Monday 11 February 2008

मैंग्रोव नष्ट हुआ तो सुंदरवन भी नहीं बचेगा


वैश्विक तापमान जितनी तेजी से बढ़ रहा है उससे हिमालय की ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। कई हिमनदियां सूख रही हैं । इतना ही नहीं गंगोत्री या गोमुख भी यथावत नहीं रह गया है। वैश्विक तापमान बढ़ने से तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर से समुद्र का जलस्तर भी बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इससे विश्व की नायाब प्राकृतिक धरोहर सुंदरवन के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है। संदरवन के लिए काम कर रही एक सामाजिक संस्था एनईडब्लूएस और कोलकाता विश्वविद्यालय के समुद्रविग्यान विभाग ने शोधोपरांत पाया है कि इस बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण समुद्र का जलस्तर हर साल तीन मिलीमीटर बढ़ रहा है। अगर समुद्र का जलस्तर इसी तरह बढ़ना जारी रहा तो अगले ३० सो १०० साल के भीतर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और इसके तीन जिले-उत्तर २४ परगना, दक्षिण २४ परगना और पूर्व मेदिनीपुर समुद्र में समा जाएंगे।

दरअसल सुंदरवन से बाघों के विलुप्त होने का संकट तो अभी खत्म हुआ ही नहीं था कि उल्टे सुंदरवन के ही नष्ट हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। दुर्गापूजा के बाद छठ पूजा के ठीक एक दो जिन पहले बांग्लादेश से जो सीडर तूफान भारत की बढ़ा था उसने सबसे ज्यादा नुकसान सुंदरवन को ही पहुंचाया था। अगर सुंदरवन बचा तो उन्हीं मैंग्रोव की कृपा से, जो आज इतने भी नहीं बचे हैं कि सुंदरवन को महफूज रख सकें। १०८ द्वीपों में बिखरे सुंदरवन के ३५०० किलोमीटर लंबे तट में से २००० किलोमाटर तट ऐसा है जहां मैंग्रोव हैं ही नहीं। ये मैंग्रोव दो तरह से सुंदरवन की रक्षा करते हैं। पहला यह कि इनकी मजबूत घनी जड़ें तटों का कटाव नहीं होने देतीं और दूसरा यह कि बेहद घने मैंग्रोव तूफान की गति काफी कम कर देते हैं। यानी मैंग्रोव आबादी की तरफ जाने वाले तूफान को इतना धीमा कर देते हैं कि जिससे बंगाल तटीय आबादी वाले इलाके भी भारी तबाही से बच जाते हैं।

कुछ विशेष किस्म के मैंग्रोव न सिर्फ ग्लोबलवार्मिंग से लड़ पाएंगे बल्कि सुंदरवन को कटाव व तेज तूफानों से भी बचा पाएंगे। कम कर पाएंगे। ऐसा भरोसा कोलकाता विश्वविद्यालय के वैग्यानिक और प्रोफेसर अभिजीत मित्र को रिसर्च के बाद हासिल हुआ है। केवड़ा और कुछ दूसरे मैंग्रोव हवा में कार्बनडाईआक्साइड को बढ़ने से रोकते हैं। अगर कार्नडाईआक्साइड को बढ़ना वायुमंडल में रोका जा सका तो ग्लोबलवार्मिंग व उससे होने वाले खतरों पर भी अंकुश रखा जा सकेगा।
मैंग्रोव के इस महत्व को देखते हुए ब्रिटेन की आर्थिक मदद से ४० लाख मैंग्रोव सुंदरवन के तटीय इलाके में रोपे जाएंगे। भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार विमर्श किया है। इस किस्म की परियोजना की कोलकाता की संस्था नेचर इनवायर्नमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसायटी (एन ई डब्लू एस ) ने जिम्मेदारी ली है। ब्रिटिश सरकार ने इस परियोजना के लिए ६० हजार अमेरिकी डालर मंजूर किए हैं। कोलकाता में ब्रिटिश उपउच्चायुक्त सिमोन विल्सन ने यह जानकारी दी। ब्रिटेन के सहयोग वाली यह परियोजना सुंदरवन को तो बचाएगी ही कोलकाता को प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी। एनईडब्लूएस प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर अजंता दे का तो दावा है कि इससे इलाके के ग्रामीण इलाकों को भी आर्थिक फायदा हासिल होगा। क्यों कि सुंदरवन से गुजरने वाले तूफान इन ग्रामीण इलाकों में जानमाल का काफी नुकसान पहुंचाते हैं। मैंग्रोव इन तूफानों की गति ७० से ८० प्रतिशत कम कर देते हैं।( खबर स्रोत- समाचार एजंसी पीटीआई )

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