Saturday, 16 November 2013

हर छह सेकेंड में मरता है एक मधुमेह रोगी, तेजी से फैल रही है यह महामारी


 पूरी दुनिया मधुमेह की महामारी की चपेट में आ गई है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के प्रकाशित एटलस में में छपे आंकड़े रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। यह एटलस मधुमेह पर ताजा अध्ययनों को हर दो साल में प्रकाशित करता है। एटलस का तो यहां तक कहना है कि उन्हें अध्ययन में यह कहीं नहीं दिखा कि इस महामारी को कोई रोक लग पाई है। इसके मुताबिक पूरी दुनिया में 382 मिलियन लोग मधुमेह की चपेट में आ चुके हैं। आलम यह है कि हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति मधुमेह  का शिकार हो जा रहा है। पिठले दो सालों में मधुमेह के मरीजों की तादाद 4.4 प्रतिशत बढ़ी है जो पूरी दुनयिा की आबादी का पांच प्रतिशत है। अगर इस पर कारगर रोक नहीं लग पाई तो 2035 तक मधुमेह के मरीजों की तादाद का आंकड़ा 55 प्रतिशत हो जाएगा जो 592 मिलियन का आंकड़ा पार कर लेगा। जबकि 2009 में मधुमेह के सिर्फ 285 मिलियन मरीज थे। इतनी तेजी से मरीज इसलिए बढ़ी है क्यों कि लोगों ने अपनी जीवनशैली, खानपान पर ध्यान नहीं दिया और मोटापा बढ़ाया।
  अध्ययन में मौतों के बढ़ने की एक और वजह सामने आई है। वह यह कि इन्सुलिन का खर्च गरीब मरीज उठा नहीं पाते और समस्या उनके लिए विकराल होती जा रहा है। अगर सरकारें इस आर्थिक बोझ को उठाएं तो खर्चा काफी बढ़ जाएगा। इस साल ऐसा करनें में 548 बिलियन डालर का खर्च उठाना भी पड़ा है। चुपके से मरीज को मौत की ओर ले जाने वाली यह बीमारी तभी रुकेगी जब इस पर काफी बात की जाएगी और लोगों में जागरूकता लानी होगी। लोगों को कितनी मदद की जरूरत है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सालाना 5.1 मिलियन लोग इस बीमारी से मर रहे हैं। और आडीएफ के एक अनुमान के मुताबिक हर साल 10 मिलियन लोग मधुमेह के गिरफ्त में आ रहे हैं। सबसे ज्यादा इस बीमारी के शिकार 40 से 59 आयु वर्ग के लोग हो रहे हैं। हर साल करीब 5 लाख लोगों की किडनी हर साल फेल हो जाती है और 1.5 मिलियन लोग अंधत्व के शिकार हो रहे हैं। अमेरिकी जनसंख्या ब्यूरो के मुताबिक मधुमेह के मरीजों की संख्या दुनिया की आबादी बढ़ने के अनुपात से ज्यादा है। अब तो कम उम्र को लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विकासशील देशों में तो हर चार में से एक व्यक्ति मधुमेह की चपेट में है। चीन में तो मधुमेह की समस्या ज्यादा भयावह हो गई है। तीन में से एक चीनी नागरिक मधुमेह से पीड़ित है। एशियाई देशों में 12 प्रतिशत प्रौढ़ इस बीमारी से पीड़ित हैं। गरीब देशों में समस्या ज्यादा है। चीन  का आंकड़ा इस एटलस में शामिल नहीं है।
  हम सभी जानते हैं कि मधुमेह से होरही मौतों पर काबू पाया जा सकता है। यह खानपान व दवा से काबू में रखी जा सकती है मगर गरीबी व खराब जीवनशैली इसे महामारी बना चुकी है। विशेषज्ञों की राय है कि शारीरिक श्रम व अच्छे खानपान से टाईप 2 डायबिटीज पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। जो मधुमेह के मरीज हैं उन्हें हर छह महीने में एक बार चेकअप कराना चाहिए। साल में एक बार आंख चेक करानी चाहिए। जब भी रक्त परीक्षण कराएं तो लिपिड प्रोफाइल, किडनी फंक्शन और लीवर फंक्शन की जांच साल में एक बार जरूर करा लें। ( साभार- इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन -आईडीएफ व गूगल समाचार )।

Thursday, 31 October 2013

दीपावली लक्ष्मी पूजन मुहुर्त, छठ पूजा



        दीपावली के पूजन पर इस बार कुछ खास बातें ध्यान में रखनी आवश्यक हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार दीपदान, महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन तथा गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करने के लिए समय का ध्यान रखना आवश्यक है। ज्योतिषाचार्य दीप्ति श्रीकुंज ने बताया कि तीन नवम्बर रविवार को लक्ष्मी पूजन का शाम पांच बजकर 35 मिनट से लेकर 8 बजकर 14 मिनट के बीच शुभ रहेगा। इस काल को प्रदोषकाल कहेंगे। सायं छह बजकर 15 मिनट से रात्रि 8 बजकर नौ मिनट तक वृष लग्न है इसका विशेष महत्व है।

जानिए, क्या है मां लक्ष्मी की महिमा व इसकी पूजन विधि

इस समय पूजन करने से घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती हैं। प्रदोषकाल में व्याप्त वृष लग्न स्वाती नक्षत्र, तुला के सूर्य-चंद्र होने से अत्यंत शुभकाल रहेगा। क्योंकि शुक्र तुला राशि का स्वामी है तथा शुक्र ही लक्ष्मी कारक गृह है।

इस वर्ष अमावस सायं 6 बजकर 20 मिनट तक ही होने से यथासंभव प्रदोषकाल में ही पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए। निशीथ एवं महानिशीथ तंत्र यांत्रिक क्रियाओं के लिए उपयुक्त रहेंगे। ज्योतिषाचार्य दीप्ति श्रीकुंज ने कहा कि दीपावली से लाभ प्राप्त करने के लिए इस योग में दीपदान, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, बही-खाता पूजन, धर्म एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना।

ब्राह्मणों व आश्रितों को भेंट, मिष्ठान्नदि बांटना शुभ रहेगा। 8 बजकर 54 मिनट से लेकर रात्रि 10 बजकर 33 मिनट तक चर चौघड़ियां भी शुभ रहेंगी।( साभार- जागरण )


लक्ष्मी पूजा 3 नवंबर 2013, रविवार
प्रदोष काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 18:00 से 18:19

अवधि: 0 घंटा 19 मिनट

प्रदोष काल: 18:00 से 20:33

वृषभ काल: 18:45 से 20:45

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 20:12, 2/नवंबर /2013

अमावस्या तिथि समाप्त: 18:19, 3/नवंबर /2013


छठ पूजा महोत्सव तिथि

नहा खा: 6 नवंबर 2013, बुधवार

खरना: 7 नवंबर 2013, गुरूवार

संध्या अर्घ: 8 नवंबर 2013, शुक्रवार

सूर्योदय अर्घ: 9 नवंबर 2013, शनिवार

पारण: 9 नवंबर 2013, शनिवार



Tuesday, 22 October 2013

नौकरीपेशा लोगों की मुश्किलें और बढ़ीं

  
 एचआरए के जरिए टैक्‍स में  मिलती  रही छूट में  अब नया पेंच,मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा

इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने नौकरीपेशा लोगों की मुश्किलें  बढ़ा दी है। एचआरए के जरिए टैक्‍स में अब तक जो छूट मिलती आ रही थी विभाग ने उसमें अब नया पेंच फंसा दिया गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इस संबंध में एक सुर्कलर भी जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, टैक्‍सपेयर को एचआरए एग्जेम्पशन क्लेम के लिए मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा।

