Wednesday 31 March 2010

बड़ी गड़बड़ियां भी होंगी जनगणना-२०११ में ?

The Big Short: Inside the Doomsday Machine भारत के सभी नागरिकों की पहचान तय करने के लिए जनगणना की प्रक्रिया   शुरू हो गई है। मगर इसके बारें में सरकार ने ठीक से प्रचार मुहिम नहीं चलाई है। यह लोगों को ठीक से पता भी नहीं है कि किस आधार पर जनगणना के लिए आपके घर आने वाले जनगणना कर्मचारी यह पहचान करेंगे कि आप वाकई भारत के और जहां रह रहे हैं, वहां के नागरिक हैं। क्या सिर्फ पूछताछ के आधार पर लोगों को दर्ज किया जाएगा? अगर ऐसा है तो सीमाई  राज्यों में घुसपैठ कर चुके लोग भी भारतीय नागरिक की सूची में दर्ज हो जाएंगे। कम से कम पश्चिम बंगाल, कश्मीर और असम वगैरह में तो इसे रोक पाना नामुमकिन ही होगा। वोट बैंक की राजनीति के तहत तो विदेशी नागरिकों को यहां पनाह पहले ही मिल चुकी है। इस हाल में विदेशियों को भारत का नागरिक दर्ज होने से रोकने की कोी पुख्ता व्यवस्था कहीं भी नजर नहीं आ रही है। जिन्हें यहां बतौर नागरिक यहां दर्ज होना है, वे ्पनी तैयारी काफी पहले से कर ही रहे होंगे।


दूसरी समस्या भारत के ही उन लोगों की है जो अन्य राज्यों में सपरिवार रह रहे हैं। वहां उनके पहचानपत्र वगैरह भी हैं मगर उनकी स्थाई संपत्ति किसी और राज्य में हैं। जहां स्थाई संपत्ति ( मसलन खेती की जमीन और पुस्तैनी मकान, बाग-बगीचे वगैरह ) है, वहीं के वे मूल निवासी भी हैं। सरकार ने जनगणना के पूर्व सरकार ने ऐसे लोगों के लिए कोई दिशा निर्देश भी जारी नहीं किए हैं। ना ही बाकायदा प्रचार किया है कि ऐसे लोगों को कैसे दर्ज किया जाएगा। यानी जनगणना से पहले इसके प्रति जागरूकता का कोई अभियान ठीक से नहीं चलाया गया। यह अलग बात है कि पार्टियों के लोग सक्रिय हैं मगर वे सिर्फ इस बात के लिए कहीं उनके वोटरों के साथ कोई गड़बड़ी न हो जाए। तो क्या इसी आधार पर सरकार भारत के नागरिकों का सही डाटाबेस तैयार कर पाएगी ? मुझे तो गड़बड़ी की पूरी आशंका नजर आ रही है। जो खुद ही इन सारी बातों के प्रति जागरूक हैं वे तो सबकुछ कर लेंगे मगर क्या भारत की उस सारी जनता से यह अपेक्षा रखना तार्किक होगा, जो इसके कार्यक्रम और जनगणना की महत्ता के बारें में ठीक से जानती तक नहीं है ? अगर नहीं तो इस जनगणना में भी ऐसी खामियां क्यों रहने दी सरकार ने ? कहा जा रहा है कि इसी डाटाबेस पर विकास की सारी योजनाएं भी बनेंगी। तो क्या गलत डाटाबेस पर बनेंगी विकास की योजनाएं ?
भारत जनगणना-2011
बहरहाल आप भी तैयार हो जाइए भारत के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज होने के लिए क्यों कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल एक अप्रैल को देश की जनगणना-2011 की प्रक्रिया की विधिवत शुरुआत करेंगी। यह जनगणना दो चरणों में होगी तथा पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) भी तैयार किया जाएगा। इसके तहत पहली बार नागरिकों का एक व्यापक पहचान डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा।

गृहमंत्री जीके पिल्लई ने बताया कि भारत जनगणना-2011 की प्रक्रिया एक अप्रैल को शुरू होकर एक जून को समाप्त हो जाएगी और यह दो चरणों में होगी। आजादी के बाद की यह 7वीं जनगणना होगी। इसमें 25 लाख कर्मचारी कार्य करेंगे। इसमें देश के सभी 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले 1.2 अरब निवासियों को कवर किया जाएगा।

एक अप्रैल को राष्ट्रपति के साथ ही उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी जनगणना फार्म भरेंगे।

उन्होंने कहा कि पहले चरण में एक अप्रैल से सितंबर तक घर घर जाकर सूची तैयार की जाएगी और एनपीआर के लिए आँकड़े एकत्र किए जाएँगे जबकि दूसरा चरण अगले साल 9 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा।

पिल्लई ने बताया कि 1 से 6 अप्रैल तक जनगणना प्रक्रिया नई (कुछ हिस्सा), प बंगाल, असम, अंडमान-निकोबार द्वीप, गोवा और मेघालय में, 7 से 14 अप्रैल तक केरल, लक्ष्यदीप, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, सिक्कम में चलाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि 15 से 20 अप्रैल तक कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़Click here to see more news from this city में, 21 से 25 अप्रैल तक गुजरात, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव में, 26 से 30 अप्रैल तक त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में, एक से 6 मई तक हरियाणा, छत्तीसगढ, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में, 7 से 14 मई तक मध्य प्रदेश में , 15 से 31 मई तक जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में तथा 1 जून को तमिलनाडु, पांडिचेरी , हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में होगी।

उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड के बारे में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है । राज्य सरकारों से संपर्क जारी है।

पिल्लई ने कहा कि इस जनगणना के दौरान देश के सभी 240 जिलों, 5767 तहसीलों, 7742 शहरों, और 6 लाख से अधिक गाँवों को कवर किया जाएगा। इस दौरान करीबन 24 करोड़ घरों का दौरा किया जाएगा और इस प्रक्रिया के दौरान एक अरब 20 करोड़ लोगों की गिनती की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े कार्य को पूरा करने के लिए करीबन 25 लाख अधिकारी और कर्मचारी शामिल किए गए हैं।

पिल्लई ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा से लगे क्षेत्रों में नियुक्त सभी जिला मजिस्ट्रेटों से कहा गया है कि वे विशेष सतर्कता बरतें क्योंकि हो सकता है कि कुछ लोग सीमा पार से आकर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में अपना नाम दर्ज कराने का प्रयास करें।

इसमें 11 हजार 631 मीट्रिक टन कागज लगेगा, 64 करोड सूची पत्र 16 भाषाओं में प्रकाशित किए जाएँगे, 81 लाख नियम पुस्तिकाएँ 18 भाषाओं में तैयार की जाएगी। (भाषा)

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