Friday 7 March 2008

मराठी गौरव कौन है ? शिवाजी या बाल ठाकरे !

अराजक राजनीति से सत्ता तो हासिल होती है मगर इसके शिकार लोगों के उजड़े जीवन की भरपाई कैसे होगी? इसका जवाब भी वही राजनेता दे सकते हैं जो देश को जाति, धर्म जैसे घृणित सांचे में ढाल रहे हैं। इसी गंदी राजनीति के उत्पाद बाल ठाकरे या राज ठाकरे तो मराठियों के मसीहा हो गए हैं मगर पुणे में भूजा बेचकर जीवन बसर करने वाले किसुन और उसके बाल-बच्चों पर तो दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। पुणे में राज ठाकरे के गैर मराठी लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान के बाद उनके उन्मादी समर्थकों ने किसुन के दोनों हाथ काट डाले। अगर किसुन के दुख से दुखित होकर बिहार के सांसद प्रभुनाथ सिंह संसद में मराठियों को संवेदनाहीन कह दिया तो मराठी अस्मिता वाले शिवसेना नेता बालठाकरे इतना तिलमिला गए कि अपने मुखपत्र सामना में बिहारियों के खिलाफ गाली बककर अपनी मराठी संवेदनशीलता का परिचय दिया। क्या बाल ठाकरे किसुन के साथ हुए अत्याचार को मराठी गौरव समझते हैं? अगर यही मराठी गौरव है तो इतिहास में दर्ज शिवाजी समेत तमाम देशभक्त मराठी जाबांजों को क्या कहेंगे? आखिर कौन मराठी गौरव है ? बालठाकरेजी आप या शिवाजी ? मैं तो शिवाजी को ही मानता हूं जिन्होंने देश को मराठी और गैरमराठी में बांटकर नहीं देखा। उन्हें युद्धबंदी गौहरबानों भी सम्मान के लायक लगी।

बालठाकरेजी आपके इस असंवेदनशील कारनामे का एक और उदाहरण देखिए। मैंने एक लेख लिखा कि -क्या उजड़ी हुई मुंबई का सपना देख रहे हैं बालठाकरे (http://chintan.mywebdunia.com/2008/03/06/1204814812869.html )। इस लेख में मैंने आपके साथ उस व्यवस्था को दोषी माना जिसके कारण भारत की राजनीति इतनी गंदी हो गई है कि आप या राजठाकरे जैसे शक्तिमान शिवसैनिक को इतना पतित होना पड़ रहा है। इस गंदी राजनीति के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? यह सवाल उठाया तो आपसे प्रभावित एक महोदय ने अपनी टिप्पणी में बाकायदा यह धमकी दे डाली-----

Re: उजड़ी हुई मुंबई का सपना देख रहे हैं बाल ठाकरे !
Anonymous (yadav_99@hotmail.com/78.89.0.15) द्वारा 6 मार्च, 2008 10:50:48 PM IST पर टिप्पणी #
मुम्बे मए आ कर बात करो तो मजा है. बिहार मे रह कर कय बात करते हो.


यह प्रकाश में आई एक बानगी है। हकीकत में स्थिति इससे भी खराब है। यह जहर भी आपही फैला रहे हैं ठाकरेजी। मुंबई और बालीवुड को मराठी और गैरमराठी में विभाजित करके कैसे खुद को शिव सैनिक कह पाएंगे? दर्द अपने दिया है तो दवा भी आपको ही देनी पड़ेगी अन्यथा महान देशभक्त शिवाजी के वंशज शायद आपको भी माफ नहीं कर पाएंगे। अब किसुन को उसके दुख से कौन उबारेगा। या फिर यह कौन गारंटी देगा कि दूसरे किसुन के साथ यह नहीं होगा। अगर यह जहर दुर्भाग्यवश जहरबाद हो गया तो देश को कैसे बचाइएगा ?

यह है किसुन की दास्तां। जागरण डॉट काम के सौजन्य से पढ़िए। अगर आपके कलेजे में इंसान का दिल होगा तो आप भी इस कृत्य को जघन्य मानेंगे।

किशुन को मिली बिहारी होने की सजा
Mar 07, 05:37 pm


सिवान।मैं रोज की तरह भुजा बेच कर रात को करीब 10 बजे फुटपाथ पर ही सोने चला गया। अभी मेरी आंख लगी ही थी कि मनसे के सैकड़ों कार्यकर्ता मुझे घेर कर पिटने लगे, मैं उनके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाने लगा, बावजूद मेरी लात-घूसों से पिटाई होती रही और मैं बेहोश हो गया। दूसरे दिन जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को अस्पताल में पाया। मेरे दोनों हाथ मनसे कार्यकर्ताओं ने काट लिए थे और मेरे हाथों पर पट्टियां बंधी थीं।
यह दर्दनाक दास्तां उस गरीब किशुन का है, जिसे बिहारी होने की इतनी बड़ी सजा दी गई है। पिछले दिनों राज ठाकरे व उसके समर्थकों द्वारा उत्तर भारतीयों पर बरपाए गए कहर का शिकार हुआ किशुन। मनसे कार्यकर्ताओं ने निर्ममतापूर्वक उसके दोनों हाथ काट कर दरिंदगी का परिचय दिया है। बिहार के सिवान जिले के रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के दुदही गांव निवासी किशुन सिंह की गलती सिर्फ इतनी है कि वह पिछले 10 वर्र्षो से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए महाराष्ट्र के पुणे में भुजा बेचता था। दिनभर भुजा बेच कर रात में फुटपाथ पर ही सो कर जिंदगी गुजारने वाले किशुन को क्या पता था कि उसे इसकी कीमत अपने दोनों हाथ गवां कर चुकानी पड़ेगी। घर लौटे किशुन के चेहरे पर मनसे कार्यकर्ताओं का खौफ इस कदर गहरा गया है कि आज भी वह किसी अंजान व्यक्ति को देख कर कांप जाता है।
सिवान के सदर अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा किशुन को इस बात की चिंता सता रही है कि वह अपनी 12 वर्षीय बिटिया रंजीता का हाथ कैसे पीला करेगा। साथ ही उस आठ वर्षीय पुत्र और उसकी पत्‍‌नी का क्या होगा। इस परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा।
दूसरी तरफ स्थानीय मीडिया में इससे संबंधित खबरें आने के बाद महाराजगंज के सांसद प्रभुनाथ सिंह ने इस मामले को संसद में उठाया। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को पुणे के एसीपी संग्राम सिंह एवं इंसपेक्टर शिंदे को सिवान भेजा। महाराष्ट्र पुलिस का यह दल पीड़ित किशुन से दिन भर पूछताछ करता रहा। पूछताछ के क्रम में उसकी वीडियोग्राफी भी करवाई गई। बाद में उसकी इंजुरी रिपोर्ट लेकर टीम महाराष्ट्र रवाना हो गई। इस संबंध में जब एसीपी संग्राम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
उधर, पुणे की अपराध शाखा ने शुक्रवार को सिवान के सीएस को पत्र भेज कर किशुन की इंजुरी रिपोर्ट मांगी है। पत्र के मिलते ही सीएस सिवान डा. योगेंद्र रजक ने एक मेडिकल टीम बनाकर किशुन की गहन जांच शुरू कर दी है। इस घटना की जहां सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की है, वहीं स्थानीय बार एसोसिएशन ने राज ठाकरे व उसके अज्ञात समर्थकों के खिलाफ अदालत में मुकदमा कायम कराया है।

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