      हालांकि, सालाना 1 लाख रुपए से कम किराया देने वालों को ऐसा करने से छूट दी गई है, लेकिन जिनका किराया 1 लाख से ज्‍यादा है, उन्‍हें अपने मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य है। नए सर्कुलर के अनुसार, अगर मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं है, तो रिटर्न भरने वाले को नाम और पते के साथ एक डिक्लेरेशन देना होगा।
बता दें कि अब तक नियम यह था कि जिन लोगों के मकान का किराया प्रति माह 15,000 से कम है, उन्हें मकान मालिक का पैन नंबर देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन नए नियम में यह सीमा घटाकर 8,333 रुपए प्रति माह कर दी गई है। बता दें कि सरकार ने अप्रैल से सितंबर 2013 के बीच 3.01 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन किया था। यह पिछले वित्‍त वर्ष में इसी दौरान हुए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से 10.7 फीसदी ज्यादा है, लेकिन सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए टैक्स कलेक्शन में 19 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 6.72 लाख करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का सिर्फ 45 फीसदी लक्ष्य ही हासिल हो पाया है।
सीबीडीटी के इस नए सर्कुलर को उन नौकरीपेशा लोगों के लिए मुसीबत माना जा रहा है, जो टैक्‍स बचाने के लिए किराए की फर्जी रसीदें जमा कराते आ रहे थे।
   हालांकि, जानकार मानते हैं कि नए कदम से सबसे ज्‍यादा नुकसान ऐसे करदाताओं को होगा, जो कि ईमानदारी से अपना टैक्‍स भरते आ रहे थे। उनका कहना है कि नए नियम से उनका काम बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी परेशानी की बात यह होगी कि मकान मालिक से किराएदार पैन नंबर कैसे निकालेंगे, क्‍योंकि अगर वे अपना पैन नंबर देंगे तो उनका कमाई का पूरा ब्‍योरा सामने आ जाएगा। ऐसे में किराएदारों की मुसीबत बढ़ने वाली है।
सीबीडीटी के इस सर्कुलर में सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए एक और चेतावनी भी दी गई है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत 3,000 रुपए प्रति माह तक एचआरए पाने वाले नौकरीपेशा करदाताओं को किराए की रसीद भी दिखाने की जरूरत नहीं है, लेकिन नए सर्कुलर में स्‍प्‍ष्‍ट किया गया है कि छूट सिर्फ टीडीएस के मकसद से दी गई है। ऐसे में अधिकारी अपनी संतुष्टि के लिए जांच कर सकता है कि क्‍या वाकई में इतना किराया दिया गया या नहीं।
   इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने नौकरीपेशा लोगों की मुश्किल बढ़ा दी है। एचआरए के जरिए टैक्‍स में अब तक जो छूट मिलती आ रही थी विभाग ने उसमें अब नया पेंच फंसा दिया गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इस संबंध में एक सुर्कलर भी जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, टैक्‍सपेयर को एचआरए एग्जेम्पशन क्लेम के लिए मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा।

     हालांकि, सालाना 1 लाख रुपए से कम किराया देने वालों को ऐसा करने से छूट दी गई है, लेकिन जिनका किराया 1 लाख से ज्‍यादा है, उन्‍हें अपने मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य है। नए सर्कुलर के अनुसार, अगर मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं है, तो रिटर्न भरने वाले को नाम और पते के साथ एक डिक्लेरेशन देना होगा।
बता दें कि अब तक नियम यह था कि जिन लोगों के मकान का किराया प्रति माह 15,000 से कम है, उन्हें मकान मालिक का पैन नंबर देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन नए नियम में यह सीमा घटाकर 8,333 रुपए प्रति माह कर दी गई है। बता दें कि सरकार ने अप्रैल से सितंबर 2013 के बीच 3.01 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन किया था। यह पिछले वित्‍त वर्ष में इसी दौरान हुए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से 10.7 फीसदी ज्यादा है, लेकिन सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए टैक्स कलेक्शन में 19 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 6.72 लाख करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का सिर्फ 45 फीसदी लक्ष्य ही हासिल हो पाया है।
सीबीडीटी के इस नए सर्कुलर को उन नौकरीपेशा लोगों के लिए मुसीबत माना जा रहा है, जो टैक्‍स बचाने के लिए किराए की फर्जी रसीदें जमा कराते आ रहे थे। हालांकि, जानकार मानते हैं कि नए कदम से सबसे ज्‍यादा नुकसान ऐसे करदाताओं को होगा, जो कि ईमानदारी से अपना टैक्‍स भरते आ रहे थे। उनका कहना है कि नए नियम से उनका काम बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी परेशानी की बात यह होगी कि मकान मालिक से किराएदार पैन नंबर कैसे निकालेंगे, क्‍योंकि अगर वे अपना पैन नंबर देंगे तो उनका कमाई का पूरा ब्‍योरा सामने आ जाएगा। ऐसे में किराएदारों की मुसीबत बढ़ने वाली है।
    सीबीडीटी के इस सर्कुलर में सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए एक और चेतावनी भी दी गई है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत 3,000 रुपए प्रति माह तक एचआरए पाने वाले नौकरीपेशा करदाताओं को किराए की रसीद भी दिखाने की जरूरत नहीं है, लेकिन नए सर्कुलर में स्‍प्‍ष्‍ट किया गया है कि छूट सिर्फ टीडीएस के मकसद से दी गई है। ऐसे में अधिकारी अपनी संतुष्टि के लिए जांच कर सकता है कि क्‍या वाकई में इतना किराया दिया गया या नहीं। (साभार- नवभारत टाइम्स, दैनिक भाष्कर, आजतक)

Thursday, 10 October 2013

कोलकाता की दुर्गापूजा की कुछ झांकियां

​दुर्गापूजा ( नवरात्रि ) व दशहरा की शुभकामनाएं
 
 बारिश का बीमार कर देने वाला मौसम और इसके साथ ही त्योहारों व उत्सवों की शुरुआत यह संकेत भी है कि आप अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत भी रहें। थोड़ी सी सावधानी आपको बड़ी से बड़ी बीमार कर देने वाली मुश्किलों से उबार सकती है।.......
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   आप सभी को दुर्गापूजा ( नवरात्रि ) व दशहरा की शुभकामनाएं। देवी दुर्गा व भगवान श्रीराम आपको सकुशल रखें।..........




  शुभकामनाओं के साथ सेहत के लिए कुछ सुझाव


  इन 10 उपायों को अपनाकर हृदय की   बीमारियों को रोक सकते हैं   .................................
1. अपने कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए- कोलेस्ट्रोल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
2. अपना सारा भोजन बगैर तेल के बनाएं लेकिन मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें- मसाले हमें भोजन का स्वाद देते हैं न कि तेल का। हमारे 'जीरो ऑयल' भोजन निर्माण विधि का प्रयोग करें और हजारों हजार जीरो ऑयल भोजन स्वाद के साथ समझौता किए बगैर तैयार करें। तेल ट्रिगलिराइड्स होते हैं। रक्त का स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए।
3. अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें- इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
4. हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें- बढ़ा हुआ रक्त दबाव विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लोकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी तथा यहां तक कि हल्की दवाएं लेकर भी रक्त दबाव को कम करना चाहिए।
5. अपने वजन को सामान्य रखें- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
6.नियमित रूप से आधे घंटे तक टहलना जरूरी- टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए, जिससे सीने में दर्द नहीं हो और हांफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।
7. 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें- यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।
8. भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स- भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

9. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो शकर को नियंत्रित रखें- आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर आवश्यक हो तो हल्की दवाओं के सेवन से फायदा पहुंच सकता है।
10. हार्ट अटैक से पूरी तरह बचाव- हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान संदेश है और हार्ट में रुकावट न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं, तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा।​

( वेबदुनिया से साभार )

   
 चलिए आपको इसके साथ ही कोलकाता 
की दुर्गापूजा की कुछ झांकियां भी दिखाते हैं।
  प्रथम फोटो तानिष्क के उन गहनों के हैं जो स्वभूमि के पंजाल में देवी दुर्गा को पहनाए गए हैं। चार करोड़ के इन गहनों की काफी निगरानी भी करनी पड़ रही है।
  तीसरा फोटो कोलकाता के सोनागाछी इलाके की है। कोलकाता शहर के बीच स्थित यौनकर्मियों का मुहल्ला। मूर्ति के सामने भी खड़ी हैं ये यौनकर्मी।
  चौथा फोटो महालया के दिन ( पितृपक्ष के आखिरी दिन)  चक्षुदान का है। इसी दिन मूर्तियों प्राणप्रतिष्ठा की जाती है।
  पांचवां फोटो बांग्ला में लिखे संस्कृत श्लोक --- या देवी सर्वभूतेषु...... की किताब पर मां देवी दुर्गा के साथ सामने पूजा के लिए खड़ी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।
   छठवां फोटो उत्तराखंड का बद्रीनाथ मंदिर। यह पंडाल है।
  सातवां फोटो ऐसे पंडाल का है जो एफिल टावर की तरह है।
   आठवां फोटो कृष्ण व अर्जुन और साथ में रावण का है। यह भी एक पंडाल की कल्पना है।
    अभी इतना ही। आगे और भी कोलकाता की दुर्गापूजा की सैर कराएंगे आपको...............।









Monday, 19 August 2013

रक्षाबंधन की तारीख को लेकर भ्रम !

