Tuesday, 15 January 2008

प. बंगाल में बर्डफ्लू फैला


केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के दो जिलों में बर्डफ्लू फैलने की पुष्टि कर दी है। इससे पहले सोमवार को राज्य सरकार ने बर्डफ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य के बीरभूम व दक्षिण दिनाजपुर से लिए गए सैंपल पाजिटिव पाए गए हैं। सैंपल परीक्षण के लिए पशु रोग प्रयोगशाला [भोपाल] भेजे गए थे, जहां मृत पक्षियों में एवियन फ्लूएंजा होने की पुष्टि की गई जिसे बर्डफ्लू के नाम से जाना जाता है। सूत्रों ने बताया कि सैंपल को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी भी भेजा गया है। राज्य के इन दोनों जिले में केंद्र ने एहतियात के तौर पर पोल्ट्री फार्म चलाने पर रोक लगा दी है।
बर्ड फ़्लू की पुष्टि होने के बीच अधिकारियों ने राज्य के बीरभूम ज़िले के दो गाँवों मारग्राम-एक और मारग्रम-दो में पाँच किलोमीटर के घेरे के अंदर हज़ारों मुर्गियों को मारने का काम शुरू कर दिया है. मारग्राम में एक हफ़्ते के भीतर क़रीब दस हज़ार मुर्गियाँ मार दी गई है. इस बीच पॉल्ट्री फॉर्म से लिए गए नमूनों को जाँच के लिए भोपाल भेजा गया था. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव नरेश दयाल ने कहा है, "हम कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम और दक्षिण दिनाजपुर ज़िले में बर्ड फ़्लू फैल गया है. इससे निबटने के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जाएगी." पश्चिम बंगाल सरकार ने बांग्लादेश की सीमा से सटे राज्य के ज़िलों में बांग्लादेश से मुर्गियों के आयात पर पाबंदी लगा दी है. पश्चिम बंगाल के पशुपालन मंत्री अनीस उर रहमान ने बीबीसी को बताया, "पिछले वर्ष बांग्लादेश में फैले बर्ड फ़्लू को ध्यान में रखते हुए हमने यह क़दम उठाया है." केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, नरेश दयाल ने कहा है कि बर्ड फ़्लू को रोकने के लिए बड़ी मात्रा में तामीफ्लू दवा राज्य में भेजी गई है. केंद्रीय पशुपालन विभाग ने राज्य सरकार को कंट्रोल रूम स्थापित करने को कहा है. साथ ही संयुक्त सचिव एबी नेगी को स्थिति पर नज़र रखने और मुर्गियों को मारने की निगरानी के लिए कोलकाता भेजा गया है.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हालात की समीक्षा करने के लिए रामपुर हाट उप मंडल के तमाम प्रमंडल विकास अधिकारियों [बीडीओ] की एक बैठक बुलाई गई है।
इस बीच अनाधिकारिक रिपोर्टो में बताया गया है कि अब तक क्षेत्र में कम से कम बीस हजार मुर्गियों की मौत हो चुकी है। जिला मजिस्ट्रेट तपन शोम ने बताया कि मुर्गियों की इन मौतों के मद्देनजर राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी 12 दल गठित किए हैं। केंद्र के पशु चिकित्सा विभाग के सहायक निदेशक ए बी नेगी ने जिले के रामपुर हाट उपमंडल का दौरा किया था। इस बीच एहतियाती कदम उठाते हुए मानव बर्डफ्लू के किसी संभावित मामले के इलाज के लिए रामपुर हाट जिला अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।

कुछ और ज़िलों में बर्ड फ़्लू की आशंका
पश्चिम बंगाल के कुछ और ज़िलों में बर्ड फ़्लू फैलने की सूचना मिल रही है. इस बीच केंद्र ने राज्य सरकार से कहा है कि वो इस बीमारी को रोकने के लिए कड़े क़दम उठाए.
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने गुरुवार को कहा, "हमने पश्चिम बंगाल सरकार से हर शहर और हर गाँव में एहतियाती क़दम उठाने को कहा है."

उन्होंने कहा कि इस बीमारी का भारत के घरेलू पॉल्ट्री बाज़ार पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ा है.
इस बीच कोलकाता स्थित बीबीसी संवाददाता सुबीर भौमिक के मुताबिक पश्चिम बंगाल के दो और ज़िलों में बर्ड फ़्लू फैलने की सूचना मिल रही है. अधिकारियों का कहना है कि उन्हें दक्षिण चौबीस परगना और बर्धवान ज़िले के आसनसोल से मुर्गियों के मरने की रिपोर्ट मिली है.इससे पहले पश्चिम बंगाल के पशुपालन मंत्री अनिसुर रहमान ने बताया कि बीरभूम, दक्षिण दिनाजपुर और मुर्शिदाबाद में बर्ड फ़्लू से 55 हज़ार से ज़्यादा पक्षियों की मौत हो गई.
उन्होंने बीबीसी से कहा कि राज्य सरकार बीमारी के फ़ैलने की ख़बरों से चिंतित है.

