Wednesday, 10 October 2012

वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार का स्थगनादेश नहीं - सुप्रीम कोर्ट

    समाचार पत्रों के प्रबंधकों ने  अतिरिक्त भुगतान के सवाल पर विचार करने से मना किया, सुप्रीम कोर्ट  का भी कोई अंतरिम व्यवस्था करने से इनकार
 सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए न्यायमूर्ति मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ दायर याचिकाएं लंबित होने की अवधि के दौरान कोई अंतरिम व्यवस्था करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह साफ किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार का स्थगनादेश नहीं है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। इससे पहले, समाचार पत्रों के प्रबंधकों ने अपने कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान के सवाल पर विचार करने से इनकार कर दिया। लेकिन जब विभिन्न ट्रेड यूनियनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसालविज ने न्यायालय से यह साफ करने का अनुरोध किया कि वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने पर किसी प्रकार की रोक तो नहीं है, इस पर न्यायाधीशों ने सकारात्मक जवाब दिया।
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने अंतरिम व्यवस्था के बारे में समाचार पत्र संगठनों से पूछा। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान 21 सितंबर को इस संबंध में विचार का सुझाव दिया था। इस पर एक समाचार पत्र समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन ने कहा,‘मैं विनम्रता से इसे अस्वीकार करता हूं।’ उन्होंने कहा कि पिछले 13 सालों में कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन सौ फीसद तक की वृद्धि दी गई है। उन्होंने यूनियनों के इस आरोप को गलत बताया कि पिछले वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बाद उन्हें कुछ नहीं मिला है।
न्यायाधीशों ने कहा कि सभी पक्षों को सुने बगैर कोई अंतरिम आदेश देना संभव नहीं है। अब वे इस मामले की आठ जनवरी से सुनवाई करेंगे। न्यायालय ने 21 सितंबर को सुनवाई के दौरान वेतन बोर्ड की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे के लिए आठ जनवरी से सुनवाई करने का निश्चय करते हुए कर्मचारियों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में अतिरिक्त भुगतान करने पर विचार का सुझाव प्रबंधकों को दिया था।
सरकार ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के बारे में 11 नवंबर, 2011 को अधिसूचना जारी की थी। कई समाचार पत्र समूहों ने वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इन सभी ने इस अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। साभार-नई दिल्ली, 8 अक्तूबर (भाषा)।

Friday, 21 September 2012

मजीठिया वेतन बोर्ड की रिपोर्ट पर शुरू हुई सुनवाई

  मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अगले साल आठ जनवरी से अंतिम सुनवाई करेगा। प्रिंट मीडिया और समाचार एजेंसियों के पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मचारियों के वेतन तय करने के लिए यह वेतन बोर्ड केंद्र सरकार ने बनाया था। पर इसकी रिपोर्ट आने से पहले ही इसके गठन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कुछ मीडिया घरानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि बाद में वेतन बोर्ड की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने अधिसूचना के जरिए लागू भी कर दिया। लेकिन मीडिया घरानों ने इन सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बहाने अमल लटका रखा है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ के समक्ष इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जजों ने शुरुआत में ही मीडिया घरानों के प्रबंधकों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को वेतन बोर्ड की सिफारिशों के हिसाब से अतिरिक्त भुगतान करने पर विचार करें। गौरतलब है कि अनेक मीडिया संगठनों ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड की सिफारिशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है। इन सिफारिशों को सरकार ने 11 नवंबर 2011 को अधिसूचित किया था। इन संगठनों ने इस अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अदालत से अनुरोध किया है।
सुनवाई के दौरान जजों ने अखबार मालिकों को सुझाव दिया कि उन्हें ‘बड़ा दिल’ दिखाना चाहिए और अंतरिम भुगतान करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सुनवाई के दौरान कुछ मीडिया समूहों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील फली नरिमन से जजों ने कहा कि वे इन सुझावों पर विचार करें और प्रबंधकों के विचार मालूम कर आठ अक्तूबर को बताएं। उस दिन अदालत इस मामले में निर्देश देगी। उन्होंने नरिमन से साफ कहा- कोई आदेश दिए बगैर हम जानना चाहते हैं कि क्या आप कुछ कर सकते हैं।
नरिमन की दलीलों के बीच ही जजों ने उनसे कहा कि इस मामले में कोई आदेश दिए बगैर ही वे जानना चाहते हैं कि क्या इन याचिकाओं के लंबित होने के दौरान ही मीडिया समूह अपने कर्मचारियों के लिए कुछ कर सकते हैं। जजों ने कहा- हमने नरिमन को कुछ सुझाव दिए हैं। वे एक या दो हफ्ते के भीतर हमें बताएंगे।
जब नरिमन ने कर्मचारी यूनियनों और केंद्र सरकार के जवाबी हलफनामों का जवाब देने के लिए अधिक समय देने का अनुरोध किया तो कर्मचारी संगठनोंं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्वेज ने कहा कि बगैर किसी विलंब के सुनवाई शुरू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत को वेतन बोर्ड की सिफारिशें पूरी तरह और तत्काल लागू करने की अनुमति देनी चाहिए। जो लंबित रिट याचिकाओं के नतीजे के दायरे में भी हो सकता है। वरिष्ठ वकील एमएन कृष्णामणि ने भी कहा कि इन कर्मचारियों के वेतन में पिछले 13 साल से कोई बदलाव नहीं हुआ है। लिहाजा अदालत को तत्काल कुछ व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। ( साभार- जनसत्ता ब्यूरो --नई दिल्ली, 21 सितंबर।)

एक से ज्यादा गैस कनेक्शन पर शिकंजा

पेट्रोलियम मंत्रालय इस इसके लिए लेगा सॉफ्टवेयर की मदद
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ग्राहकों से भरवाएंगी केवाईसी फॉर्म
नाम या पते में हेरफेर के जरिए नहीं ले सकेंगे ज्यादा कनेक्शन।
किसी व्यक्ति या एक ही परिवार में एक से ज्यादा गैस कनेक्शन को पकडऩे के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय अब सॉफ्टवेयर का सहारा लेगा। इसके लिए नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कर चुका है।

अब इंतजार किया जा रहा है कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) अपने रसोई गैस के ग्राहकों से नो योर कस्टमर (केवाईसी) फार्म भरवा ले। उसके बाद यह कार्रवाई शुरू होगी।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक गैस कनेक्शन कोई नई बात नहीं है। इस पर पहले भी कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है।

उनके मुताबिक इस तरह का काम ज्यादातर पढ़े लिखे लोग करते हैं इसलिए कुछ इस तरह से नाम-पता लिख कर कनेक्शन लेते हैं कि उसे कंप्यूटर पकड़ नहीं पाता था। कुछ डीलरों को इस बात की जानकारी होती है, लेकिन वह भी इन्हीं उपभोक्ताओं के नाम पर साल में सैकड़ों सिलेंडर बुक कर ब्लैक में बेचता है इसलिए ऑयल मार्केटिंग कंपनी के साथ सहयोग नहीं करता है, इसलिए मंत्रालय ने एनआईसी से एक विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया है।

अब इस सॉफ्टवेयर के जरिये फर्जीवाड़ा करने वाले ग्राहकों ढूंढा जाएगा। सरकारी तेल कंपनी में पदस्थापित एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 'फर्जी लॉजिक' नाम के इस सॉफ्टवेयर में आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल के उपभोक्ताओं का डाटा बेस डाला जाएगा। फिर इलाके के हिसाब से ग्राहकों का डाटा बेस चेक किया जाएगा।

यदि कोई व्यक्ति अपने नाम में हेरफेर कर कई कनेक्शन ले रखा है या फिर अपने पते में हेर फेर कर भी कनेक्शन ले रखा है तो भी यह सॉफ्टवेयर यह फर्जीवाड़ा पकड़ लेगा। उसके बाद जिस कंपनी से भी कनेक्शन लिया गया होगा, वहां से अलग अलग नोटिस भेजा जाएगा। यदि उस पर भी उपभोक्ता अतिरिक्त कनेक्शन सरेंडर नहीं करता है तो फिर उनके यहां जिस भी कंपनी के जितने कनेक्शन होंगे, सभी को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
 ( http://business.bhaskar.com/article/more-than-one-gas-connection-screws-3814958-NOR.html?PRVNX=)

Thursday, 20 September 2012

हिंदी दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा

  भारत की राजभाषा हिंदी दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। बहुभाषी भारत के हिन्दी भाषी राज्यों की आबादी 46 करोड़ से अधिक है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब आबादी में से 41.03 फीसदी की मातृभाषा हिंदी है।

हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। भारत के इन 75 प्रतिशत हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में तकरीबन 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं।

भारत के अलावा इसे नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिडाड एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले अच्छे खासे लोग हैं।

इसे देखते हुए हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। वैसे यूनेस्को की सात भाषाओं में हिन्दी पहले से ही शामिल है।

वैश्वीकरण और भारत के बढ़ते रूतबे के साथ पिछले कुछ सालों में हिन्दी के प्रति विश्व के लोगों की रूचि खासी बढ़ी है। देश का दूसरे देशों के साथ बढ़ता व्यापार भी इसका एक कारण है।

हिन्दी के प्रति दुनिया की बढ़ती चाहत का एक नमूना यही है कि आज विश्व के लगभग डेढ़ सौ विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। विभिन्न देशों के 91 विश्वविद्यालयों में हिन्दी चेयर है।

इसके बढ़ते रुतबे की एक बानगी यही है कि आज चीन के छह, जर्मनी के सात, ब्रिटेन के चार, अमेरिका के पांच, कनाडा के तीन और रूस, इटली, हंगरी, फ्रांस तथा जापान के दो दो विश्वविद्यालयों सहित तकरीबन 150 विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में यह किसी न किसी रूप में शामिल है।

विश्व में हिन्दी के प्रसार को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस महीने की 22 से 25 तारीख तक दक्षिण अफ्रिका के जोहांसबर्ग में नौंवा विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया है। भारत और दक्षिण अफ्रीका की ओर से इसका संयुक्त उदघाटन होगा। ( साभार-http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-264287.html )

Thursday, 13 September 2012

डीजल महंगा, साल में केवल 6 गैस सिलेंडर ही

    संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के बाद सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए डीजल के दामों में 5 रुपए की वृद्धि कर दी है। इसके अलावा सब्सिडी के तहत दिए जा रहे घरेलू रसोई सिलेंडर एक परिवार को एक साल में केवल 6 ही दिए जाएंगे। यह फैसला 13 सितम्बर से ही लागू हो गया है।
महानगरों में अब डीजल के दाम इस प्रकार रहेंगे-
महानगरअब पहले
दिल्ली46 रुपए 29 पैसे41 रुपए 29 पैसे
कोलकाता49 रुपए 76 पैसे44 रुपए 76 पैसे
चेन्नई 48 रुपए 91 पैसे43 रुपए 91 पैसे
हैदराबाद50 रुपए 06 पैसे45 रुपए 06 पैसे