   इस बार रक्षाबंधन या राखी कब है ,इस बात को लेकर काफी भ्रम फैला हुआ है। कैलेंडरों में २० को दिखाया गया है और नौकरीपेशा लोगों के लिए छुट्टियां २० को ही हैं। ऐसे में  आप भ्रमित हो सकते हैं। फिर भी अगर आप शुभ मुहूर्त मानते हैं तो आपको राखी २१ को मनानी पड़ेगी। नीचे विवरण में देखिए।

२१ को है रक्षाबंधन

  21 को शुभ और अमृत के चौघड़‍िया में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त  है। ज्योतिषियों के विचारों को मान्य करना पाठकों के स्वविवेक पर निर्भर करता है। 21 अगस्त को प्रात: 7.30 से 9 बजे तक अमृत का चौघड़‍िया है तथा 10.30 से 12 बजे तक शुभ का चौघड़‍िया है जिसमें राखी बांधना अति उत्तम है। सायंकाल में 7.30 से मंगल मुहूर्त शुभ चौघड़‍िया से आरंभ होंगे तथा रा‍‍त्रि 9 बजे से 10 बजे तक अमृत योग हैं। इस समय राखी बांधी जा सकती है। दिनांक 20 को सारे दिन भद्रा दोष है अत: रात 8 बजकर 49 मिनट तक राखी संबंधी हर शुभ कार्य वर्जित हैं।

चौघड़िया अनुसार २१ को शुभ मुहूर्त -

प्रात: 06.00 से 07.30 तक लाभ,
07.30 से 09.00 तक अमृत,
10.30 से 12.00 तक शुभ,

शाम 04.30 से 06.00 तक लाभ,
रात्रि 07.30 से 09.00 तक शुभ,
09.00 से 10.30 तक अमृत।

 
जानिए क्या है भद्रा, क्यों मानी जाती है अशुभ
 भगवान सूर्य देव की पुत्री और राजा शनि की बहन है भद्रा
    किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है। क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है। अत: भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। इसलिए जानते हैं कि आखिर क्या होती है भद्रा और क्यों इसे अशुभ माना जाता है?
   पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और राजा शनि की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी कड़क बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। किंतु भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनैतिक चुनाव कार्यों सुफल देने वाले माने गए हैं।
   यूं तो भद्रा का शाब्दिक अर्थ है कल्याण करने वाली लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टी करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी गई है। जब चन्द्रमा, कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टी करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते है। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।

  ऐसा माना जाता है कि दैत्यों को मारने के लिए भद्रा गर्दभ (गधा) के मुख और लंबे पुंछ और तीन पैर युक्त उत्पन्न हुई। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य नारायण और पत्नी छाया की कन्या व शनि की बहन है। भद्रा, काले वर्ण, लंबे केश, बड़े दांत वाली तथा भयंकर रूप वाली कन्या है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल-कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी।
उसके दुष्ट स्वभाव को देख कर सूर्य देव को उसके विवाह की चिंता होने लगी और वे सोचने लगे कि इस दुष्टा कुरूपा कन्या का विवाह कैसे होगा? सभी ने सूर्य देव के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। तब सूर्य देव ने ब्रह्मा जी से उचित परामर्श मांगा।
   ब्रह्मा जी ने तब विष्टि से कहा कि -'भद्रे, बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो तथा जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करें, तो तुम उन्ही में विघ्न डालो, जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना। इस प्रकार उपदेश देकर बृह्मा जी अपने लोक चले गए। तब से भद्रा अपने समय में ही देव-दानव-मानव समस्त प्राणियों को कष्ट देती हुई घूमने लगी। इस प्रकार भद्रा की उत्पत्ति हुई।
तब से भद्रा अपने समय में ही देव-दानव-मानव समस्त प्राणियों को कष्ट देती हुई घूमने लगी। इस प्रकार भद्रा की उत्पत्ति हुई। भद्रा का दूसरा नाम विष्टि करण है। कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी और शुक्ल पक्ष की चर्तुथी, एकादशी के उत्तरार्ध में एवं कृष्णपक्ष की सप्तमी-चतुर्दशी, शुक्लपक्ष की अष्टमी-पूर्णमासी के पूर्वार्ध में भद्रा रहती है।


भद्रा का दूसरा नाम विष्टि करण है। कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी और शुक्ल पक्ष की चर्तुथी, एकादशी के उत्तरार्ध में एवं कृष्णपक्ष की सप्तमी-चतुर्दशी, शुक्लपक्ष की अष्टमी-पूर्णमासी के पूर्वार्ध में भद्रा रहती है।

भद्रा के प्रमुख दोष :-

• जब भद्रा मुख में रहती है तो कार्य का नाश होता है।

• जब भद्रा कंठ में रहती है तो धन का नाश होता है।

• जब भद्रा हृदय में रहती है तो प्राण का नाश होता है।

• जब भद्रा पुच्छ में होती है, तो विजय की प्राप्ति एवं कार्य सिद्ध होते हैं।
 
    यदि भद्रा के समय कोई अति आवश्यक कार्य करना ही हो तो भद्रा की प्रारंभ की 5 घटी जो भद्रा का मुख होती है, अवश्य त्याग देना चाहिए।
 भद्रा 5 घटी मुख में, 2 घटी कंठ में, 11 घटी ह्रदय में और 4 घटी पुच्छ में स्थित रहती है। ( साभार-वेबदुनिया )


     21 अगस्त  ( Dainik Jagran Hindi News के अनुसार )
   स्नान-दान की श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबन्धन (राखी), गायत्री जयंती, संस्कृत दिवस, झूलनयात्रा समापन, श्रीअमरनाथ- दर्शन, कोकिलाव्रत पूर्ण, बलभद्र पूजा (उड़ीसा), लव-कुश जयंती, षोडशकारण व्रत प्रारंभ (जैन)


Tuesday, 23 July 2013

पांच लाख से कम है इनकम तो भी रिटर्न फाइल जरूरी

पांच लाख तक की आयवर्ग वाले भरेंगे  कागजी रिटर्न और पांच लाख से अधिक आय वालों को रिटर्न केवल इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से भरना होगा 
   अगर आपकी सालाना कमाई पांच लाख से कम है और आपने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है तो जल्दी से टैक्स भरें क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पांच लाख रुपये से कम कमाई वाले तबके के लिए भी रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया है.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पांच लाख रुपये सालाना आय वालों के लिये पहले ही इलेक्ट्रॉनिक रिटर्न फाइलिंग को अनिवार्य बना दिया है. इस संबंध में मई 2013 में अधिसूचना जारी की जा चुकी है. अब पांच लाख रुपये से कम कमाई करने वाले तबके को भी रिटर्न भरना होगा .
आपकी वेतन अथवा दूसरे स्रोतों से सालाना आय यदि पांच लाख रुपये अथवा इससे अधिक है तो आयकर रिटर्न इलेक्ट्रोनिक तरीके से भरनी होगा. इसके लिए देश भर में फैले करीब 7000 प्रशिक्षित एवं पंजीकृत रिटर्न तैयार करने वाले टीआरपी की मदद ली जा सकती है.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लोगों को रिटर्न भरने में मदद देने के लिये कुछ साल पहले टैक्स रिटर्न प्रिपेयर्स (टीआरपी) योजना शुरू की थी. टीआरपी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से प्रशिक्षण प्राप्त प्रमाणीकृत पेशेवर हैं जो लोगों की कर रिटर्न दाखिल करने में मदद करते हैं. रिटर्न ‘फाइल’ करने की इनकी फीस सरकार ने तय की है जो 250 रुपये है.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया है कि आम नौकरीपेशा आयकरदाता के लिये रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. कंपनियों और भागीदारी फर्म जिनके खाते आयकर अधिनियम के तहत ऑडिट करने जरूरी होती है उनके लिये रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 30 सितंबर तय है.

कंपनियों के लिये इलेक्ट्रानिक तरीके से रिटर्न भरने को पहले ही अनिवार्य बनाया जा चुका है. केवल इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फार्म-सात में रिटर्न भरने वालों को इससे छूट दी गई है. उनके लिये इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग अनिवार्य नहीं है. धर्मार्थ न्यास, चरिटेबल ट्रस्ट, स्कूल, कालेज आदि आईटीआर-सात में रिटर्न दाखिल करते हैं.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सूत्रों के अनुसार आयकर निर्धारण वर्ष 2013-14 के लिये कोई नये फार्म जारी नहीं किये गये हैं, आईटीआर फार्म ही इस साल के लिये अधिसूचित किये गये हैं.

विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि  केवल पांच लाख तक की आयवर्ग से ही कागजी रिटर्न विशेष काउंटरों पर लिया जाएगा. पांच लाख से अधिक आय वर्ग का रिटर्न इन विशेष काउंटरों पर नहीं लिया जाएगा, क्योंकि इस प्रकार का रिटर्न केवल इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के जरिये ही भरा जाना है.
समाचार स्रोत-http://aajtak.intoday.in/story/now-file-tax-returns-if-you-earn-up-to-rs-5-lakh-1-736912.html


Friday, 28 June 2013

ऐसा था मोदी ( तथाकथित रैम्बो ) का गुजरातियों को बचाने का आपदा प्रबंधन

   हाल ही में टीवी चैनलों ने खबर दी कि नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड में बाढ़ राहत कार्यों का जायजा लेने के लिए दौरा किया जिससे एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। कांग्रेस ने मोदी की तुलना रैम्बो से की और आरोप लगाया कि उनका दौरा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा था। मधु किश्वर ने इस आरोप की सच्चाई जानने का प्रयास किया कि यह एक आपदा को लेकर गंभीर प्रयास था या कुछ और। उनके हाथ जो जानकारी लगी उससे बहुत से लोग असहमत भी हो सकते हैं लेकिन जो लोग मोदी को एक रैम्बो या सस्ती लोकप्रियता का भूखा राजनीतिज्ञ बता रहे हैं, उनकी जानकारी के लिए यहां कुछ विचारणीय तथ्य भी हैं।
* गुजरात आज एक ऐसी नौकरशाही खड़ी करने में सफल हुआ है जिसने अपनी विशेष योग्यता को बढ़ाया, टीम भावना पैदा की और सर्वाधिक विपरीत परिस्थितियों में वांछित परिणाम दिए।

* गुजरात आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जीडीएमए) एक पूरी तरह से पेशेवर संस्था है जोकि किसी भी प्राकृतिक या मनुष्यों द्वारा पैदा की गई आपदा से निपटने में सक्षम है। इसकी सातों दिन, चौबीसों घंटों निगरानी व्यवस्था और बहु प्रचारित हेल्पलाइन नंबर देश या विदेश में बसे गुजरातियों को भलीभांति पता हैं।

* मोदी गुजरात के नागरिकों को यह समझाने में सफल हुए हैं कि सरकार हमेशा ही उनकी सेवा करने के लिए तत्पर है। इसलिए दुनिया में कहीं भी गुजराती किसी भी आपदा में पड़ता है तो वह सबसे पहले मुख्यमंत्री के कार्यालय से सम्पर्क करता है।

* इस तथ्य पर भी गौर कीजिए कि मोदी 17 जून की देर रात को योजना आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आए थे, लेकिन 18 जून को जब बादल फटने और भूस्खलन होने की खबरें टीवी पर आईं तो उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आपात बैठक बुलाई। उन्हें यह बात अच्छी तरह पता थी कि चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं में हजारों की संख्या में गुजराती भी होंगे। इसलिए तुरंत ही गुजरात भवन में एक कैम्प ऑफिस खोला गया और दिल्ली स्थित रेजीडेंट कमिश्नर के दल को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे गुजराती तीर्थयात्रियों के साथ समन्वय बनाएं।
   अठारह की सुबह मोदी ने ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार के डॉ. प्रणव पंडया से बात की और उनसे कहा कि वे अपने शांतिकुंज परिसर में गुजरात सरकार द्वारा खोले जाने वाले राहत केन्द्र के लिए जगह और बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराएं। उन्होंने इस परिसर का चुनाव इसलिए किया क्योंकि उन्हें इसके बारे में अच्छी तरह जानकारी थी और उसके साथ बहुत अच्छा तालमेल था जिससे थोड़ी ही देर में हजारों लोगों को ठहराने और खिलाने की व्यवस्था की जा सकती है।

   उनके पास परिसर में दो हजार स्वयंसेवक थे और इसके अलावा देव संस्कृति विश्वविद्यालय के तीन हजार से अधिक छात्र भ‍ी थे। परिसर में एक सुव्यविस्थत अस्पताल भी था। अठारह की शाम तक गुजरात सरकार के राहत कार्य को चलाने में मदद करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन्स, टेलीफोन लाइन्स, टीवी सेट्‍स के साथ अन्य तामझाम भी लगा लिया गया। इसलिए जब गुजरात सरकार के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों का दल आया तो शांति कुंज में पहुंचने के मिनटों के अंदर ही वह सक्रिय हो गया।

गुजरात के अधिकारियों के दल में दो अधिकारी उत्तराखंड से थे। ये अधिकारी थे एडीजीपी बिष्ट और वनसेवा अधिकारी एस.सी. पंत जिन्हें इस बात की अच्छी जानकारी थी कि उत्तराखंड के भूभाग में फंसे तीर्थयात्रियों और बचाव दलों को निर्देश दे सकें कि वे जाने, आने के लिए कौन-सा सबसे सुरक्षित रास्ता लें। एडीजी बिष्ट सीधे गुप्तकाशी पहुंचे जहां से बचाव कार्य चलाए गए।

एक हड्‍डीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर के नेतृत्व में सात प्रशिक्षित डॉक्टरों का दल नियुक्त किया गया जो न केवल प्राथमिक चिकित्सा देने में वरन गंभीर रूप से घायल लोगों का इलाज करने में भी सक्षम था। मैंने देखा कि स्वयंसेवक न केवल अन्य राहत शिविरों और रेलवे स्टेशनों पर गए वरन उन्होंने गैर-गुजरातियों को भी बचाया।

उत्तराखंड में टीम गुजरात को यह बात भलीभांति समझाई गई कि बचाए गए तीर्थयात्रियों की आने पर न केवल अच्छी तरह देखभाल की जाए वरन सर्वाधिक आरामदायक तरीके से उन्हें यथासंभव जल्द से जल्द उनके घरों को भेजा जाए। पीडि़तों की संख्या या होने वाले खर्च की चिंता नहीं की जाए।
हमेशा की तरह इस समय में भी अधिका‍‍‍र‍ियों को अधिकार दिए गए कि वे मौके पर ही फैसले लें। उन्हें कितनी बसों या टैक्सियों की जरूरत होगी, तुरंत तय करें। वे यह भी तय करें कि कितने तीर्थयात्रियों को हवाई जहाज से वापस भेजना होगा और वे इसके लिए किस तरह के हवाईजहाज का ऑर्डर करें।

मैंने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अपने जूनियर स्टाफ के साथ सप्ताह के सातों दिन और चौबीसों घंटे एक छोटे से कमरे में एक सुव्‍यवस्थित टीम की तरह काम करते देखा।

जब मोदी देहरादून पहुंचे तब तक गुजरात के दल ने सभी काम अपने नियं‍त्रण में ले लिया था। उन्होंने भी राज्य सरकार को कोसने की बजाय हर संभव मदद करने की कोशिश की।
इसके अलावा उन्होंने न केवल संसाधनों का अधिकाधिक बेहतर उपयोग किया वरन भाजपा कार्यकर्ताओं को मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने न केवल त्वरित राहत के लिए वरन दीर्घकालिक निर्माण कार्यों पर भी जोर दिया।

उनके सभी अधिकारियों को उत्तराखंड के सभी 180 ब्लॉक्स के भाजपा पदाधिकारियों के फोन नंबर दिए गए वरन पार्टी पदाधिकारियों को भी अधिकारियों ने फोन नंबर उपलब्ध कराए गए। स्वाभाविक तौर पर उन्होंने कार्यों को निर्देशित करने और इन्हें सरल और कारगर बनाने का काम किया। वहां पर सहयोग और टीमवर्क की वास्तविक भावना थी।
   स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस इससे नाराज है क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बेकार साबित हुए और पार्टी मशीनरी गड़बड़ हालत में दिखी। कांग्रेस सेवा दल का एक भी कार्यकर्ता कहीं नहीं दिखा और जहां तक राहुल गांधी के युवा नेताओं की फौज की बात है तो उसे सामान्य स्थितियों में ही कुछ नहीं सूझता तो उत्तराखंड जलप्रलय जैसी बड़ी आपदा का सामना करने की बात छोड़ दी दें। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चलाए गए उत्तराखंड राहत कार्य की यही वास्तविकता है। ( साभार-वेबदुनिया-http://hindi.webdunia.com/news-national )