मुर्गी मारने का विरोध

बर्ड फ़्लू से सबसे ज़्यादा प्रभावित बीरभूम ज़िले में स्वास्थ्यकर्मी मुर्गियों को मारने का काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें स्थानीय लोगों से विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है.

बीरभूम के मरग्राम में स्वास्थ्यकर्मी बिप्लव सेन ने कहा, "गाँव वाले मुर्गियों की तस्करी दूसरे इलाक़ों में कर रहे हैं. हमें सभी पॉल्ट्री फॉर्म तक पहुँचने में दिक्कत हो रही है."

पशुपालन कमिश्नर शांतनु बंदोपाध्याय ने बताया कि विरोध के कारण ही अब तक सिर्फ़ कुछ हज़ार मुर्गियाँ ही मारी गई हैं.

हालाँकि उन्होंने गुरुवार से इस काम में तेजी लाने की बात कही.अभी तक राज्य के किसी हिस्से से किसी व्यक्ति के बर्ड फ़्लू के वायरस से संक्रमित होने की सूचना नहीं है.(बीबीसी )

उधर, नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने साफ किया कि भारत से पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स के निर्यात पर रोक के लिए अभी वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ की ओर से कोई अडवाइजरी नहीं मिली है। तब तक एहतियातन केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल से पोल्ट्री प्रॉडक्ट की आवाजाही और कारोबार पर रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री अंबिका सोनी ने बर्ड फ्लू से टूरिजम प्रभावित होने की आशंकाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार समेत अन्य सभी सरकारों ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं।
पड़ोसी राज्य भी सतर्क
बंगाल की सीमा से सटे पूर्वोत्तर राज्यों, बिहार, झारखंड और उड़ीसा ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। पूर्वोत्तर राज्यों ने बंगाल से सटी सीमा को सील कर दिया, ताकि बर्ड फ्लू प्रभावित पक्षियों की आवाजाही रोकी जा सके। इन सभी राज्यों की सीमा या तो प. बंगाल से सटी है या फिर बांग्लादेश से। सभी चेक पॉइंट को अलर्ट पर रखा गया है। बीरभूम से सटे झारखंड के पाकुड़ जिला प्रशासन ने पश्चिम बंगाल से चिकन इम्पोर्ट पर बैन लगा दिया है। बिहार सरकार ने राज्य के सभी जिलों को सतर्क करते हुए दूसरे राज्यों से पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स लाने और ले जाने में ऐहतियात बरतने के निदेर्श दिए हैं।


नेपाल में बर्ड फ्लू की चेतावनी


हाल ही में पश्चिम बंगाल में बर्ड फ्लू के मामलों को देखते हुए नेपाल सरकार ने इस बीमारी से संबंधित नयी चेतावनी जारी की है और लोगों को भारत व अन्य देशों से अंडे चिकन अथवा अन्य पक्षी संबंधित सामान आयात नहीं करने को कहा गया है।

नेपाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नोटिस में जनता से भारत एवं अन्य देशों से किसी भी प्रकार के मुर्गे अंडे अथवा अन्य पक्षी संबंधित वस्तुएं नहीं मँगाने को कहा गया है।

इलाके में किसी भी पक्षी की अप्राकृतिक मौत के मामले की सूचना स्वास्थ्य केंद्र को देने और तमाम तरह की एहतियात अपनाने की बात कही गई है।

नेपाल में अब तक बर्ड फ्लू का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है और लोगों से इस मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा गया है। (काठमांडो (भाषा) , गुरूवार, 17 जनवरी 2008)

क्या है बर्ड फ्लू
यह चिड़ियों से मनुष्यों में आता है और खतरनाक बीमारी का रूप धारण कर लेता है। इस रोग के यों तो 15 वायरस हैं लेकिन सभी मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं होते। जो मनुष्य के लिए सबसे खतरनाक होता है वह है -एच5एन1 यह वायरस भी अपने अंदर बदलाव लाता है पिछले सात सालों में इसमें परिवर्तन आया है।

