल्कि अपने वायदे से भी मुकर गई है। सांसदों के भत्ते बढ़ाने में तो नहीं देर की मगर ब्याज दर का मामला वामपंथियों की माँग के बावजूद दरकिनार करदिया । भविष्यनिधि से आम आदमी की तमाम उम्मीदें जूडी होती हैं। इस नाराजगी का खामियाजा उत्तरप्रदेश के चुनाव में वामपंथियों और कांग्रेस दोनों को भुगतना पड़ा है। वामपंथियों का तो उत्तरप्रदेश से सफाया ही हो गया है। क्या उपलब्धियों की जगह इस बात पर विचार नही किया जान चाहिऐ था कि जनता उनसे नाराज क्यों है। शायद इसी का नतीजा है कि कर्मचारी भविष्यनिधि यानि ईपीएफ के केंद्रीय न्यास बोर्ड की रविवार की शाम नई दिल्ली में बैठक में ब्याज दर के बारे में अंतिम फैसला किया जाएगा। वामपंथी पार्टियां ब्याज दर को साढ़े आठ प्रतिशत से और कम करने का विरोध कर रही हैं। बोर्ड की इस वर्ष हुई पांच बैठकों में ब्याज दर साढ़े आठ प्रतिशत बनाए रखने पर कोई फैसला नहीं हो सका। बोर्ड का कहना था कि इससे निधि को साढ़े चार अरब रुपये का घाटा होगा। इस समय ईपीएफ में चार करोड़ से ज्यादा श्रमिक कर्मचारियों का खाता है।यूपीए सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री का गरीबी, उग्रवाद, साम्प्रदायिकता और आतंकवाद से निपटने के नये उपाय करने का संकल्प, उद्योगों से उपेक्षित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सकारात्मक रूख अपनाने का अनुरोध, पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड के गठन को मंजूरी और डेरा सच्चा सौदा मामला इस सप्ताह सुर्खियों में रहा। केन्द्र में यूपीए सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबी, उग्रवाद, साम्प्रदायिकता और आतंकवाद से निपटने के नये उपाय किये जायेंगे। यूपीए सरकार का तीन वर्ष का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ाने के सभी सम्भव उपाय किये जायेंगे। रिपोर्ट के जरिए प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता के नये पैमाने तय किये गये हैं। इसमें सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों में की गई पहलों को संकलित किया गया है। इसका केन्द्र बिन्दु उच्च विकास दर को कायम रखने और ग्रामीण कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाने, रोजगार और उन्नत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर है। इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी और महत्वाकांक्षी भारत निर्माण का भी जिक्र है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र की चर्चा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए सभी वर्गों से बातचीत के साथ-साथ कई और उपाय भी किये गये हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में मौजूदा माहौल भारत के लिए पहले से कहीं अधिक अच्छा है। रिपोर्ट में भविष्य की नई चुनौतियों से निपटने के लिए नये कार्यक्रम बनाने का आह्वान किया गया है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस अवसर पर कहा कि आबादी के बड़े हिस्से को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी हैः इन तीन वर्षों में बहुत काम हुआ है। हम सबको आगे भी इसी निष्ठा के साथ काम करना है। जिस संकल्प और समर्पण के आधार पर तीन साल पहले हमारा गठबंधन और कॉमनमिनिमम प्रोग्राम बना था। हमें उसी संकल्प और समर्पण को एक बार फिर दोहराना है। पिछले तीन वर्षों के दौरान उर्वरक और रसायन मंत्रालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए श्री रामविलास पासवान ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीति तैयार की जा रही है। हमलोगों ने सुनिश्चत किया है जून के महीने में जितनी आवश्यकता है स्टेट का उसका ७५ परसेंट पहली तारीख को जो है खाद उस जिला में पहुंचना चाहिए, मौजूद रहना चाहिए और जो १५ परसेंट बचता है वह १५ तारीख तक पहुंच जाना चाहिए। हम लोगों ने कहा है कि प्रत्येक स्टे्ट में वो बफर स्टॉक रहेगा। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने यूपीए सरकार की उपलब्धियों के बारे में कहा कि उसने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में पिछली एनडीए सरकार से कहीं ज्यादा धनराशि आबंटित की है। जहां तक शिक्षा की मसला है शिक्षा में ३२ हजार करोड़ की लागत तक पहुंच गये और कस्तूरबा गांधी विद्यालय के द्वारा क्लास ऐर्थ तक सभी गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए जो कार्य सरकार ने किया ये एक नया अनुभव है। हैल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में ७ हजार ६ सौ करोड़ के पैसा जो २००३ तक लगता था वो आज १७ हजार ६५० तक पहुंच गये। भारतीय उद्योग परिसंघ के राष्ट्रीय सम्मेलन और वार्षिक अधिवेशन में प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत से अनुरोध किया है कि वह सभी स्तरों पर उपेक्षित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सकारात्मक रुख अपनाए। उन्होंने कहा कि कंपनियों को अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गो, अल्पसंख्यकों, और महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर देने चाहिए। कट-पीएम &1 एस सी एस टी २४.५.२००७ १४३० बुलेटिन डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अधिक मानवीय और न्यायोचित समाज के लिए नई साझेदारी के निर्माण में भारतीय कारपोरेट जगत के सामने दस सूत्री सामाजिक चार्टर भी पेश किया।
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