Tuesday, 18 June 2013

हडबड़ी में लिए टिकट तो फंसोगे जनाब, आसान नहीं होगा टिकट कैंसल कराना

    अगर आपको बिना योजना के यूं ही टिकट कटा लेने की आदत पड़ी हुई है तो इस आदत को फौरन बदल लीजिए। रेलवे वह सारे इंतजाम कर चुका है जिसमें आपकी इस लापरवाही से पूरा पैसा डूबेगा।  रेलवे ने टिकट कैंसल कराने के नियम को बदल दिया है। अगर पैसे बचाने होंगे तो जितनी हड़बड़ी में टिकट कटाया उससे ज्यादा हड़बड़ी टिकट को रद्द कराने में करनी होगी।
  अब आपको रेल का टिकट कैं‍सल कराना महंगा पड़ेगा। रेलवे ने टिकट रद्द करने के नियम में दूसरी बार बदलाव किया है। इस बार नियम यात्रियों के लिए सुविधाजनक नहीं है, क्योंकि इस नियम के अनुसार ऑनलाइन या विंडो, कोई सा भी टिकट ट्रेन छूटने के दो घंटे बाद तक ही रद्द करवाया जा सकेगा। रेलवे बोर्ड ने इस नियम का आदेश 14 जून को जारी कर दिया है। अगर आपका टिकट वेटिंग या आरसी में था तो ट्रेन छूटने के तीन घंटे बाद आपको खिड़की पर जाकर टिकट को कैंसिल करवाना पड़ेगा। अगर समय-सीमा होने पर किसी भी हाल में आपका टिकट रद्द नहीं होगा।

   आईआरसीटीसी से बुक आरएसी टिकट का पैसा आपको तीन घंटे के अंदर ऑनलाइन टीडीआर फाइल करने पर ही वापस मिलेगा। अब तक आईआसीटीसी वेबसाइट से बुक किया हुआ टिकट ट्रेन छूटने के एक महीने के बाद तक टीडीआर फाइल करने पर आपको पैसा रिफंड मिल जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि नए नियम में यह समय-सीमा एक महीने से घटाकर दो घंटे कर दी गई है।

   रेलवे टिकट कैंसिल कराने पर लगने वाले क्लर्क चार्ज को भी 1 अप्रैल से बढ़ा चुका है। अब फर्स्ट एसी में टिकट कैंसिल कराने पर 120, सेकंड थर्ड एसी में 100-90 और स्लीपर में 60 रुपए प्रति यात्री कैंसलिंग चार्ज देना पड़ता है। ई टिकट में भी यही नियम लागू होगा।
   रेलवे ने एसएमएस से टिकट बुक कराने की सुविधा देने की की घोषणा की है। जुलाई से आप एसएमएस भेजकर टिकट बुक कर सकेंगे। आईआरसीटीसी 1 जुलाई से एसएमएस आधारित रेल टिकट बुकिंग शुरू करेगी। इसके नंबर की घोषणा भी जल्द की जाएगी।(एजेंसियां)
  http://hindi.webdunia.com/news-national/%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE-1130618030_1.htm

Wednesday, 12 June 2013

आपने भी कभी तार भेजा होगा, पर अब नहीं भेज पाएंगे!

    

बंद होगी करीब 160 साल पुरानी टेलिग्राम सेवा
   मुझे याद है कि जब गांव में कोई तार आता था तो हड़कंप मच जाता था। तब तार का ज्यादातर सरोकार दुखद संदेश से होता था। हालांकि वह तार भी इतना द्रुत नहीं था जितना कि आज फोन, मैसेज या मेल हैं। ग्रामीण इलाके में तार मिलने में भी दो-तीन दिन लग जाते थे। तारसेवा को अंग्रेजी शासन ने गुलाम भारत में अपने खिलाफ हो रहे विद्रोहों की त्वरित सूचना प्रशासनिक हलकों में जारी करने के लिया था। बाद में पत्र व संवाद माध्यमों के लिए संचार का प्रमुख जरिया बना। व्यवसायिक इस्तेमाल भी हुआ। भारत के दूरसंचार विभाग का यह इतना महत्वपूर्ण विभाग था कि इसके लिए सारी व्वस्थाएं अलग से की गई। पहले डाक विभाग से जुड़ा था मगर बाद में उससे अलग कर दिया गया। डाक विभाग का वजूद तो अब भी है मगर अब वह समय आगया है जब तार सेवा बंद होने जा रही है।
   स्मार्ट फोन, ईमेल और एसएमएस ने आज टेलिग्राम सेवा को किनारे कर दिया था और अब बीएसएनएल ने 160 साल से चली आ रही इस टेलिग्राम सेवा को 15 जुलाई से बंद करने का फैसला किया है। एक समय में तेजी से और आवश्यक संचार के लिए मुख्य स्रोत मानी जाने वाली इस सेवा ने देशभर में कई लोगों के लिए खुशी और गम के समाचार पहुंचाए हैं। लेकिन नई तकनीक के आने और संचार के नए साधनों से टेलिग्राम खुद को किनारे पा रहा है।
   भारत संचार निगम लिमिटेड के (टेलिग्राफ सेवाओं के) सीनियर जनरल मैनेजर शमीम अख्तर द्वारा नई दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट ऑफिस से जारी किए सर्कुलर के मुताबिक टेलिग्राफ सेवाएं 15 जुलाई 2013 से बंद कर दी जाएगी। यह सर्कुलर विभिन्न दूरसंचार जिलों और सर्किल कार्यालयों को भेजा गया और इसमें कहा गया है कि टेलिग्राम सेवाएं 15 जुलाई से बंद हो जाएंगी। इसके फलस्वरूप बीएसएनएल प्रबंधन के अंतर्गत आने वाले सभी टेलिग्राफ ऑफिस 15 जुलाई से टेलिग्राम की बुकिंग बंद कर देंगे।
    सर्कुलर में कहा गया है कि दूरसंचार कार्यालय बुकिंग की तारीख से केवल छह महीने तक लॉग बुक, सेवा संदेश, डिलिवरी स्लिप को रखना होगा। बीएसएनएल दिल्ली के सूत्रों ने बताया, 'हमने सरकार से इस सेवा की मदद के लिए कहा था क्योंकि व्यवसायिक रूप से यह चलाने योग्य नहीं रही। इस पर सरकार ने कहा कि बीएसएनएल बोर्ड को इस पर फैसला करना चाहिए। हमने डाक विभाग से विचार-विमर्श के बाद इस सेवा को बंद करने का फैसला किया।' ( भाषा)
( साभार- http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/20554320.cms?google_editors_picks=true&google_editors_picks=true )

Friday, 26 April 2013

सोशल नेटवर्किंग की जाल में फंसे बच्चे ?


         अदालत ने भी सरकार से पूछा- 18 साल से कम उम्र वालों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल  अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी ?

मैं निजी काम से घर के पास एक साइबर कैफे में बैठा अपना काम कर रहा था तभी देखा कि तीन-चार लड़के -लड़कियों का समूह कैफे में घुसा। मैंने सोचा शायद कुछ डाक्यूमेंट जीराक्स कराने आए हैं क्यों कि उस कैफे में जीराक्स के अलावा रेल टिकट आरक्षण , फोटो स्कैन, लैमिनेशन वगैरह सभी कुछ होता है। मगर मेरा अनुमान गलत निकला। बच्चे संभवतः आठवीं - नवीं कक्षा के थे। आते ही बड़ी बेफिक्री से दो कंप्यूटर परबैठ गए। फेसबुक अकाउंट में लागिन किया। और अपनी  ई-मित्र मंडली से कनेक्ट हो गए। किसी के फोटो पर कमेंट तो किसी के कमेंट पर कमेंट करते रहे। साथ के बच्चों के सुझाव से भी कुछ कमेंट करते रहे। इन सभी की स्कूल की छुट्टी हुई थी और वे घर जाने से पहले कैफे चले आए थे। यह उन बच्चों की सोशल नेटवर्किंग से जुड़ने की कथा हैजिन्हें कंप्यूटर के लिए कैफे में जाना पड़ता है। इनसे ईतर वे बच्चे भी हैं जो अपने घरों में ही कंप्यूटर पर या मोबाइल पर अधिकतर समय फेसबुक पर गुजारते हैं।
  सोशलनेटवर्किंग की यह सुविधा एक मायने में ठीक भी है कि बच्चे देश-दुनिया के अपने हमउम्र से जुड़कर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि वे अपना अधिकतर समय सोशलनेटवर्किंग पर बिताने के आदी हो जाते हैं। जो इनके विकास में निश्चित रूप से बाधा पहुंचाती है। हालांकि अपेक्षाकृत बड़ी उम्र के यानी किशोर बच्चे से लेकर ऊंची कक्षा की पढ़ाई कर रहे बच्चों से भी मां-बाप को यही शिकायत हो सकती है। मगर स्नातक स्तर के बच्चे अपना बला-बुरा समझने की क्षमता रखते हैं। निहायत कम उम्र के बच्चों की शायद इतनी समझ नहीं होती कि वे खुद को अनुशासित रख सकें। शायद इसी कारण से एक जनहित याचिका दायर करके  कम उम्र के बच्चों के सोशलनेटवर्किंग  अकाउंट खोलने पर सवाल खड़ा कर दिया गया है। और अदालत ने भी सरकार से पूछा है कि 18 साल से कम उम्र वालों को फेसबुक सहित सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल वगैरह पर पर अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी गई? जबकि भारतीय कानून इसकी इजाजत नहीं देते।
  एक साइबर कानून विशेषज्ञ के अनुसार- अगर कोई नबालिग इन सोशलनेटवर्किंग साइट में अकाउंट खोलता है तो न सिर्फ इस साइट को चलाने वाले बल्कि संबंधित बच्चों के माता-पिता भी कानून तोड़ने के लिए आपराधिक करार दिए जाएंगे । भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम  के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा ४६५ में ऐसे लोग अपराधी करार दिए जाएंगे और इसके लिए उन्हें दो साल तक की सजा हो सकती है।
      दरअसल  सोशल मीडिया साइट फेसबुक की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है की बच्चे भी फेसबुक के जाल में बुक होते जा रहे है। दुनिया के किसी भी कोने में अपने दोस्त बनाना और उनसे बाते करने का ऑपशन बच्चों को इसकी ओर खींचता है। कोर्ट ने भाजपा के पूर्व नेता गोविंदाचार्य की याचिका पर फेसबुक और गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगे हैं। आइए देखते हैं कि जनहित याचिका में क्या मेंग की गई है.-------