कैसे फैलता है

पक्षियों से फैलता है। प्रवासी पक्षी भी बर्ड फ्लू के वायरसों को अपने साथ ले जाते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि यह चिड़िया भी इसकी शिकार बने। मुर्गियों में यह वायरस आसानी से पकड़ लेता है। इनके संपर्क में रहने से वायरस सांस के जरिए मनुष्य में पहुंचते हैं।

क्या है लक्षण - संक्रमित व्यक्ति को खांसी, जुकाम और छाती में दर्द रहता है लेकिन कई बार यह संक्रमण इतना ज्यादा होता है कि मनुष्य की जान भी ले लेता है।
क्या मुर्गी का मांस सुरक्षित है - अभी तक मांस खाने से बर्ड फ्लू फैलने का मामला सामने नहीं आया लेकिन विशेषज्ञ इन संभावनाओं से इनकार भी नहीं करते। हां, इतना जरूर है कि मांस को अच्छी तरह से पका लेना चाहिए।

क्या हैं नए शोध-
* वैज्ञानिकों ने स्विटजरलैंड की प्रयोगशाला चूहों पर एच5एन1 वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इन प्रयोगों से बर्ड फ्लू पर काबू करने का रास्ता खुल सकता है।
* अमेरिकी दवा कंपनी और इंडोनेशियाई सरकार ऐसा टीका विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है लेकिन अभी थोड़ समय लग सकता है।
* फ्रांस के वैज्ञानिकों ने बर्ड फ्लू के वायरस फैलने की मैकेनिज्म समझने में सफलता हासिल कर ली है। यदि इन शोधों को विस्तार दिया जा सका तो अन्य असाध्य बीमारियों को समझने में भी सफलता मिल सकती है।

वैज्ञानिक क्यों घबराए हैं - अभी बर्ड फ्लू के वायरस चिड़ियों से मनुष्यों में फैलने के पुख्ता प्रमाण हैं। इसका वायरस अपनी प्रकृति बदलने में माहिर होता है। वैज्ञानिकों को डर है कि कहीं वायरस की प्रकृति ऐसी न हो जाए कि यह मनुष्यों से मनुष्यों में फैलने लगे। ऐसी स्थिति में एक नई महामारी दुनिया को हिला सकती है।

ऐसे हुआ संक्रमण
* विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्ष 2003 से अब तक एशिया में 91 लोग बर्ड फ्लू से मारे गए हैं।
* बर्ड फ्लू का वायरस भारत में सर्वप्रथम 2002 में पहुंचा।
* किंग्स इंस्टिट्यूट ऑफ प्रीवेन्टिव मेडिसीन, चेन्नई के वैज्ञानिक ने शहर के निकट तीन पोल्ट्री फार्म में कार्यरत श्रमिकों की जांच में इसके वायरस पाए थे।
* महाराष्ट्र में विदर्भ के 19 गांव बर्ड फ्लू की चपेट में आए।
* उस समय दहशत के कारण लोगों ने चिकन से परहेज शुरू कर दिया था और इसके दाम बहुत ज्यादा गिर गए थे।
* महाराष्ट्र के पुणे और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी बर्ड फ्लू की खबरें आई थीं।