   सरकार ने गुरुवार देर शाम बैठक के बाद डीजल के दामों की बढ़ोतरी करने के साथ ही रसोई गैस के बारे में महत्वपूर्ण फैसला लिया। मोटे तौर पर मध्यम वर्ग को जो घरेलू सिलेंडर 399 रुपए (सब्सिडी वाला) मुहैया करवाया जा रहा था, वह अब उपभोक्ताओं को सालभर में केवल 6 ही मिलेंगे। यदि सातवां सिलेंडर चाहिए तो वह बाजार भाव (746 रुपए) पर मिलेगा। बाजार भाव का मूल्य हर महीने बदल भी सकता है, बाजार के हिसाब से।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष 2012-13 में 6 माह बीत चुके हैं, लिहाजा अगले 6 महीनों में गैस उपभोक्ताओं को केवल 3 सिलेंडर ही दिए जाएंगे। सरकार के इस फैसले की भाजपा ने घोर निंदा करते हुए कहा कि सरकार अपने खर्चे कम करने के बजाए आम आदमी को निशाना बना रही है। भाजपा ने कहा कि वह आगामी 17 से 24 सितम्बर तक प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने के लिए देशव्यापी आंदोलन करेगी।

कांग्रेस ने कहा कि उसने मजबूरी में डीजल के दाम बढ़ाए हैं। दूसरी तरफ घरेलू गैस पर सब्सिडी देने से सरकार को 32 हजार करोड़ का घाटा हो रहा है। सरकार के अब इस फैसले से यात्री भाड़ा बढ़ेगा और सभी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे।

सरकार ने डीजल के दाम 5 रुपए बढ़ाए हैं। दिल्ली में अभी डीजल का भाव 41 रुपए 29 पैसे है, जो अब बढ़कर 46 रुपए 29 पैसे हो गया है। डीजल के भाव भी आज से ही लागू हो गए हैं।
 (http://hindi.webdunia.com/news-national)






























































































श्री चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी का निधन

श्री चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी का निधन। बहुत ही दुखद समाचार।वे काफी समय से अस्वस्थ थे।  12/9/2012 को रात के 10-50 बजे चंद्रमौलेश्वर जी का स्वर्गवास हो गया। व्यक्तिगत तौर पर तो कभी नहीं मिला मगर कविताजी के हिंदी भारत समूह और नेट पर लेखन व चर्चाओं से अक्सर रूबरू होता रहता था। जब मैने ब्लाग की शुरुआत की थी तो उनकी टिप्पणियों ने और लिखने को प्रेरित किया। समूह पर तो काव्य चर्चा अक्सर पढ़ता रहता था। आज कम्प्यूटर खोलते ही जीप्लस में कविताजी के माध्यम से मिली इस दुखद सूचना पर तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। मगर........................
   कुछ दिनों पहले उन्होंने अस्वस्थता के कारण अपने ब्लाग पर लिखा था----------------
 Author : चंद्रमौलेश्वर प्रसाद Blog : कलम Date : 26-02-2012 14:22:00
'आदरणीय ब्लागर मित्रो,अस्वस्थ होने के कारण शायद अंतरजाल पर न आ पाऊँ । इसलिए कुछ समय के लिए शायद आप से भेंट न हो। स्वास्थ लाभ करके पुनः आपसे सम्पर्क स्थापित करूंगा। तब तक के लिए विदा:)'

Tuesday, 11 September 2012

करोड़ों रुपए की चंदा उगाही करते हैं भारत के राजनैतिक दल

     भारत में करोड़ों लोग अभी भी 20 रुपए से कम में प्रतिदिन गुजारा करते है, लाखों लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता, लेकिन देश की राजनीतिक पार्टियां चंदे के रूप में हजारों करोड़ रुपए कमा रही हैं।

ये खुलासा राजनीतिक दलों की आयकर रिपोर्ट और उनके द्वारा चुनाव आयोग में चंदा देने वालों के बारे में दी गई जानकारी के अध्ययन के बाद हुआ है। भारत की राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर 2004 के बाद से 4662 करोड़ रुपए चंदा वसूला है। ये रकम 2011-12 के केंद्रीय बजट में माध्यमिक शिक्षा के लिए आवंटित 3124 करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है।

चंदा वसूलने की दौड़ में सत्ताधारी कांग्रेस सबसे आगे है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कांग्रेस ने साल 2004 के बाद से अब तक 2008 करोड़ रुपए चंदा वसूला है। संसद में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी दूसरे नंबर है। बीजेपी ने इस दौरान 994 करोड़ रुपए चंदे के रूप में इकट्ठा किया है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और इलेक्शन वॉच नाम के दो गैर सरकारी संगठनों ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी है। इन संगठनों ने देश की 23 राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी इकट्ठा की और फिर उस पर रिपोर्ट तैयार की।

इस रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस की ज्यादातर आमदनी कूपन बेचने से हुई है। खासतौर से जबसे कांग्रेस सत्ता में आई है तब से तो कूपन पर मिलने वाला चंदा और बढ़ गया है। इस दौरान उसे दान के रूप में महज 14.42 प्रतिशत ही मिले हैं। कांग्रेस को दान देने वालों में टाटा और जिंदल से लेकर एअरटेल का भारती ट्रस्ट और अडानी ग्रुप शामिल हैं।

हालांकि बीजेपी की कहानी इसके उलट है। बीजेपी ने ज्यादातर चंदा कॉर्पोरेट घरों से वसूला है। इसकी कमाई का 81.47 फीसदी हिस्सा चंदे से आया है। बीजेपी को चंदा देने वालों में विवादित कंपनी वेदांता भी शामिल है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक सदस्य प्रो. जगदी छोकर कहते हैं कि ये राजनीतिक दलों का ब्लैक बॉक्स है। इस देश में भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत राजनीतिक दान है। राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसों को नियंत्रित करके भ्रष्टाचार को समाप्त तो नहीं किया जा सकता लेकिन उसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।

एनजीओ की रिपोर्ट में सबसे दिलचस्प बात ये उभर कर सामने आई है कि कुछ संगठन ऐसे हैं जिन्होंने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को चंदा दिया है। आदित्य बिड़ला ग्रुप से जुड़े हुए जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने कांग्रेस को 36.4 करोड़ का चंदा दिया तो बीजेपी को इसी ट्रस्ट ने 26 करोड़ का चंदा दिया।

चंदे की दौड़ में राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां सबसे आगे हैं तो क्षेत्रीय पार्टियां भी पीछे नहीं। 2004 से 2011 के बीच में दलितों की बहुजन समाज पार्टी ने 484 करोड़ का चंदा इकट्ठा किया। इसके ठीक बाद नंबर आता है गरीबों और मजदूरों की राजनीति करने वाली सीपीएम का।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 2004 से 2011 के बीच 417 करोड़ रुपये बतौर चंदा इकट्ठा किया। इस पायदान पर समाजवादी पार्टी 278 करोड़ के साथ सीपीएम से पीछे है। चंदा इकट्ठा करने के मामले में सबसे कमजोर सीपीआई है। सीपीआई इन सालों में 6.7 करोड़ रुपए का ही चंदा इकट्ठा कर सकी।

दूसरी राजनीतिक पार्टियों जैसे तृणमूल ने इस दौरान 9 करोड़, शिवसेना ने 32 करोड़, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 4 करोड़, लालूप्रसाद यादव की पार्टी राजद ने 10 करोड़ और फॉरवर्ड ब्लॉक ने 98 लाख रुपए का चंदा हासिल किया है। गैर सरकारी संगठनों की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कुछ ऐसे क्षेत्रीय दल भी हैं जिन्होंने कभी चुनाव आयोग को अपनी आय के स्रोतों के बारे में जानकारी ही नहीं दी है।
वीडी/एमजे (पीटीआई) http://hindi.webdunia.com/samayik/deutschewelle/dwnews/

Tuesday, 4 September 2012

पत्‍ि‌नयों के लिए खुशखबरी, अब पति देंगे हर महीने सेलरी!

    घर के कामकाज में दिन भर पसीना बहाने वाली महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर है। बहुत जल्द उन्हें भी नौकरीपेशा महिलाओं की तरह घरेलू कामकाज के लिए हर माह वेतन मिलेगा। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय इस संबंध में जल्द ही एक प्रस्ताव पेश करने जा रहा है। मंत्रालय की यह कोशिश अगर परवान चढ़ी तो बहुत जल्द ही पति को अपनी पत्नी को घरेलू कामकाज के लिए भी प्रतिमाह वेतन का भुगतान करना पड़ेगा।

मंत्रालय में इस प्रस्ताव का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कैबिनेट में भी इसे पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के कानून बनते ही हर पति को अपनी पत्नी को हर महीने एक तय तनख्वाह देना कानूनन अनिवार्य हो जाएगा।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ की ओर से यह जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि सरकार एक ऐसा कानून लाने की सोच रहा है,जिसके तहत हर पुरुष को अपनी तनख्वाह से एक तय प्रतिशत राशि पत्नी को अदा करना होगा। इसके लिए सरकार एक मानक भी तय करेगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस बाबत अपनी तैयारी शुरू कर दी है। उनके मुताबिक, प्रारूप बनाने के बाद अगले छह महीने के भीतर इस प्रस्ताव को कानून बनाने के लिए संसद में पेश करने की योजना भी है।

गौरतलब है कि देश में लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं शादी के बाद घर-गृहस्थी संभालने में लग जाती हैं। लेकिन इससे उन्हें इसकी सैलरी नहीं मिलती। इसकी गंभीरता का अहसास तब होता है जब किसी कारणवश तलाक होने या पति की मृत्यु के बाद महिला के पास अपने गुजर-बसर के लिए कुछ नहीं रह जाता।

कृष्णा तीरथ का कहना है कि यह कदम महिला सशक्तीकरण के लिए उठाया जा रहा है। मकान या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में महिलाओं के लिए छूट की योजना प्रचलित हो गई है। ठीक इसी तरह इसे भी लागू कराने की कोशिश होगी।

-हर महीने पत्नी के नाम से जमा होगा पैसा

मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए कानून के मसौदे के अनुसार, सभी पुरुषों को अपने मासिक वेतन का 10-20 प्रतिशत हिस्सा पत्नी को बतौर तनख्वाह अदा करने की योजना है। इसके तहत एक बेलदार मजदूर से लेकर टॉप कंपनियों में काम करने वाले एक्जीक्यूटिव तक सभी शामिल होंगे। पुरुषों को अपनी पत्नी के लिए बैंक में खाता खुलवाना होगा और हर महीने तय रुपये जमा कराने होंगे। इस खाते से सिर्फ खाताधारक ही पैसे निकाल सकेंगे।
( साभार- जागरण-http://www.jagran.com/news/spotlight-womens-will-get-payment-for-domestic-works-9632569.html )

