Friday 15 June 2007

प्रतिभा देवी सिंह पाटिल


राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संप्रग-वाम गठबंधन की उम्मीदवार होंगी। समन्वय समिति की बैठक के बाद प्रतिभा के नाम की घोषणा करते हुए संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी ने इसे भारतीय गणराज्य के 60 साल के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण करार दिया। सोनिया ने बताया कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में महाराष्ट्र की 72 वर्षीय इस नेता की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। इस सिलसिले में मिलकर काम करने को लेकर उन्होंने संप्रग सहयोगियों के प्रति आभार जताया। कांग्रेस प्रमुख ने यह घोषणा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में की, जिनके निवास पर वाम-संप्रग समन्वय समिति की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि, वरिष्ठ वामपंथी नेता प्रकाश कारत, अबनी राय और एबी वर्धन, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार समेत कई अहम नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की पहली पसंद केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल, वामदलों की पसंद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी और मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह भी उपस्थित थे। इसके साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए कई दिनों चल रही गहमागहमी पर विराम लग गया। इससे पहले वाम दलों ने किसी महिला को उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी, साथ ही शिवराज पाटिल व कर्ण सिंह के नाम को सिरे से खारिज कर दिया था।

राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ दल या गठबंधन ने पहली बार किसी महिला को उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ भारत में पहली बार राष्ट्रपति भवन में एक महिला के बैठने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। यद्यपि इससे पहले कैप्टन लक्ष्मी सहगल राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले चुकी है, लेकिन वह विपक्ष की उम्मीदवार थीं और चुनाव में सफल नहीं हो सकी थीं। आंकड़ों में भारी यूपीए की ओर से उम्मीदवार बन राष्ट्रपति भवन की देहरी तक पहुंच चुकी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इतिहास रचने के करीब मानी जा सकती हैं। अगर वे जीतीं तो देश के इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली महिला होंगी। साथ ही देश के सबसे संपन्न राज्य महाराष्ट्र को भी यह सम्मान पहली बार मिलेगा। आजादी के इन 60 सालों में कोई भी महिला इस सर्वोच्च पद तक पहुंचना तो दूर, उप राष्ट्रपति भी नहीं बन पाई थी। दिग्गज नेताओं की दौड़ में 'छुपा रुस्तम' साबित हुई राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल का नाम जब उम्मीदवार के तौर पर सामने आया उस समय वे स्वयं राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू में थीं और वहां से रेलगाड़ी से जयपुर लौटते समय शायद वे राजनीतिक अतीत के पन्नों को पलट इस सर्वोच्च पायदान तक पहुंचने के सफर का भी जायजा ले रही होंगी।

राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों की दौड़ में उनका नाम बृहस्पतिवार की शाम के पहले तक अटकलों के रूप में भी नहीं आया था। परंतु उन्होंने आज दोपहर तक सबसे आगे चल रहे अपने ही राज्य के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल को ही शिकस्त नहीं दे डाली बल्कि गठबंधन की राजनीतिक गांठों में सोमनाथ चटर्जी, प्रणव मुखर्जी, सुशील कुमार शिंदे, कर्ण सिंह, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा की उम्मीदवारी बांध डाली और अंतत: 72 वर्षीय पाटिल छुपा रुस्तम साबित हुई। पिछले लगभग तीन साल से राजस्थान के राज्यपाल का पद संभाल रहीं पाटिल राज्यसभा की उपसभापति भी रह चुकी हैं। कांग्रेस, वाम दलों और द्रमुक नेता एम करुणानिधि के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद भी उपरोक्त नामों में से किसी पर सहमति नहीं बन पाई थी। शाम होते-होते इस तरह के संकेत आने लगे कि इनमें से कोई भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं होगा। इससे पहले आरएसपी के अबनी राय ने साफ संकेत दे दिया था कि 'एक चौंकाने वाले नाम' पर सहमति बनेगी और यह चौंकाने वाला नाम अंत में प्रतिभा पाटिल का निकला।]

एक सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाली पाटिल 1962 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनी गई। वह तब से लेकर 1985 तक विधायक चुनी जाती रहीं और इस बीच राज्य की उप मंत्री, कैबिनेट मंत्री और विपक्ष की नेता भी चुनी गई। महाराष्ट्र के जलगांव में 19 दिसंबर, 1934 को जन्मी पाटिल 18 नवंबर, 1986 से पांच नवंबर 1988 तक राज्यसभा में उपसभापति रही। सात जुलाई, 1965 को उनका डा. देवसिंह रामसिंह शेखावत से विवाह हुआ। उनके एक पुत्र और एक पुत्री है। वह वर्ष 1967 से 1978 महाराष्ट्र सरकार में स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण उप मंत्री, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण मंत्री, समाज कल्याण मंत्री और पुनर्वास सांस्कृतिक मामलों की मंत्री रही। पाटिल जुलाई 1979 से फरवरी 1980 तक महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रही। जून 1985 से 1990 तक राज्यसभा सदस्य रही। वह वर्ष 1991 में अमरावती से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। वह दोनों सदनों में विभिन्न कमेटियों की अध्यक्ष और सदस्य भी रहीं। पाटिल की खेलों में भी खासी रुचि है। वह अपने कालेज जीवन में टेबल टेनिस चैंपियन रही हैं और इंटर कालेज प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई पुरस्कार हासिल किए हैं। नवंबर, 2004 में राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ लेने वाली पाटिल का राजनीतिक क्षेत्र के अलावा महाराष्ट्र में महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन, कामकाजी महिलाओं के लिए आवास गृह की स्थापना करने, गरीब बच्चों के लिए स्कूल शुरू करवाने में विशेष योगदान रहा। राजस्थान की राज्यपाल रहते हुए भी उन्होंने इन बातों पर विशेष ध्यान दिया। जलगांव के एम जे कालेज से उन्होंने एम ए किया और बाद में मुंबई के गवर्नमेंट ला कालेज से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में जलगांव में उन्होंने कुछ समय तक वकालत भी की। गौरतलब है कि शिवराज पाटिल के नाम पर वाम दलों को खासतौर से सख्त आपत्ति थी। वाम दलों की शर्त थी कि राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग ऐसा उम्मीदवार लाए जिसकी धर्मनिरपेक्षता पर कोई संदेह न हो, वह राजनीतिक रूप से अनुभवी हो और साथ ही संविधान और कानून का उसे अच्छा ज्ञान हो। कई दौर की बैठकों के बाद अंतत: प्रतिभा पाटिल ही इन सब कसौटियों पर खरी पाई गई और उनके नाम पर सहमति बन गई। शेखावत परिवार में ब्याही प्रतिभा का मुकाबला अब दूसरे शेखावत यानी उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत से होने के आसार हैं। उपराष्ट्रपति शेखावत राष्ट्रपति पद के लिए राजग प्रायोजित निर्दलीय उम्मीदवार हो सकते हैं।

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