Tuesday 29 January 2008

आज का क्षत्रिय

यदस्य क्षत्रियासूते, तस्य कालो यमागतः ।
ऊपर जो सूक्ति आप देख रहे हैं, यह बिल्कुल आज के क्षत्रिय के लिए अपील है। इसका अर्थ बदलते परिवेश में लें तो समाचीन यह है कि अगर बदले नहीं तो अब बदल जाओ। हे क्षत्रिय पुत्रों यह जो समय है, यह उनका वरण करेगा जो समय के साथ चलेंगे। किसी और शहर की फिलहाल बात नहीं कर पा रहा हूं क्यों कि कोलकाता के क्षत्रिय समाज को ही कुछ नजदीक से देख पाया हूं। हर साल के आखिर में या फिर कोई उपयुक्त दिन को तलाशकर सालाना आयोजन किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं काफी तादाद में क्षत्रिय समाज के लोग और बिरादरी भोज का भी लुत्फ उठाते हैं। और इसके बाद पूरे साल की सामाजिक गतिविधियां लगभग नहीं के बराबर कही जा सकती है। आयोजन में बड़े-बड़े वायदे और शिकायतें भी वरिष्ठ क्षत्रिय वक्ताओं के जोशीले भाषण में दर्ज होती हैं। अपने समाज के उन्नतोमुखी लोगों को सम्मानित भी किया जाता है और यह वर्षों से किया जा रहा है। इस समाज की थोड़ी बहुत गतिविधियां फिर गंगासागर मेले के मौके पर भी दिखती है। कोलकाता जैसी जगह में जहां हिंदीभाषी कुछ उपेक्षित महसूस करते हैं, भोजपुरी, क्षत्रिय या फिर दूसरे तमाम समाजों की गंगासागर के मौके पर गतिविधियां काबिले तारीफ हैं। हम अभी सिर्फ कोलकाता के क्षत्रिय समाज की बात कर रहे हैं इस लिए उनपर ही केंद्रित होकर यह कहना चाहते हैं कि क्षत्रियों आप से हम और भी अपेक्षा रखते हैं। ऐसा नहीं कि आर्थिक तौर पर किसी समाज से आप कमजोर हैं फिर ठोस सामाजिक कार्यों में आप की भूमिका इतनी सिमटी हुई क्यों है कि आपके पास इसी शहर के मारवाड़ी समाज वगैरह की तरह न कोई स्कूल-कालेज है और न अस्पताल। इतना ही नहीं दहेज नामक राक्षस से अपने समाज को उबारने की कोई ठोस गतिविधि भी नहीं दिखाई देती। कम से कम डेढ़ दशक से तो मैं यही देख रहा हूं।

काशीपुर क्षत्रिय समाज कोलकाता ने ( क्षत्रिय समाज की स्थानीय यूनिट जिसके संरक्षक श्री दुर्गादत्त सिंह हैं ) दो साल पहले एक डायरेक्टरी बनवाई थी। मगर इसमें ठोस कामयाबी शायद नहीं मिल पाई। कुल मिलाकर बस छिटपुट प्रयास होते दिखे। यानी कोलकाता के संजीदगी से काम कर रहे दूसरे समाजों के मुकाबले काफी फिसड्डी रहा इनका प्रयास।
फिलहाल बंगाल के स्तर पर लें या कोलकाता के स्तर पर क्षत्रिय समाज पूरी तरह बिखरा हुआ है। कहीं साल्टलेक में तो कहीं गारुलिया, काशीपुर, कोन्ननगर ( इसके संरक्षक श्री देवेंद्र सिंह हैं), मेदिनीपुर वगैरह की ईकाइयां स्थानीय शक्तिशाली लोगों की मुट्ठी में बंद है । अभी तक यह एकछत्र लोकतात्रिक स्वरूप भी नहीं अख्तियार कर सका है। ऐसे में समाज सेवा से तो सभी घटक कोसों दूर दिखते हैं। एक धड़े ( आरके सिंह गुट ) ने तो एक पत्र स्वाभिमान का प्रकाशन भी शुरू किया मगर शायद वह भी अनियमित हो गया। अब वे इसकी जगह पत्रिका के प्रकाशन का मन बना रहे हैं। उधर काशीपुर में श्री दारोगा सिंह ने अलग गुट बना लिया है। फिर भी कुल मिलाकर नौ दिन चले अढ़ाई कोस की गति से भी नहीं चल पा रहा है कोलकाता का क्षत्रिय समाज।
ऐसे ही आज के क्षत्रिय और उनके समाज का वह काल आ गया है जब वह अपने घमंड के खोल से बाहर निकलकर सामाजिकता के आज के नियम को मानें। अगर आप खुद को नहीं बदलोगे तो समाज को क्या दिशा दे पाएंगे। क्या अपने समाज से आपको लगाव नहीं ? अगर है तो कृपया इस समाज की सोच को बदल डालें और ऐसी राह पर ले जाएं जहां आपका मुकाबला आपसे भी बेहद संगठित और प्रगतिशील समाजों से है। राजनीति को परे रखकर समाज की चिंता करें।
इस अपील का मकसद देश व दुनिया के क्षत्रिय समाज के लोगों को एक मंच पर लाना है। बदलते परिवेश में इस समाज के प्रबुद्ध लोगों के विचार, अपील और समाज के विविध आयोजनों से आपको अवगत कराने के इस नए तरीके से आपको जोड़ना चाहता हूं। पुरानी लीक पर चलकर कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता उसे समय के साथ बदलना होगा। सोच बदलनी होगी और जातीय घमंड की जगह विनम्र मगर सक्षम क्षत्रिय की भूमिका में खुद को ढालना होगा। बेशक इतिहास के किसी दौर में हम सिर्फ रक्षक की भूमिका में थे। देश और समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए खून बहाया मगर आज के क्षत्रिय की भूमिका बदल गई है। नए युग के वह परिवर्तन जरूरी है जिससे आज के क्षत्रिय का तालमेल बना रहे और समाज व देश की प्रगति के हम काम आएं । इसी संकल्प के साथ आप इस मंच से जुड़ें। इसके दो तरीके हैं। पहला जो कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं और अपने विचार हिंदी में इस ब्लाग पर लिखना चाहते हैं वे नीचे दिए मेल पर अपने विचार हमें मेल करें। हम आपको ब्लाग पर प्रकाशित करेंगे। संभव हुआ तो सीधे ब्लाग पर लिखने का आपको अधिकार प्रदान किया जाएगा। दूसरा तरीका है कि आप इस ब्लाग को देखते रहें और जिस लेख पर आप को टिप्पणी करनी हो, तो अवश्य करें। लोग भी आप की टिप्पणी से लाभान्वित होंगे। सूचना क्रांति के नए हथियार इंटरनेट पर आकर वैश्विक स्तर पर अपने संदेश लोगों तक पहुंचाएं। मुहिम छेड़ें कि आज का क्षत्रिय फिर जाग उठे। हम आपके साथ हैं।
अपनी बात कहने के लिए हमें मेल करें-- drmandhata@gmail.com

1 comment:

Randhir Singh Suman said...

sharo ki union nahi hoti.shar zoo mai pai jate hoi

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