Wednesday, 29 August 2012

यह राजनेताओं का समाजवाद है

 उत्तरप्रदेश में शासकीय फरमान जारी हो चुका है कि वीवीआईपी इलाके में २४ घंटे बिजली सप्लाई की जाए। ऐसा तब संभव हुआ जब संसद में व्यक्तिगत तौरपर खुद सोनिया गांधी समाजवादी पार्टी के सांसद मुलायम सिंह यादव से अमेठी व रायबरेली में बिजली संकट पर शिकायत की और आग्रह किया कि इन दो क्षेत्रों में बिजली संकट दूर करने के उपाय करें। अगर जनता की मांग होती तो शायद बिजली संकट का रोना रोते नेताजी मगर वीवीआईपी की बात थी इसलिए उसी दिन संसद की कार्यवाही खत्म होने के बाद ही अपने मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव को इन इलाकों में २४ घंटे बिजली सप्लाई के फरमान जारी करने को कहा और मुख्यमंत्री ने बिना कोई देरी किए ऐसा कर भी दिया।
    बहरहाल इस फरमान के बाद अमेठी व रायबरेली के अलावा मुलायम सिंह यादव का संसदीय क्षेत्र मनिपुरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिम्पल यादव का संसदीय क्षेत्र कन्नौज, उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री आजम खान का विधानसभा क्षेत्र रामपुर और यादव परिवार का गृह जिला इटावा अब बिजली कटौती से मुक्त हो गया है।
    टाईम्स आफ इंडिया की खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों ने भी ऐसा किए जाने के निर्देश के सही बताया है। उन्हें बुधवार २९ अगस्त से इस आदेश को तामील भी करने को कहा गया है।
मालूम हो कि पूरा उत्तरप्रदेश भयानक बिजली संकट से जूझ रहा है। गावों को महज कुछ घंटे ही बिजली मिल पा रही है। शहरी इलाके भी बिजली की भारी कटौती से परेशान हैं। किसानों का तो बुरा हाल है।

दरअसल आम जनता के लिए राजनेताओं के पास लुभावने वादे ही होते हैं। राजनीतिक संकट दिखा तो उनमें से कुछ पूरे भी कर दिए जाते हैं। अन्यथा रामभरोसे ही है सब कुछ। अगर किसी वीवीआईपी इलाके में आप नहीं बसते हैं तो मरिए कीड़े मकोड़ों की तरह ? यह राजनेताओं का समाजवाद है।


देखिए इस खबर को जो टाईम्स आफ इंडिया ने २९ अगस्त को छापी है। इसका लिंक भी दिया है।-------

A word from Sonia Gandhi ensures uninterrupted power supply in Rae Bareli, Amethi

UP govt has ordered uninterrupted power supply in Rae Bareli and Amethi after Sonia Gandhi sought Mulayam Singh Yadav's intervention.


http://timesofindia.indiatimes.com/india/A-word-from-Sonia-Gandhi-ensures-uninterrupted-power-supply-in-Rae-Bareli-Amethi/articleshow/15935788.cms

LUCKNOW: It's not without reason that "Forbes" magazine recently ranked Congress president and UPA chairperson Sonia Gandhi the sixth most powerful woman in the world. It needed only a word from her for Rae Bareli, her parliamentary constituency, to have uninterrupted power supply.

Uttar Pradesh chief minister Akhilesh Yadav late on Tuesday issued orders to also ensure round-the-clock power supply to Amethi, the parliamentary constituency of Congress general secretary Rahul Gandhi.

Officials of the Uttar Pradesh Power Corporation Limited (UPPCL) confirmed that a missive to this effect was received from senior officials.

The decision to include the two districts in the 'No power-cut VVIP list' was taken after a request was made by Sonia Gandhi to Samajwadi Party (SP) chief Mulayam Singh Yadav.

Sonia had walked up to Yadav before parliamentary proceedings started in the Lok Sabha on Tuesday and had requested the Yadav chieftain to "do something about the power crisis in Rae Bareli".

"Soniaji told Netaji that owing to poor power supply, the farmers and industry in the district were suffering," said a source, who confirmed that Mulayam Singh Yadav responded warmly to the request.

After the day's proceedings in Parliament were stalled, Yadav rang up his son and UP chief minister Akhilesh Yadav and asked him to ensure 24x7 power supply to Sonia and Rahul Gandhi's constituencies.

Following this, orders were issued to UPPCL officials, compliance with which was ensured on Wednesday morning.

So far, districts exempt from power cuts include Mainpuri (Mulayam Singh Yadav is MP from here), Kannauj (the chief minister's wife Dimple Yadav is a first-time MP from here), Rampur (Urban Development Minister Azam Khan is an MLA from here) and Etawah (the home district of the Yadav family).

The state reels under an unprecedented power crisis. Urban areas suffer outages that last up to four hours, while the countryside routinely faces up to eight hours with no power.


Monday, 20 August 2012

न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए करने का प्रस्ताव

 कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंशधारकों को सेवानिवृत्ति के बाद जल्द 1000 रुपए की न्यूनतम मासिक पेंशन मिल सकती है। वित्त मंत्रालय के पास इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि श्रम मंत्रालय ने हाल में वित्त मंत्रालय के पास ईपीएफओ के अंशधारकों के लिए न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय करने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें यह नहीं देखा जाएगा कि इस योजना में उनका योगदान कितना है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सिफारिश पर श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह या तो 20 साल की सेवा के बाद दिए जाने वाले दो साल के बोनस को वापस ले या फिर न्यूनतम 1000 रुपए की पेंशन तय कर 539 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त बोझ उठाए।
फिलहाल हर अंशदाता को 20 साल की सेवा के बाद दो साल के अतिरिक्त बोनस का लाभ मिलता है। ईपीएफओ का कहना है कि यदि दो साल के बोनस को वापस लिया जाता है तो 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन तय करने की प्रक्रिया ऐसी होगी जो राजस्व की दृष्टि से तटस्थ होगी। इसके अलावा पेंशनधारकों को करीब पांच फीसद की राहत मिलेगी।
वित्त मंत्रालय अगर वैकल्पिक व्यवस्था की ओर नहीं जाता है तो सरकार को हर साल 539 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। यह उन 994 करोड़ रुपए सालाना से अलग होंगे, जो सरकार को पेंशन कोष में मूल वेतन और महंगाई भत्ते में 1.16 फीसद के योगदान के लिए देने पड़ रहे हैं। 31 मार्च, 2010 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 35 लाख ईपीएफओ पेंशनधारक हैं। इनमें से 14 लाख ऐसे हैं जिन्हें 500 रुपए से कम पेंशन मिलती है। इसके अलावा सात लाख पेंशनधारक ऐसे हैं जिन्हें 1000 रुपए महीने पेंशन मिलती है। इनके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे पेंशनधारक भी हैं जिन्हें 12 और 38 रुपए पेंशन दी जा रही है। (  नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा)।)

Monday, 13 August 2012

मजीठिया बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के लिए कोई रोक नहीं लगाई सुप्रीम कोर्ट ने- खड़गे

 सरकार ने सोमवार को साफ कर दिया कि मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि पत्रकारों और गैरपत्रकारोंसे जुड़े मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित कर दिया गया है। कई अखबार मालिकों ने इस मामले में 10 रिट याचिकाएं दायर की हैं। लेकिन शीर्ष अदालत से इसके अमल पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया गया है।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मनोहर तिरकी के सवाल के जवाब में खड़गे ने कहा कि सरकार ने एबीपी प्राइवेट लिमिटेड व एएनआर बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मामले में 2011 की रिट याचिका संख्या 246 के निष्कर्ष पर 11 नवंबर, 2011 को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित कर दिया था। उन्होंने कहा कि वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों की है।
अधिसूचना की प्रति सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र से बार-बार अनुरोध किया है कि वेतन बोर्ड की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू कराया जाए और इस बारे में हुई प्रगति की निगरानी के लिए विशेष प्रकोष्ठ व त्रिपक्षीय समीक्षा समिति का गठन किया जाए। खड़गे ने कहा कि अधिसूचना पर अमल की समीक्षा के लिए केंद्रीय स्तर की एक समिति बनाई गई है। हालांकि अभी तक किसी राज्य से सिफारिशों के लागू होने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। (   नई दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा)। )

Gogoi urged to ensure Majithia Wage Board implementation

 Guwahati, Aug 2 (PTI) Media associations urged Assam Chief Minister Tarun Gogoi today to ensure implementation of the Majithia Wage Board recommendations in all news organisations and ensure security of all mediapersons. In a letter to Gogoi, representatives of eight media associations said it is ironic that journalists, who often highlight the exploitation faced by workers in other sectors, have to work in an exploitative situation themselves. They are denied economic benefits recommended by statutory wage boards constituted by the Centre and most journalists work without proper appointment letters, PF, ESI, gratuity and leave, while journalist and non-journalist media persons in Assam are even deprived of the benefits recommended by the Minimum Wages Act, 1948. The wage board beneficiaries should include full-time rural correspondents as well as journalists and non-journalists of the electronic media. "So we demand for immediate implementation of Majithia Wage Board award in all newspaper houses in Assam," said the letter signed by representatives of National Federation of Newspaper Employees, Assam Union of Working Journalists, Journalist Union of Assam, Journalists Forum Assam, Assam Press Correspondents Union, All Assam Journalist Union, Assam Tribune Employees Union and Electronic Media Forum Assam. The associations also demanded adequate compensation to families of media persons in case of any unfortunate incident while covering news and life insurance of minimum Rs 10,00,000 for each media person. The letter said working in the insurgency-affected state was becoming increasingly dangerous for journalists. They are subjected to numerous threats from insurgents, surrendered militants and even from anti-insurgent security personnel. Statistics show that Assam has lost over 20 dedicated editors/journalists in the last two decades and not a single culprit has been punished till date, it added.

Supreme Court Final Hearing on Majithia Wage Board for journalists and non-journalists on July 31 2012
Newspaper managements on Wednesday urged early hearing in the Supreme Court of the petitions challenging the Justice Majithia Wage Board report and the subsequent government notification. For, the batch of cases scheduled for hearing on Wednesday was deferred till July 31, 2012.
Senior counsel K.K. Venugopal, appearing for the Indian Newspaper Society, made a mention before a Bench of Justices Dalveer Bhandari, T.S. Thakur and Dipak Misra for early listing. He said that on October 11, an order was passed for listing the cases for final hearing on December 7 but now the matter was put up for July 31, 2012.
Justice Bhandari told counsel: “Subsequent to that order [October 11 order] Rajasthan Patrika also challenged the report. When that petition came before me, I passed an order recusing myself from that case and directed that all connected matters be listed before some other Bench. That is the reason why the petitions are not listed today [Wednesday]. You may make a mention for early hearing before the Registrar concerned, bringing to his notice the order passed on October 11.”
Meanwhile, ABP Ltd., publishers of Telegraph and other newspapers, and Bennett Coleman and Co. Ltd., publishers of The Times of India and other newspapers, filed fresh applications challenging the November 11 notification issued by the government for implementation of the Wage Board recommendations.
The petitioners maintained that the Centre had issued the notification without applying its mind. The recommendations had not considered the wages in similar industries which had been specifically placed before the Wage Board. They argued that the Centre had failed to consider the paying capacity of the newspapers, and various recommendations like variable pay had been made without issuing notice to the affected parties.
Further, the Wage Board had modified Schedule IA and IB Grouping of working journalists in newspaper establishments and functional definitions and they would have the effect of deleting certain designations/categories from a particular group. Contending that the notification was illegal, the petitioners called for abolition of wage boards for the newspaper industry as with the efflux of time, they had lost their significance. In no other industry wages were being regulated by the government under the statutory wage board.
They sought amendment to the prayers, quashing of the notification and an interim stay of its operation.


