Monday, 25 February 2008

कौन सी जिम्मेदारी निभा रहे हैं हिंदी ब्लागर ?

अब वह दिन दूर नहीं जब अखबारों की तरह स्वतंत्र लेखन करने वाले हिंदी या दूसरी भाषाओं के ब्लागरों की राय भी कई मुद्दों पर लिए जाने वाले फैसलों में अपनी अहमियत दर्ज करा पाएगी। फिलहाल तो हिंदी ब्लागिंग अभी ऐसी किसी भूमिका से कोसों दूर है। हजारों की तादाद में हैं हिंदी ब्लागर और लाखों हैं पाठक मगर अभी भी इस तरह से खुद को संगठित नहीं कर पा रहे हैं कि वे देश के किसी मुद्दे पर भारी तादाद में एक साथ अपनी राय दे पाएं। या फिर किसी एग्रीगेटर की तरफ से देश के ज्वलनशील मुद्दों पर लोगों से बेबाक टिप्पणी बटोरने का प्रयास भी नहीं दिख रहा है।
अब ताजा हालात को ही ले लीजिए। देश का कौन ऐसा नागरिक या क्षेत्र होगा जो बजट से प्रभावित नहीं होता है, मगर बजट पेश होने से पहले ब्लागरों ने ऐसी कोई मुहिम नहीं चलाई जिससे बजटपूर्व आम आदमी की समझ के लायक बहस या गंभीर चर्चा सामने आई हो। मतलब महज छिटपुट टिप्पणी से संतोष कर लेने से काम नहीं चलेगा। अगर समानान्तर सूचना माध्यम बनना है तो ब्लागिंग को ऐसे मुकाम पर ले जाना होगा जहां से ब्लागर्स की राय भी देश के बारे में लिए जाने वाले किसी भी फैसले में सार्थक योगदान कर सके।
अगर ब्लागर्स बंधु बुरा न मानें तो यह भी कहना चाहूंगा कि सिर्फ ब्लाग की रेटिंग के लिए ही काम नहीं करना चाहिए। यह अच्छी व्यक्तिगत उपलब्धि तो हो सकती है या फिर किसी ब्लाग को बहुचर्चित बना सकती है मगर प्रकारान्तर से ब्लागिंग की दुनिया को खोखला ही करेगी। कुछ समूह ब्लाग कई विषयों पर जनमत लेने की कोशिश कर रहे हैं मगर यह अधूरा प्रयास है। क्या किसी विषय पर किसी एक ब्लाग पर राय मंगवा लेने से वह उद्देश्य पूरा हो जाएगा जो आप जैसे बुद्धिजीवी तबके से उम्मीद की जाती है। फिर सारे ब्लागर या पाठक जरूरी नहीं कि उसी ब्लाग पर टिप्पणी डालने पहुंचे। तो क्या यह जनमत संग्रह सारे ब्लागरों का समझा जाएगा ? अगर नहीं तो फिर यह भी होगा कि आपकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाएगी। अतः विचारक और बुद्धिजीवी होने के नाते आपकी ऐसे ब्लागर की जिम्मेदारी बनती है जो स्वविवेक से ज्वलंत सामयिक मुद्दे (जैसे फिलहाल बजट का मौसम को ले लीजिए ) पर अपनी बेबाक राय जाहिर करनी चाहिए कि देश को कैसा बजट चाहिए। यकीन करिए ब्लागरों की राय भी नियामको को सुननी पड़ेगी।
इसकी ताजा मिसाल तो यही है कि भारत में हिंदी ब्लागरों की पहचान बननी शुरू हो गई है और अखबारों ने भी इनकी नोटिस लेनी शुरू कर दी है। और दूसरी मिसाल पाकिस्तान के ब्लागरो कीं हैं। पाकिस्तानी ब्लागरों ने मुशर्रफ के न होने की स्थिति में संभावित नहीं बल्कि उचित भावी राष्ट्रपति पर अपनी बेबाक राय दी है। जिसमें ज्यादातर इमरान खान को बेहतर राछ्ट्रपति के रूप में देख रहे हैं। कई ने अल्पसंख्यक समुदाय के भगवानदास को इस पद के लिए बेहतर बताया है। सबसे बड़ी बात यह है कि दुनिया की अग्रणी समाचार संस्था प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया ने पाकिस्तानी ब्लागरों की इस अहम राय पर खबर भी जारी कर दी है। पीटीआई की यह पूरी खबर भी इसी पोस्ट में आप देख सकते हैं। ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दे पर ज्यादातर ब्लागरों की आई सार्थक राय ने इस समाचार एजंसी को भी इसे जारी करने को प्रेरित किया है। क्या भारत के हिंदी ब्लागर अपनी इस भूमिका के लिए तैयार हैं ? या फिर वे अपने ब्लाग की रेटिंग के अलावा कुछ सोचते ही नहीं। रेटिंग से आपको ढेर सारे विज्ञापन तो मिल जाएंगे मगर ब्लागिंग की एक अच्छी विरासत नहीं खड़ी कर पाएंगे जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व कर सके। सच मानिए यह भूमिका भी आपको ही निभानी है। अन्यथा तटस्थ होकर सिर्फ कमाई करने वालों ब्लागरों को इतिहास भी नहीं बख्शेगा।