    भाजपा नेता गोविंदाचार्य की जनहित याचिका------

    भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जारहा हैऔर फेसबुक पर अकाउंट खोलते वक्त एक एग्रीमेंट साइन करना होता है, ऐसे में अगर बच्चा नाबालिग है तो भारतीय कानून के मुताबिक किसी भी तरह के एग्रीमेंट का अधिकार प्राप्त नहीं है। ये भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के खिलाफ है। कोर्ट ने अमेरिका की दो कंपनियों फेसबुक  और गूगल से भी बीजेपी के पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य की याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें उन्होंने भारत में अपनी वेबसाइटों के संचालन से इन कंपनियों को हो रही आय पर कर वसूले जाने का आदेश दिए जाने की मांग की है।

  जस्टिस बीडी अहमद व विभू बाखरू की बेंच ने सरकार के वकील सुमित पुष्करणा से 10 दिन में हलफनामा पेश करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। पीठ ने कहा, कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों का फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ अनुबंध हो सकता है! याचिका में कहा गया है कि पहचान का कोई तरीका न होने के कारण दुनियाभर में फेसबुक के आठ करोड़ यूजर्स फर्जी हैं। खुद फेसबुक इस बात को अमेरिकी अधिकारियों के सामने मान चुकी है। भारत सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही है।

    राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका में केंद्र और दो वेबसाइटों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करे। उनके मुताबिक फेसबुक का पिछले साल तकरीबन 37 अरब डॉलर का व्यापार किया था, लेकिन कंपनी ने भारत सरकार को एक रुपए तक का कर नहीं दिया। इस याचिका में 5 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने मांग की है कि-

-पांच करोड़ भारतीय यूजर्स की जानकारी की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
-इस जानकारी का अमेरिका में व्यावसायिक उपयोग रुकवाया जाए।
-भविष्य में सभी यूजर्स की पहचान सुनिश्चित करवाई जाए।



Thursday, 25 April 2013

रेलवे ने बदला नियम, अब 2 महीना पहले तक का ही रिजर्वेशन


   अब आप 4 महीना पहले ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं करा पाएंगे। रेलवे ने अडवांस रिजर्वेशन के लिए नया नियम बना दिया है। नए नियम के मुताबिक अब 2 महीना पहले ही रिजर्वेशन हो सकेगा। नया नियम 1 मई से लागू होगा।
रेलवे ने रेल टिकट के रिजर्वेशन में बढ़ती कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को इस मामले में एक अहम फैसला लिया गया। अब इस फैसले के तहत यात्रा की तारीख से अधिकतम 60 दिन (2 महीने) पहले रेल टिकट का रिजर्वेशन करवाया जा सकेगा। अभी 4 महीने पहले रिजर्वेशन करवाने की सुविधा है। (

Monday, 1 April 2013

पश्चिम बंगाल में बेरोजगारों की नुमाईश बनी प्राइमरी टीचर की परीक्षा !



 प्रशासनिक अदूरदर्शिता ने एक साथ  लगभग ३५००० प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के ममता बनर्जी के महत्वाकांक्षी फैसले पर दाग लगा दिया। रविवार ३१ मार्च को एक साथ ४५ लाख परीक्षार्थियों ने टीचर इल्जीबिलिटी टेस्ट दिया। मगर अव्यवस्था के साथ परीक्षार्थियों व अभिभावकों की परेशानियों का पूर्वानुमान न कर पाने के कारण हजारों छात्र परीक्षा नहीं दे पाए। इसकी कई वजहें रहीं।
  पहली वजह यह कि सभी परीक्षार्थियों को अपने फार्म नंबर के आधार पर http://wbbpe.org/TETvenue.aspx  साइट से अपना परीक्षा केंद्र जानकर परीक्षा देनी थी। आरोप हैं कि तमाम परीक्षार्थियों को तकनीकी गड़बड़ी के कारण सही केंद्र का पता नहीं चला। जो मालूम हुआ उसके आधार पर जब परीक्षार्थी उस सेंटर पर पहुंचे तो बताया गया कि आपका सेंटर यहां नहीं कहीं और है। यह गड़बड़ी शायद ज्यादा नहीं थी मगर जो फंसे उनका तो प्राथमिक शिक्षक बनने का सपना ही टूट गया।
  दूसरी वजह परीक्षार्थियों के अपने सेंटर पर पहुंचने के दौरान हुईं दिक्कतें थीं। एक उदाहरण लीजिए। सियालदह से चली बनगांव लोकल  दमदमकैंट पर पहुंची तो वहां मौजूद भारी हुजूम से लोकल खचाखच भर गई। इसके बाद हाबरा स्टेशन तक हर स्टेशन पर भारी तादाद में परीक्षार्थी ट्रेन में चढ़ने का असफल प्रयोस करते रहे। नतीजे में तमाम परीक्षार्थी अपने सेटर वाले स्टेशन पर उतर ही नहीं पाए। ताज्जुब तो तब होता है जब हर स्टेशनों पर मौजूद भीड़ देखकर भी रेल प्रशासन या स्थानीय प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। नतीजें में कई परीक्षार्थी भीड़ की धक्कामुक्की सह नहीं पाए और नीचे गिरकर जख्मी हो गए। अफवाह तक फैल गई कि कुछ छात्रों की मौत हो गई है। यह ट्रेन जब हाबरा स्टेशन पहुंची तो वहां भी हजारों लोग इसी ट्रेन में चढ़ने के लिए खड़े थे। ऐसी मारामारी शुरू हुई कि उतरने वाले उतर नहीं पाए और चढ़ने वाले लोगों को उतरने नहीं दिए। सबसे अधिक दुर्दशा छात्राओं और उनके साथ चल रही महिला अभिभावकों की हुई। चारो ओर चीखपुकार मच गई। किसी के पर्स गायब तो तमाम की चप्पलें या तो टूट गईं या फिर पैर से निकलकर गायब हो गईं।
  मैं और मेरे साथ कुछ और लोग दौड़कर ड्राईवर केबिन गए और अनुरोध किया कि ट्रेन को कुछ देर रोककर रखें अन्यथा हादसा हो जाएगा। ड्राईवर ने ट्रेन जब रोके रखी तो महिला डिब्बों समेत कई डिब्बों में चढ़ने वालों यह बताकर रोका गया कि ट्रेन रोकी गई है। उतरने वालों को पहले उतरने दीजिए। ऐसा करने के बावजूद डिब्बे से छात्राएं रोते-चीखते निकल पाईं। यहां बता दूं कि सबसे ज्यादा परीक्षार्थी हाबरा स्टेशन पर ही उतरने वाले थे।
  यह अफरातफरी सावधानी न बरतने का ही परिणाम था। रविवार को ट्रेने कम होती हैं मगर कहा गया था कि रोज की तरह ट्रेनें चलेंगी। इस ट्रेन के साथ ऐसा इसलिएभी हुआ क्यों कि इसके आगे बारासात, और दत्तपुकुर को छोड़ा गया जिससे हाबरा जाने वाले परीक्षार्थी नहीं जा सकते थे। १२ बजे तक सेंटर पर पहुंचने के लिए ९ से ९.३० के बीच की ट्रेनों में भीड़ होना लाजिमी था। अगर पहले और बाद की ५ या ६ ट्रेनों को बनगांव तक लेजाते और इसकी घोषणा स्टेशनों पर की जाती तो शायद लोगों को इतना कष्ट नहीं झेलना पड़ता। रेल प्रशासन यह क्यों नहीं समझ पाया, यह समझ से परे है। शायद जनता को रामभरोसे की आदत पड़ी हुई है। कैसे नहीं समझ में आया कि ४५ लाख परीक्षार्थी और उनके साथ ४५ लाख अभिभावक होंगे और इतने बड़ी भीड़ को पीक आवर में संभालने के विशेष इंतजाम करने होंगे। ऊपर से कुछ सिरफिरे लोगों ने बाद में ट्रेंन अवरोध कर दिया नतीजे में भीड़ के कारण पिछली ट्रेंन से अपने सेंटर पर आ रहे लोंग अटक गए। कोई आधा घंटे तो कोई १५ से लेकर २० मिनट लेट तक सेंटर पहुंचा। इनके मानसिक कष्ट और नुकसान का अपराधी किसे समझा जाए?
 बेरोजगारी के मारे इन परीक्षार्थियों के प्रति इतनी गैरजिम्मेदार व्यवस्था की आखिर क्या सजा हो सकती है? लोगों के जानमाल के साथ यह साफ खिलवाड़ था। एक आंकड़े के अनुसार ३४५५९ असिस्टेंट टीचर के लिए ४५ से ५५ लाख तक परीक्षार्थी की परीक्षा के बाद राज्य के ५९००० प्राइमरी स्कूलों में खाली पड़ जगहों को भरा जाना है। यह एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती थी। पहली बार पश्चिम बंगाल सरकार ने एक ही बार में इतने सारे शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया है।