Wednesday, 8 August 2012

इंडियन एक्सप्रेस कोलकाता की नई आफिस

यह दृश्य मेरी आफिस के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ६ की है। आफिस की छत से इंडियन एक्सप्रेस के फोटोग्राफर पार्थ पाल द्वारा खींची गई यह फोटो उस समय की है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस रास्ते से पश्चिम मेदिनीपुर के बेलपहाड़ी में एक बुधवार को होने वाले एक कार्यक्रम के सिलसिले में गुजर रही थीं। मुख्यमंत्री १९९८ के बाद अब २०१२ में वहां मंगलवार को गईं। फोटो में सामने एक क्रासिंग है जहां पायलट कार के साथ ममता बनर्जी का छह-सात कारों वाला काफिला दिख रहा है। इस क्रासिंग को अंकुरहाटी चेकपोस्ट कहा जाता है। इंडियन एक्सप्रेस ने अंकुरहाटी के नजदीक ही कोलकाता की अपनी नई आफिस बनाई है।

Monday, 6 August 2012

अपेक्षा के अनुरूप पैसा नहीं मिलने से प्रशिक्षित पत्रकारों का हो रहा है दूसरे क्षेत्रों में पलायन

    पत्रकारिता के पेशे में अपेक्षा के अनुरूप पैसा नहीं मिलने और कामकाज की स्वतंत्रता के अभाव में देश में काफी तादाद में प्रशिक्षित पत्रकार अब इस पेशे को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में पलायन कर गए हैं। मीडिया स्टडीज ग्रुप और जन मीडिया जर्नल ने भारतीय जनसंचार संस्थान के 1984-85 से लेकर 2009-10 तक के शैक्षणिक सत्र के छात्रों की प्रतिक्रिया के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनसंचार संस्थान से प्रशिक्षित कुल 73.24 फीसद छात्र ही इस पेशे से जुड़े हुए हंै, जबकि एक चौथाई से ज्यादा पत्रकारों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो चुका है। अभी तक मीडिया से जुड़े प्रशिक्षित छात्रों में से 32.28 फीसद अखबार, 25.98 फीसद टेलीविजन, 13.39 फीसद साइबर माध्यमों, 8.66 फीसद रेडियो, 7.09 फीसद पत्रिकाओं, 2.88 फीसद विज्ञापन और 5.77 फीसद जनसंपर्क क्षेत्र में कार्यरत हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पत्रकारिता से जुड़े पेशेवरों की काफी बड़ी तादाद इससे असंतुष्ट है। इसके कारण इनमें तेजी से नौकरियां बदलने का चलन देखा गया है। सर्वेक्षण में शामिल 24.77 फीसद लोगों ने ही कहा कि वे अपने कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। 53.21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मामूली संतुष्ट है जबकि 16.51 फीसद लोग अपने कामकाज से असंतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की माली हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 56.64 फीसद लोगों के पास अपना मकान नहीं है और वे किराए के मकान में रह रहे हैं। 30.97 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मकान तो है लेकिन यह उनकी पैतृक संपत्ति है। 6.19 फीसद मीडियाकर्मियों के पास मध्य आय वर्ग (एमआईजी) मकान हैं जबकि 5.31 फीसद मीडियाकर्मियों के पास उच्च आय वर्ग (एचआईजी) मकान हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के संयोजक अनिल चमडि़या ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़े बड़े सपने लेकर छात्र पत्रकारिता का कोर्स करते हैं। वे इस पेशे में अच्छा पैसा मिलने और लिखने की स्वतंत्रता की उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें न तो अच्छा पैसा मिलता है और न ही कामकाज की स्वतंत्रता। इससे असंतुष्ट होकर उनका दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो रहा है। इस स्थिति से देश का शीर्ष पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। नई दिल्ली, 6 अगस्त (भाषा)।

Wednesday, 27 June 2012

मधुमेह,ब्लडप्रेशर के रोगी का आहार, हार्ट अटैक से बचने के दस उपाय

देश के बीस राज्यों में सर्वे से पता चला है कि देशभर में ७५ लाख से ज्यादा मधुमेह के रोगी हैं। अकेले बंगाल में इसकी वृद्धि दर ११ प्रतिशत रिकार्ड की गई है। मधुमेह के तेजी से विस्तार के मद्देनजर १२वीं पंचवर्षीय योजना में सभी के मधुमेह जांच पर विचार हो रहा है । इससे इस रोग के प्रति जागरूकता भी पैदा होगी।

मधुमेह के रोगी का आहार

मधुमेह के रोगी का आहार केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता, उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक होता है। चूंकि यह रोग मनुष्य के साथ जीवन भर रहता है इसलिए जरूरी है कि वह अपने खानपान पर हमेशा ध्यान रखे। आमतौर मरीज ब्लडशुगर की नार्मल रिपोर्ट आते ही लापरवाह हो जाता है। मधुमेह के मरीज के मुंह में गया हर कौर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए जो भी खाएं सोच समझकर खाएं।

इन्सुलिन हार्मोन के स्रावण में कमी से डायबिटीज रोग होता है। डायबिटीज आनुवांशिक या उम्र बढ़ने पर या मोटापे के कारण या तनाव के कारण हो सकता है। डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को काफी परहेज से रहना होता है। बदपरहेजी करने के दूरगामी परिणाम बुरे होते है। मधुमेह के रोगी को आंखों व किडनी के रोग, सुन्नपन आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सदैव यही प्रयत्न करना चाहिए कि ब्लड ग्लूकोज लेवल फास्टिंग 70-110 मिलीग्राम/ डीएल व खाना खाने के 2 घंटे बाद का 100-140 मिलीग्राम डीएल बना रहे। इसके लिए इन्हें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 45 मिनट से 1 घंटा तीव्र गति से पैदल चलना या अन्य कोई भी व्यायाम करना चाहिए। सही समय पर दवाई या इंसुलिन लेना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति को अपने वजन व लंबाई के अनुसार प्रस्तावित कैलोरीज से 5 प्रश कम कैलोरी का सेवन करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की लंबाई 5 फुट 4 इंच है तो उसका आदर्श वजन 55 किग्रा होना चाहिए। व्यक्ति की क्रियाशीलता यदि कम है, जैसे कि वह बैठे-बैठे कार्य करता है तो उसे 2400 कैलोरी लेना चाहिए। डायबिटिक हो तो इसका 5 प्रश कम अर्थात 2280 कैलोरी आहार उसके लिए सही रहेगा। यदि वह मोटा हो तो उसे 200-300 कैलोरी और घटा देना चाहिए। ब्लड ग्लूकोज लेवल फास्टिंग 70-110 मिलीग्राम/ डीएल व खाना खाने के 2 घंटे बाद का 100-140 मिलीग्राम डीएल बना रहे। इसके लिए इन्हें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 45 मिनट से 1 घंटा तीव्र गति से पैदल चलना या अन्य कोई भी व्यायाम करना चाहिए।

सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को अपने आहार में कुल कैलोरी का 40 प्रश कार्बोहाइड्रेटयुक्त पदार्थों से, 40 प्रश फेट (वसा) युक्त पदार्थों से व 20 प्रश प्रोटीनयुक्त पदार्थों से लेना चाहिए। एक वयस्क अधिक वजनी डायबिटिक व्यक्ति को 60 प्रश कार्बोहाइड्रेट से, 20 प्रश फेट से व 20 प्रश प्रोटीन से कैलोरी लेना चाहिए। 
डायबिटिक व्यक्ति को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए जैसे दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन करना चाहिए। इंसुलिन ले रहे डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियाँ ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए। ऐसा न करने पर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जिसके लक्षण निम्न हैं- (1) कमजोरी लगना, (2) अत्यधिक भूख लगना, (3) पसीना आना, (4) नजर से धुंधला या डबल दिखना, (5) हृदयगति तेज होना, (6) झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा भी हो सकता है। 

इसलिए डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शकर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट में से कुछ रखना चाहिए एवं ऐसे लक्षण होने पर तुरंत इनका सेवन करना चाहिए। एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को अपने आहार में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें। दो या ढाई घंटे में कुछ खाएं। एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं। तले हुए पदार्थ, मिठाइयां, बेकरी के पदार्थों से परहेज करें। दूध सदैव डबल टोन्ड (स्किम्ड मिल्क) का प्रयोग करें। कम कैलोरीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे भुना चना छिलके वाला, परमल, अंकुरित अनाज, सूप, सलाद आदि का ज्यादा सेवन करें। दही (स्किम्ड मिल्क) से बनाया हुआ ले सकते हैं। छाछ का सेवन श्रेयस्कर होता है। 
मैथीदाना (दरदरा पिसा हुआ) 1/2-1 चम्मच खाना खाने के 15-20 मिनट पहले लेने से शुगर कंट्रोल में रहती है व फायदा होता है। रोटी के आटे को बिना चोकर निकाले प्रयोग में लाएं व इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसमें सोयाबीन मिला सकते हैं। 
घी व तेल का सेवन दिनभर में 20 ग्राम (4 चम्मच) से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अतः सभी सब्जियों को कम से कम तेल का प्रयोग करके नॉनस्टिक कुकवेयर में पकाना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां खाना चाहिए। अपनी कैलोरीज का निर्धारण कुशल डायटिशियन से बनाकर उसके अनुसार चलें तो अवश्य ही लाभ होगा व भोजन में विकल्प ज्यादा मिल सकते हैं जिससे आपका भोजन वैरायटी वाला हो सकता है व बोरियत नहीं होगी।

डायबिटीज से कैसे करें बचाव
मधुमेह यानि डायबिटीज अब उम्र, देश व परिस्थिति की सीमाओं को लांघ चुका है। दुनिया भर में मधुमेह के मरीजों का तेजी से बढ़ता आँकड़ा एक चिंता का विषय बना हुआ है। इस लेख में मधुमेह के रोगियों के लिए कुछ देसी नुस्खे पेश किए गए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी नुस्‍खे को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक की राय जरूर ले लें। 
नींबू 
मधुमेह के मरीजों को प्यास ज्‍यादा लगती है। अतः बार-बार प्यास लगने पर पानी में नींबू निचोड़कर पीने से प्यास कम लगती है और वह स्‍थाई रूप से शांत होती है। 
खीरा 
मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से बार-बार भूख लगती है। ऐसी स्थिति में खीरा खाकर अपनी भूख मिटानी चाहिए।
गाजर और पालक 
मधुमेह के रोगियों को गाजर और पालक का रस पीना चाहिए। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है।
शलजम 
मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। अतः शलजम की सब्जी और विभिन्‍न रूपों में शलजम का सेवन करना चाहिए।
जामुन 
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। यदि कहा जाए कि जामुन मधुमेह के रोगी का ही फल है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में अत्‍यंत लाभकारी हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन करना चाहिए।
जामुन की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार तीन ग्राम चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है।
करेले 
प्राचीन काल से करेले मधुमेह के इलाज में रामबाण माना जाता रहा है। इसके कड़वे रस के सेवन से रक्‍त में शर्करा की मात्रा कम होती है। मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन करेले के रस का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे आश्चर्यजनक लाभ प्राप्‍त होता है। नवीन शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी मधुमेह को शीघ्र और स्थाई रूप से खत्‍म करने की क्षमता रखता है।
मेथी 
मधुमेह के उपचार के लिए मेथी के दानों का प्रयोग भी किया जाता है। अब तो बाजार में दवा कंपनियों की बनाई मेथी भी उपलब्‍ध है। मधुमेह का पुराना से पुराना रोग भी मेथी के सेवन से दुरुस्‍त हो जाता है। प्रतिदिन प्रात:काल खाली पेट दो-तीन चम्‍मच मेथी के चूर्ण को पानी के साथ निगल लेना चाहिए।
गेहूं के जवारे 
गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम में आधा कप जवारे का ताजा रस दिया जाना चाहिए। 
अन्य उपचार 
नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्‍मच केले के पत्ते का रस लेना चाहिए। चार चम्मच आंवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।