बर्ड फ्लू- नवीनतम स्थिति
19/12/2007

111 देशों के प्रतिनिधि दिसंबर के पहले हफ्ते में बर्ड फ्लू से मुकाबला करने में हुई प्रगति और इंसान में फ्लू की महामारी फैलने की तैयारी का आकलन करने के लिए नई दिल्ली, भारत में मिले । इस प्रयास का नेतृत्व कर रहे दो जन स्वास्थ्य अधिकारियों ने वॉशिंगटन में एक न्यूज़ ब्रीफिंग में सम्मेलन के परिणामों का संक्षिप्त विवरण दिया । जैसा कि फेथ लेपीडस ने बताया, उन्होंने प्रगति होने की जानकारी दी पर कहा कि अभी लंबा रास्ता तय करना होगा ।
1996 में एशिया में बर्ड फ्लू के विषाणु का पहली बार निदान होने के बाद से करीब 60 देशों में लाखों संक्रमित पक्षियों का विनाश हो चुका है । तथाकथित एच5एन1 विषाणु से संक्रमित होने के बाद 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है ।
राष्ट्र संघ के एवियन एंड ह्यूमन इनफ्लूएंजा के लिए वरिष्ठ समन्वयक डेविड नाबारो के अनुसार, बर्ड फ्लू ऐसी समस्या है, जो आने वाले कुछ वर्षों तक हमारे लिए बनी रहेगी । परंतु श्री नाबारो ने 146 देशों से एच5एन1 विषाणु के प्रसार के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए आशावादी होने पर जोर दिया ।
पहली बात तो यह है कि 2004 और 2007 के बीच स्थिति बदल गई है, जिस दर से नए देश एच5एन1 से प्रभावित हो रहे हैं, उसमें कमी आई है, मानवीय मामलों की संख्या कम हुई है और मानवीय मौतें भी कम हो गई हैं । इसलिए व्यापक महामारी विज्ञान से संबंधित प्रमाण से संकेत मिला है कि एच5एन1 विषाणु की स्थिति कम-से-कम इतनी गंभीर हीं है ।
परंतु कम-से-कम 6 देशों में यह विषाणु अब भी फैल रहा है और बर्मा तथा पाकिस्तान में मानवीय संक्रमण और मौत की नई खबरें (16 दिसंबर) मिली हैं । वॉशिंगटन ब्रीफिंग में श्री नाबारो ने एच5एन1 को नियंत्रण में रखने के लिए ध्यान केंद्रित करने, अनुदान देने और राजनीतिक इच्छाशक्ति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया । और जॉन लेंग ने, जो अमेरिकी सरकार के एवियन इनफ्लूएंजा प्रोग्राम के अध्यक्ष हैं, पत्रकारों को बताया कि बर्ड फ्लू को रोकने का वैश्विक अभियान व्यक्तिगत मामलों से निपटने से आगे तक जाता है ।
हम, जहां तक संभव होता है, पशु चिकित्सा के क्षेत्र में और मानवीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरीक्षण का स्तर बढ़ाकर, पशु चिकित्सकों और महामारी वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करके, प्रयोगशालाएँ आदि बनाकर दीर्घकालिक क्षमता का निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं । और श्री लेंग ने कहा कि बर्ड फ्लू पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समग्र जन-स्वास्थ्य की तैयारी पर सकारात्मक असर पड़ा है । अगर कोई ऐसी नई बीमारी होती, जो कल ही उभरी होती, लेकिन एच5एन1 से पूरी तरह अलग होती, हो सकता है कि कुछ ऐसी बीमारी होती, जिसमें इंसान से इंसान को संक्रमित करने की प्रभावशाली क्षमता होती तो इसका मुकाबला करने का सर्वोत्तम उपाय इसी तरह के नेटवर्क बनाना होता, जो अब एवियन और पेंडमिक इनफ्लूएंजा के खतरों से निपटने के लिए बनाए जा रहे हैं ।
श्री लेंग ने सरकारों में और उनके बीच भी ऐसे नेटवर्क बनाने के महत्व पर जोर दिया । उन्होंने महामारी से निपटने के लिए वॉशिंगटन के समग्र रवैये का उल्लेख किया । श्री लेंग ने कहा कि इसमें सरकार की हर एजेंसी शामिल है, केवल जन-स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार एजेंसियां ही शामिल नहीं हैं ।
एक गंभीर महामारी में हर एक को शामिल होना पड़ेगा । इसमें ऐसी कठिनाइयां आ सकती हैं कि जब आप एटीएम मशीन पर जाएं और उसमें पैसा इसलिए न भरा गया हो क्योंकि बीमारी की वजह से लोग काम पर न आए हों और इसमें पैसा न भर सके हों । इससे हमारी वित्तीय प्रणालियां प्रभावित होंगी, इससे इंटरनेट प्रभावित होगा । हो सकता है कि हर कोई कुछ समय के लिए काम पर न जाकर घर पर रह जाएं और इंटरनेट का इस्तेमाल करे । ऐसी बहुत सारी जटिलताएं हो सकती हैं, जो स्वास्थ्य और मानवीय सेवा विभाग के कार्य क्षेत्र से बाहर हों या विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्र से बाहर हों । इसलिए हालांकि यह मानवीय स्वास्थ्य का खतरा है, पर अगर महामारी फैलती है तो इस पर सचमुच व्यापक तालमेल की जरूरत पड़ेगी । इसमें सब कुछ शामिल होगा । और राष्ट्र संघ के डेविड नाबारो ने कहा कि चूंकि एवियन फ्लू महामारी का प्रभाव इतना व्यापक होगा, इसलिए स्थानीय समुदायों, नागरिक संगठनों और सार्वजनिक सुविधाओं को भी इसकी तैयारी करने में भूमिका निभानी होगी । ये सूक्ष्म जीवाणु हैं, खासकर वे जीवाणु जो पशु जगत से आते हैं- मानवता के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक हैं और यहां तक कि उसके अस्तित्व के लिए भी निश्चय ही खतरा हैं । बर्ड फ्लू से मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों पर चर्चा काहिरा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जारी रहेगी, जो अक्टूबर में होगा । (वायस औफ़ अमेरिका ▪ Hindi)

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