   अव्यवस्था की एक और वजह परीक्षार्थियों को अपने स्थायी निवास से काफी दूर के सेंटर दिया जाना था। किसी का घर श्यामबाजार में है तो उसे ८० किलोमाटर दूर हाड़ोआ में भेजा गया। कोई बेलघरिया का परीक्षार्थी है तो उसे संदेशखाली ( यानी सुंदरवन ) भेज दिया गया। ऐसे हजारों परीक्षार्थियों को भटकना पड़ा। अगर सेंटर कम पड़ रहे थे तो दो शिफ्ट में परीक्षा लिया जाना उचित था।
   बहरहाल जो भी हो एक बात तो स्पष्ट देखने को मिली कि परीक्षार्थी के साथ अभिभावक भी इस से बेहद नाराज थे। आपस में टिप्पणी करके अपने आक्रोश व्यक्त कर रहे थे।
शक तो यह भी होता है कि पंचायत चुनाव की बिसात का मोहरा बनाकर परीक्षार्थियों के साथ राजनीति हुई। सत्ता के इस राजनीतिक खेल में आखिर कब तक पिसती रहेगी मासूम जनता? और यह जनता भी आखिर कब तक खुद को बेचारी समझती रहेगी?
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कुछ जानकारियां इस परीक्षा के बारे में
The selection is based on TET exam conducted by National Council for Teacher Education and the candidates who scores 60% or above are considered as pass in TET and 5% marks relaxation is allowed for SC/ST/OBC/PH/EC candidates. The West Bengal TET exam consists of five section which carries 100 marks and the details are as follows.
Section I - Child Development - 20 marks
Section II - Language I - 20 marks
Section III - Language II - 20 marks
Section IV - Mathematics - 20 marks
Section V - Environmental Science - 20 marks

The qualified candidates in the written examination will be called for Viva-voce/Interview which carries 10 marks.

So candidates will be selected based on academic, training, TET scores, extra curricular activities and through interview process for which the evaluation will be done as per the following schedule.

Madhyamik examination - 10 marks
Higher Secondary - 15 marks
Training - 20 marks
TET - 40 marks
Extra curricular activity - 5 marks
Viva-voce or Interview - 10 marks

A total of 34559 vacancies available for which the district-wise vacancies are as follows.

Bankura District - 1770 vacancies
Birbhum District - 1968 vacancies
Burdwan District - 2521 vacancies
Coochbehar District - 1272 vacancies
Dakshin Dinajpur District - 753 vacancies
Hooghly District - 1760 vacancies
Howrah District - 1597 vacancies
Jalpaiguri District - 1442 vacancies
Kolkata District - 1483 vacancies
Malda District - 2493 vacancies
Murshidabad District - 2403 vacancies
Nadia District - 1757 vacancies
North 24 Parganas District - 4799 vacancies
Paschim Medinipur District - 1871 vacancies
South 24 Parganas District - 2792 vacancies
Purulia District - 1424 vacancies
Siliguir District - 303 vacancies
Uttar Dinajpur District - 1768 vacancies


WEST BENGAL PRIMARY SCHOOL SERVICE COMMISSION
http://www.wbbpe.in/


Primary TET Exam Centre

West Bengal Primary TET Exam centre is given in West Bengal Primary Board website http://wbbpe.org/TETvenue.aspx March 2013.
View exam venue through http://wbresults.nic.in/

Tuesday, 12 March 2013

पत्रकारों की न्यूनतम योग्यता तय करेगी समिति

 पत्रकार बनने के लिए न्यूनतम योग्यता तय नहीं होने के कारण देश में रिपोर्टिग के स्तर पर असर पड़ रहा है। इसको देखते हुए भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने पत्रकारिता की न्यूनतम योग्यता तय करने के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति में जागरण प्रकाशन समूह के अखबार 'नई दुनिया' के संपादक व पीसीआइ सदस्य श्रवण गर्ग, राजीव साब्दे और पुणे विश्वविद्यालय के संचार व पत्रकारिता विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वल बारवे शामिल हैं।
   काटजू ने कहा कि वकालत के लिए एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी है। चिकित्सा क्षेत्र के लिए एमबीबीएस डिग्री और मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण जरूरी है, जबकि पत्रकारिता में शुरुआत करने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तय नहीं है। कुछ लोग पत्रकारिता के मामूली या अधूरे प्रशिक्षण के साथ इस पेशे में आ रहे हैं। इससे बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे गैरप्रशिक्षित लोग पत्रकारिता के उच्च मूल्यों को बरकरार नहीं रख पाते। कुछ समय से पत्रकारिता में शुरुआत करने के लिए न्यूनतम योग्यता तय करने की जरूरत महसूस की जा रही है। समिति की रिपोर्ट पूर्ण प्रेस काउंसिल के सामने रखी जाएगी। इसके बाद इसे कानून बनाने के लिए सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा।
(साभार-http://www.jagran.com/news/national-minimum-qualification-for-journos-needed-katju-10209646.html)

Wednesday, 27 February 2013

सचमुच अद्भुत है सूरजकुंड मेला




 