ब्लडप्रेशर के रोगी का आहार
उच्च रक्तचाप के रोगी को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए, साथ ही गरिष्ठ भोजन से भी परहेज करना चाहिए।
भोजन में फलों और सब्जियों के सेवन ज्यादा करना चाहिए।
लहसुन, प्याज, साबुत अन्न, सोयाबीन का सेवन करना चाहिए।
भोजन में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा हो और सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए।
नमक का सेवन कम करना चाहिए।
डेयरी उत्पादों, चीनी, रिपफाइन्ड खाद्य पदार्थों, तली-भुनी चीजों, कैफीन और जंक फूड से नाता नहीं रखना चाहिए।
दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।
कम मात्रा में बाजरा, गेहूं का आटा, ज्वार, मूंग साबुत तथा अंकुरित दालों का सेवन करना चाहिए।
पालक, गोभी, बथुआ जैसी हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
सब्जियों में लौकी, नींबू, तोरई, पुदीना, परवल, सहिजना, कद्दू, टिण्डा, करेला आदि का सेवन करना चाहिए।
अजवायन, मुनक्का व अदरक का सेवन रोगी को फायदा पहुंचाता है।
फलों में मौसमी, अंगूर, अनार, पपीता, सेब, संतरा, अमरूद, अन्नानास आदि सेवन कर सकते हैं।
बादाम बिना मलाई का दूध, छाछ सोयाबीन का तेल, गाय का घी,गुड़, चीनी, शहद, मुरब्बा आदि का सेवन कर सकते हैं।

हार्ट अटैक से बचने के दस उपाय
दस उपायों को अपनाकर हृदय की बीमारियों को रोका जा सकता है-
1. अपने कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए- कोलेस्ट्रोल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है। 
2. अपना सारा भोजन बगैर तेल के बनाएं लेकिन मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें- मसाले हमें भोजन का स्वाद देते हैं न कि तेल का। हमारे 'जीरो ऑयल' भोजन निर्माण विधि का प्रयोग करें और हजारों हजार जीरो ऑयल भोजन स्वाद के साथ समझौता किए बगैर तैयार करें। तेल ट्रिगलिराइड्स होते हैं और रक्त स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए। 
3. अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें- इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। 
4. हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें- बढ़ा हुआ रक्त दबाव विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लोकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी तथा यहाँ तक कि हल्की दवाएँ लेकर भी रक्त दबाव को कम करना चाहिए। 
5. अपने वजन को सामान्य रखें- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं। 
6.नियमित रूप से आधे घंटे तक टहलना जरूरी- टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए, जिससे सीने में दर्द नहीं हो और हाँफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है। 
7. 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें- यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा। 
8. भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स- भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। 
9. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो शकर को नियंत्रित रखें- आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर आवश्यक हो तो हल्की दवाओं के सेवन से फायदा पहुँच सकता है। 
10. हार्ट अटैक से पूरी तरह बचाव- हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान संदेश है और हार्ट में अधिक रुकावटें न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं, तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा। (साभार-वेबदुनिया )

Wednesday, 6 June 2012

गलत है आठ गिलास पानी पीने की धारणा, रोज ढाई लीटर पानी पीना पर्याप्त

  आम धारणा है कि प्रत्येक व्यक्ति को रोज कम से कम आठ गिलास पानी पीना चाहिए। अमेरिका में १९४५ में छपे दिशा निर्देश में कहा गया था कि शरीर को पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोज आठ गिलास पानी पीना चाहिए। मगर आस्ट्रेलिया में हाल में हुए रिसर्च में इस मिथक को गलत साबित करते हुए कहा गया है कि हमें सिर्फ ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत है क्यों अन्य किस्म के द्रव वाले आहार मसलन सब्जी, चाय, जूस, काफी वगैरह से भी जलापूर्ति हो जाती है। यह निष्कर्ष ला ट्रोब विश्वविद्यालय के व्याख्याता स्पेरो सिनडोस ने निकाला है। उन्होंने आस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ में इस आशय का एक लेख लिखा है। सिनडोस की राय में अगर आपको प्यास लगी है तो निश्चित ही पानी पीना चाहिए। मगर सिर्फ रोजाना दो लीटर पानी भी आपके लिए पर्याप्त होगा।
  सिनडोस का कहना है कि रोज एक बार में बहुत ज्यादा पानी पीने से कोई बहुत फायदा नहीं होने वाला है। इससे सिर्फ पेशाब आपको ज्यादा होगी। वजन संतुलित रखने के लिए ज्यादा पानी नहीं बल्कि संतुलित आहार की जरूरत है। सिनडोस की राय में आठ गिलास पानी की धारणा एक अतिआकलन होगा। नेशनल एकेडमी आफ साइंस की राय में रोज सिर्फ २.५ लीटर पानी पीना चाहिए।
(साभार- टाइम्स आफ इंडिया - http://timesofindia.indiatimes.com/life-style/health-fitness/diet/8-glasses-of-water-a-day-myth-busted/articleshow/13865938.cms )

Wednesday, 23 May 2012

नहीं रहे बाबा जय गुरुदेव

   बाबा जय गुरुदेव का 116 वर्ष की उम्र में शुक्रवार, 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। आश्रम प्रबंधकों के अनुसार दस दिन गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में इलाज कराने के बाद उन्हें उनकी इच्छानुसार मथुरा स्थित आश्रम लाया गया था, जहां रात नौ बजकर 52 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। सोमवार को उनका हिंदू रीति-रिवाज से आश्रम परिसर में दाह संस्कार किया गया। उनके ड्रायवर ने उन्हें मुखाग्नि दी। वहां उपस्थित लाखों भक्तों ने रुंधे गले से बाबा को अंतिम विदाई दी।20 करोड़ भक्तों के देवतुल्य बाबा अब इस दुनिया में नहीं हैं। बाबा जय गुरुदेव का निधन एक युग का अंत है।
  मुझे याद है कि बचपन में बाबा जयगुरुदेव के अनुयायियों को टाट के कपड़े पहनकर घूमते देखना काफी कुतूहल भरा था। उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले में बाबा के काफी अनुयायी थे। अब काफी कम रह गए हैं। बाबा के अनुयायी बड़े धैर्य से अपनी बात रखते और शाकाहार व टाट के कपड़े पहनने के औचित्य को जायज ठहराते थे। बाबा के निधन की खबर से बचपन
की तमाम यादें ताजी हो उठी हैं। यह भी याद है कि कानपुर में एक जनसभा में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्रबोस के प्रकट होने का दावा कर दिया था। काफी होहल्ला मचा था। 
  आज से करीब 115 साल पहले उत्तरप्रदेश के इटावा जिले के अंतर्गत खितोरा स्थित नील की कोठी नामक निर्जन स्थान पर परम संत स्वामी तुलसीदास का जन्म हुआ था। वे वर्तमान में जय गुरूदेव बाबा के नाम से जाने जाते थे। उनका वास्तविक नाम तुलसीदास था, जिसे बहुत कम लोग ही जानते होंगे। अपने प्रत्येक कार्य में अपने गुरुदेव का स्मरण कर, गुरु के महत्व को सर्वोपरि रखने वाले और जय गुरुदेव का उद्घोष करने वाले बाबा जय गुरुदेव इसी नाम से प्रसिद्ध हो गए।

परम संत बाबा जय गुरुदेव महाराज का आश्रम उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि पर बना हुआ है। वे सन् 1952 से अध्यात्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनका नारा ‘जयगुरु देव, सतयुग आएगा’ था तथा उसके प्रचार का खास माध्यम दीवारें होती थी।

बाबा जय गुरुदेव के गुरु घूरेलालजी (दादा गुरु) थे, जो अलीगढ़ के चिरौली ग्राम के निवासी थे। संत घूरेलालजी के दो‍ शिष्य थे। एक चंद्रमादास और दूसरे तुलसीदास (जय बाबा गुरुदेव)। कालांतर में चंद्रमादास भी नहीं रहे। गांव चिरौली में गुरु के आश्रम को राधास्वामी सत्संग भवन के नाम से जाना जाता है। वहां घूरेलाल महाराज के सत्संग भवन के साथ चंद्रमादास का समाधि स्थल भी है।

बाबा वर्षों तक अपने गुरु के साथ झोपड़ी में रहें। गुरु घूरेलालजी ने बाबा को यह आदेश दिया था कि वे मथुरा के किसी एकांत स्थान पर आश्रम बनाकर गरीबों की सेवा करें। जब गुरु घूरेलालजी सन् 1948 में ब्रह्मलीन हो गए तब बाबा ने अपने गुरु स्थान चिरौली के नाम पर सन् 1953 में मथुरा के कृष्णा नगर में चिरौली संत आश्रम की स्थापना से अपने मिशन की शुरुआत की। अपने आश्रम में गुरु घूरेलालजी महाराज की पुण्य स्मृति में उन्होंने सफेद संगमरमर से निर्मित 160 फुट ऊंचे योग साधना मंदिर का निर्माण कराया।

यह समूचे ब्रज का सबसे ऊंचा व अनोखा मंदिर माना जाता है। यह मंदिर देखने से ताजमहल जैसा प्रतीत होता है, जिसकी डिजाइन में मंदिर-मस्जिद का मिलाजुला रूप है दिखाई देता है। यहां 200 फुट लंबा व 100 फुट चौड़ा हॉल बना हुआ है, जिसमें सत्संग के दौरान लगभग पचास-साठ हजार व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं।

बाबा जय गुरुदेव ने अपनी साधना के बल पर ही इतना बड़ा आध्यात्मिक साम्राज्य स्थापित किया था। बाबा के देश-विदेश में 20 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं। बाबा कहते थे- शरीर तो किराए की कोठरी है, इसके लिए 23 घंटे दो लेकिन इस मंदिर में बसने वाले देव यानी आत्मा के लिए कम से कम एक घंटा जरूर निकालो। इससे ईश्वर प्राप्ति सहज हो जाएगी। वे कहते थे- दुनिया में हर मर्ज की दवा है, हर समस्या का हल है, बस गुरु की शरण में चले आओ। बाबा की सोच व विचार गांव और गरीब दोनों से जुड़े थे।
दुनिया भर को शाकाहारी‍ जीवन जीने का संदेश देने वाले बाबा जय गुरुदेव जीवन भर समाजसेवा में लगे रहे। उन्होंने गरीब तबके के लिए निशुल्क शिक्षण संस्थाएं व अस्पताल शुरू किए। बाबा ने अपने जीवनकाल में निशुल्क शिक्षा-चिकित्सा, दहेज रहित सामूहिक विवाह, आध्यात्मिक साधना, मद्यपान निषेध, शाकाहारी भोजन तथा वृक्षारोपण पर विशेष बल दिया। सभी शाकाहारी जीवन अपनाएं यही बाबा जय गुरुदेव की अपील है। ( विवरण- साभार वेबदुनिया )