यह है पाकिस्तानी ब्लागरों पर बनी पीटीआई की खबर।----------------
PAK-BLOGGERS
Bloggers want Imran or Bhagwandas as President
Islamabad, Feb 25 (PTI) If Pakistani bloggers could have
their way, they would have cricketer-turned-politician Imran
Khan or former judge Rana Bhagwandas as their next president,
though there are some die-hard fans of incumbent Pervez
Musharraf who would prefer him to "stay on forever".
Though several names were thrown up in response to a
post titled "Who should be the next President?" on
pakistaniat.com, Khan and Bhagwandas, the lone Hindu judge to
reach the highest echelons of Pakistan's judiciary, emerged as
clear favourites.
Khan, who has a "clean image", was preferred by many
bloggers though some thought he was too "politically naive" to
be the president.
Kamran, who blogs at pakistaniat.com, batted for Khan:
"If (President Pervez) Musharraf has to go, then definitely
Imran Khan." Another blogger Zakoota wrote, "Musharaf will
never go. However, I think Imran Khan is the best choice."
Bhagwandas was a favourite in the discussion initiated by
a blogger named Temporal.
"If India can have a Muslim president, why can't
Pakistan have a Hindu or Christian (president)? I know our
constitution may not allow this -- why not first amend that?"
wrote a blogger who logs in as Poalee.
Dakar seconded Poalee's suggestion and said Bhagwandas
would make a good president. "He would be an excellent choice
not because he is from a minority but because he has proved
his democratic credentials and stands for principles."
Other front-runners for the post in the virtual world are
deposed Supreme Court Chief Justice Iktikhar Mohammed
Chaudhry, top lawyer Aitzaz Ahsan, former premier and PML-N
chief Nawaz Sharif and PPP co-chairman Asif Ali Zardari.
Even though names of presidential hopefuls came up for
discussion on the website, there was no dearth of Musharraf
fans. (More) PTI RHL SDG
SDG
02251732 DEL

PAK-BLOGGERS 2 LAST
Abana Samuel wrote, "Minorities should be given a
chance. But at the moment I think President Pervez Musharaff
is doing an excellent job. He is the man. President Musharaff
is the best."
Another fan of the military ruler said: "I hope Musharraf
stays on forever. I trust this man 100 per cent."
Temporal suggested Chaudhry's name for the top job:
"Zardari has reservations about restoring him to the bench and
Sharif has made his restoration the cornerstone of his
campaign. So the best compromise would be to ease him into
presidency --'vakil bhee khush, quam bhee khush'."
However, a blogger named Malique disagreed. "Iftikhar as
president will not be a good choice because we want an
independent judiciary more than we want a gift-for-all
president."
Usman Khan wrote that rules should be amended to allow a
non-Muslim to be elected as president of Pakistan. So did
Adnan Ahmad.
"I have thought of this man (Bhagwandas) for this post.
He is honest, has a clean track record and has shown real
character in the face of serious adversity," Ahmad wrote.
"In a land where we can still hope for a true change,
Justice Bhagwandas would be an excellent choice." PTI RHL

SDG
02251734 DEL

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