     बचपन की यादें जेहन में उस वक्त ताजा हो गई जब बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मेरे मित्र सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने मेला चलने को कहा। मैं संयोग से फरवरी में ही कोलकाता से दिल्ली पांच फरवरी को पहुंचा था। चार की रात को बारिश व ओलावृष्टि दिल्ली की ठंड को मेरे लिए असहनीय बना दिया था। मैं भी उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले का ही रहने वाला हूं जहां  दिल्ली जैसी ही ठंड पड़ती है मगर पिछले बीस सालों से कोलकाता में रहते हुए इतनी ठंड से पाला नहीं पड़ा था। जाहिर है आदत बदल गई तो ठंड  सताएगी ही।
   ठंड को अपनी आदत बनाने की कोशिश के साथ अपने काम में लग गया था तभी मेले के समापन के दिन  यानी १५ फरवरी बसंतपंचमी को अचानक मैं , सुरेंद्र व बहन कुसुम और भांजी पम्मी के साथ सूरजकुंड मेला पहुंच गया। इसके ठीक एक दिन पहले बनारस से दिल्ली पहुंचे मेरे भांजे डा. विजयकुमार सिंह ने मेले से ही मुझे फोन किया कि वे मेला में आए हुए हैं। फोन पर मेले का विवरण भी दिया। अब तक तो मेला जाने की सोचा भी नहीं था। शायद मैं वक्त निकाल भी नहीं पाता अगर मेरा मित्र सुरेंद्र कुछ युक्ति नहीं लगाता। दरअसल मेरी बेटी अरुणा अपोलो के हास्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन कांटैक्ट प्रोग्राम के सिलसिले में मेरे साथ दिल्ली आई थी और रोज सुबह मैं उसे लेकर अपोलो चला जाता था। ऐसे में मैं सोच भी नहीं पा रहा था कि मैं मेला ही क्या, दिल्ली में किसी से मिलने भी जा पाता। इसके पीछे दिल्ली में लड़कियों व महिलाओं पर हो रहे हमले का खौफ था। मेरी बेटी किसी भी तरह से अकेले जाने को तैयार नहीं थी मगर सुरेंद्र ने उसे समझाया और  अकेले अपोलो जाने की उसमें हिम्मत पैदा कर दी। सुरेंद्र की यही युक्ति उस दिन काम आयी। मेले जाने की ईच्छा डा. विजय कुमार ने जगाई और इसे अंजाम दिया मेरे मित्र सुरेंद्र ने जब मुझे फोन किया था तब डां. विजय कुमार सिंह मेले में अपनी पत्नी डा. शीला सिंह, साली मुन्नी व उनके परिवार के साथ थे। कभी मैं, सुरेंद्र, डा. विजय कुमार और डा. शीला सिंह काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शिक्षा के क्रम में साथ ही थे। अब हम अलग-अलग शहरों में अपनी आजाविका से जुड़े हैं। मैं कोलकाता इंडियन एक्सप्रेस में तो सुरेंद्र दिल्ली में दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो में और डा. शीला सिंह  व डा. विजय कुमार सिंह बनारस में हैं। प्रसंगवश यह विवरण इसलिए भी दे रहा था  क्यों कि मेले ने हमें इस प्रसंग से जोड़ा है।
  सुना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है सूरजकुंड का हस्तशिल्प मेला। मगर जब मेला परिसर में दाखिल हुआ तो दुनिया के सबसे बड़े  सूरजकुंड मेले को उम्मीद से कहीं अधिक पाया। हरियाणा के फरीदाबाद जिले में १९८१ से शुरू हुआ इस बार का यह 27वां आयोजन था। हरियाणा पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित एक फरवरी को शुरू हुए 15 दिवसीय इस मेले का विषय कर्नाटक राज्य था। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस मेले का उदघाटन 2 फरवरी 2013 को किया। इस मेले में भारत की समृद्ध कला और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत नजारा था। सूरजकुंड मेला के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि इसमें सभी सार्क देशो ने हिस्सा लिया।

    दिल्ली-फरीदाबाद मार्ग स्थित सूरजकुंड में प्रतिवर्ष लगने वाले हस्तशिल्प मेले में समापन के दिन तक इसबार लगभग ११ लाख दर्शक पहुंचे। मेला क्षेत्र 40 एकड़ में फैला हुआ है। अरावली पर्वतमाला की तराई में विशाल तालाब सूरजकुंड का निर्माण 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल ने करवाया था। तालाब के चारों ओर ईंट से बनी पक्की सीढ़ियां हैं। इसी तालाब के समीप विस्तृत मैदान में अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन होता है। लोगों की मान्यता है कि इस तालाब में नहाने से रोगों से छुटकारा मिलता है मगर मुझे मेले में ऐसा कुछ देखने-सुनने को नहीं मिला।
     पश्चिम बंगाल और असम के बांस और बेंत की वस्तुएं, पूर्वोत्तर राज्यों के वस्त्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लोहे व अन्य धातु की वस्तुएं, उड़ीसा एवं तमिलनाडु के अनोखे हस्तशिल्प, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और कश्मीर के आकर्षक परिधान और शिल्प, सिक्किम की थंका चित्रकला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और शो पीस, दक्षिण भारत के रोजवुड और चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प भी यहां प्रदर्शित थे।
श्रीलंका के बने मुखौटे का जादू पर्यटकों के सिर चढ़कर बोला। शेखावटी गेट से नीचे उतरते ही वहा लगे सार्क देशों के स्टॉलों पर भीड़ ज्यादा थी। कलाकृतियों को देखते ही खुद-ब-खुद पांव ठहर जाते हैं। श्रीलंका में हर घर के बाहर मुखौटे लगाने का दस्तूर है। भारत में गांव व शहरों में भी घर के बाहर विभिन्न तरह के मुखौटे देख सकते हैं। श्रीलंका के शिल्पकारों का दावा कि मुखौटे सुख-समृद्धि के वाहक हैं। बुरी नजर से भी बचाता है यह मुखौटा। दावा है कि इससे कई बीमारियां नहीं होती हैं। जिस घर में लगा होता है। वहां सुख व समृद्धि का वास होता है। मुखौटों को ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। यह मुखौटे श्रीलंका की संस्कृति की पहचान बने हैं। इसे न केवल श्रीलंका बल्कि विदेशों में भी पहचान मिली है। मुखौटों को ईश्वर का ही अवतार माना जाता है। ये मुखौटे 150 रुपए से 10 हजार रुपए तक के थे

    यहां अनेक राज्यों के खास व्यंजनों के साथ ही विदेशी खानपान का स्वाद भी उपलब्ध था। मेला परिसर में चौपाल और नाट्यशाला नामक खुले मंच पर सारे दिन विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी अनूठी प्रस्तुतियों से समा बांधते हैं। मेले में रोज शाम के समय विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। दर्शक भगोरिया डांस, बीन डांस, बिहू, भांगड़ा, चरकुला डांस, कालबेलिया नृत्य, पंथी नृत्य, संबलपुरी नृत्य और सिद्घी गोमा नृत्य आदि का आनंद लेते हैं। विदेशों की सांस्कृतिक मंडलियां भी प्रस्तुति देती हैं।
    इस वर्ष मेले में 9 अफ्रीकी देश, तीन यूरेशियाई देश व 6 सार्क देशों के अलावा थाइलैंड व पेरू ने भी अपने शिल्प उत्पादों और कलाकृतियों के साथ अपने देश की संस्कृति का प्रदर्शन किया। 1200 से अधिक शिल्पकारों व 600 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। गुजरात ,असम, हरियाणा के कलाकारों ने मन मोहा। गिनी के कलाकारों ने भी मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। इसमें मृदंग और बांसुरी वादन का समावेश था। कांगो के कलाकारों ने गांगुलीस नृत्य की प्रस्तुति की। कर्नाटक के कलाकारों ने अपने नृत्य से ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। समापन के दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा व अन्य अतिथियों की मौजूदगी में होटल राजहंस में इन सभी कलाकारों की प्रस्तुति दर्शनीय थी।
विशेष सुरक्षा इंतजाम
    इस अंतरराष्ट्रीय मेले की सुरक्षा व्यवस्था व्यवस्था काफी बेहतर दिखी। मेले की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस बार मेला परिसर को सात भागों में विभाजित किया गया । मेला परिसर में 150 नाइट विजन कैमरे लगे थे। बेहतर नियंत्रण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेला परिसर में सुरक्षा ड्यूटी पर करीब 1200 पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात थे। परिसर में 8 पिकेट्स और 8 बुलेट प्रूफ मचान बनाए गए थे। साथ ही करीब 150 सीसी टीवी कैमरे लगाए गए हैं। पांच प्रवेश द्वार बनाए गए थे। इस बार अलग-अलग करीब 14 पार्किंग स्थल थे।

बारिश व ओलावृष्टि ने डाला खलल
चार फरवरी सोमवार की रात हुई मूसलाधार बारिश व ओलावृष्टि ने शिल्पकारों और पर्यटन निगम पर वज्रपात किया। हालत ऐसी कि मेला परिसर में जगह-जगह कीचड़ और पानी भर गया। भारी बारिश के चलते 27वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला दो दिन तक बुरी तरह प्रभावित हुआ। चौपालों पर एक भी कार्यक्रम नहीं हो सका। कई देशों से आए शिल्पकारों का सामान भी बारिश की भेंट चढ़ गया। करीब पांच करोड़ रुपए के सामान का नुकसान होने का अनुमान है। खराब मौसम के चलते फीडर ब्रेकडाउन होने से 12 घंटे तक बिजली गुल रही। पूरे दिन सफाई कर्मचारी मेला परिसर से पानी निकालने की कवायद में लगे रहे। सोमवार की रात शिल्पकारों ने जागकर काटी। मगर इसके बाद काफी अच्छा मौसम रहा।  मेला समापन के दो दिन बाद ही फिर बारिश हुई। बहरहाल मेरे लिए मेला घूमना अविस्मरणीय रहा।

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