Tuesday, 22 May 2012

पूर्व क्रिकेटरों में बांटे जाएंगे 70 करोड़ रुपए

 सम्मानित किए जाने वाले पूर्व क्रिकेटरों की सूची से कपिल को बाहर रखा बीसीसीआई ने

 
अपने बागी तेवरों के कारण अक्सर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की आंखों की किरकिरी बने रहने वाले विश्व कप विजेता पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव को एक बार फिर बीसीसीआई के सौतेले व्यवहार का सामना करना पड़ा है।

बोर्ड ने आईपीएल-5 के प्लेऑफ के दौरान पूर्व टेस्ट क्रिकेटरों को आमंत्रित किया है और एक भी टेस्ट खेल चुके क्रिकेटर को बोर्ड की ओर से सम्मान चैक दिए जाने हैं लेकिन टेस्ट इतिहास में भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज कपिल देव का नाम उन आमंत्रित खिलाड़ियों की सूची से गायब है जिन्हें प्लेऑफ के दौरान सम्मानित करने की घोषणा बीसीसीआई ने सोमवार को की थी।

कपिल के समकालीन सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री तथा उनके बाद क्रिकेट खेले अभय कुरुविला जैसे क्रिकेटर तो इस सूची में शामिल हैं लेकिन कपिल का नाम सिरे से नदारद है। हालांकि बोर्ड ने पहले ही स्पष्टीकरण दिया है कि सभी पूर्व खिलाड़ियों को स्टेडियम में बुलाना संभव नहीं है इसलिए कुछ को उनके हिस्से की सम्मान राशि का चैक उनके घर भेज दिया जाएगा लेकिन सवाल यह उठता है कि बुलाए गए खिलाड़ियों को वरीयता देने का आधार क्या है?

434 टेस्ट विकेट लेकर न्यूजीलैंड के रिचर्ड हैडली का रिकॉर्ड तोडने से पहले कपिल भारत की पहली विश्व विजेता टीम का नेतृत्व कर चुके थे और बतौर ऑलराउंडर आज भी उनकी मिसाल दी जाती है। ऐसे में किसी भी असमर्थता के बहाने कपिल को नजरअंदाज करना गले से नहीं उतरता है।

तेज़ गेंदबाजों की बात करें तो कपिल सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने के मामले में भारत में शीर्ष पर हैं तो दुनिया में भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। टेस्ट इतिहास में केवल दो तेज गेंदबाज वेस्टइंडीज के कोर्टनी वॉल्श (519) और ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैग्राथ (563) ही कपिल से ज्यादा विकेट हासिल कर पाए हैं। वैसे टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ अनिल कुंबले हैं, जिन्होंने 132 टेस्ट में 619 विकेट चटकाए हैं, लेकिन जब बात तेज़ गेंदबाज की आती है तो इस मामले में कपिल भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ हैं।

बीसीसीआई ने पूर्व वनडे खिलाड़ियों को भी (जिन्होंने कम से कम एक टेस्ट खेला हो) उनके तीन वनडे को एक टेस्ट के बराबर तदनुसार सम्मान राशि देने की बात कही है और कपिल ने ही 1983 के विश्व कप से भारत की पहचान वनडे की दुनिया में स्थापित करवाई थी।

अकसर कपिल भारतीय क्रिकेट के कुप्रबंधन को लेकर बीसीसीआई पर निशाना साधते रहे हैं। क्या उन्हें इसी बात का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। या फिर इस बात का कि वह कुछ वर्ष पहले कथित बागी इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) से जुड़े थे। मसला चाहे जो भी लेकिन भारतीय टेस्ट जगत के इतने बड़े जलसे से कपिल का नदारद रहना कहीं से न्यायोचित नहीं दिखता है।

हालांकि बोर्ड ने अपने धुर आलोचकों में शुमार पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी और गाहे बगाहे कपिल के सुर में सुर मिलाने वाले 1983 की विश्व विजेता टीम के उनके साथी मदन लाल को क्रमश 27 मई के फाइनल और 25 मई के दूसरे क्वालीफायर से होने वाले समारोहों में आमंत्रित किया है। (वार्ता)

पूर्व क्रिकेटरों में बांटे जाएंगे 70 करोड़ रुपए
चैक लेने के लिए पूर्व क्रिकेटर आमंत्रित


भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सुनील गावस्कर सहित 65 पूर्व क्रिकेटरों को आईपीएल के प्लेऑफ मुकाबलों के दौरान चैक लेने के लिए आमंत्रित किया है। वर्ष 2003-04 से पहले संन्यास ले चुके 160 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को वन टाइम बेनिफिट स्कीम के तहत आईपीएल के सरप्लस फंड से कुल 70 करोड़ रुपए की नकद राशि दी जाएगी।

बोर्ड ने एक बयान में कहा कि सभी लाभार्थियों को आमंत्रित करना संभव नहीं है और जिन्हें नहीं बुलाया गया है उन्हें चैक भेज दिए जाएंगे। दिवंगत हो चुके चार खिलाड़ियों की विधवाओं को 27 मई को चेन्नई में होने वाले आईपीएल 5 के खिताबी मुकाबले के दिन चैक लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने कहा कुछ लाभार्थियों को आईपीएल 5 के प्लेऑफ स्थलों पर बुलाया गया है। उन्हें वहां मैच शुरू होने से पहले चैक प्रदान किए जाएंगे। इस योजना के तहत 100 से अधिक टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को डेढ़ करोड़ रुपए और 75 से 99 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को एक करोड रुपए दिए जाएंगे।

इसी तरह 50 से 74 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को 75 लाख रुपए और 25 से 49 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को 60 लाख रुपए मिलेंगे। 10 से 24 टेस्ट खेलने वाले पूर्व क्रिकेटर को 50 लाख और एक से नौ टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी तथा 1970 से पहले अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ी को 35 लाख रुपए मिलेंगे।

100 या उससे अधिक प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले खिलाड़ी को 30 लाख रुपए जबकि 75 से 99 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले खिलाड़ी को 25 लाख रुपए मिलेंगे1 इस सूची में वनडे खिलाड़ियों को भी शामिल किया गया है और तीन वनडे को एक टेस्ट माना गया है लेकिन इसके लिए क्रिकेटर का कम से कम एक टेस्ट खेला होना जरूरी है।

चेन्नई में 27 मई को आईपीएल 5 के फाइनल मुकाबले के दिन जिन खिलाड़ियों को चैक दिए जाएंगे उनके नाम इस प्रकार हैं - सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, एस वेंकटराघवन, जवागल श्रीनाथ, नवजोत सिंह सिद्धू, बीएस चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी, फारुख इंजीनियर, शिवलाल यादव, अब्बास अली बेग, माधव मंत्री, एजी मिल्खा सिंह, राजिन्दर गोयल, अमरजीत केपी, एस हैदर अली, के भास्कर पिल्लई, जी इंदरदेव, एम पी पांडोव और वी. शिवरामाकृष्णन। इसके अलावा श्रीमती निरूपमा मांकड, श्रीमती एकनाथ सोलकर, श्रीमती रमाकांत देसाई और श्रीमती कृपाल सिंह को भी इसी दिन चैक प्रदान किए जाएंगे।

इसी तरह 25 मई को चेन्नई में होने वाले दूसरे क्वालीफायर से पहले कृष्णामाचारी श्रीकांत, मदन लाल, रोबिन सिंह, चेतन चौहान, सलीम दुरानी, एल. शिवरामाकृष्णन, डब्ल्यू वी रमन, अभय कुरूविला, चंद्रकांत पंडित, वीवी कुमार, पी भंडारी, कैलाश गट्टानी, लालचंद राजपूत, डी वासु, वीबी चंद्रशेखर और संबरन बनर्जी को चैक प्रदान किए जाएंगे।

वेंकटेश प्रसाद, रोजर बिन्नी, यशपाल शर्मा, ईएएस प्रसन्ना, राजेश चौहान, अरुण लाल, एस. विश्वनाथ, बीएस संधू, यूएन कुलकर्णी, कंवलजीत सिंह, सुधाकर राव, एमवी श्रीधर, दलजीत सिंह, संजीव शर्मा और पारस म्हाम्ब्रे को बेंगलुरु में 23 मई को होने वाले एलिमिनेटर मुकाबले से पहले चैक बांटे जाएंगे।

पुणे में 22 मई को होने वाले पहले क्वालीफायर से पहले चंदू बोर्डे, संजय मांजरेकर, नारी कांट्रेक्टर, अजीत वाडेकर, अंशुमन गायकवाड़, बापू नाडकर्णी, अर्शद अय्यूब, माधव आप्टे, एम आर रेगे, श्रीकांत कल्याणी, पी शिवालकर, टी अरोठे, सुरेन्द्र भावे, एस एस सुग्वेकर और वेंकट सुंदरम को चैक दिए जाएंगे। (वार्ता)

Friday, 27 April 2012

सेक्स पर बदलनी होंगी कई धारणाएं

 ​ सेक्स पर पूरी दुनिया में हो रहे रिसर्च ने कई धारणाओं को तोड़ने पर मजबूर कर दिया है। हम पहले सुनते थे कि बांग्लादेश या फिर भारत के पश्चिम बंगाल में १३-१४ साल की ( उत्तर भारत के मुकाबले काफी कम उम्र में ही ) लड़कियों को मासिक स्राव होने लगता है। अब नए रिसर्च ने साबित कर दिया है कि पूरी दुनिया में मासिक स्राव की उम्र दर न सिर्फ घट गई है बल्कि वह १३ से १० साल में पहुंच गई है। नए रिसर्च के अनुसार भारतीय लड़कियां 10 साल की उम्र में ही जवानी की दहलीज पर पहुंच जा रही हैं। उनके अंदर फिजिकल, हार्मोनल और सेक्शुअल बदलाव अब 2 साल पहले हो जा रहा है। पहले 12-13 साल की उम्र में लड़कियां बड़ी होती थीं। यह ट्रेंड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। बुधवार यानी २५ अप्रैल को सभी अखबारों में छपी एक स्टडी के मुताबिक, खाने-पीने और लाइफ स्टाइल में हो रहे बदलाव के चलते लड़कियों का यौवन वक्त से पहले आ जा रहा है। इस बदलाव से जोखिम बढ़ गया है। स्टडी को अंजाम देने वाले प्रफेसर सुसान और जॉर्ज पैटन कहते हैं, 'स्टडी से यह पता चला है कि तरुणाई का पहले आ जाना एक अहम शारीरिक घटना है। इसका हेल्थ पर खतरनाक असर हो सकता है। इससे भविष्य में मेंटल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं।' लाइफ स्टाइल और खाने-पीने की आदतों में आए बदलाव ने इसे बढ़ावा दिया है। पहले कहा जाता था कि 13 साल की उम्र में लड़कियों से एमसी के बारे में बात करें और उन्हें सही सलाह दें। लेकिन अब हम उन्हें 10 साल पर इस तरह की सलाह देने को कहते हैं।'​
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मर्दों की मर्दानगी खतरे में

एक और रिसर्च ने भी दुनिया भर के मर्दों में खौफ पैदा कर दिया है। एक अलग किए गए अध्ययन के मुताबिक मर्दों के स्पर्म काउंट में तेजी से गिरावट आ रही है। पिछले 50 साल में इसमें 50 पर्सेंट तक गिरावट दर्ज की गई है। अर्थात दुनिया भर के मर्दों की मर्दानगी खतरे में है। संभव है कि अगले 40-50 सालों में दुनिया भर के सभी मर्द नपुंसक हो जाएं। वजह है बढ़ता तनाव, मोटापा और पलूशन।

भारतीयों के लिए रिप्रॉडक्टिव टेक्नीक गाइडलाइंस पर काम करने वाले डॉक्टर पी. एम. भार्गव के मुताबिक स्पर्म में आ रही यह गिरावट पश्चिम देशों में 90 के मध्य में नोटिस की गई थी। भारत के जाने - माने साइंटिस्ट भार्गव का कहना है कि भारत में कुछ डॉक्टरों का मानना है कि स्पर्म में स्थानीय स्तर पर भी गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में की गई स्टडी बताती है कि स्पर्म काउंट में हर साल 2 प्रतिशत की दर से गिरावट आ रही है। अगर यही हाल रहा तो अगले 40-50 सालों में दुनिया में सभी नपुंसक हो जाएंगे।उनके मुताबिक कुछ साल पहले स्कॉटलैंड में साढ़े सात हजार लोगों पर एक स्टडी गई गई थी। इसमें 1989 और 2002 में औसत स्पर्म काउंट में 30 पर्सेंट की गिरावट दर्ज की गई। कोपेनहेगन में की गई स्टडी में इसकी वजह अल्कोहल, स्मोकिंग और बढ़ते मोटापे को बताया गया। भार्गव के मुताबिक रोजमर्रा की इस्तेमाल होने वाली चीजों जैसे बाल्टी आदि से फीमेल हार्मोन ऐस्ट्रोजन जैसे केमिकल निकलते हैं। उनके मुताबिक स्पर्म में गिरावट की वजह यह केमिकल भी हो सकता है। हालांकि इससे कई लोग इत्तफाक नहीं रखते हैं।

सेक्स के मामले में लड़कों से आगे निकल गई लड़कियां​

भारत जैसे विकासशील देशों में 15 से 19 के आयु वर्ग की लड़कियां सेक्स के मामले में लड़कों से आगे निकल गई हैं। भारत में 2005 से 2010 के बीच 3 फीसदी लड़के जहां 15 साल की उम्र से पहले ही सेक्स कर चुके हैं, वहीं तकरीबन 8 फीसदी लड़कियां इसी उम्र में सेक्स कर चुकी हैं। यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित 'किशोरों पर ग्लोबल रिपोर्ट कार्ड 2012 में यह खुलासा हुआ है। 15-19 वर्ष के विकासशील देशों (चीन को छोड़कर) में किशोरावस्था में ही 5 फीसदी लड़कियां 15 वर्ष की उम्र से पहले ही सेक्स कर चुकी होती है। कम उम्र में ही सेक्स के कारण प्रसव और एचआईवी संक्रमण के खतरे में भी वृद्धि हुई है।

46 हजार को एचआईवी​
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​ भारत में 35 फीसदी किशोरों और 19 फीसदी किशोरियों को ही एचआईवी के बारे में संपूर्ण जानकारी है जो कि बहुत कम है। 2010 भारत में 49000 किशोरों और 46000 किशोरियां एचआई से संक्रमित है। दुनिया भर में 10 से उन्नीस वर्ष के लगभग 22 लाख युवा एचआईवी के साथ जी रहे हैं जिसमें 13 लाख और 870000 किशोर लड़के और लड़कियों को अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में भी अंदाजा नहीं है।

प्रसव दर भी ‍अधिक​
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​ भारतीय किशोरियों में प्रसव दर भी बहुत अधिक है। ऐसी 20-24 साल की महिलाओं की संख्‍या 20 फीसदी है जिन्होंने 18 साल से पहले ही बच्चे को जन्म दिया। दुनियाभर में से बांग्लादेश, भारत और नाइजीरिया में हर तीन में से एक किशोरी कम उम्र में बच्चे को जन्म दे रही है। यूनिसेफ ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट घोषित किया कि दुनिया में हर साल 15-19 साल की लगभग 1 करोड़ 60 लाख लड़कियां प्रसव से गुजरती है। यह आंकड़ा कुल 11 फीसदी प्रसव में से है। चीन को छोड़कर विकासशील देशों में 15-19 साल की लड़कियों में लगभग हर चार में से एक शादीशुदा है। दक्षिण एशिया में 15-19 साल की लड़की शादीशुदा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में 15-19 साल तक की शादीशुदा लड़कियों का अनुपात बहुत अधिक है।

Wednesday, 25 April 2012

रात भर जागने या कम सोने वालों को डायबिटीज का खतरा ज्यादा

  खूब खाने और सोने वाले लोगों के मोटे होने की बात कही जाती थी अब पता चला है कम सोने और रात में जगने वाले लोग ना सिर्फ मोटे होते हैं बल्कि डायबिटिज के शिकार भी। रात की पालियों में काम करने वाले और लगातार विमान में सफर करने वालों को डायबिटिज का ज्यादा खतरा है। अमेरिका में हुई एक रिसर्च से इस बात का पता चला है। बोस्टन के ब्रिघम एंड वीमेन्स हॉस्पीटल का कहना है कि कम सोना या अनियमित तरीके से सोना किसी भी इंसान के सर्केडियन रिदम या बायलॉजिकल क्लॉक बिगाड़ देता हैं।

इसकी वजह से पेनक्रियास से निकलने वाली इंसुलिन की मात्रा पर असर पड़ता है और खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। खून में शुगर की बढ़ी मात्रा डायबिटिज का कारण बन सकती है। रिसर्च में शामिल लोगों के मेटाबॉलिज्म की दर में भी फर्क देखा गया, यह कम हो गया। कम मेटाबोलिज्म से मोटापे की समस्या भी हो सकती है।

रिसर्च करने वाली टीम का नेतृत्व न्यूरोसाइंटिस्ट और नींद पर रिसर्च कर रहे ओरफ्यू बक्सटॉन कर रहे थे। इस टीम ने अस्पताल में 21 लोगों पर छह हफ्ते तक निगाह बनाए रखी। इन लोगों ने इस दौरान इस बात की छानबीन की कि ये लोग कब और कितनी देर तक सोते हैं, इसके साथ ही उन्होंने खाया क्या है।

शुरुआत में रिसर्च करने वालों ने इन लोगों को हर रात 10 घंटे तक सोने दिया। बाद में हर 24 घंटे के लिए इसे घटा कर 5-6 घंटे कर दिया गया और वो भी दिन और रात के अलग अलग समय में बांट कर। तीन हफ्ते तक इस तरह से चला।

नींद में कमी और सर्केडियन रिदम की गड़बड़ी वाले मरीजों की मेटाबॉलिज्म की दर में कमी का साफ मतलब है कि निष्क्रिय रहने के दौरान उनके शरीर में सामान्य की तुलना में कम कैलोरी खर्च हुई। रिसर्च करने वालों के मुताबिक यह कमी जितनी है उसके कारण एक साल में छह किलो तक वजन बढ़ सकता है।

डॉक्टरों ने यह भी देखा कि इन लोगों के खून में खाना खाने के बाद शुगर की मात्रा भी बढ़ गई थी। जाहिर है कि इसका सीधा संबंध पेंक्रियाज से निकलने वाले इंसुलिन से है। कुछ मामलों में तो शुगर की मात्रा डायबिटिज के ठीक पहले मौजूद रहने वाली मात्रा के करीब पहुंच गई थी।

रिसर्च के आखिरी चरण में नौ दिनों तक जब इन लोगों को सामान्य तरीके से सोने दिया गया तो सारी गड़बड़ियां खुद ही ठीक हो गईं। यह रिसर्च साइंस जरनल में छपी है इसके साथ ही पहले भी कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि रात को काम करने वाले लोगों के डायबिटिज का शिकार होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है।

बक्सटॉन का कहना है, 'सबूत सामने है कि पर्याप्त रूप से सोना सेहत के लिए बेहद जरूरी है और पूरी तरह से इसके कारगर होने के लिए पहली कोशिश रात में सोने की होनी चाहिए।' तो स्वस्थ और सेहतमंद रहना है तो घोड़े बेच कर सोइये और वो भी रात में। ( साभार--http://www.dw.de/dw/article/0,,15904796,00.html)

Monday, 19 March 2012

'हिंदुओं के प्रति द्वेष बढ़ाती किताबें'

   अमरीकी सरकार के एक आयोग के अध्ययन के मुताबिक़ पाकिस्तानी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकें हिंदू और बाक़ी धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ पक्षपात और असहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देती हैं।
इस अध्ययन में ये भी सामने आया है कि ज़्यादातर पाकिस्तानी शिक्षक ग़ैर-मुस्लिमों को ‘इस्लाम का दुश्मन’ मानते हैं। अमरीकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग का ये अध्ययन जारी हुआ है। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार आयोग के अध्यक्ष लियोनार्ड लियो का कहना था, “इस तरह का भेदभाव सिखाने से ये संभावना बढ़ जाती है कि पाकिस्तान में हिंसक धार्मिक चरमपंथ बढ़ता जाएगा जिससे धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा कमज़ोर होती जाएगी।”

इस अध्ययन में पाकिस्तान के चार प्रांतों की पहली से 10वीं कक्षा की 100 से ज़्यादा पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा की गई। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने इस साल फ़रवरी में 37 पब्लिक स्कूलों के 277 छात्र और शिक्षकों और 19 मदरसों के 226 छात्र और शिक्षकों से साक्षात्कार किया। आयोग ने चेतावनी दी है कि ख़ासकर शिक्षा के क्षेत्र में धार्मिक भेदभाव से लड़ने के प्रयासों का कट्टरपंथी कड़ा विरोध करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार पाठ्य पुस्तकों में अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदू और कुछ हद तक ईसाइयों, का व्यवस्थित तरीक़े से नकारात्मक चित्रण पाया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, “पाठ्य पुस्तकों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को अक्सर दूसरे दर्ज़े के नागरिक के रूप में पेश किया जाता है, जिन्हें उदार पाकिस्तानी मुस्लिमों ने सीमित अधिकार और सुविधाएं दी हैं और उन्हें इसके लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए।” रिपोर्ट में आगे लिखा है, “हिंदुओं को लगातार चरमपंथी और इस्लाम का दुश्मन बताया जाता है जिनका समाज और संस्कृति अन्याय और क्रूरता पर आधारित है जबकि इस्लाम के शांति और भाईचारे के सिद्धांत हिंदुओं की समझ से परे हैं।”

अध्य्यन में ये भी पाया गया कि पांचवी कक्षा की आधिकारिक पाठ्य पुस्तकों के मुताबिक़ हिंदू और मुसलमान एक राष्ट्र नहीं, बल्कि दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ किताबों में सबसे बड़े पाकिस्तानी अल्पसंख्यक गुट ईसाइयों के बारे में अलग से ज़्यादा कुछ नहीं पाया गया. लेकिन जितना कुछ भी था, उससे ईसाइयों की नकारात्मक और अपूर्ण तस्वीर ही मिलती है।” पाकिस्तान के सांस्कृतिक, सैन्य और नागरिक जीवन में हिंदू, सिख और ईसाइयों की भूमिका के बारे में पाठ्य पुस्तकों में बहुत कम वर्णन है. यानी एक युवा अल्पसंख्यक छात्र को किताबों में पढ़े-लिखे धार्मिक अल्पसंख्यकों के बहुत ज़्यादा उदाहरण नहीं मिलेंगे

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि पाठ्य पुस्तकें इस भावना को भी बढ़ावा देती हैं कि पाकिस्तान की इस्लामी पहचान लगातार ख़तरे में है। रिपोर्ट ये भी कहती है कि इस्लाम से जुड़े संदर्भ और बातें न सिर्फ़ धार्मिक पुस्तकों बल्कि अनिवार्य पाठ्य पुस्तकों में भी सामान्य बात है, यानि पाकिस्तानी ईसाइयों, हिंदुओं और बाक़ी अल्पसंख्यकों को इस्लाम के बारे में पढ़ाया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़, इससे लगता है कि पाकिस्तान के संविधान का उल्लंघन हो रहा है क्योंकि पाकिस्तानी संविधान कहता है कि छात्रों को उनके धर्म के अलावा किसी और धर्म की शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए।

शिक्षकों का रवैया
अध्ययन के मुताबिक़ पब्लिक स्कूलों के आधे से ज़्यादा शिक्षक धार्मिक अल्पसंख्यकों की नागरिकता को तो स्वीकार करते हैं लेकिन ज़्यादातर शिक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान और मुसलमानों की रक्षा के मद्देनज़र इन्हें कोई भी महत्वपूर्ण पद नहीं दिए जाने चाहिए। हालांकि कई शिक्षकों ने माना कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की इज़्ज़त करना ज़रूरी है लेकिन साथ ही ये भी पाया गया कि 80 प्रतिशत शिक्षक ग़ैर मुस्लिमों को किसी-न-किसी रूप में ‘इस्लाम का दुश्मन’ मानते हैं।

पाठ्यक्रम में बदलाव और सुधार
अध्ययन के अनुसार सरकार ने 2006 में पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए एक योजना की घोषणा की थी लेकिन ऐसा अब तक नहीं किया गया है। पाकिस्तान की नई शिक्षा नीति, 2009, के तहत इस्लाम धर्म की पढ़ाई एक अनिवार्य विषय है। लेकिन रिपोर्ट ये भी कहती है कि इस नीति में बदलाव कर अब अल्पसंख्यकों को तीसरी कक्षा से ही इस्लाम की पढ़ाई की जगह नैतिकता पर पाठ्यक्रम चुनने का विकल्प दिया गया है. इससे पहले ये विकल्प केवल नवीं और दसवीं कक्षा में ही दिया जाता है।

वहीं पाकिस्तान के ग़ैर-सरकारी संस्थानों का कहना है कि असल में इस विकल्प का कोई ख़ास मतलब नहीं है क्योंकि नैतिकता पर मौजूदा पाठ्य पुस्तकें पिछले पाठ्यक्रमों के दिशा निर्देशों पर आधारित हैं जिनमें इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह साफ़ हैं। साथ ही बाक़ी छात्रों से अलग-थलग पड़ने और कम अंकों के डर से अब भी अल्पसंख्यक छात्र नैतिकता की जगह इस्लाम की पढ़ाई का विषय ही चुनते हैं। इस अध्ययन पर प्रतिक्रिया के लिए पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री से संपर्क करने की कोशिशें असफल रहीं।
साभार-बीबीसी (http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/11/111109_pak_curriculum_ar.shtml )

Tuesday, 13 March 2012

8 माह में शादी के मात्र 9 मुहूर्त, शुभ समय का प्रतीक है मुहूर्त

हिंदू पंचांग में इस साल शादी के मुहूर्त का टोटा है। आने वाले आठ महीने में सिर्फ 9 श्रेष्ठ मुहूर्त हैं, जिसमें फेरे लिए जा सकते हैं। मार्च, अप्रैल और जून में तीन-तीन मुहूर्त हैं। इसके बाद अक्टूबर तक कोई मुहूर्त नहीं है। फिर नवंबर, दिसंबर में विवाह किए जा सकेंगे

मीनार्क, गुरु तारा अस्त होना प्रमुख वजह
ज्योतिषी डा. दत्तात्रेय होस्कर के अनुसार होलाष्टक के कारण होली तक कोई शुभ कार्य नहीं होगा। इस महीने शादी का मुहूर्त लगातार 9, 10 व 11 मार्च को है। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर रहा है। इसे शास्त्रों में मीनार्क कहा जाता है। मीनार्क में सूर्य को अस्त होना माना जाता है और जब सूर्य अस्त होता है तो शादी नहीं होती। यह स्थिति 13 अप्रैल तक रहेगी। इस दौरान विवाह नहीं होगा। इसके बाद अप्रैल में 20, 24 व 30 तारीख को फेरे लिए जा सकेंगे।

3 मई को गुरु तारा अस्त होने के कारण एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त मई में नहीं है। जून में 24, 27 व 29 तारीख को विवाह किए जा सकेंगे। जून माह में ही देवशयनी एकादशी आ रही है। इस दिन देव सो जाएंगे और चार माह बाद देवउठनी एकादशी को जागेंगे तब तक विवाह वर्जित है। इस तरह जुलाई, अगस्त, सितंबर व अक्टूबर में फेरे नहीं ले सकेंगे।
शुभ समय का प्रतीक है मुहूर्त
सात 'स' से कीजिए हर काम का शुभारंभ
 कहते हैं किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें 'मुहूर्त' को प्राथमिकता देनी होगी। शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।  यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य संपादित हो सके।

शुभ वार : सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार (गुरुवार), शुक्रवार तथा शनिचर (शनिवार) सर्वाधिक शुभ दिन माने गए हैं। मंगलवार एवं रविवार को कभी भी भूमिपूजन, गृह निर्माण की शुरुआत, शिलान्यास या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।

शुभ माह : देशी या भारतीय पद्धति के अनुसार फाल्गुन, वैशाख एवं श्रावण महीना गृह निर्माण हेतु भूमिपूजन तथा शिलान्यास के लिए सर्वश्रेष्ठ महीने हैं, जबकि माघ, ज्येष्ठ, भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष महीने मध्यम श्रेणी के हैं। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा कार्तिक मास में उपरोक्त शुभ कार्य की शुरुआत कदापि न करें। इन महीनों में गृह निर्माण प्रारंभ करने से धन, पशु एवं परिवार के सदस्यों की आयु पर असर गिरता है।

शुभ तिथि : गृह निर्माण हेतु सर्वाधिक शुभ तिथिया ये हैं - द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथियां, ये तिथियां सबसे ज्यादा प्रशस्त तथा प्रचलित बताई गई हैं, जबकि अष्टमी तिथि मध्यम मानी गई है। हर  महीने में तीनों रिक्ता अशुभ होती हैं। ये रिक्ता तिथियां निम्न हैं- चतुर्थी, नवमी एवं चौदस या चतुर्दशी। रिक्ता से आशय रिक्त से है, जिसे बोलचाल की भाषा में खालीपन या सूनापन लिए हुए रिक्त (खाली) तिथियां कहते हैं। अतः इन उक्त तीनों तिथियों में गृह निर्माणनिषेध है।

शुभ नक्षत्र : किसी भी शुभ महीने के रोहिणी, पुष्य, अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, स्वाति, हस्तचित्रा, रेवती, शतभिषा, धनिष्ठा सर्वाधिक उत्तम एवं पवित्र नक्षत्र हैं। गृह निर्माण या कोई भी शुभ कार्य इन नक्षत्रों में करना हितकर है। बाकी सभी नक्षत्र सामान्य नक्षत्रों की श्रेणी में आ जाते हैं।

सात 'स' और शुभता
शास्त्रानुसार (स) अथवा (श) वर्ण से शुरू होने वाले सात शुभ लक्षणों में गृहारंभ निर्मित करने से धन-धान्य व अपूर्व सुख-वैभव की निरंतर वृद्धि होती है व पारिवारिक सदस्यों का बौद्धिक, मानसिक व सामाजिक विकास होता है। सप्त साकार का यह योग है, स्वाति नक्षत्र, शनिवार का दिन, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि, शुभ योग, सिंह लग्न एवं श्रावण माह। अतः गृह निर्माण या कोई भी कार्य के शुभारंभ में मुहूर्त पर विचार कर उसे क्रियान्वित करना अत्यावश्यक है।
साभार -http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article/ 
 

Sunday, 19 February 2012

दुर्लभ शिवरात्रि

शिवरात्रि के दिन बन रहा दुर्लभ संयोग
20 फरवरी को महाशिवरात्रि 65 वर्ष पश्चात पंचांग व ग्रहों के दुर्लभ संयोग के साथ आ रही है। इस दिन वार, तिथि, नक्षत्र, योग, करण एवं ग्रहों पर शिव का प्रभुत्व रहेगा। ऐसा संयोग 'शिव संयोग' कहलाता है।

शिव महापुराण के अनुसार जब-जब ग्रहों के परिभ्रमण में पंचांग एवं ग्रहों का संयोग राशि तथा नक्षत्र के आधार पर एक जैसा बनता है, तो इसे शिव संयोग कहते हैं। इस शिवरात्रि पर ऐसा ही विशिष्ट संयोग बन रहा है, जो धर्म, ध्यान व अनुष्ठान के लिए विशेष पुण्य फलदायी है।

इस दिन क्रमशः भगवान गणेश, लक्ष्मी, कुबेर, चंद्रमा तथा प्रधान देव शिव का पूजन करें। अभीष्ट की प्राप्ति के लिए मध्यरात्रि में साधना व सिद्घि फलदायी रहेगी।
ऐसे बना संयोग : स्थानीय रेखांश व समय की गणना के आधार पर 20 फरवरी को दिन सोमवार, तिथि चतुर्दशी, श्रवण नक्षत्र, बारयान योग तथा सिद्घि योग है। नवग्रहों के अंतर्गत चंद्रमा मकर, सूर्य तथा बुध कुंभ एवं शनि तुला राशि में परिभ्रमण कर रहे हैं। पंचांग व ग्रहों की यह स्थिति 21 फरवरी 1955 को बनी थी।

क्या है विशेष : सोमवार के दिन के स्वामी शिव है, चतुर्दशी के स्वामी भी शिव है, सिद्घि योगाः के साथ शनि का तुला राशि में परिभ्रमण, श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति, वरियान योग का मध्यरात्रि काल शिवरात्रि पर विशेष महत्व रखता है। इसमें मंत्र दीक्षा, इष्ट मंत्र सिद्धि, श्री यंत्र सिद्धि, रुद्र यंत्र सिद्धि, बगलामुखी यंत्र सिद्धि आदि मध्यरात्रि में की जाती है।
शिव चालीसा
।।दोहा।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥


जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article

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